Friday, 7 September 2018

छोटू राम

लाला घासीराम से दो चार
क्यूकरै झज्जर के स्कूल मैं छोटूराम नै दाखला पाया।।
संकट झेल झेल कै भी उसनै पढ़ाई मैं ध्यान लगाया।।
1
स्कूल बीस किलोमीटर दूर गढ़ी सांपले तैं बताते
पैदल चाल कै आसंडे कै छारा जौन्धी म्हां कै जाते
मिहने मैं दो दिन तै बालक आण जाण मैं वे खपाते
आटा दाल घी घर तैं होस्टल मैं लेजाकै जमा कराते
छुटियाँ मैं घर नै आकै नै खेती बाड़ी मैं हाथ बंटाया।।
2
मोहम्मद खान होस्टल मैं कई बात बताया करता
छोटू राम खेत मैं भी किताब लेकै नै जाया करता
सारे सूबे मैं फस्ट आईये मास्टर न्यों चाहया करता
पैसा अखबार पढ़ता रोज जो स्कूल मैं आया करता
छोटू राम का कठोर परिश्रम आखिर तै रंग ल्याया।।
3
रिजल्ट नै छोटूराम का हौंसला घना बढ़ाया देखो
आगै जरूरी पढ़ना सै यो पक्का मन बनाया देखो
मौका देखकै बाबू तैं पढण का जिक्र चलाया देखो
आगै पढ़ने की सुनकै नै बाबू नै नाक चढ़ाया देखो
नौकरी टोहले छोटी मोटी बाबू नै छोटू समझाया।।
4
पासींयां मैं नहाए पहोंचे लाला जी जाकै ठाया था
इशारा कर डोरी कान्ही पंखा बाबू खीचै चाहया था
उसका बेटा खाली बैठया  छोटूराम कै छोह आया था
छोटूराम नै लाला जी को कसूती ढालाँ धमकाया था
रणबीर पंखे की  घटना नै छोटू राम को दहलाया।।

यग्योपवित

बालकपन तैं माहौल आजादी ए हिन्द का पाया रै।।
यग्योपवित के मौके पै यो पिताजी सन्देश सुनाया रै।।
1
देश की आजादी खातर भगत सिंह को दान किया रै
भगत सिंह नै याद राख्या बख्त पै घर छोड़ दिया रै
प्रतिज्ञा पूरी करने नै खुशी से आगै कदम बढ़ाया रै।।
यग्योपवित के मौके पै यो पिताजी सन्देश सुनाया रै।।
2
इसतैं पहलम ब्याह की दादी नै पूरी दाब बनायी थी
मतना दाब बणावै दादी  दिल की बात बताई थी
जिब पार नहीं बसाई तै पिता को प्रण याद कराया रै।।
यग्योपवित के मौके पै यो पिताजी सन्देश सुनाया रै।।
3
नेशनल कालेज मैं चर्चा रोज होवै थी आजादी की
गोरयाँ के कारनामे सुनते कथा देश की बर्बादी की
इंक़लाब जिंदाबाद का नारा सबनै मिलकै लाया रै।।
यग्योपवित के मौके पै यो पिताजी सन्देश सुनाया रै।।
4
रणबीर हाथ जोड़ लिखूँ घर छोड्या माफ़ करियो
कदे बाएं दाएं होज्यां तै मेरी निगरानी आप करियो
आपका ताबेदार भगत सिंह नम्रता से फ़रमाया रै
यग्योपवित के मौके पै यो पिताजी सन्देश सुनाया रै।।

तेरी घणी जरूरत सै हटकै

तेरी घणी जरूरत सै हटकै एकबै आज्या भगत सिंह।।
नौजवान पीढ़ी म्हारी नै राह सही बताज्या भगत सिंह।।
1
यकीन जमा नहीं आन्ता तेईस साल की उम्र तेरी थी
याणी उम्र मैं तमनै मिलकै घाली फिरंगियां कै घेरी थी
असेम्बली मैं बम्ब गेरी थी यो किस्सा सुनाज्या भगत सिंह ।।
नौजवान पीढ़ी म्हारी नै राह सही बताज्या भगत सिंह।।
2
जेल मैं भगत सिंह थामनै किताबां की करी पढ़ाई थी
आजाद भारत किसा हो घणी कामल तस्वीर बनाई थी
फांसी की सजा सुनाई थी कदे देश मैं छाज्या भगत सिंह ।।
नौजवान पीढ़ी म्हारी नै राह सही बताज्या भगत सिंह।।
3
एक दिन पहलम फांसी तै सतलुज के किनारे जला दिए
भारत की जनता के दिल ये घणे कसूते हिला दिए
सरकारों नै थाम भुला दिए इणनै समझाज्या भगत सिंह ।।
नौजवान पीढ़ी म्हारी नै राह सही बताज्या भगत सिंह।।
4
कहै रणबीर बरोने आला हम सपना पूरा करांगे तेरा
शोषण मुक्त समाज बणावां दूर करांगे घोर अँधेरा
चाहया तनै जो नया सबेरा तस्वीर दिखाज्या भगत सिंह ।।
नौजवान पीढ़ी म्हारी नै राह सही बताज्या भगत सिंह।।

भगत सिंह के सपने

भगत सिंह के सपने
सपने चकनाचूर करे थारे देश की सरकारां नै।
जल जंगल जमीन कब्जाए देश के सहूकारां नै ।
शिक्षा हमें मिलै गुणकारी , भगत सिंह सपना थारा
मारै ना बिन इलाज बीमारी, भगत सिंह सपना थारा
भरष्टाचार कै मारांगे बुहारी, भगत सिंह सपना थारा
महिला आवै बरोबर म्हारी, भगत सिंह सपना थारा
बम्ब गेर आवाज सुनाई, बहरे गोरे दरबरां नै।
समाजवाद ल्यावां भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना
कोए दुःख ना ठावै भारत मैं,भगत सिंह थारा सपना
दलित जागां पावै भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना
अच्छाई सारै छावै भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना
जनता चैन का सांस लेवै बिन ताले राखै घरबारां नै।
थारी क़ुरबानी के कारण ये आजादी के दिन आये
उबड़ खाबड़ खेत संवारे देश पूरे मैं खेत लहलाये
रात दिन अन्न उपजाया देश अपने पैरों पै ल्याये
चुनकै भेजे जो दिल्ली मैं उणनै हम खूब बहकाये
आये ना गोरयां कै काबू कर लिए अपने रिश्तेदारां नै।
समाजवाद की जगां अम्बानीवाद छाता आवै देखो
थारे सपने भुला कै धर्म पै हमनै लड़वावै देखो
मुजफ्फरनगर हटकै भगत सिंह तनै बुलावै देखो
दोनों देशों मैं कट्टरवाद आज यो बढ़ता जावै देखो
रणबीर खोल कै दिखावै साच आज के दरबारां नै।