Friday, 24 February 2023

रात ग्यारा बजे चालकै दिल्ली एयरपोर्ट आये रै।।

 रात ग्यारा बजे चालकै दिल्ली एयरपोर्ट आये रै।।

दिल्ली तैं कुवैत के जहाज के टिकट कटाये रै।।

हवाई जहाज का सफर कई घण्टे का होग्या भाई

ब्रेकफास्ट किया फेर लंच फेर फ़िल्म एक चलाई

कुवैत पहोंच लंदन की मिलगी या जहाज हवाई 

लंदन की हवाई यात्रा घर आली नै खूब सराही 

लंदन पहोंचे सांझ ताहिं फेर सांस थोड़े ले पाये रै।।

दिल्ली तैं कुवैत के जहाज के टिकट कटाये रै।।

2

विवेक भाई एयरपोर्ट पै देखै था वो बाट म्हारी 

सारा सामान लाद लिया फेर चली म्हारी सवारी

सत्तर मील की दूरी साउथ एन्ड रहवै

बेटी प्यारी 

दोहती अनन्या दोहता आदि सबकै खुशी छारी

कुलदीप शीतल नै आंख्यां पै सारे बिठाये रै।।  

दिल्ली तैं कुवैत के जहाज के टिकट कटाये रै।।

3

रात का खाना खाकै या नींद गजब की आई 

सपने मैं घूमै रोहतक दे इंद्रप्रस्थ का पार्क दिखाई  

सबतें सम्पर्क टूट गया सिम कार्ड ना

मिल पाई 

जी मैं जी आग्या मेरै जिब चलगी वाई फाई

नमस्ते लंदन से के फूल सब धोरै पहोंचाये रै ।।

दिल्ली तैं कुवैत के जहाज के टिकट कटाये रै।।

4

स्वीमिंग पूल अर पार्क अगले दिन घूम कै आये 

लंदन आई जाकै दूजे दिन पूरा लंदन देख पाये 

विंडसर कैस्टल तीजे दिन उड़ै मजे खूब उड़ाए 

चौथे दिन बीच पै घूमे बालक झूले खूब झुलाये

रणबीर दस तारीख नैं बेल्जियम के प्लान बनाये रै ।। 

दिल्ली तैं कुवैत के जहाज के टिकट कटाये रै।।

चालै कोण्या जोर

 चालै कोण्या जोर

मेरा चालै कोण्या जोर मनै लूटैं मोटे चोर

नहीं पाया कोये ठौर कटी पतंग की डोर

मनै लावैं डांगर ढ़ोर यो किसा घोटाला रै।

मेरा बोलना जुल्म हुया,उनका बोलना हुक्म हुया

सारे ये मुनाफा खोर ये थमा धर्म की डोर

बनावैं ये म्हारा मोर सुहानी इनकी भोर

ऐश करैं डाकू चोर मन इनका काला रै।

ये भारत के पालन हार,क्यों चोरां के सैं ताबेदार

म्हारे पै टैक्स लगावैं बोलां तो खावण आवैं

मिल्ट्री सैड़ दे बुलावैं चोरां की मौज करावैं

काले का सफेद बणावै भजैं राम की माला रै।

महंगाई की मार कसूती,सिर म्हारा म्हारी जूती

यो रोजगार मन्दा सै यो सिस्टम गन्दा सै

यो मालिक का रन्दा सै घालै दोगला फंदा सै

क्यूकर जीवै बन्दा सै हुया ढंग कुढाला रै।

पत्थर पुजवा बहकाये,भक्षक रक्षक दिखाये

काले नाग डसगे क्यों ,ये शिकंजे कसगे क्यों

दो संसार बसगे क्यों गरीब जमा फ़ंसगे क्यों

रणबीर पै हंसगे क्यों कर दिया चाला रै।।

शिक्षा और स्वास्थ्य

 शिक्षा और स्वास्थ्य


प्रतिगामी ताकतां नै देखो किसा उधम मचाया रै।।
यो सारा सरकारी ढांचा प्राइवेट की भेंट चढ़ाया रै।।
1
शिक्षा स्वास्थ्य के सरकारी ढांचे पहले तो खराब करै
खराबी के दोष जान कै डॉक्टर टीचर पै ल्याण धरै
कितै ढांचे का टोटा होरया कितै कम स्टाफ दुख भरै
सच कहता हुया मानस यो सरकार तैं आज घणा डरै
बिठा दिया सरकारी ढांचा प्राइवेट का धर्राटा ठाया रै।।
यो सारा सरकारी ढांचा प्राइवेट की भेंट चढ़ाया रै।।
2
यो ढांचा पड़ेगा बचाना गरीब की जिब पार जावैगी
एक बात स्टाफ समझले जनता की मदद चाहवैगी
नहीं बचे स्कूल अस्पताल तो जनता खूबै धक्के खावैगी
महंगी शिक्षा और इलाज का बोझ किस तरियां ठावैगी
भक्षक बनकै रक्षक छागे अंधविश्वास खूब फैलाया रै।।
यो सारा सरकारी ढांचा प्राइवेट की भेंट चढ़ाया रै।।
3
पढ़ लिख कै बालक म्हारे कदे बेरा पाड़लें लुटेरयां का
उलझाल्यो जात धर्म पै जितना तबका सै कमेरयां का
कमेरे समझे कोण्या इब लग जाल घल्या बघेरयां का
कावड़ कदे कुम्भ का मेला ध्यान बांट दिया चितेरयां का
शिक्षा स्वास्थ्य के ढांचे का जानबूझ भट्ठा बिठाया रै।।
यो सारा सरकारी ढांचा प्राइवेट की भेंट चढ़ाया रै।।
4
रोडवेज का हाल देखल्यो जमा धरती कै मार रहे
प्राइवेट बस चलाकै नै ये जनता का पीसा डकार रहे
जनता सड़कों पै आ बैठी ये मुकदमे कर तयार रहे
जनता का कोये ख्याल नहीं कर्मचारी नै दुत्कार रहे
रणबीर सिंह सरकारी ढांचा सोचो कैसे जा बचाया रै।।
यो सारा सरकारी ढांचा प्राइवेट की भेंट चढ़ाया रै।।

मिलकै नै आवाज लगावां बुनियादी हक क्यों खोस लिए।।

 मिलकै नै आवाज लगावां बुनियादी हक क्यों खोस लिए।।

के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।
1
शिक्षा का अधिकार म्हारा आज पढन क्यों बिठाया
स्वास्थ्य का अधिकार म्हारा कर हवन क्यों भकाया
रोजगार खोस करोड़ों के उड़ा उनके होंस दिए।।
के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।
2
भ्रष्टाचार के पंख क्यों ये चारों कांहीं फैला दिए
बेरोजगारों के कॉन्ध्यां पै कावड़ क्यों टिका दिए
आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी वे शहीद बना ठोस दिए।।
के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।
3
जिणनै भी आवाज उठाई वे दमन का शिकार बनाये
मजदूर किसानों के ऊपर बहोत घणे कहर ढाये
दबे नहीं लाठी गोली तैं  जनता नै
बढ़ा रोष दिए।।
के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।
4
जात धर्म पै कलह कराकै एकता जनता की तोड़ी
बेरोजगारी भुखमरी तैं आज ध्यान
जनता की मोड़ी
रणबीर लांबे चौड़े वायदे जनता साहमी परोस दिए।।
के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।