Monday, 8 June 2020

शोषण हमारा

 शोषण हमारा
बदेशी कम्पनी आगीहमनै चूट-चूट कै खागी
अमीर हुए घणे अमीरयो मेरा अनुमान सै।।
हमनै पूरे दरवाजे खोल दिये,बदेशियां नै हमले बोल दिये
ये टाटा बिड़ला साथ मैं रलगेउनकै घी के दीवे बलगे
बिगड़ी म्हारी तसबीरया संकट मैं ज्यान सै।।
पहली चोट मारी रूजगार कैहवालै कर दिये सां बाजार कै
गुजरात मैं आग लवाई  क्योंमासूम जनता या जलाई  क्यों
गई  कड़ै तेरी जमीनघणा मच्या घमसान सै।।
या म्हारी खेती बरबाद करदी, धरती सीलिंग तै आजाद करदी
किसे नै भी ख्याल ना दवाई काभटठा बिठा दिया पढ़ाई  का
घाली गुरबत की जंजीरया महिला परेशान सै।।
या सल्फाश की गोली सत्यानासीहर दूजे घर मैं ल्यादे उदासी
आठ सौ बीस छोरी छोरा हजार योबढ़या हरियाणे मैं अत्याचार यो
लिखै साची सै रणबीरनहीं झूठा बखान सै।।

2006 

मेरा संघर्ष

बात पते की
मेरा संघर्ष 
गाम की नजरां के म्हां कै बस अडडे पै आउं मैं।
कई  बै बस की बाट मैं लेट घणी हो जाउं मैं।।
भीड़ चीर कै बढ़णा सीख्या,करकै हिम्म्त चढ़णा सीख्या 
लड़ भिड़ कढ़णा सीख्याझूठ नहीं भकाउ मैं।।
बस मैं के के बणै मेरी साथ,नहीं बता सकती सब बात
भोले चेहरे करैं उत्पातमौके उपर धमकाउं मैं।।
दफतर मैं जी ला काम करूं,पलभर ना आराम कंरू
किंह किहं का नाम धरूंनीच घणे बताउं मैं।।
डर मेरा सारा ईब  लिकड़ गया,दिल भी सही होंसला पकड़ गया,
जै रणबीर अकड़ गयातो सबक सिखाउं मैं।।

ब्रह्रााण्ड महारा

ब्रह्रााण्ड महारा
इस ब्रह्रााण्ड का बेरा ना सोच-सोच घबराउं मैं।
रती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
वैज्ञानिक दृषिट का पदार्थ नै धा बताते
नाश हो सकता बदलै ना आकार सुणाते         
निर्जिव तै जीव की उत्पत्ति डारविन जी सिखाते
हमेश रहै बदलता क्यूकर या समझाउं मैं।।
जिज्ञासा और खोज तै उपजै उसनै ग्यान कहैं
क्रम बद्ध ग्यान नै फेर दुनिया मैं विग्यान कहैं
जिज्ञासा नै मारै सै जो उसको सारे अग्यान कहैं
गुण दोष पै जांचै परखै वैज्ञानिक इन्सान कहैं
पूर्वाग्रह तै टकराकै बणै नयी सोच दिखाउं मैं।।
मत विश्वास करो क्योंकि मां बाप नै बताया सै
शिक्षक नै कैहदी ज्यांतै आंख मूंद अपणाया सै
परीक्षण विश्लेषण पै जो सर्वहित कारी पाया सै
प्रयोग तै करैं दोबारा वो सिद्धांत आगै आया सै
ना भाग्यवाद पै कान धरूँ ऊंकै धोरै ना जाउं मैं।।
वैज्ञानिक दृषिट गुरू अपना चेला बताया होज्या
तीव्र ग्राही मन होवै जो कदे ना पड़कै सोज्या
सत्य का खोजी माणस बीज नई  खोज के बोज्या
प्रमाण पै टिक्या विवेक सारे अंधविश्वास नै खोज्या
रणबीर जोर लगाकै बात खोज कै ल्याउं मैं।।

वैज्ञानिक दृषिट--300---

वैज्ञानिक दृषिट
वैज्ञानिक दृष्टि  बिन सृष्टि  नहीं समझ मैं आवै।
कुदरत के नियम जाण कै समाज आगै बढ़ पावै।।
किसनै सै संसार बणाया किसनै रच्या समाज यो
म्हारा भाग कहैं माड़ा बांधै  कामचोर कै ताज यो
सरमायेदार क्यों लूट रहया सै मेहनतकशी की लाज यो
क्यों ना समझां बात मोटी कूण म्हारा भूत बणावै।।
कौण पहाड़ तोड़ कै करता धरती समतल मैदान ये
हल चला खेती उपजावै उसे का नाम किसान ये
कौण धरा चीर कै खोदै चांदी सोने की खान ये
ओहे क्यों कंगला घूम रहया चोर बण्या धनवान ये
करमां के फल मिलै सबनै क्यों कैहकै बहकावै।।
हम उठां अक अनपढ़ता का मिटा सकां अन्धकार  यो
हम उठां अक जोर जुलम का मिटा सकां संसार यो
हम उठां अक उंच नीच का मिटा सकां व्यवहार यो
जात पात और भाग भरोसे कोण्या पार बसावै।।
झूठयां पै ना यकीन करां म्हारी ताकत सै भरपूर
म्हारी छाती तै टकरा कै गोली होज्या चकनाचूर
जागते रहियो मत सोइयो म्हारी मंजिल ना सै दूर
सिरजन होरे हाथ म्हारे सैं घणे अजब रणसूर
नया समाज सुधा का रणबीर रास्ता बतावै।।

म्हारी खोज म्हारी सभ्यता

म्हारी खोज म्हारी सभ्यता
घड़ी बंधी  जो हाथ पै इटली मैं हुई  खोज बताई ।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई ।।
खुर्दबीन की खोज कदे नीदरलैंड मैं हुई  बताई  सै
बैरोमीटर तै टारिसैली नै मौसमी खबर सुणाई  सै
गुबारा सतरा सौ तिरासी मैं यो हमनै दिया दिखाई  सै
टेलीग्राफ की खोज नै फेर फ्रांस की श्यान बढ़ाई  सै
गैस लाइट के आणे तै जग मैं हुर्इ घणी रूसनाई ।।
इटली के पी टैरी नै टाइप राइटर फेर बणाया रै
हम्फ्री डेवी नै लैंप सेफटी बणा माडल दिखलाया रै
माचिस की खोज नै ठारा सौ छब्बीस याद कराया रै
साइकिल के बणाणे आला मैकलिन नाम बताया रै
ठारा सौ तितालिस सन मैं फैक्स मशीन बणाई ।।
ज्ञान विज्ञान आगै बढ़ग्या करे नये-नये आविष्कार
अमरीका नै लिफट खोजी मंजिलां की फेर लागी लार
ठारा सौ बावण मैं वायुयान नै फ्रांस मैं भरी उडार
टेलबेट नै फोटो खींचण की विधि  कर दी तैयार
वैज्ञानिक सोच के दम पै नई -नई  तरकीब सिखाई ।।
थामसन नै वैलिडंग मशीन अमरीका मैं त्यार किया
एडीसन नै बलब बिजली जगमगा पूरा संसार दिया
मोटर साइकिल डैमलर नै सड़कां पै फेर उतार दिया
उन्नीस सौ बावण मैं हाइड्रोजन बम बी सिंगार लिया
रणबीर आगे की फेर कदे बैठ करैगा कविताई ।।