शोषण हमारा
बदेशी कम्पनी आगी, हमनै चूट-चूट कै खागी
अमीर हुए घणे अमीर, यो मेरा अनुमान सै।।
हमनै पूरे दरवाजे खोल दिये,बदेशियां नै हमले बोल दिये
ये टाटा बिड़ला साथ मैं रलगे, उनकै घी के दीवे बलगे
बिगड़ी म्हारी तसबीर, या संकट मैं ज्यान सै।।
पहली चोट मारी रूजगार कै, हवालै कर दिये सां बाजार कै
गुजरात मैं आग लवाई क्यों, मासूम जनता या जलाई क्यों
गई कड़ै तेरी जमीन, घणा मच्या घमसान सै।।
या म्हारी खेती बरबाद करदी, धरती सीलिंग तै आजाद करदी
किसे नै भी ख्याल ना दवाई का, भटठा बिठा दिया पढ़ाई का
घाली गुरबत की जंजीर, या महिला परेशान सै।।
या सल्फाश की गोली सत्यानासी, हर दूजे घर मैं ल्यादे उदासी
आठ सौ बीस छोरी छोरा हजार यो, बढ़या हरियाणे मैं अत्याचार यो
लिखै साची सै रणबीर, नहीं झूठा बखान सै।।
2006
2006