Friday, 30 December 2016

Munshi Ram

थोड़े से दिन थ्वावस करो आजादी रंग चा कर देगी 
घी खाण्ड अनाज कपड़ा सोना-चांदी सस्ते भा कर देगी 
गाम गाम मैं खुलैं मदरसे विधा पढ़ो मौज के म्हं 
ताजे कपड़े घड़ी हाथ कै रहंगे नोट गोज के म्हं 
होस्पीटल सफाखाने खुलज्यां एक दो तीन रोज के म्हं 
सारे काम बणैं कल के ना टुटै नाड़ बोझ के म्हं 
छुआछात का भूत काढ़ दो गोरमेंट न्या कर देगी 
ऊंच नीच का ख्याल रहै ना देह्स एक सा कर देगी 

कोठी कमरे फर्श गिलोरी पंखे लगै शाळ के म्हं 
झांकी जंगळे लगै चुफेरै लूटो ऐश बाळ के म्हं 
हरी पीळी लाल रोशनी बिजळी गाळ गाळ के म्हं 
कुरसी मेज बिछै पलंग भोजन मिलै थाल के म्हं 
साईकिल तांगे टमटम चालैं सब पक्के राह कर देगी 
झगड़े बाजी मिटैं मुकदमे ठीक फैसला कर देगी 

पाणी के नल फर्स लागज्यां ठंडे गरम फव्वारे हों 
तेल फलेल इतर केसर कस्तूरी के छिड़कारे हों 
सभी जगह पै नहर फिरैंगी बाग बगीचे न्यारे हों 
सेब संतरे आम नारियल पीस्ते दाख छुहारे हों 
उड़द गेहूं धान उपजै बर्षा ज्यादा कर देगी 
कमती दान जनेती थोड़े बिना खर्च ब्याह कर देगी 

एका मेल मिलाप करो कुछ फायदा नहीं बैर के म्हं 
पाप कपट बेईमान छोड़ो ना फूको गात जहर के म्हं 
सारी चीज हौवै खेतां मैं ना जाणा पड़ै शहर के म्हं 
गऊ माता का कष्ट मिटैगा सूनी फिरै डैर के म्हं 
गुरु हरिचंद कह रोटी मोटर खेतां मैं जाकर देगी 
नगर जांडली छोटी गाणा “मुंशी राम” का कर देगी

नोएडा और गुड़गामा

नोएडा और गुड़गामा
आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
युवा और युवतियों की या मजबूरी दिखाणी चाही।
मियाँ बीबी ये दोनों मिलकै आज खूब कमावैं देखो
तीस लाख का पैकेज ये साल का दोनों पावैं देखो
तड़कै आठ बजे त्यार हो नौकरियां पर जावें देखो
रात के ग्यारह बजे ये वापिस घर नैं आवैं देखो
इन कमेरयां की आज या पूरी कथा सुणानी चाही।
आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
अपने पारिवारिक रिश्ते बताओ कैसे चलावैं रै
ऐकले रैह रैह कै शहरां मैं ये कैरियर बनावैं रै
भीड़ मैं रैह कै भी अपने नै कतिअकेला पावैं रै
गांम गेल्याँ अपना रिश्ता बताओ कैसे निभावैं रै
आज के दौर की या विरोधाभाष दिखाणी चाही।
आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
मोटे वेतन की नौकरी छोड नहीं पावैं देखो भाई
अपने बालकां नै घरां छोड़ कै नै जावैं देखो भाई
फुल टाइम की मेड एजेंसी तैं ये ल्यावैं देखो भाई
उसके धोरै बालक ये अपने पलवावैं देखो भाई
मजबूरी या लाइफ आज इणनै अपनाणी चाही।
आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
मात पिता दूर रहवैं टाइम काढ़ नहीं पाते भाई
दादा दादी नाना नानी इनके बन्द हुए खाते भाई
घर मैं आवैं इस्तै पहले बालक तो सो जाते भाई
नॉएडा गुड़गामा का रणबीर यो हाल सुनाते भाई
बदल गया जमाना हरयाणा ली अंगड़ाई चाही।
आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
                     छक्का 
सोच समझ कै करना चाहिए कोई भी काम मोदी जी 
बिना बताये करी नोटबंदी दुखी शहर गाम मोदी जी 
पचास दिन देखी बाट फेर नहीं मिल्या आराम मोदी जी 
इब्ब तो करो कुछ म्हारा रोटी रोजी का इंतजाम मोदी जी 
गरीब भूखे मार कै नै हुए सो घने बदनाम मोदी जी 
स्वीश बैंक आल्यां के इब्बी नाम क्यों राखे गुमनाम मोदी जी 

सावित्री बाई फुल्ले

सावित्री बाई फुल्ले 
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥ 
समाज के घणे  ताने सुणे पर ना पाछै कदम हटाया ॥ 
महिला नै समाज मैं पूरे मिलने चाहिए अधिकार 
पूरा जीवन लगा दिया किया जन जन मैं प्रचार 
बारा साल मैं ब्याह होग्या फेर भी अपना फर्ज निभाया ॥ 
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥ 
लिंग भेद का विरोध करया पति नै पूरा साथ दिया था 
जाति भेद के खिलाफ उणनै यो खुल्ला ऐलान किया था  
बाल हत्या प्रतिबन्धक गृह यो सुरक्षा सेंटर बनाया ॥ 
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥ 
महिलाओं को पढ़ाने जब सावित्री स्कूल मैं जाया करती 
जनता गोबर फ़ैंकती बहोतै क्रोध या जताया करती 
स्कूल जा साड़ी रोज बदली महिलाओं को जरूर पढ़ाया ॥ 
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥ 
दत्तक पुत्र डॉक्टर बणग्या पुणे मैं अस्पताल चलाया 
सावित्री बाई मरीज सेवा मैं अपना काफी बख्त लगाया 
समाज सुधार मैं रणबीर अपना पूरा जीवन बिताया ॥ 
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥