Friday, 17 July 2015

मत बनो कसाई

मत बनो कसाई
मत बनो पिता कसाई हो तेरी बेटी मैं।।
बचपन मैं दुभांत करी,कोन्सा किसे कै बात जरी
भाई खावै दूध मलाई हो तेरी बेटी मैं।।
घी माता को एक धड़ी दस दिन मैं करी खड़ी
ठीकरे फोड़ मातम मनाई हो तेरी बेटी मैं।।
घी माता की दो धड़ी चालीस दिन सम्भाल बड़ी
दादी नै थाली बजाई हो तेरी बेटी मैं।।
महिला दुश्मन अपनी जाई की हालत भूरो और भरपाई की
सारी उल्टी सीख सिखाई हो तेरी बेटी मैं।।
पढ़ण खंदाया स्कूल मैं भाई नहीं कदे मेरी बारी आई
घर अन्दर मोस बिठाई हो तेरी बेटी मैं।।
बालकपन मैं ब्याह रचाया वारी मेरी समझ मैं आया
रणबीर सिंह की कविताई हो तेरी बेटी मैं।

एक फौजी की घरवाली की दास्तां

एक फौजी की घरवाली की दास्तां
तर्ज -कसमें वायदे प्यार वफा-
सोसाटी आला बाबू जी रोजाना फेरी मारै पिया।।
दारु पी कै घरनै आवै कुबध करण की धारै पिया।।
म्हारे घर अन्न वस्त्र का टोटा इतने जतन करैं फौजी
म्हारी जिन्दगी बीत गई हम टोटे के म्हां मरैं फौजी
लता कपड़ा नहीं औढ़ण नै जाड्डे के म्हां ठिरैं फौजी
बता जुलमी करजे का पेटा किस तरियां तैं भरैं फौजी
इस करजे की चिन्ता मनै शाम सबेरी मारै पिया।।
धरती सारी गहनै धरदी  दबा लिए हम करजे नै
जितने जेवर थे घर मैं सब बिकवा दिये करजे नै
रोटी कपड़े के मोहताज हम बना दिए करजे नै
चोरी के झूठे इल्जाम म्हारे पै लुवा दिए करजे नै
सोसाटी आला बाबू जी ईज्जत पै हाथ पसारै पिया।।
जहरी नाग फण ठारे कुए जोहड़ मैं पड़ना दीखै
और नहीं गुजारा चलै ज्यान का गाला करना दीखै
करजा म्हारा नाश करैगा बिजली बिल भरना दीखै
मारुं सैक्टरी नाश जले नै ना आप्पै ए मरना दीखै
आंख मूंदगे हीजड़े होगे वोतै गाम नै ललकारै पिया।।
गरीब की बहू जोरु सबकी या समझै दुनिया सारी
मेहनत तो लूट लई या ईब ईज्जत लूटण की त्यारी
सारा गाम बिलखै फौजी कड़ै गया वो क्ृष्ण मुरारी
रणबीर सिंह नै बरोने कै मैं खोल बताई या बीमारी
करिए ख्याल तावला मेरा प्रेम कौर खड़ी पुकारै पिया।।

जुल्मी घूँघट

जुल्मी घूँघट
देवर भाभी की बहस
देवर- के होग्या दो दिन मैं क्यों घणा उप्पर नै मुह ठाया तनै।।
भाभी-दुनिया मैं एक इन्सान मैं भी ढंग तैं जीवणा चाहया मनै।।
           देवर
      बता भाभी गाम की इज्जत यो घूंघट नहीं सुहावै क्यों
      रिवाज नीची नजर तैं जीने का आंख तैं आंख मिलावै क्यों
      उघाड़े सिर चालै गाम मैं सरेआम म्हारी नाक कटावै क्यों
      सीटी मारैं कुबध करैं हाथ भिरड़ां के छते तों लगावै क्यों
      बहू सजै ना घूंघट के बिना बिन बूझें तार बगाया तनै।।
           भाभी
      रिवाजां की घाल कै बेड़ी क्यों बिठा करड़ा डर राख्या
      दुभान्त जिन रिवाजां मैं उनका भरोटा सिर पै धर राख्या
      घूंघट का रिवाज घणा बैरी ईनै पंख म्हारा कुतर राख्या
      कान आंख नाक मुह बांधे ज्ञान दरवाजा बन्द कर राख्या
      घूंघट ज्ञान का दुश्मन होसै पढ़ लिख कै बेरा लाया मनै।।
             देवर
      क्यूकर ज्ञान का दुश्मन सै तूं किसनै घणी भका राखी सै
      तेरै अपनी बुद्धि सै कोन्या चाबी और किसे नै ला राखी सै
      घंूघट तार कै पूरे गाम मैं ईज्जत धूल मैं खिंडा राखी सै
      सारा गााम थू थू करता घर घर तेरी बात चला राखी सै
      उल्टे रिवाज चला गाम मैं यो कसूता तूफान मचाया तनै।।
            भाभी
       ब्याह तैं पहलम तेरे भाई तैं घूंघट की खोल करी थी
       कही और सोच समझल्यां उनै ब्याह की तोल करी थी
       मनै सारी बात साफ बताई इनै ल्हको कै रोल करी थी
       रणबीर सिंह गवाह म्हारा मनै कति नहीं मखौल करी थी
       साची साच बताई सारी देवर कति ना झूठ भकाया मनै।।


BAJE BHAGAT KI EK RAGNI



BAJE BHAGAT KI EK RAGNI
साची बात कहण म्हं सखी होया करै तकरार
दगाबाज बेरहम बहन ना मरदां का इतबार
रंगी थी सती प्रेम के रंग म्हं , साथ री बिपत रुप के रंग म्हं
दमयन्ती के संग म्हं किसा नल नै करया ब्यौहार
आधी रात छोड़ग्या बण मैं ल्हाज शरम दी तार
सखी सुण कै क्रोध जागता तन म्हं ,मरद जले करैं अन्धेरा दिन म्हं
चौदहा साल दुख भोगे बण म्हं, ना तज्या पिया का प्यार
फेर भी राम नैं काढ़ी घर तैं, वा सीता सतवन्ती नार
बात हमनै मरदां की पागी,घमन्ड गरुर करै मद भागी
बिना खोट अन्जना त्यागी , करया पवन नै अत्याचार
काग उडाणी बना दई , हुया इसा पवन पै भूत सवार
खोट सारा मरदां मैं पाया, शकुन्तला संग जुल्म कमाया
गन्धर्व ब्याह करवाया दुष्यन्त नै, कर लिए कौल करार
शकुन्तला ना घर मैं राखी, बण्या कौमी गद्यार

कौण साच्चा कौण झूठा

बस में रोजाना छेड़छाड़ की घटनाएं हो रही हैं। लड़कियों ने हिम्मत की मगर समाज को रास नहीं आई कमजोर तबकों की लड़कियों की बहादुरी।
कौण साच्चा कौण झूठा इसमैं बात सिमटा दई सारी।।
बसां मैं जो होवै दुर्गति इसकी चर्चा गई मूधी मारी।।
लड़कियां की पहल कदमी की बात उतरै नहीं गलै
सबनै बेरा हाल बसां का झेलै जब चढै कै उतरै तलै
डरती बोलती कोन्या कदे चरित्रहीनता की फांसी घलै
म्हारे प्रदेश की महिला पुरुषवादी आतंक के म्ंह पलै
दो छोरियां नै हिम्मत दिखाई संस्कृृति हा हा कार मचारी।।
माणस तो रेप करणिया के भी हक मैं समझौते खातर आवैं
महिला कैड़ खड़े होवण मैं ये सारे बड्डे चौधरी हिचकावैं
रेप का कसूरवार भी महिला नै किसे ना किसे ढ़ाल बतावैं
बिगडै़ल छोरयां नै मुश्किल तैं कदे कदे फंसी मैं बिसरावैं
विकृृत मानसिकता और समझ के आज हुए घणे प्रचारी।।
दबाया गया तबका कद ताहिं न्योंए दबकै सहवै भाई
भीतर आग बलै वा जलाकै सब क्यांहें नै रहवै भाई
कमजोर का साथ कौण दे यो समाज ठाडे नै लहवै भाई
घणी हिम्मत चाहिये जब कोए छोरी इसे ढालां फहवै भाई
पाछै सी दो छोरी फांसी खागी किननै उनकी बात बिचारी।।
कमजोरां पर अत्याचार होवैं समाज जात्यां मैं बंट ज्यावै
गलत सही का फैंसला भी पाले बन्दी के हिसाब तैं आवै
जात्यां तैं उपर उठकै नै जै कोए विवेक तैं बात नै बढ़ावै
उसकी कोए नहीं सुणकै राजी दूजे सुर मैं सुर मिलावै
इस किस्से मैं साच् कोर्ट छांटै बाकियां पै क्यों चुप्पी धारी।।

कौण साच्चा कौण झूठा

बस में रोजाना छेड़छाड़ की घटनाएं हो रही हैं। लड़कियों ने हिम्मत की मगर समाज को रास नहीं आई कमजोर तबकों की लड़कियों की बहादुरी।
कौण साच्चा कौण झूठा इसमैं बात सिमटा दई सारी।।
बसां मैं जो होवै दुर्गति इसकी चर्चा गई मूधी मारी।।
लड़कियां की पहल कदमी की बात उतरै नहीं गलै
सबनै बेरा हाल बसां का झेलै जब चढै कै उतरै तलै
डरती बोलती कोन्या कदे चरित्रहीनता की फांसी घलै
म्हारे प्रदेश की महिला पुरुषवादी आतंक के म्ंह पलै
दो छोरियां नै हिम्मत दिखाई संस्कृृति हा हा कार मचारी।।
माणस तो रेप करणिया के भी हक मैं समझौते खातर आवैं
महिला कैड़ खड़े होवण मैं ये सारे बड्डे चौधरी हिचकावैं
रेप का कसूरवार भी महिला नै किसे ना किसे ढ़ाल बतावैं
बिगडै़ल छोरयां नै मुश्किल तैं कदे कदे फंसी मैं बिसरावैं
विकृृत मानसिकता और समझ के आज हुए घणे प्रचारी।।
दबाया गया तबका कद ताहिं न्योंए दबकै सहवै भाई
भीतर आग बलै वा जलाकै सब क्यांहें नै रहवै भाई
कमजोर का साथ कौण दे यो समाज ठाडे नै लहवै भाई
घणी हिम्मत चाहिये जब कोए छोरी इसे ढालां फहवै भाई
पाछै सी दो छोरी फांसी खागी किननै उनकी बात बिचारी।।
कमजोरां पर अत्याचार होवैं समाज जात्यां मैं बंट ज्यावै
गलत सही का फैंसला भी पाले बन्दी के हिसाब तैं आवै
जात्यां तैं उपर उठकै नै जै कोए विवेक तैं बात नै बढ़ावै
उसकी कोए नहीं सुणकै राजी दूजे सुर मैं सुर मिलावै
इस किस्से मैं साच् कोर्ट छांटै बाकियां पै क्यों चुप्पी धारी।।