Sunday, 30 April 2017





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लिए कर्ज के मैं डूब, हमनै तिरकै देख्या खूब,
ना भाजी म्हारी भूख, लुटेरयां नै जाल बिछाया, हे मेरी भाण
1. ज्यों-ज्यों इलाज करया मर्ज बढ़ग्या म्हारा बेबे
  पुराने कर्जे पाटे कोण्या नयां का लाग्या लारा बेबे
  झूठे सब्जबाग दिखाये, अमीरां के दाग छिपाये
  गरीबां के भाग लिवाये, कर सूना ताल दिखाया, हे मेरी भाण
2. विश्व बैंक चिंघाड़ रहया घरेलू निवेश कम होग्या
बेरोजगारी बढ़ा दी घनी सबर म्हारा यो खत्म होग्या   म्हंगाई ना घटती सखी, गरीबी क्यों बढ़ती सखी
   जनता भूखी मरती सखी, नाज का भण्डार बताया हे मेरी भाण
3. जल जंगल और जमीन खोस लिए म्हारे क्यों
  सिरकै उपर छात नहीं दिए झूठे लारे क्यों
  आदिवासी तै मार दिया, किसानां उपर वार किया
   कारीगर धर धार दिया, बेरोजगारी नै फंख फैलाया, हे मेरी भाण
4. इलाज करणिया डाक्टर बी खुद हुया बीमार फिरै
  सुआ लवाल्यो सुवा लवाल्यो करता या प्रचार फिरै
  होगी महंगी आज दवाई, लुटगी सारी आज कमाई
  रणबीर सिंह बात बताई, खोल कै भेद बताया, हे मेरी भाण