Thursday, 6 February 2014

लिए दिल नै डाट

एक  परिवार गरीबी में मजदूरी करके  है ।
रमेश अपनी पत्नी से बातचीत करता है ।
 कवि  के शब्दों में ___

लिए दिल  नै  डाट , मतना देखै बाट
घर बच्या ना खाट , खोस लेगी महँगाई ॥
हो लिए  सब तरां तैं तंग
इब होगे सैं मरने के ढंग
मारैगी या  बीमारी , इलाज हुया भारी
देख किसी  लाचारी , म्हारे साहमी आई ॥
बर्बादी डाटी नहीं डटी सै
ईज्जत सब तरियां घटी सै
तीन मैं दो मरगे , आँख बंद करगे
घने लाले पड़गे , नहीं सुणी दुहाई ॥
\होगी म्हारी जिंदगी पैमाल
महंगाई नै करे सां बेहाल
नहीं रहे सुखी , सुण सूरज मुखी
कर दिए दुखी , कसूती फांसी लाई ॥
किसकै जाकै टक्कर मारां
चढ्या कर्जा क्यूकर तारां
राह कोए बताओ , सूली पै ना चढ़ाओ
कुछ तरस खाओ , रणबीर करो सुनाई ॥