Sunday, 3 April 2011

डॉ रणबीर सिंह दहिया

नया समाज

राजबाला अपने पति अजीत से पूछती है की गुजारा कैसे होगा ? गेहूं पिटगे, धान पिट गया , बीजली महंगी , पढ़ाई महँगी ,और दवाई महंगी | अजीत राज बाला को अपने दिल की बात बताता है ---

खेती नै बचावै जो , रोटी बी दिलावै जो , देश सही चलावै जो

इसी लहर उठानी सै जरूर ||--

धनी देश एक टोल बनारे ,ये मिलजुल कै रोल मचारे

बिगाड़ी म्हारी चाल, तारली जमके ख़ाल ,उनके गलूरे लाल

इनकी काट बिछानी सै जरूर ||

ये मंदिर नै हटके लियाये,जिब रोटी नहीं दे पाये

जात पै हम बांटे ,धर्म पै खूब काटे ,मन कर दिए खाट्टे

या मानवता बचानी सै जरूर ||

बाजार की दया पै छोड़ दिए , अमरीका तै कर गठजोड़ लिए

पीट दिया धान क्यों ,काढी म्हारी ज्यान क्यों ,ना कोए ध्यान क्यों

या कमीशन बिठानी सै जरूर ||

नंगी फ़िल्में गंदे गाने टी वी पै ,लिहाज बची ना परजीवी पै

रणबीर सिंह सुनले , सही राही चुनले, कर पक्की धुन ले

नई समाज बनानी सै जरूर||

औ दिन कद आवैगा

मार पिटाई बंद हो सारी औ दिन कद आवैगा ||

रोटी कपडा किताब कापी नहीं घाट दिखाई देंगे

चेहरे की त्योरी मिटजयां सब ठाठ दिखाई देंगे

काम करण के फेर पूरे घंटे आठ दिखाई देंगे

म्हारे बालक बने हुए मुल्की लाठ दिखाई देंगे

कूकै कोयल बागां मैं प्यारी औ दिन कद आवैगा ||

दूध दही का खाना हो बालकां नै मौज रहैगी

छोरी माँ बापां नै फेर कति ना बोझ रहैगी

तांगा तुलसी नहीं रहै दिवाली सी रोज रहैगी

बढ़िया व्यव्हार हो ज्यागा ना सिर पै फ़ौज रहैगी

ना हो औरत नै लाचारी औ दिन कद आवैगा ||

सुल्फा चरस फ़ीम का ना कोए भी अमली पावै

माणस डांगर जिसा ना रहै ना कोए जंगली पावै

दान दहेज़ करकै नै दुःख ना कोए बी बबली पावै

पीस्सा ईमान नहीं रहै ना कोए नकली पावै

होवें बराबर नर और नारी औ दिन कद आवैगा ||

माणस के गल नै माणस नहीं कदे बी काटैगा

गाम बरोना रणबीर का असली सुर नै छाँटैगा

लिख कै बात बबिता की सब दुःख सुख बांटैगा

वोह तो पापी होगा जो इसा सुनने तै नाटैगा

रद ख़तम हों म्हारी थारी औ दिन कद आवैगा ||

मैच

जीत गये --बल्ले बल्ले

टी वी ऊपर बैठ कै हमनै लंका भारत लड़े देखे ||

दोनों तरफ के ख़िलाड़ी मैदान के महँ अड़े देखे ||

लोग बैठे चारों कान्ही मैदान खचाखच भरया हुया

कोए घरमैं बैठ्या कोए ,एलसीडी साहमी धरया हुया

कोए चुप कोए डरया हुया कई निढाल खड़े देखे ||

श्री लंका नै शुरू करया साँस म्हारी बंद करदी ये

दौ सौ चुहतर रन छः पै बना कै साहमी धरदी ये

असमंजस दिलों मैं भरदी ये चौके छके जड़े देखे ||

जीतेंगे या हारेंगे हम चर्चा जौर की चाल पड़ी या

अपने अपने अंदाजे थे थी मुश्किल तत्काल घडी या

देखै जनता बेहाल खड़ी या कई मजबूत बड़े देखे ||

सचिन और सहवाग गये मायूसी घनी छागी फेर

धोनी और गंभीर नै जंग थामन मैं ना लाई देर

लंका के ख़िलाड़ी करे ढेर मूंधे मूंह कई पड़े देखे ||

भारत की देख इसी एकता धयान दिल मैं आया यो

भ्रष्टाचार ख़त्म होज्या जै इतना ऐका करकै भजाया यो

रणबीर सिंह गीत बनाया यो छंद तुरत घड़े देखे ||

चश्मा जात का

चश्मा जात का --बैरी म्हारा

जिस दिन भाईयो यो जात का चश्मा टूटैगा

उस दिन पैंडा म्हारा जुल्मी शोषण तैं छूटैगा

हमनै बाँटन नै बैरी नै हथियार बनाई या

गेहूं के खेत मैं पैदा खरपतवार बताई या

दीवार जै नहीं ढाई या सिर म्हारा फूटैगा ||

म्हारे सेष के सब माणस जात्यां मैं बाँट दिए

नयों म्हारी एकता के लुटेरयाँ नै पर काट दिए

समझान तै नाट दिए यो लुटेरा हमनै चूटैगा ||

लुटेरयाँ की जात मुनाफा आंख खोल देख्या ना

लुटेरे एकै बोली बोलें हमने बोल कै देख्या ना

नाप तोल कै देख्या ना मुनाफा खोर न्यूं लूटैगा ||

रणबीर बरोने आला याहे बिनती आज करै सै

नए ज़माने मैं क्यों इसकी कुली आज भरै सै

इस्ते काम ना आज सरै सै इसतैं दूना गल घूंटैगा ||
बात पते की

क्यों दो आंख लेकै भी आंधे हमनै सड़ांध देवे दिखाई ना

बिल्ली देख कबूतर आंख मूँद कै कहवै आ डै बिलाई ना

ईमानदारी का पाठ पढावें नेता अफसर संसार मैं

इनकम टैक्स की चोरी करना बालक सीखें परिवार मैं

इस काले धन की बहार मैं दीखे फेर कति सच्चाई ना ||

ऊपर बैठे अफसर नेता लेरे बदेशी बैंकं मैं खाते ये

जड़ मैं भ्रष्टाचार पणपै तो क्यूकर हरे रहवैं पाते ये

इननै चाहियें चिमटे ताते ये इनकी कोए और दवाई ना ||

साठ हजार करौड़ का कर्जा म्हारे देश के अमीरां पै

सरकार म्हारी चालती देखो इनकी काढी लकीरां पै

हम खंदाये संत और फकीरां पै साच समझ मैं आई ना ||

दारू सुल्फा नशा खोरी हमतैं इनकी राही पकड़ा दी

बिना सोचें समझें हमनै भकड़ बाल कै नै दिखा दी

रणबीर सिंह नै छंद बना दी या साच जमा छिपाई ना ||

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