Wednesday, 8 February 2023

किस्सा 1857

 किस्सा 1857

1857 का स्वतन्त्रता संग्राम भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण घटना ही नहीं थी यह साम्राज्यवाद के विरू़द्ध उस दौर की विश्व की सबसे बड़ी जंग थी भले ही इसमें शामिल लोग इसे इस रुप में नहीं समझते थे। इसी कारण मार्क्स  ने अपने समकालीन लेखकोें में  इस जंग की ‘फांस की क्रान्ति’ 1789 के युद्ध से तुलना की है और इसे फौजी बगावत न मानकर राष्ट्रीय विद्रोह की संज्ञा दी है। 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का घटना क्षेत्र और फलक अत्यन्त व्यापक था । आज भी इतिहास का वह दौर पूरी तरह से सामने नहीं आ सका है।  भारत वर्ष में  बहुत से लोग आये। हुन, शक, कुशान, अरबी, तुर्क सभी आये मगर वह यहां की कल्चर में घुल-मिल गये। अंग्रेजों का भारत आगमन व्यावारियों के रुप में हुआ। समंदर के जरिए खामोशी  से कारोबार शुरु किया गया। आहिस्ता आहिस्ता ईस्ट इन्डिया कम्पनी जिसने अपनी प्रतिरक्षा में सैनिकों की कमान तैयार की थी, एक सैन्य और मजबूत कारोबारी ताकत के रुप में उभर कर सामने आई। अंग्रेज जब भारत आये तो वह अपनी कल्चर भी साथ ले कर आये और भारत के जनजीवन को गहरे तक प्रभावित किया।

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