Wednesday, 11 December 2024

851--860

 851

पोह का म्हिना रात अन्धेरी, पड़ै जोर का पाळा।।

सारी दुनिया सुख तैं सोवै मेरी ज्यान का गाळा।।

1

सारे दिन खेतां के म्हां मनै ईख की करी छुलाई

बांध मंडासा सिर पै पूळी, हांगा लाकै ठाई

पूळी भारया जाथर थोड़ा चणक नाड़ मैं आई

आगे नै डिंग पाट्टी कोन्या, थ्योड़ अन्धेरी छाई

झटका देकै चणक तोड़ दी हुया दरद का चाळा।।

2

साझे का तै कोल्हू था मिरी जोट रात नै थ्याई

रुंग बुळथ के खड़े हुए तो दया मनै भी आई

इसा कसाई जाड्डा था भाई मेरी बी नांस सुसाई

मजबूरी थी मिरे पेट की, कोन्या पार बसाई

पकावे तैं न्यों कहण लग्या कदे होज्या गुड़ का राळा।।

3

कई खरच कठ्ठे होरे सैं, ज्यान मरण मैं आई

गुड़ नै बेचो गुड़ नै बेचो, इसी लोलता लाई

छोरी के दूसर की सिर पै, आण चढ़ी करड़ाई

सरकारी करजे आळयां नै, पाछै जीप लगाई

मण्डी के म्हां फंसग्या क्यूकर होवै लूट का टाळा।।

4

खांसी की परवाह ना करी, पर ताप नै आण दबोच लिया

डाक्टर नै एक सूआ लाया, दस रुपये का नोट लिया

मेरे पै गरदिश क्यों चढ़गी, मनै इसा के खोट किया

कई मुसीबत कठ्ठी होगी, सारियां नै गळजोट लिया

रणबीर साझे जतन बिना भाई टळै ना दुख का छाहला।।

 852

26 जनवरी जींद रैल्ली 

यो संयुक्त किसान मोर्चा जींद मैं कट्ठा होंता बताया ।।

छबीस जनवरी नै इसनै जींद मैं रैली का प्लान बनाया।।

1

उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसान भाई उड़ै आवैंगे 

पंजाब और हरियाणा के किसान भी सुर मैं सुर मिलावैंगे

सरकार कै याद करावैंगे  एक भी वायदा नहीं पुगाया।।

2

एमएसपी पै फसल खरीद गारंटी का मामला लटका राख्या देखो 


दूसरी मांगां पै भी किसान सरकार नै भटका राख्या देखो

उसकै कर खटका राख्या देखो फेर तैं संघर्ष बिगुल बजाया।।

3

संयुक्त किसान मोर्चे नै अपने कदम आगै बढ़ाये सैं

रैली मैं होवैगी घोषणा आगे के जो प्लान बनाये सैं

संघर्ष के बिगुल बजाये सैं ना राज की बहका मैं आया।।

4

किसान मांग पूरी कराने नै हटकै सड़कां पै आवैगा

दिल्ली सरकार की फेर तैं किसान ईंट तैं ईंट बजावैगा 

रणबीर भी गीत बनावैगा इसनै अपना कलम पिनाया ।।

853

Subedar Singh 


सीनियरिटी पढ़ण बिठाई , मेरिट फेर ना भाजी थ्याई , सिफारिश नै बिठाया जमाई प्रोफेसर की कुर्सी पै।।

1

डॉक्टर खत्री काट्या फेर सूबेदार सिंह काट दिया

तीजे नम्बर आला डॉक्टर बिना बात के छांट दिया

प्रदीप गर्ग नै तगड़ी लाई, हिला दिया एकबै जमाई, कोर्ट नै थोड़ी रोक लगाई , प्रोफेसर की कुर्सी पै।।

2

इस उठा पटक नै सारा सिस्टम उघाड़ा कर दिया रै

कायदे कानून तोड़ बगाये, किसा पवाड़ा कर दिया रै

रोज तारीख पड़ण लाग़री , फैकल्टी सारी सड़ण लाग़री,इल्जाम कसूते घड़ण लाग़री, प्रोफेसर की कुर्सी पै।।

3

आज हवा मैं शक की बदबू सारे कै फैल रही

टांग खिंचाई बिना बात हो डायरेक्टर की गैल रही

मौका परस्ती इब या छागी, कुन्बा परस्ती सबनै खागी, मैरिट हमेशा पिटती जागी, प्रोफेसर की कुर्सी पै।।

4

सर्जरी डिपार्टमेंट का भट्ठा बैठण मैं कोये कसर नहीं 

इंसानियत रगड़ कै चाटगे इब्बी उनकै सबर नहीं 

रणबीर की या कविताई, सदा साची लिखती आई, चाल कै पहोंचै सही राही, प्रोफेसर की कुर्सी पै।।

 854

गरीबों  की  मर आगई 

गरीबां की मर आगी इस नए से बाजार मैं , हे मेरी भाण।।

1

रैहवण नै मकान कड़ै खावण नै नाज नहीं 

पीवण नै पाणी कड़ै बीमार नै इलाज नहीं

महंगाई जमा खागी  इस नये से बाजार मैं, हे मेरी भाण।।

2

कपास पीटी धान पीट दिया गेहूं की बारी हे

जहर की गोली खा खा मरगे हुई सै लाचारी हे

या म्हारी धरती जागी इस नये से बाजार मैं, हे मेरी भाण।।

3

बदेशी कम्पनी कब्जा करगी  ये हिंदुस्तान मैं

लाल कालीन बिछाये हमनै क्यों इनकी श्यान मैं

इसकी रंग क्यों भागी इस नये से बाजार मैं, हे मेरी भाण।।

4

महिलाओं पै अत्याचार बढ़े आंख म्हारी मिचगी हे 

दूजे धर्म आळ्यां ऊपर तलवार म्हारी खिंचगी हे

रणबीर की छंद छागी इस नये से बाजार मैं, हे मेरी भाण ।।

855

सन चोदा की तीज का सुण्लयो हाल सुणाउं मैं।।

कई गामां का आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।

1

गुलगुले सुहाली मनै कितै टोहै पाये कोण्या सुनियो

नीम पीपल झूलैं जिनपै नजर आये कोण्या सुनियो

काला दामण लाल चूंदड़ी ल्याकै कड़े तैं दिखउं मैं।।

कई गामां का आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।

2

नीम पीपल के डाहले पै जेवड़यां की पींग घालते रै

झूल झूलते तो ये पते टहनी उनकी गैल हालते रै

मिलकै पड़ौसन झूल्या करती ईब कड़े तैं ल्याउं मैं।।

कई गामां का आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।

3

कोथली मैं सुहाली आन्ती ये पूड़े घरां बनाया करते 

कई दिन सुहानी घेवर रल मिलकै सब खाया करते 

लंगर बांध देवर झोटे देता ये के के बात गिणाउं मैं।।

कई गामां का आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।

तीजां का त्यौहार साम्मण मैं मौसम बदल जावै देखो

अकेलापन दूर होज्या सै मेल मिलाप यो बढ़ावै देखो

कई गामां का आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।

कहै रणबीर हुड्डा पार्क मैं तीस नै तीज मणाउं मैं।।

 856

इन कमीशन खावनियां का तै नाम लेण मैं भी टोटा हे।।

1

चौड़े के म्हं म्हारे नाक कटाये, ये बिचौलिया सिर पै बिठाये, मगरमच्छ के आंसू बहाये, जनता नै योहे दुख सै मोटा हे।।

2

घणा कमीशन खाया हथियारां पै, इन बंधुआँ नै साहूकारां पै, बूझल्यो राष्ट्र के ठेकेदारां पै,कौण खरया सै कौण खोटा हे।।

3

दुनिया मैं चर्चा होरी आज, चोर हुए देश के धौरी आज, इलाज ढूँढां कोये फौरी आज, देश का मुधा मारया लौटा हे।।

4

दो बर चढ़गी काट की हांडी, जमकै मारी सै इननै डांडी, ईब चाल होगी इनकी बांडी, होगे रणबीर गशीला झोटा हे।।

 857

ईब मरणा नहीं कति मंजूर या मनै कसम खाई बेबे।।

पति सास ससुर देख लिए सबनै रोल मचाई बेबे।।

1

मिला रेत मैं लाड दिया सै

बिना तेंगे गल बाढ़ दिया सै

मनै नतीजा काढ़ लिया सै, कोण्या होवै सुनाई बेबे।।

2

ईब ना तेरी बाहण दुखड़ा झोवै

नहीं बैठ आपणे करमां नै रोवै

बीज नई फसल के या बोवै, लांघ दहेल नै आई बेबे।।

3

औरत भी तै एक इंसान हो सै

इसकै भी तै मान सम्मान हो सै

क्यों शराबी पति भगवान हो सै,किसनै रीत चलाई बेबे।।

4

अपने पाहयाँ पै खड़ी होऊँ मैं

लगा फांसी ज्यान ना खोऊँ मैं

ईब राही अपनी नई टोहूं मैं ,रणबीर नै धीर बंधाई

बेबे।।

858

किसनै या कपास पीट दी हम देखां खड़े खड़े।।

उसनै या धान पीट दी हम सोवां पड़े पड़े।।

1

म्हारी कष्ट कमाई आंख्यां के साहमी लुटगी 

कपास कदे धान की खेती आज चौडै़ पीटगी 

सब्सीडी सारी घटगी लाग़ैं नेता सड़े सड़े।।

2

बालक हांडैं बिना नौकरी विघन घणा होग्या रै 

एक छोरे नै खाई गोली सहम ज्यान यो खोग्या रै

सुन्न भीतरला होग्या रै हाथ होगे जड़े जड़े।।

3

बेटी रहगी बिन ब्याही ये गोड्डे टूट लिए

बिना दहेज ब्याह कोन्या ये पसीने छूट लिए

सांड खुल्ले छूट लिए बुलद्ध मरैं बड़े बड़े।।

4

मां बेटी अर बाहण ये महफूज रही नहीं

समाज गया पाताल मैं आगै जावै कही नहीं

बदमाशी जा सही नहीं रणबीर खड़े अड़े।।

 859

धरत्ती पुत्र ना बेरा होतै मैं भेद बतादयूं सारा।।

भूमि अधिग्रण कानून ल्याकै ,तूँ धरती कै दे मारया।।

1

धरत्ती खोसन खात्तर लोगो हुक्म हुया सरकारी 

धरती देनी पड़ै जरूरी यो फतवा होग्या जारी

कानून बनाकै हाथ काट लिए , ना मर्जी चालै थारी

जब तक आवै तेरै समझ मैं होज्यागी लाचारी

गाम के गाम आड़े उजड़गे , कुछ ना चालै चारा।।

धरत्ती पुत्र ना बेरा होतै मैं भेद बतादयूं सारा।।

2

किसान हित की बात करैं और अम्बानी तैं बतलारे

सबका करैं विकास नयूं कहकै झूठा ढोंग रचारे

कड़े फैंसले लेने होंगे नयूं ज़िक्र रोज चलारे

राम राम मूंह तैं कैहरे और छुरी बगल मैं ठारे 

आच्छे दिन ईब  आज्याँगे यो बिल्कुल झूठा नारा।।

3

तेरी सहमति की नहीं जरूरत बस आकै हुक्म सुनावैंगे

प्लॉट काटैं कितै फ्लैट बनाकै पूँजी खूब बढ़ावैंगे

मुआवजा कर दिया कति घाट, ये नई नई चाल चलावैंगे

जो मिलज्या लें घाल गौज मैं नयूं कैहकै धमकावैंगे

छल कै लेगे वोट थारी यो जरा जाण सै थारा।।

धरत्ती पुत्र ना बेरा होतै मैं भेद बतादयूं सारा।।

4

तेरे दो पाहयाँ नै नहीं ठिकाणा , बढ़ ज्यागी बीमारी 

नशे पते मैं पड़कै या औलाद बिगड़ज्या थारी

बालक बच्चे बिलखैंगे तेरी रोवैगी महतारी 

टोटे कै मैं फांसी खाज्या जब कर्जा चढज्या भारी

मुकेश कहै तूँ चेत बावले यो तै नाश हो लिया भारया ।।

धरती पुत्र ना बेरा हो तै मैं भेद बतदयूं सारा ।।

 860

सच्चा प्यार करणियां नै कदे पाछै कदम हटाये कोन्या।।

एक बर जो मन धार लिया मुड़कै फेर लखाये कोन्या।।

हीर रांझा नै अपने बख्तां मैं पूरा प्यार निभाया कहते

लीलो चमन हुए समाज मैं घणा लोड उठाया कहते

सोनी महिवाल सच्चे प्रेमी मौत को गले लगाया कहते

आज के लोग नहीं बेरा क्यूं प्रमियों को जा मराया कहते

सुण कै फरमान समाज के कदे प्रेमी घबराये कोन्या।।

नल दमयन्ती का किस्सा हम कदे कदीमी सुणते आवां

दमयन्ती नै वर माला घाली या सच्चाई कैसे भुलावां

अपना वर आपै चुण्या क्यों इस परम्परा नै छिपावां

खुद की मर्जी तै जो ब्याह करैं उनकै फांसी क्यों लावां

हरियाणा के प्रेमी जोड़े ये समाज कै काबू आये कोन्या।।

सत्यवान ओर सावि़त्री का किस्सा बाजे लख्मी गागे आड़ै

सावित्री लड़ी यमराज तैं कहते पिंड छुड़ाकै भागे आडै़

सावित्री तै इतनी आजादी देवणिया लेखक बी छागे आड़ै

हरयाणा के दो जात बीच के प्रेमी क्यों फांसी खागे आड़ै

हरियाणा नम्बर वन प्यार मैं इसे गाणे गाये कोन्या।।

दो जात्यां बीच प्रेम विवाह का चलन बढ़ता आवै सै

फांसी का फंदा दीखै साहमी पर प्यार पींग बढ़ावै सै

इसी चीज के हो प्यार मैं जो प्रेमी जोड़यां नै उकसावै सै

रणबीर सोचै पड़या खाट मैं बात समझ नहीं पावै सै

तहे दिल तैं साथ थारै सूं मनै झूठे छन्द बनाये कोन्या।।