Saturday, 5 August 2017

क्रांतिकारियों का सपना रै।

हरया भरया हरियाणा हो , जित सेहत मंद खाना हो,
खत्म जात पात का बाणा हो, क्रांतिकारियों का सपना  रै।।
1
आर्थिक आधार तरक्की के इनतै आगै जाणा होगा 
सामाजिक आधार बिगड़गे इनको ठीक बनाना होगा
सबनै बढ़िया पढ़ाई मिलै, सबनै बढ़िया दवाई मिलै
सबनै बढ़िया कमाई मिलै, क्रन्तिकारियों का सपना रै
हरया भरया हरियाणा हो, जित सेहत मंद खाना हो
खत्म जात पात का बाणा हो, क्रन्तिकारियों का सपना रै
भाई तैं भाई का प्यार यो परवान चढै हरियाणा मैं 
महिला नै सम्मान मिलै या आगै बढ़ै हरियाणा मैं
किसान खुशहाल होवै रै, मजदूर ना बेगार ढोवै रै
उद्योग ना रफ्तार खोवै रै, क्रन्तिकारियों का सपना रै
हरया भरया हरियाणा हो , जित सेहत मंद खाना हो,
खत्म जात पात का बाणा हो, क्रन्तिकारियों का सपना रै
घरां कै ताले ना लावै कोए इस समाज हो म्हारा देखो
इज्जत के नाम पै ना मारैं इस रिवाज हो म्हारा देखो
म्हारा रिश्ता भाण भाई का , म्हारा तरीका ब्याह सगाई का, 
ना बणै कारण रुसवाई का, क्रन्तिकारियों का सपना रै
हरया भरया हरियाणा हो , जित सेहतमंद यो खाना हो,
खत्म जात पात का बाणा हो, क्रन्तिकारियों का सपना रै
4
अमीर गरीब की दूरी भाण भाईयो कम करनी होगी
प्रगतिशील समाज की नींव आज मिलकै धरनी होगी 
आसान यो काम अधूरा कोण्या , कर सकै अकेला जमूरा कोण्या,
 थारे म्हारे बिन हो पूरा कोण्या, क्रन्तिकारियों का सपना रै 
हरया भरया हरियाणा हो , जित सेहतमंद यो खाना हो,
खत्म जात पात का बाणा हो, क्रन्तिकारियों का सपना रै

माणस का धरम

बात पते की
धरम के सै माणस का मनै कोए बताद्यो नै।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखाद्यो नै।।
माणस तै मत प्यार करो कौणसा धरम सिखावै
सरेआम बलात्कार करो कौणसा धरम सिखावै
तम दारू का ब्यौपार करो कौणसा धरम सिखावै
रोजाना नर संहार करो कौणसा धरम सिखावै
धरम क्यों खून के प्यासे मनै कोण समझाद्यो नै।।
ईसा राम और अल्लाह जिब एक बताये सारे रै
इनके चाहवण आले बन्दे क्यूं खार कसूती खारे रै
क्यों एक दूजे नै मारण नै एके जी हाथां ठारे रै
अमीर देस हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै
बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रंथ भुलाद्यो।।
मानवता का तत कहैं सब धरमां की जड़ मैं सै
प्रेम कुदरत का सारा सब धरमां की लड़ मैं सै
कदे कदीमी प्रेम का रिस्ता माणस की धड़ मैं सै
कट्टरवाद नै घेर लिया यो धरम जकड़ मैं सै
लोगां तै अरदास मेरी क्यूकरै इनै छटवाद्यो नै।।
यो जहर तत्ववाद का सब धरमां मैं फैला दिया
कट्टरवाद घोल प्याली मैं सब तांहि पिला दिया
स्कीम बणा दंगे करे इन्सान खड़या जला दिया
बड़ मानवता का आज सब धर्मां नै हिला दिया
रणबीर रोवै खड़या इनै चुप करवाद्यो नै।।

सोमवार के ब्रत

सोलां सोमवार के ब्रत राखे मिल्या नहीं सही भरतार 
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घना सै करतार
1
बालकपन तैं चाहया करती मन चाहया भरतार मिलै
बराबर की इंसान समझै ठीक ठयाक सा घरबार मिलै
उठते बैठते सोच्या करती बढ़िया सा मनै परिवार मिलै
मेरे मन की बात समझले नहीं घणा वो थानेदार मिलै
इसकी खात्तर मन्नत मानी चढ़ावे चढ़ाए मनै बेसुमार
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
मेरी सहेली नै ब्याह ताहिं एक खास भेद बताया था 
सोलां सोमवार के ब्रत करिये मेरे को समझाया था
बोली मनचाहया वर मिलै जिसनै यो प्रण पुगाया था
मनै पूरे नेग जोग करे एक बी सोमवार ना उकाया था
बाट देखै बढ़िया बटेऊ की यो म्हारा पूरा ए परिवार 
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
3
कई जोड़ी जूती टूटगी फेर जाकै नै यो करतार पाया
पहलम तै बोले बहु चाहिए ना चाहिए सै धन माया
ब्याह पाछै घणे तान्ने मारे छोरा बिना कार के खंदाया
सपने सारे टूटगे मेरे बेबे सोमवार ब्रत काम ना आया
पशु बरगा बरतावा सै ना करै माणस बरगा व्यवहार
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
4
ये तो पाखण्ड सारे पाये ना भरोसा रहया भगवान मैं
उसकी ठीक गलत सारी पुगायी ना दया उस इंसान मैं 
फेर न्यों बोले पाछले मैं कमी रही भक्ति तनै पुगाण मैं
आंधा बहरा राम जी भी नहीं आया पिटती छुड़ाण मैं
कहै रणबीर बरोने आला आज पाखंडाँ की भरमार 
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार 

( कन्या भ्रुण हत्या )



                                            ------रामधारी खटकड़

     कौण सुणैगा पीड मेरी , मैं किसनै आज सुणाऊँ
     आस  पेट  की  मरवावैं , मैं क्यूकर कहण पुगाऊँ........(टेक)

1.  एक बेटी मेरै पहलां हो री , बहोतै लागै प्यारी
     आस दूसरी होई गर्भ म्हं , या  भी  सै  लाचारी
     घर-कुणबे नै बेटा चाहिए , सबनै बात बिचारी
     डाक्टर धोरै लेजावण की ,  कर  रे  थे  तैयारी
     अल्ट्रासाउण्ड करवा दिया , सारी खोल बताऊँ...............

2.  कन्या बताई मेरे गर्भ म्हं , उतरे सब के चेहरे 
     मेरा  पति न्यूं  कहण  लग्या , भाग फूटग्ये मेरे
    फिर बोल्या ले करा सफाई , गर्दिश के सैं  फेरे
    मैं बोली क्यूं जुल्म करै , ये काम ना आच्छे तेरे
   चाल ओडे तै घर नै आग्ये , मैं चारों ओड लखाऊँ.................

3.  छोह म्हं आकै कहण लगे , यू गर्भ गिराणा चाहिए
     दुज्जी छोरी होवण ना दें ,  पिण्ड छुडाणा  चाहिए
     मैं  बोली  के खोट मेरा , कुछ तो  शरमाणा  चाहिए
     वे बोले तनै घर-कुणबे का  कहण  पुगाणा  चाहिए
     आज मेरी कोय सुणता ना, मैं कित जा रुधन मचाऊँ.............

4.  बूंद  लहू  की  मारण  खातर  पूरी  त्यारी  हो ली
     बेटी नै दें मार गर्भ म्हं , लिहाज-शर्म कति  खो ली 
     कडै गया भगवान म्हारा, कित जा शान लहको ली
     म्हारे पांयाँ की या बेडी  ,   क्यूकर  जा   गी   खोली
    "रामधारी" दे साथ म्हारा  ,  फेर मैं भी झण्डा ठाऊँ......
               ×                          ×                      ×

म्हारी खोज म्हारी सभ्यता

 -- विज्ञान यूनिवर्सल है 
सारी खोजें बाहर हुई हिंदुस्तान कित सै
घड़ी बंधी जो हाथ पै इटली मैं हुई खोज बताई।।
भाप के इंजन की कर खोज इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
1
खुर्दबीन की खोज कदे नीदरलैंड मैं हुई बताई सै
बैरोमीटर तैं टॉरीसैली नै मौसमी खबर सुनाई सै
गुब्बारा सतरा सौ तिरासी मैं हमनै दिया दिखाई सै
टेलीग्राफ की खोज नै फेर फ्रांस की श्यान बधाई सै
गैस लाइट के आणे तैं जग मैं हुई घणी रूसनाई।।
घड़ी बंधी जो हाथ पै इटली मैं हुई खोज बताई।।
2
इटली के पी टैरी नै टाइप राइटर फेर बनाया रै
हम्फ्री डेवी नै लैंप सेफ्टी बणा मॉडल दिखाया रै
माचिस की खोज नै ठारा सौ छब्बीस याद दिलाया रै
साइकिल नै बनाने आला मैकलीन नाम बताया रै
ठारा सौ तितालिस सन मैं फैक्स मशीन गई बनाई।।
घड़ी बंधी जो हाथ पै इटली मैं हुई खोज बताई।।
3
ज्ञान विज्ञान आगै बढ़ग्या नए नए करे आविष्कार
अमरीका नै लिफ्ट खोजी मंजिलां की लागी लार
ठारा सौ बावन मैं फ्रांस मैं वायुयान नै भरी उडार
टेलबेट नै फ़ोटो खींचण की विधि करदी या त्यार
वैज्ञानिक सोच के दाम पै नई नई तरकीब सिखाई।।
घड़ी बंधी जो हाथ पै इटली मैं हुई खोज बताई।।
4
थॉमसन नै वैल्डिंग मशीन अमेरिका में तैयार किया
एडिसन नै बल्ब बिजली जगमगा पूरा संसार दिया
मोटर साइकिल डैमलर नै सड़कों पै फेर तार दिया
उन्नीस सौ बावन मैं हायड्रोजन बम भी सिंगार दिया
रणबीर आगे की फेर कदे बैठ कै करैगा कविताई ।।
घड़ी बंधी जो हाथ पै इटली मैं हुई खोज बताई।।

पहले तीज

पहले तीज बड़े जोश खरोश के साथ मनाया करते मगर 
अब जोश काफी कम हो गया है | कारण ? रोहतक से भालौठ 
तक पिछले से पिछले साल देखने गया बहुत कम झूल मिली | 
बात चलती है तो एक महिला क्या बताती है तीज के बारे में --

पींग घालकै खूब झूलते हम न्यों तीज मनाया करते ||
छोरी बहु सब कट्ठी होकै शिवाले ऊपर जाया करते ||
1
पहर सूट रंग बिरंगे सब झूलन जाया करती हे
हम मिलकै गीत साम्मण के खूब गाया करती हे
देवर ज्येठ भी आस पास डोलते नजर आया करते ||
छोरी बहु सब कट्ठी होकै शिवाले ऊपर जाया करते ||
2
दो दो छोरी पींघ बांध कै खूबै ए पींग बढान्ती बेबे
ऊपर जा सर घूम जानता जिब तले नै लखांती बेबे
देवर ज्येठ देख नज़ारे खूबै ऐ मजाक उड़ाया करते ||
छोरी बहु सब कट्ठी होकै शिवाले ऊपर जाया करते ||
3
साँस सुखके इस ढालां हम थोड़ी देर ले लिया करती
एक दूजी के साहमी दिल अपना खोल दिया करती
मस्त साम्मण का मौसम बेबे हल्वा खीर बनाया करते ||
छोरी बहु सब कट्ठी होकै शिवाले ऊपर जाया करते ||
4
बेरा ना कड़ै गई वे तीज कर याद दिल भर आवै हे
बाजार कै भेंट चढ़े त्यौहार म्हारी ना पार बसावै हे
रणबीर मेहर सिंह हर न्यारे प्यारे छंद बनाया करते ||
छोरी बहु सब कट्ठी होकै शिवाले ऊपर जाया करते ||

सन 14 की तीज

 
सन 14 की तीज का सुण्लयो हाल सुणाउं मैं।।
बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।
1
गुलगुले सुहाली मनै कितै टोहै पाये कोण्या सुनियो
नीम पीपल झूलैं जिनपै नजर आये कोण्या सुनियो
काला दामण लाल चूंदड़ी ल्याकै कड़े तैं दिखउं मैं।।
बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।
2
नीम पीपल के डाहले पै जेवड़यां की पींग घालते रै
झूल झूलते तो ये पते टहनी उनकी गैल हालते रै
मिलकै पड़ौसन झूल्या करती ईब कड़े तैं ल्याउं मैं।।
बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।
3
कोथली मैं सुहाली आन्ती ये पूड़े घरां बनाया करते 
कई दिन सुहानी घेवर रल मिलकै सब खाया करते 
लंगर बांध देवर झोटे देता ये के के बात गिणाउं मैं।।
बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।
तीजां का त्यौहार साम्मण मैं मौसम बदल जावै देखो
अकेलापन दूर होज्या सै मेल मिलाप यो बढ़ावै देखो
क बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।
कहै रणबीर हुड्डा पार्क मैं तीस नै तीज मणाउं मैं।।

अंतरजातीय ब्याह


ब्राह्मन  छोरी हरिजन छोरा ब्याह का फैंसला करया दखे
छोरी के बाबू नै अपना साफा छोरे पाहयाँ  बीच धरया दखे
 बाबू बोल्या मैं फांसी खालयूं घर कै कलास लावै मतना
ब्याह रिश्ते सब बंद होजयाँ जीनते जी मरवावै  मतना
छोटे भाई नै कोण ब्याहवै छोरी जुलम कमावै मतना 
ऊंच नीच कुछ सोच किमै म्हारी नाक कटावे   मतना 
काली नागन की तरियाँ क्यों तेरे भीतर जहर भरया दखे ||
छोरा छोरी जब माने  कोन्या छोरी घर ताले मैं कैद करी
पीट पीट कै सीधी करणी चाही छाती बन्दूक लयांन  धरी  
छोरी नै घने कष्ट सहे पर किसे और की नहीं हाँ भरी
बोली मरना सै मंजूर मने  कुनबे कै नहीं  या बात जरी  
कचहरी मैं दरखास देदी घर कुनबा थोडा  ड़रया दखे ||
माँ  पिता  की पार बसाई कोन्या उनने ब्याह रचाया फेर 
ना किसे नै फांसी खाई पार मातम घर मैं छाया फेर 
म्हारा कोए वास्ता नहीं तेरे तै बाबू नै हुकम सुनाया फेर 
माँ तै आखिर माँ ठहरी लुह्क छिप मिलना चाहया फेर 
छोरी इतनी करड़ी लिक्डैगी कुन बे कै नहीं जरया दखे ||
दो साल पाछै बाबू मरग्या इस बाहने घरां चले गये
कोए मुंह तै बोल्या कोन्या वे अपने घर मैं छले गये
खाली घर मैं बैठ कै आगे अरमान सभी दले  गये
करेले की ढाल कढ़ाई के मैं क्यों वे दोनों तले गये
कहै रणबीर सिंह बारोने आला मेरा पता नहीं भरया दखे

विकास कहूँ या कहूँ तबाही


विकास कहूँ या कहूँ तबाही , बात मेरी समझ नहीं आई,
हुई क्यों गामां की इसी छिताई , दिल्ली के गाम चर्चा मैं आये ॥
दिल्ली का विस्तार हुआ तो अनेक गाम इसमें आये थे
धरती अक्वायर करी इनकी घने सब्ज बाग़ दिखाए थे
बहोत घर बर्बाद हुए , जमा थोड़े घर आबाद हुए
पीकै दारू कई आजाद हुए , चपेट मैं युवा लड़के आये॥
दिल्ली तैं कोए सबक लिया ना ईब हरयाणा की बारी
एन  सी आर  के नाम तैं इसकी बर्बादी की तैयारी
विकास पर कोए चर्चा ना , आज पूरा पटता खर्चा ना
इसपै लिख्या कोए पर्चा ना , बीस लाख एक किल्ले के लाये॥
नशे का डूंडा पाड़  दिया ये नौजवान चपेट मैं आये
फ्री सैक्श के खोल दरवाजे युवक युवती भरमाये
हाल करे कसूते लूटेरे नै , मचाई लूट इनै चौफेरे  नै
बाँट जात पात पै कमेरे नै , नंबर वन के नारे लगाये ॥
ईको अर जेंडर फ्रेण्डली विकास समता साथ ल्यावै
ना तो दिल्ली जैसे खाग्या न्यूए एनसीआर इसनै खावै
बहस विकास ऊप्पर चलावां , नया  हरयाणा किसा  बणावां
रणबीर नक्शा मिलकै खिंचावाँ ,कैसे यो हरयाणा बच पाये ॥

महिला के अपने पति से सवाल



सारे एकसी बात करैं किसकी मानूं बात पिया ॥
वोट लियाँ पाछै कई मारते कसूती लात पिया ॥
म्हारी पढ़ाई उप्पर सब अपने रंग मैं बोलैं
म्हारी कैड़ खड़े होकै थोड़े से बात सही  तोलैं
ये बालक नयों ए घूमैं  कोए नहीं पूछै जात पिया ॥
बीमार होज्यां तो इलाज करवाना मुस्किल होवै  
झाड़ फूंक पूजा पाजा गरीब इलाज उड़ै टोहवै
अन्धविसवासी कहै बतावैं म्हारी ऑकात पिया ॥
बिना नौकरी पैर भिड़ावैं काला धन खींच रह्या
क्यों खेवनहार आँख इस कांहीं  तैं मींच रह्या
बेकार मानस नै बरतै खूबै या जात पात पिया॥
अमीर गरीब की खाई खुबै आज बढ़ायी देख
राम का रोल्ला नहीं सै नीति इसी ए बनाई देख
रणबीर बतावै हमनै कैसे कटै या रात पिया ॥

अमीरों का भगवान


दीन  धरम अर पुन कर्म यु देख लिया भगवान॥ 
एक भगवान दुनिया कहवै मैं कहता दो भगवान॥ 
साचा मानस नौकरी मैं दो दिन ना टिक पावै 
होज्या साहब नाराज काम मैं कई खोट बतावै 
करदे रिपोर्ट ख़राब चौबीस घंटे का नोटिस पावै  
उलटी मिली ना नौकरी जय सच ना छोड़ी जावै
मजबूरी मैं खड्या लखावै नीचे लीले असमान ||
बालक पालण खातिर दर दर ठोकर खानी पड़जयां
सत्य वफ़ा तप सब धरनी एक ठिकाणी पड़जयां
साच पै अड़या रहै तै रेल तले नाड़ धिकानी पड़जयां 
साचे मानस नै साच की कीमत घनी चुकानी  पड़जयां
साच की उठाई अर्थी इसका होवै बहोत घना अपमान ||
माट्टी गेल्याँ होज्या माट्टी फेर पसीना खूब बहावै  
ठेठ पोह के मिहने मैं भी वो खेत मैं पानी ल्यावै
काली नागन बंधे उप्पर या पड़ी पड़ी फ़न ठावै 
मेहनत करकै छिक्ले फल फेर भी नहीं थ्यावै 
तेरा राम जी क्यूं तेरी गेल्याँ पड़रया सोचै नै किसान ||  
चोर ज़ार लुटेरों की यो म्हारा राम करै रखवाली
पग पग उप्पर झूठ रचावै करै छेक खावै जिस थाली 
घाट ये तोलें टैक्स  बचावैं करैं कार घनी कुढाली  
राम की आड लेके नै इन्ने घनी ए  लूट मचाली  
करीं छल तान कै नै रणबीर राम नाम की छान||

अपील किसान को


दुनिया तनै बाहवै   सै धरती बाहवण आले 
खोल दे  जात के ताले ये तनै मरावण  आले 
भैंस खरीदै  तूं जब तो  दूध काढ कै नै देखै सै
बुलध खरीदै जब तूं तो खुद काढ कै देखै सै 
इंख के बीज ताहीं तूं खूब हांड कै देखै सै 
नए औजारों  नै बी तूं खूब चांड कै देखै सै  
फेर बी क्यूं ना दीखैं तनै तेरा भा लगावण आले ||
कई बरस तैं देख रहया तेरी बदहाली होगी 
तनै भकाज्याँ आई बरियाँ  इबकै खुशाली होगी 
माथे की क्यों फूट गयी या दूनी कंगाली होगी 
चादर नीचै भा लागै  या दिल्ली टक्शाली होगी 
क्यूं इतने आछे लागें सें तनै भकावण आले|| 
रंग बदल कै ढंग बदल कै आ ज्यावैं   देख
तूं भी सोचै ना पीपी इनकी ठोक्यावै देख
भैंस की ढाला  यो  कई बार फिर ज्यावै  देख
एक बै गयी बात फेर पाँच साल मैं आवै देख
फेरबी आछे लागें सें तेरा नाश कारावण आले ||
सारे माठे चालने पाए जो तनै बाह कै देखे 
अदल बदल भी करी ऊपर नीचै लाकै देखे 
खेत मैं बैसक लिए जो तनै चला कै देखे 
वोट गेर दी फेर पाँच साल मुंह बाकै  देखे
ना बेरा पाट्या क्यूं भावें माठा चालावण आले || 
बाही मैं लागू माल टिकाऊ क्यूं ना भित्तर घलता
साठ साल होगे तनै नयोंए हाँडै ठान बदलता 
सोच्चन की बात क्यूँ ना  सही ठिकाना मिलता 
मुरझाया चेहरा रहवै कदे बी क्यों नहीं खिलता 
रणबीर सोच किमै कौन सैं तनै भकावन आले ॥ 

बिना लड़ाई सुणले भाई


बिना लड़ाई सुणले भाई पार हमारी जाणी ना ।।
हमनै भाई मारै महंगाई काटया मांगै पाणी ना ।।
1
या महंगाई बेकरी तो घणी ए कसूती मार करै
लुटेरे की जात मुनाफा समझ बूझ तैं वार करै
राम नाम की माला लेकै बेड़ा अपना पार करै
राजनीति तैं हमनै लूटै दूर रहो यो प्रचार करै
महंगाई अडानी की जाई या नब्ज पिछाणी ना।।
बिना लड़ाई सुणले भाई पार हमारी जाणी ना ।।
2
आज महारी थारी तन्खा दो तीन गुणी घटज्या
हमनै खाटा शीत मिलै वो नूनी घी पूरा चटज्या
दबकै बाहणा कोण्या खाणा जिंदगी पूरी कटज्या
मंडी में फसल की कीमत क्यों म्हारी घटज्या
नए लुटेरे पैदा होगे ये पुराणे राजा राणी ना ।।
बिना लड़ाई सुणले भाई पार हमारी जाणी ना ।।
3
जाट बाह्मण का खटका फुट गेरज्यां सैं म्हारे मैं
पंजाबी लोकल का झटका हम सुणते गलियारे मैं
चलै इलाके का फटका म्हारे हरियाणे के बारे मैं 
यो प्रमोशन का लटका कहै कोण्या रलता थारे मैं
गुटबंदी कहते होसै गंदी रोकै कुनबा घाणी ना।।
बिना लड़ाई सुणले भाई पार हमारी जाणी ना ।।
4
चौधर कितै माल बिकाऊ घर कसूते घालै भाई
हिरण की डार भली हो रल मिलकै चालै भाई
माणस जूनी लेकै नै भी क्यों एकला हालै भाई
बैरी एकता तोड़ण ताहिं बीज फूट का डालै भाई
ये कमजोरी हमनै खोरी या समझण मैं हाणी ना।।
बिना लड़ाई सुणले भाई पार हमारी जाणी ना ।।

देशद्रोही देश भक्त

मीठी मीठी बात करैं ये पर भीतर तैं काले।।
देशद्रोही देश भक्त घणी झूठ फैंकण आले।।
1
बण जोंक खून चूसैं वे साहूकार बणे हाँडें सैं 
हम भूखे फिरैं घूमते वे ताबेदार बणे हांडें  सैं
लेरे सैं महल अटारी वे थानेदार बणे हांडें सैं
काल के जो दुराचारी वे दिलदार बणे हांडें सैं
अफवाह फैला देश मैं कर दिए मोटे चाले।।
देश द्रोही देश भक्त घणी झूठ फैंकण आले।।
2
बढा कै नै महंगाई खागे लोगां नै लूट लूट कै
भ्रष्टाचार भरया नशां मैं इनकी कूट कूट कै
बिन रिश्वत काम ना होवैं रोल्यो फुट फुट कै
अंधविश्वास खावैं देखो साइंस नै चूट चूट कै
वाजीरां के बनें अफसर भतीजे और साले।।
देश द्रोही देश भक्त घणी झूठ फैंकण आले ।।
3
जोंक भेड़िये जो पहले मगरमच्छ देवें दिखाई
ठोक ठोक भरैं तिजूरी कर अन्धधुन्ध कमाई
जनता की नहीं होती आज देश मैं कितै सुनाई 
आठों पहर डर रहवै कदे आज्याँ पापी कसाई
कदे बीफ के शक पै कत्ल कर पाड़ दें चाले।।
देश द्रोही देश भक्त घणी झूठ फैंकण आले।।
4
काले नाग बने जहरी ये कारपोरेट के व्यापारी
चीनी गैस तेल नाज ये कठ्ठी कर लेते सारी
नागां का के भरोसे कद आज्याँ बाहर पिटारी 
सारा देश डर मैं जीवै ना पै यो हमला जारी 
रहिए संभल कै नै सुण रणबीर बरोने वाले।।
देश द्रोही देश भक्त घणी झूठ फैंकण आले।।

ज्ञानी राम शास्त्री जी की रागनी

नव उदारीकरण ने समाज को कहां पहुंचा दिया,
 ज्ञानी राम शास्त्री जी की रागनी में एक झलक 

माणस माणस दुश्मन होग्या प्रेम रहया ना आपस मैं
सब दुनिया मतलब की होगी धोखा बसग्या नस नस मैं
भाई बहन पिता माता बेटा बेटी ना यार रहया
बीर मर्द भी नकली होगे कोण्या साचा प्यार रहया
अपणा बणकै जड़ काटै ना किसे पै एतबार रहया
अपने मतलब खात्तर जो जिंदगी भर ताबेदार रहया
जब थोड़ा सा काम चालज्या आंख बदलज्या दिन दस मैं
सब दुनिया मतलब की होगी----(1)
कितना करल्यो भला किसे का कोय मानता श्यान नहीं
सीधा माणस कपटी लिकड़ै बिल्कुल रही पिछाण नहीं
अपनी अकल बड़ी समझैँ सब चाहे रत्ती भर ज्ञान नहीं
जिसके मन मैं पाप नहीं सै इसा कोय इन्सान नहीं 
हर माणस चाहवै सै मन मैं दूजे नै राखूं बस मैं
सब दुनिया मतलब की होगी----(2)
दो उंगल का छोरा भी आज बड़े बड़याँ नै मात करै
मूर्ख और नादान पुरुष आज स्यासत  गेल्याँ बात करै
ओरों की हिणी चाहवै और अपनी ऊपर लात करै
बख्त नहीं दूजे नै अपनी खात्तर काली रात करै
थोड़ी सी भी परख रही ना भुण्डे आच्छे माणस मैं
सब दुनिया मतलब की होगी----(3)
बोल चाल व्यवहार सभी मैं कोरा नकलीपन होग्या
कोण्या रही सुहाण किसे की सब का पापी मन होग्या
ले लयूं मोल दूसरे नै जणु जिसकै धोरै धन होग्या 
पैसे कारण सज्जन माणस भी पाणी दुर्जन होग्या 
" ज्ञानी राम" देख ली दुनिया दोष काढ़ दयूं किस किस मैं
सब दुनिया मतलब की होगी ---(4)

बासठ किसान मजदूर संगठन

16 जून का आंदोलन --एक रागनी 
बासठ किसान मजदूर संगठन ये लेवैंगे अंगड़ाई रै।।
खेती व मजदूर विरोधी नीति या भाजपा नै अपनाई रै।।
1
किसान की तरफ ध्यान नहीं या स्वामीनाथन नै नाट गई 
फांसी खा खा किसान मरैं भाजपा ले राज के ठाठ गई
न्यारे न्यारे बांट कै जातयाँ मैं किसानां की करी सै पिटाई रै।।
बासठ किसान मजदूर संगठन  ये लेवैंगे अंगड़ाई रै।।
2
मजदूरों पै हमला बोल्या मनरेगा के बजट घटाया रै
ठेकेदारी प्रथा नै म्हारे देश मैं घणा कोहराम मचाया रै
महंगाई दिन दूनी बढ़ती जावै होन्ती ना कितै सुनाई रै।।
बासठ किसान मजदूर संगठन  ये लेवैंगे अंगड़ाई रै।।
3
सोलां जून का दिन भारत का ईब नया इतिहास रचैगा
किसान मजदूर मोर्चे आगै नहीं जुल्मी बेईमान बचैगा
सरमायेदारों के कर्जे माफ करे ना म्हारी कितै सुनाई रै।
बासठ किसान मजदूर संगठन ये लेवैंगे अंगड़ाई रै।।
4
लुटेरे और कमेरे बीच मैं आज घलता आवै पाला भाई
रणबीर सिंह बरोने आला कहै लेल्यो ईब सम्भाला भाई
किसान कमेरे की यारी खोलैगी मानवता की नई राही रै।।
बासठ किसान मजदूर संगठन ये लवैंगे अंगड़ाई रै।।

स्वामीनाथन रिपोर्ट

आज के दौर में किसानी के संकट के चलते किसान फांसी खा रहे है
 बोलते हैं तो गोली खानी पड़ रही है। क्या बताया भला--
कृषि और किसान लुटगे अन्न का संकट आया क्यूँ।
स्वामीनाथन रिपोर्ट पै किसान गया बहकाया क्यूँ ।
1
अन्न का दाता मरै भूखा आज किसा जमाना आग्या रै
कितै बाढ़ मचावै तबाही कितै सूखा कसूता छाग्या रै
देश का पेट भरया उसकै यो फांसी का फंदा लाया क्यूँ
संकट किस बात का सै बैठ कै सोचना पड़ैगा हमनै 
मिल जुलकै सोचाँगे रास्ता नया खोजना पड़ैगा हमनै
छोटूराम तेरा भोला किसान गया सै आज भकाया क्यूँ
गोदाम भरे पड़े नाज के फेर भी भूखा मरै कमेरा रै
किसान दुखी मजदूर घेरया खुल्ला घूमै सै लुटेरा रै
लुटेरयां नै छूट लूट की कमेरा समझ नहीं पाया क्यूँ।
4
सोच समझ बढ़ें रणबीर किसान की किसानी बचाणी
इसकी खात्तर चाहे होज्यां कितनी ए गोली ये खाणी
टिकाऊ खेती का तरीका यो गया नहीं अपनाया क्यूँ ।