Monday, 30 December 2013

मुबारक नए साल की

मुबारक नए साल की
शाइनिंग इंडिया सफरिंग इंडिया अंतर बढ़ता जाता रै ।
क्यूकर पाटाँ इस अंतर नै नहीं कोए मनै समझाता रै ।
यो शाइनिंग इंडिया बहोत घणी आगै जा लिया बताऊँ मैं
गुड़गामा नया और पुराना देखल्यो ना जमा झूठ भकाऊँ  मैं
नए और पुराने का अंतर रोज मेरे जिस्याँ नै उलझाता  रै ।
पुराने ढाँचयाँ तैं लोग घणे दुखी हो लिए हिंदुस्तान म्हारे के
पुराणी सोच ओछी जूती सै काटै पैरों नैं या किसान म्हारे के
नए ढांचे लूट के बनाये सैं भ्रष्टाचार घुमै सै दनदनाता रै ।
नए साल मैं नयी इबारत जनता लिखनी चाहवै जरूर
जात मजहब तैं उप्पर उठकै या भ्रष्टाचार मिटावै जरूर
लड़ाई लम्बी सै संघर्ष मांगती कति नहीं झूठ भकांता रै ।
सिस्टम एक रात मैं बदलै इसा इतिहास ना तोह्या पावै
सिर धड़ की क़ुरबानी मांगै जिब खरोच या इसकै आवै
मेरा जी तो अंतर कम करने को अपनी कलम घिसाता रै ।