Wednesday, 20 November 2019

शिक्षा---350----

शिक्षा

देखो नव उदारीकरण नै यो किसा ऊधम मचाया 
शिक्षा का ढांचा सरकारी प्राइवेट की भेंट चढ़ाया 
शिक्षा के सरकारी ढांचे नै शासन तंत्र खराब करै 
इसका दोष जान बूझ कै टीचरां उप्पर ताण धरै
कितै स्कूलों का टोटा कितै यो टीचर बिराण फिरै 
सही ढाल का टीचर यो नौकर शाही कै पाणी भरै 
दोष टीचरां कै लादया प्राइवेट का धर्राटा ठाया || 
या एक बात समझल्यां जनता की मदद चाहवैगी 
सरकारी ढांचा बचैगा तो गरीब की पार जावैगी 
ना तो देख लियो जनता धक्के पै धक्के खावैगी 
महंगी शिक्षा के बोझ नै या किस तरियां ठावैगी   
भक्षक बणकै रक्षक आगे कसूता माहौल बनाया|| 
यूनिवर्सिटी स्कूल कालेज सबपै हमला बोल दिया 
गंगा जमुनी संस्कृति का उड़ा आज मखौल दिया 
 हिंदुत्व की तकड़ी मैं बहु धर्मा भारत तोल दिया 
जातधर्म पै करा झगड़े भाईचारे मैं जहर घोल दिया 
आम जन की शिक्षा का जान बूझ कै भट्ठा बिठाया ||
पढ़े लिखे बालक म्हारे कदे बेरा पाड़ लें लूटेरे का 
उलझाओ जात धर्म पै जितना बालक कमरे का 
कमेंरे समझे कोन्या खेल यो गाय और बछेरे का 
जय भीम इंकलाब जिंदाबाद यो नारा चितेरे का 
रणबीर नै जोर लगा कै यो अपना कलम घिसाया ||  

नया दौर

नया दौर
आस बंधी भोर हुई सै शोषण जारी रहै नहीं।
लोकलाज तै राज चलै ईब रिश्वत भारी रहै नहीं।।
1. रिश्वतखोर मुनाफाखोर की स्वर्ण तिजूरी नहीं रहै
  चेहरा सूख मरता भूखा इसी मजबूरी नहीं रहै
  गरीब कमावै उतना पावै बेगार हजूरी नहीं रहै
  शरीफ बसैंगे उत मरैंगे झूठी गरूरी नहीं रहै
  फूट गेरो राज करो की या महामारी रहै नहीं।।
2. करजे माफ हो ज्यांगे साफ, चालैगा दौर कमाई का
  बेरोजी भत्ता कपड़ा लत्ता हो प्रबन्ध दवाई का
  पैंशन होज्या सुखतै सोज्या मौका मिलै पढ़ाई का
  जच्चा-बच्चा होज्या अच्छा हो सम्मान लुगाई का
  मीठा पाणी चालै नल मैं पाणी खारी रहै नहीं।।
3. भाईचारा सबतै न्यारा कोए नहीं धिंगताणा हो
  बदली खातर ठाकै चादर ना चण्डीगढ़ जाणा हो
  हक मिलज्या घी सा घलज्या सबका ठोर ठिकाणा हो
  वोट दिये और नोट दिये इसा सिस्टम मिटाणा हो
  हम सबनै नारा लाया सै भ्रष्टाचारी रहै नहीं।।
4. पड़कै साज्यां चाले होज्यां कोण्या कुछ भी होवैगा
  माथा पकड़ कै भीतर बड़कै भाई बूक मारकै रोवैगा
  इसा मदारी रचै हुश्यारी हमनै बेच कै सोवैगा
  चोकस रहियो मतना सोइयो काटै उसे जिसे बोवैगा
  रणबीर सिंह बरोने आला कितै दरबारी रहै नहीं।।

प्रजातंत्र

प्रजातंत्र
लागी दिल पै चोट, लेगे जात पै वोट
बंटे साथ मैं नोट, यो प्रजातंत्र का खोट
ले गरीबी की ओट, अमीर खेले धन मैं।।
1. नाम जनता का लेवैं सैं, अमीरां के अण्डे सेहवैं सैं
  बतावैं माणस का दोष, कहैं या व्यवस्था निर्दोष
  ये बुद्धि लेगे खोस, इसे करे हम मदहोस
  ना आवै कोए रोष, सोचूं अपणे मन मैं।।
2. ये साधैं सै हित अपणा, ना करैं ये पूरा सपना
  जितने बैठे मुनाफा खोर, सबसे बड़े डाकू चोर
  सदा सुहानी इनकी भोर, ना पावै इनका छोर
  थमा जात धरम की डोर, फूट गेर दी जान मैं।।
3. कुर्सी खातर रचते बदमाशी, ना शरम लिहाज जरा सी
  पालतू इनकी हो सरकार, ना जावै कहे तै बाहर
  गरीबां की कहै मददगार, लारे दिये कई बार
  ईब रहया नहीं ऐतबार, इस गदरी बन मैं।।
4. स्कूली किताबां पै तकरार, गन्दा साहित्य बेसुमार
  सबको शिक्षा सबको काम, आजादी पै दिया पैगाम
  सत्तर अनपढ़ बैठे नाकाम, तीस के ये लगते दाम
  ना पढ़ते करैं बदनाम, आग लागरी तन मैं।

saal sattar

साल सत्तर

देश आजाद हुया था सैंतालीस मैं साल सत्तर बीत गये।
उनके बांटै दूध मलाई म्हारे करमां मैं बता सीत गये।।
1. धनवानां के बिल्ली कुत्ते म्हारे तै बढ़िया जीवन गुजारैं वे
  बिना भोजन कुपोषण होग्या म्हारै खा-खा के घणे डकारैं वे
  हमनै कैहकै नीच पुकारैं वे घणी माड़ी चला रीत गये।।

  उनके बांटै दूध मलाई म्हारे करमां मैं बता सीत गये।।
2. जमीन आसमान का अन्तर किसनै आज म्हारे बीच बणाया
  खेत कमावां सारी उमर फेर बी सांस ना उलगा आया
  सोच-सोच कै सिर चकराया सै वे क्यूकर पाला जीत गये।।

  उनके बांटै दूध मलाई म्हारे करमां मैं बता सीत गये।।
3. तरक्की करी हरियाणे मैं अपणा खून पसीना बाहकै रै
  उपर ले तो फायदा ठागे हम बाट देखते मुंह बाकै रै
  देखे चारों कान्ही धक्के खाकै रै मिल असली मीत गये।।

उनके बांटै दूध मलाई म्हारे करमां मैं बता सीत गये।।
4. चारों नकली लाल हरियाणे के उनतै यो सवाल म्हारा रै
  गरीब क्यों घणा गरीब होग्या अमीर का भरग्या भंडारा रै
  असली लाल प्रभात प्यारा रै रणबीर बणो ये गीत गये।।

उनके बांटै दूध मलाई म्हारे करमां मैं बता सीत गये।।

पंचायतां की रेल

पंचायतां की रेल

सुणियो ईब कथा सुणाउं, खोल कै सारी बात बताउं।।
साच कैहन्ता ना शरमाउं, पंचायतां की रेल बनाई।।
1. ग्राम विकास के नाम पीसा घणा खाया जावै देखो

  ग्रामीण जनता को तै रोज भकाया जावै देखो 
  पंचायती राज का खोल सै, इसमैं होरी घणी रोल सै
  बिना बजट सब गोल सै, पंचायतां की रेल बणाई।।
2. मैम्बर पंचायत बणी सरपंच मीटिंग बुलावै ना
  कारवाई रजिस्टर चाहूं देखणा नपूता दिखावै ना
  ग्राम सभा पढ़ण बिठादी झूठी मीटिंग हुई दिखादी
  साइन करवा हुई बतादी, पंचायतां की रेल बणाई।।
3. अफसर भी म्हारे डूब गये देखती आंख्यां माखी खावैं
  गाल पक्की जिब हुई नहीं तो क्यों हुया खरच बतावैं
  बी डी ओ की हिस्सा पत्ती सै, सरपंच तै इनकी बत्ती सै
  गाम मैं आवै मास्सा रत्ती सै, पंचायत की रेल बणाई।।
4. चौधर के भूखे सरपंची के ये दावेदार बणे देखो
  सुलफे तै फुरसत ना आप्पे मैं थानेदार बणे देखो
  गालां की सुध नहीं लेवैं ये, बैठे बस थूक बिलौवें ये
  रणबीर के ताकू चभौवैं ये, पंचायतां की रेल बणाई।।

SAIMAN

सैमण गाम
महम तहसील का गाम बताया सैमण उसका नाम कहै।
पांच हजार किल्ले धरती जाटां का असली गाम कहैं।।
1. छत्तीस जात बसैं उड़ै अपणे दुःख सुख बांटैं सैं
  कदे हंसकै कदै लड़कै अपणे दिनां नै काटैं सैं
  मुश्किल तै दिल डाटैं वे ना थ्यावैं पूरे दाम कहैं।।
2. छुआछूत कुछ कम होग्या पूरे बन्धन ये टूटे ना
  जातपात गोत नात के रिवाज जमा बी छूटे ना
  पाप के घड़े फूटे ना बाट देखते सुबो शाम कहैं।।
3. पहलम आला प्यार मुलहाजा ना दीखता किसे घर मैं
  मां बाहन और बेटी सांस लेवन्ती आज घणे डर मैं
  इस मातृत्व के सिर मैं लावैं झूठा इल्जाम कहैं।।
4. टी वी ब्लयू फिल्म आज ये करते नंगेपन का प्रचार
  सही गलत और गलत सही चलाया जुलमी कारोबार
  रणबीर सिंह करता तैयार सुणल्यो नया पैगाम कहैं।।

दसमी

दसमी
दसमीं तांहि का स्कूल आगै क्यूकर करूं पढ़ाई मैं।
मां तै चाहवै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।
1. मां बोली आज जमाने मैं बिना पढ़ाई कोए बूझै ना
  शहर मैं क्यूकर खंदाउं राही मनै कोए सूझै ना
  मां की देख कै नै लाचारी दिल मैं घणी घबराई मैं।।
2. बाबू बोल्या बुरा जमाना शहर ठीक नहीं सै जाणा
  उंच-नीच कोए हो ज्यागी तै हो ज्यागा मोटा उल्हाणा
  क्यूकर मनाउं मेरे बाबू नै इस चिन्ता नै खाई मैं।।
3. मैं बोली माहौल गाम का शहर तै आज न्यारा ना
  डरकै घर मैं बड़गे तो हुवै आज यो गुजारा ना
  पढ़ण तै ठावै मतना मरज्यां मौत बिन आई मैं।।
4. पांच सात दिन पाछै बाबू नै मुंह अपणा खोल्या
  डर लागै बहोत घणा बेटी आंख्यां पाणी ल्या बोल्या
  रणबीर दिल तै चाहूं सूं करना तेरी सगाई मैं।।

पूंछ धरम की

पूंछ धरम की

जवाब तै सबक सीख कै चाहिये असली मांग ठाणी रै।
किसानी कै पूंछ धरम की करगी भाई कुणबा घाणी रै।।
1. लोंगोवाल का कतल हुया न्यों मोटा चाला होग्या था
  कई हजार सिख मार दिये न्यों
  नफरत फैली सारे देश मैं न्यों मन काला होग्या था
  रोज मासूम जावैं मारे यो मिलण का टाला होग्या था
  अमरीका का मुंह काला होग्या था डाण्डी मारी सै काणी रै।।
2. हरियाणे मैं दो काम करे हरित क्रांति जिब तै आई सै
  साधन आला तै खूब चढ़ाया चेहरे पै लाली छाई सै
  बिन साधन आला मार दिया म्हंगाई नै रेल बनाई सै
  बेराजगारी बधी सुलफा दारू गाभरू चाल्या उल्टी राही सै
  पुलिस अफसर मंत्री कई सैं भरैं गुण्डयां का पाणी रै।।
3. मेहनतकश की सही मांगां तै इनका कोए सरोकार नहीं
  लावैं पूंछ पंजाबी लोकल की समझै म्हारी सरकार नहीं
  मारे जावां हरियाणे मैं बी जो रहे हम खबरदार नहीं
  बिना बात मारकाट होवैगी हिलै लूट का दरबार नहीं
  गरीब की या मददगार नहीं सै व्यवस्था माणस खाणी रै।।
4. म्हारी हुश्यारी बिना कदे लीलो का चमन उजड़ज्या
  अपणे कारज साधन नै देवर कदे हमनै छोड़ डिगरज्या
  चांदकौर कहै सुणिये मेरी कदे सारा खेल बिगड़ज्या
  लाल किले का सपना म्हारा कदे माट्टी म्हें रूलज्या
  रणबीर सिंह चाहे नाड़ उतरज्या लिखै नहीं राजा राणाी रै।।

ड्राइवर

ड्राइवर 
लाउं चौथा गेर करूं फेर बम्बी जान की तैयारी रै।
पापी पेट यो मारै चपेट होवै कुणबे की लाचारी रै।।
1. दाल, फ्राई मिलती भाई घणी लाम्बी दूरी होज्या सै
  कईबार लाम्बा चालण की हमनै मजबूरी होज्या सै 
  राह सुनसान करै परेशान ताप कदे जूरी होज्या सै
  एकशल टूटै किस्मत फूटै बाट देश नूरी सोज्या सै
  घणा घबराउं किन्नै बताउं उड़ै पानी मिलै सै खारी रै।।
2. चुंगी आला कहै साला बीस तरां की बात बणावै
  पुलिस सतावै पीस्से खावै डण्डे का या रोब जमावै
  कमर दूखै कालजा सूखै न्यांे गाड़ी के खाक चलावै
  डाकू लुटेरे सांप बघेरे दुख मैं दारू साथ निभावै
  इसका चस्का करदे खस्ता जणो हारया औड़ जुआरी रै।।
3. रोंद मचावै तांेद छिपावै मालिक लेवै सै पूरे ठाठ रै
  कड़ टूटै परिवार छूटै तनखा मिलै तीन सौ साठ रै
  बढ़ै म्हंगाई करै तबाही खर्चा हो सोला सौ आठ रै
  रात अन्धेरी देवै घेरी हनुमान का करता मैं पाठ रै
  ड्राइवर मनता बनियो इतना समझ पाया मैं वारी रै।।
4. पैंचर होज्या चाबी खोज्या जंगल मैं रात बिताउं मैं
  ट्रक उलटै पासा पल्टै मुश्किल तैं ज्यान बचाउं मैं
  मेरा कसूर बण्या दस्तूर चाहे अपनी राही जाउं मैं
  सुण कमल कहै अमन तनै दिल खोल दिखाउं मैं
  लिखै रणबीर मेरी तहरीर देहली पै खड़ी बेरोजगारी रै।।

जनसंख्या

जनसंख्या क्यों बधगी भाई मिलकै मन्थन करना होगा।
असल सच्चाई के सै भाई कान खोल कै सुनना होगा।।
1. अट्ठासी करोड़ कमेरे बताये म्हारे प्यारे भारत देश मैं
  इतने कम्प्यूटर बेकार पड़े गोली खा मरैं क्लेश मैं
  क्यों पाछै रैहगे रेस मैं हमनै आज समझना होगा।।
2. जनसंख्या घटानी हो तै गरीबी मार भगानी होगी रै
  गरीबी मां बढ़ती आबादी की ईंकै आग लगानी होगी रै
  घर घर अलख जगानी होगी रै ना तै दुख भरना होगा।।
3. कुणबा उतना पलज्या जितना या जानै दुनिया सारी
  मिलज्या खाणा और दवाई नहीं होवै कोए बी लाचारी
  फेर क्यों जनता बढ़ती जारी सवाल खड़या करना होगा।।
4. अनपढ़ता बेकारी और गरीबी तीनों ही मां जाई ये
  जनसंख्या बढ़ती इनके कारण रणबीर नै बात बताई ये
  इतनै लड़नी आज लड़ाई ये नहीं हमनै डरना होगा।।