Wednesday, 27 April 2016

के जुलम करया इसा

के जुलम करया इसा मेरे नहीं बात समझ मैं आयी 
प्यार करया सोहनदास तै नहीं खोदी सै कोए खाई 
छोरा छोरी बरोबर हों हम कोए भेद नहीं करते 
छोरी नै पूरी आजादी सै देखे रोजाना दम भरते 
आज के होग्या सबकै क्यों कलंकनी सबनै बताई ||
संस्कृति कै बट्टा लाया इल्जाम मेरे ऊपर लगाते
प्यार करना गलत बेटी सारे बैठ मने समझाते 
चुनाव मेरा मन चाहया गलत कैसे प्यार क़ी राही||
घर क़ी इज्ज़त राखी प्यार अपने पर डटी हुयी 
कहैं म्हारी इज्ज़त खोदी बात सबनै या रटी हुयी
जात पात के खिलाफ स्वामी दयानंद आवाज उठाई ||
जात तै बाहार लिकड़कै देखता ना परिवार मेरा 
सुनके बात प्यार क़ी मेरे चारों तरफ दिया घेरा 

रणबीर बारोने आले नै बी प्यार क़ी मेर कटाई||

भगवान

दीन धरम अर पुन कर्म यु देख लिया भगवान
एक भगवान दुनिया कहवै मैं कहता दो भगवान
साचा मानस नौकरी मैं दो दीन ना टिक पावै
होज्या साहब नाराज काम मैं कई खोट बतावै
करदे रिपोर्ट ख़राब चौबीस घंटे का नोटिस पावै 
उलटी मिली ना नौकरी जय सच ना छोड़ी जावै
मजबूरी मैं खड्या लखावै नीचे लीले असमान ||
बालक पालन खातिर दर दर ठोकर खानी पड़जयां
सत्य वफ़ा तप सब धरनी एक ठिकाणी पड़जयां
साच पै अड़या रहै तै रेल तले नाड़ धिकानी पड़जयां
साचे मानस नै साच की कीमत घनी चुकानी पड़जयां
साच की उठाई अर्थी इसका होवै बहोत घना अपमान ||
माट्टी गेल्याँ होज्या माट्टी फेर पसीना खूब बहावै
ठेठ पोह के मिहने मैं भी खेत मैं पानी ल्यावै
काली नागन बंधे उप्पर पड़ी पड़ी फ़न ठावै
मेहनत करकै छिक्ले फल फेर भी ना थ्यावै
तेरा राम जी क्यूं तेरी गेल्याँ पड़रया सोचै नै किसान ||
चोर ज़ार लुटेरों की यो राम करै रखवाली
पग पग उप्पर झूठ रचावै करै छेक खावै जिस थाली
घाट ये तोलें टैक्स बचावैं करैं कर घनी कुढाली
राम की आड लेके नै इन्ने घनी लूट मचाली
करीं छल रात दीन तान कै राम नाम की छान||
एक हांड़ी मैं दो पेट करा दिए इन बदमाशों नै
भोले गरीब का खून चूस लिया इन शाह्पाशों नै
साच त्याग तप की बलि चढ़ाई इन रंगबाजों नै
भोले मेहनतकश आपस मैं लड़ा दिए इन जंगबाजों नै
रणबीर का भगवान मेहनत कुबेर का मक्कारी सै भगवान ||

मुफतखोर

मुफतखोर का कुटम्ब रहै ना आलीसान मकान बिना
काम करनिया फिरें भटकते टूटी झोंपड़ी छान बिना
मुफ्त खोर के घर मैं हमेशा हलवा खीर बनाई जा
इनके घर मैं बासी खिचड़ी घोल शीत मैं खाई जा
उनके घर मैं बर्फी पड़े बाहर तैं बालू स्याही जा
उनके घर मैं सूकी रोटी प्याज के साथ धिकाई जा
उनके घर मैं कोई रहै ना बढ़िया खान और पान बिना ||
इनके घर मैं हो सै लडाई पेट भराई अन्न और धान बिना||
मुफ्त खोर कै दो दो तीन तीन लिफ्ट लागरी कोठी मैं
इस गरीब बेचारे का जीवन बीते हालात घनी खोटी मैं
मुफ्त खोर मंदिर मैं बैठज्या गांठ मारके चोटी मैं
मेहनतकश नै मिर्च मिलै ना मोटे धान की रोटी मैं
खून मनष्य का पीवी नहीं कोई पूंजीपति धनवान बिना ||
चौबीस घंटे पचै नहीं कोए मजदूर और किसान बिना ||
कहीं सोने चान्दी की ईंट दबा रहे देश के चोर दीवारां मैं
कहीं रोटी उप्पर जूट बज रहया दलित गरीब बिचारयाँ मैं
कहीं मुफ्तखोर की बहन बेटियां घूमैं सें मोटर कारा मैं
कहीं नंगे पैर जेठ महिना रोवै पौध देखो गलियारा मैं
कहीं मुफ्तखोर की मेम रहैना मेकप के सामान बिना ||
कहीं मेहनतकश की बेटी तरसै कपडे और पहरान बिना ||
चोर लुटेरे मुफ्तखोर की यह सरकार हिमात करै
गरीब मेहनतकश के उप्पर बात बात मैं घात करै
माल मुफ्त का खाने आला सब तै घना उत्पात करै
इनकी खातर वर्ग कमरा नहीं बैठ कै कदे बात करै
इनसे पैंडा छूटे ना जनता के जंग महान बिना ||
भागू राम नहीं जीना आछा आन बाण और शान बिना ||

तरक्की करग्या

दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||
सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या   रै|| 
जीरी गिन्हूं कपास अर इंख की खेती बढती जावै सै
देश के सुब्याँ मैं नंबर वन यो  हरयाणा का आवै सै
सड़क पहोंचगी सारै गाम गाम बिजली लसकावै    सै 
छैल गाभरू छोरा इसका लड़न  फ़ौज के म्हें जावै सै
खेतां के म्हें नया खाद बीज ट्रेक्टर घराटा ठावै सै  
फरीदाबाद सोनेपत हिसार पिंजौर मील सिटी लावै सै  
सारे भारत मैं भाइयो इंका सूरज शिखर मैं चढ़ग्या रै ||
ये बात तो भाई हर रोज बता बता दिल डाटे जाँ रै 
इस चकाचौंध के पाछै सै घोर अँधेरा नाटें जाँ रै  
जो भी हुआ फायदा बेईमान आपस मैं बांटें जाँ रै 
भका भका जातां के चौधरी नाड़ म्हारी काँटें जाँ रै 
अपनी काली करतूतां नै जात के तल्ले ढान्पें  जाँ रै 
बोलै जो उनके खिलाफ वे झूठे केसां  मैं फांसे  जाँ रै  
कुछ परवाने भाइयो फिर भी  इनके करतब नापें  जाँ रै 
बिन धरती अर दो किल्ले आला ज्यां तैं मरग्या रै ||
खम्बे मीटर गाम गाम मैं बिजली के इब तार गए 
ओवर सीयर एस सी सब कर बंगले अपने त्यार गए 
चार पहर भी ना बिजली आवै बाट देख देख हार गए 
बिना जलाएं  बिजली के बिल कर कसूती मार गए  
ट्यूबवेल कोन्या चालै ट्रानस्फोर्मार के जल तार गए 
पैसे आल्यां  के ट्यूबवेल थ्रेशर चल धुआं धार  गए 
गरीबां की गालाँ मै दूना कीचड देखो आज भरग्या  रै  ||
गाम गाम मैं सड़क बनाई फायदा कौन उठावैं सें
बस आवै जावै कदे कदे लोग बाट मैं मुंह बावैं  सें
पैसे आल्यां  के छोरट  ले मोटर साईकिल धूल उड़ावें सें
टरैक्टर ट्राली सवारी ढोवें मुंह मांगे किराये ठहरावै सें 
सड़क टूटरी  जागां  जागां साईकिल मैं पंकचर हो ज्यावें  सें 
रोड़ी फ़ोडै  पां गरीबां के जो मजबूरी मैं पैदल जावैं सें 
बस नै रोकें कोन्या रोकें तो भाडा गोज नै कसग्या रै ||
बिन खेती आल्यां  का गाम मैं मुश्किल रहना  होग्या
मजदूरी उप्पर चुपचाप  दबंगा का जुल्म सहना होग्या 
चार छः  महीने खाली बैठ पेट की गेल्याँ फहना होग्या 
चीजां के रेट तो बढ़गे प़र पुराने   प़र बहना  होग्या 
फालतू मतना मांगो  नफे  दबंग का नयों  कहना होग्या 
गाम छोड़ शहर पडे आना घर एक तरियां ढहना होग्या 
भरे नाज के कोठे फेर भी पेट कमर कै मिलग्या   रै  ||
खेती करणिया  मैं भी लोगो जात कारगर वार करै
एक जागां बिठावै  गरीब अमीर नै ना कोए विचार करै
किसान चार ठोड बँट लिया कैसे नैया इब पार तिरै  
ट्रैक्टर आले  बिना ट्रैक्टर आल्यां  की या  लार फिरै
इनकी हालत किसी होगी बिलखता यो  परिवार फिरै 
बिना धरती आल्यां का आज नहीं कोए भी एतबार करै  
जात मैं जमात पैदा होगी बेईमान नै खतरा बधग्या रै ||
घन्याँ की धरती लाल स्याही मैं बैंक के महां चढ्गी थी
दो लाख मैं बेचे किल्ला चेहरे की लाली  सारी झडगी  थी 
चूस चूस कै खून गरीब का अमीर के मुंह लाली बढगी थी 
कर्जे माफ़ होगे एक ब़र तो फेर कीमत  धरती की बधगी थी 
आगे कैसे काम चलैगा रै   एक ब़रतो इसतैं सधगी थी   
आगली पीढ़ी  के करैगी म्हारी तै क्यूकरै ए  धिकगी थी
हँसना गाना भूल गए जिन्दा रहवन का सांसा पड़ग्या रै|| 
शहरों का के जिकरा  करूँ  मानस आप्पा भूल रहया यो 
आप्पा धापी माच रही आज पैसे के संग झूल रहया यो  
याद बस आज रिश्वत खोरी  जमा नशे मैं टूहल रहया यो 
इन्सान तै हैवान बनग्या  मिलावट में हो मशगूल रहया यो 
चोरी जारी ठगी बदमाशी सीख भूल सब उसूल रहया यो
इसी तरक्की कै लगे गोली पसीना बह फिजूल रहया यो 
फेर   भी रुके मारे तरक्की के कलाम लिखना बंद करग्या रै ||

दिल्ली आल्यो



दिल्ली आल्यो
गिणकै दिये सैं बोल तीन सौ साठ दिल्ली आल्यो
यो दुखी किसान देखै थारी बाट दिल्ली आल्यो
ज्यान मरण मैं आरी क्यों तम गोलते कोन्या
या फसल हुई बर्बाद क्यों तम तोलते कोन्या 
कति बोलते कोन्या बनरे लाट दिल्ली आल्यो
इसी नीति अपनाई किसान यो बर्बाद करया
घर उजाड़ कै म्हारा अडाणी का आबाद करया
घना यो फसाद करया तोल्या घाट दिल्ली आल्यो
म्हारे बालक सरहद पै अपनी ज्यान खपावैं
थारे घूमैं जहाझयां मैं म्हारे खेत मैं धक्के खावैं
भूख मैं टीम बितावैं थारे सैं ठाठ दिल्ली आल्यो
धरती म्हारी खोसण की क्यों राह खोल दई
गिहूं धान क्यों म्हारी बिकवा बिन मोल दई
मचा रोल दई गया बेरा पाट दिल्ली आल्यो
रणबीर
27.4.2015

बदेशी का बीज पर कब्जा

बदेशी का बीज पर कब्जा 
अपणा बीज क्यूकर बनावां सोचो मिलकै सारे रै।।
कारपोरेट नै करया कब्जा धरती पै दे कै मारे रै ।।
देशी बीज पुराणे म्हारे हटकै ढूंढ कै ल्याणे होवैंगे
कसम खावां मोनसेंटो के बीज कदे नहीं बोवैंगे 
सब्जी मैं कारपोरेट छाया इब दूजे बीजां पै छारे रै।।
हर साल नया बीज ल्यो इसा कम्पनी का प्रचार रै
बीज की कीमत बढ़ाकै लूटैं किसान घना लाचार रै
कीटनाशक अनतोले बरते चोए के पाणी खारे रै।।
खेती म्हारी जहर बनादी लागत इसकी बढ़ती जा
बदेशी कम्पनी रोजाना या म्हारे सिर पै चढ़ती जा
खेती बाड़ी खून चूसरी आज कर्जे नै पैर पसारे रै।।
भाइयो गाम म्हारा रै यो बीज भी हो म्हारे गाम का
बदेशी की लूट घटैगी यो मान बढ़ैगा सारे गाम का
रणबीर बीज अपणा हो बचै फेर नफे करतारे रै।।
27.4.2015