Wednesday, 14 June 2017

विश्व कर्मा दिवस


छोटे मोटे औजार हमारे बणावैं महल अट्टारी रै
कारीगरों की मेहनत नै इनकी लियाकत उभारी रै
मंजिलों के हिसाब लगाकै ईमारत की नींव धरी जाती
मालिक जिसी चाहवैं उसी मजबूत नींव भरी जाती
खिड़की दरवाजे रोशन दान की माप तौल करी जाती 
करणी और हुनर हथौड़े का ईंट पै ईंट ये धरी जाती 
लैंटर डालण की न्यारी हो आज बतादयूं कलाकारी रै।
छजे पर तैं पाँ फिसलज्या सिर धरती मैं लागै जाकै
एकाध बै पडूँ कड़ कै बल फेर रोऊँ ऊंचा चिलाकै
रीड की हड्डी जवाब देज्या पटकैं अस्पताल मैं ठाकै
सरकार कोए मदद करै ना देख लिया हिसाब लगाकै
काम करण के खतरे इतने भुगतां खुद हारी बीमारी रै।
जितनी ईमारत सैक्टरों की सारी हमनै बनाई देखो
नींव से लेकर तीन मंजिल की करी ये चिनाई देखो
म्हारी खातर एक कमरा सै पांच नै घर बसाई देखो 
इतने महल बनाकै रात फुटपाथों पर बिताई देखो 
म्हारी एकता रंग ल्यावैगी औजारों मैं ताकत भारी रै।
असंगठित क्षेत्र के भाई सारे मिलकै आवाज लगावां
अपने हकों की खातर मजदूर भाइयों को समझावाँ
वोट कदम पर अपने नेता विधान सभा मैं पहोंचावां
मिलकै विश्वकर्मा दिवस नै सारे हरियाणा मैं मनावां
कहै रणबीर बरौने आला या एकता बढ़ावां म्हारी रै।

प्रभात

जनता की जनवादी क्रांति की अलख जगाई प्रभात तनै ।।

यूनियन बनाकै मजदूरां की जी लाकै करी खुभात तनै ।

किसान मजदूर करे लामबंद गई मांग उनकी ठाई

कमेरे की लूट करैं लूटेरे जा जाकै गामां मैं बात बताई 

भट्ठे मालिकां की खोल दईं मजदूरां बीच खुराफात तनै।

यूनियन बनाकै मजदूरां की जी लाकै करी खुभात तनै ।

पत्थेरे और कमेरे भठ्यां पै सहज सहज साथ मैं आगे 

बहोत से भठ्यां के ऊपर फेर ये लाल झंडे लहरागे 

जागरूक करी हाँगा लाकै खेत मजदूरां की जमात तनै।

 इनकी जिंदगी गेल्याँ कहते नजदीक का रिश्ता बनाया था 

इनके जीवन के बारे में अपना घना ए टेम लगाया था 

मजदूरों की खड़ी करदी एक घणी लड़ाकू जमात तनै ।
यूनियन बनाकै मजदूरां की जी लाकै करी खुभात तनै ।

मजदूरों के जीवन पै लिखी कई कहानी लगा जोर तनै 

भट्ठे मालिकों की धमकी भी नहीं कर पाई कमजोर तनै 

रणबीर पढ़कै लेनिन मार्क्स कर दिखाई करामात  तनै ।

ताणा बाणा तोड़ कै

राजनीती कैसे बचैगी रै समाज का ताणा बाणा तोड़ कै।।
देश नै उल्टा चलाया चाहते दिशा इसकी जमा मोड़ कै।।
1 अंध विश्वास को हटकै म्हारी समाज उभारा देरी  देखो 
अँधेरे का साथ देकै कहते हम हटावां अँधेरी देखो 
विकास की बात करते हैं देखो जमा घरोड़ मरोड़ कै।।
राजनीती कैसे बचैगी रै समाज का ताणा बाणा  तोड़ कै।।
तोड़ण की बात करते हैं दे नारा सबके साथ का रै
समाज बाँट कै गेर दिया सै ये करते काम घात का रै
कितने किसान फांसी ख्वाये सबनै देख लियो जोड़ कै।।
राजनीती कैसे बचैगी रै समाज का ताणा बाणा तोड़ कै।।
3 मंदिर मस्जिद गुरद्वारे चरचाँ ऊपर लड़वाये
लव जिहाद एंटी रोमियो स्क्वैड ये चारों तरफ फैलाये
बहुविविधता का गल घोटैंगे इसकी नाड़ मरोड़ कै।।
राजनीती कैसे बचैगी रै समाज का ताणा बाणा तोड़ कै।।
4 एक एक करकै सबका देखो नंबर जरूर लावैंगे
दलित महिला माइनॉरिटी ये इनकी भ्यां बुलवावैंगे 
क्यों पाखंड नै ल्याये जानके रणबीर विवेक नै छोड़ कै
राजनीती कैसे बचैगी रै समाज का ताणा बाणा तोड़ कै।

SUBHASH BOSE

पार्क मैदान में युवक कांग्रेस के अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने कहा तो फिर क्या हमें बैलगाड़ी के बीते युग की ओर वापस जाना है? आत्मा के पाखण्ड को इतना पुष्ट किया जा रहा है कि भौतिक संस्कृति और फौजी प्रशिक्षण की उपेक्षा करके भी उन्हें लगता है सब ठीक चल रहा है। इस पावन भूमि के लिए मठ और आश्रम की कल्पना जोई नई नहीं है। सन्यासियों और सुपात्रों को इस माट्टी में सदैव आदर का स्थान प्राप्त होता रहा है और आगे भी होता रहेगा । परन्तु मैं युवाओं को चेतावनी देता हूँ कि यदि एक आधुनिक , स्वतंत्र , सुखी और शक्ति -सम्पन्न भारत का निर्माण करना है , तो हमें इस मंडली का अनुशरण नहीं करना है। इसके लिए पुरातन प्रभाव से मुक्त होकर नवयुग का शंख फूंको। 
क्या बताया भला कवि ने------ 
पार्क मैदान मैं सुभाष नै ये अपने विचार सुनाये रै।।
युवाओं को ललकारया उसनै क्रांति के नारे गूँजाये रै।।
1
बोस नै युवा संगठन का उड़ै मतलब समझाया था
निठल्ले बेजान युवाओं का यो संगठन नहीं बताया था
सामाजिक सेवासंघ भी कोण्या बोस नै पाठ पढ़ाया था
अंग्रेज राज का विरोधी धधकता अंगार सुझाया था
रूस चीन जर्मनी के किस्से उड़ै पूरे खोल कै बताये रै।।
2
बोल्या अंग्रेजों नै चौतरफा करदी घेरेबंदी म्हारी वीरो
इम्पीरियल बैंक नै देश की करदी नाके बंदी भारी वीरो
कर्ज देने की करी मनाही जनता घणी दुख पारी वीरो
अंग्रेजों तैं छुटकारा पाल्यो ये देगे देश मैं बुहारी वीरो
ठारा सौ सत्तावन मैं भी संघर्ष के बिगुल बजाये रै।।
3
या आवाज बोस की उठी ऊंचे स्तर तलक बताई
साबरमती अर अरविंद के मतां पै सवाल उठाई
आधुनिक स्वतंत्र सुखी देश की या तीजी राह दिखाई
मठ आश्रम बीते समों की उनको सब बात समझाई
पुराने तैं मुक्त होवण नै नवयुग का शंख बजाया रै।।
4
युवकों के दिलो दिमाग मैं सुभाष पूरी तरियां छाग्या रै
भगत सिंह जतीनदास  इनका दस्ता मंच पै आग्या रै
दाढ़ी मूंछों आला नौजवान उड़ै पूरे पण्डाल नै भाग्या रै
सिर्फ अहिंसा के राह पै वो भगत सिंह सवाल ठाग्या रै
कहै रणबीर बरोणे आला सुण कै सुभाष मुस्कुराये रै।।

कृष्ण चंद शर्मा सिसाना सिंह के साथ थे

पंडित श्री कृष्ण चंद शर्मा सिसाना से फ़ौजी मेहर सिंह के साथ थे । दोनों लिखारी थे। कई बार आपस में बातचीत होती उनकी। एक बार फौजी मेहर सिंह ने उनको एक बात सुनायी.
कृष्ण जी सुनले तनै दिल की आज बात सुनावां सां
गोरे भुंडे लागैं सैं इणनै मार भगाना चाहवाँ सां ।
ईष्ट इंडिया कम्पनी नै पहलम व्यापार फैलाया
राजवाड़े हुआ करैं थे एक एक पै राज जमाया
जात धर्म पै बंटे हुए आपस मैं राड़ बढ़ावां सां ।
डेढ़ सौ साल होंगे म्हारे पै इणनै पूरा राज जमाया
रेल बिछाई व्यापार खातर लूट का जाल बिछाया
ठारा सौ सतावन मैं आजादी का बिगुल बजावां सां ।
पहली जंग आजादी की कई कारणां हार गए रै
गोरयां नै कसे शिंकजे हो घने वे होशियार गए रै
भगत सिंह महात्मा गांधी लड़ते लड़ाई पावां सां ।
जावेंगे ये गोरे लाजमी आई एन ए मैं आये फौजी
छोड़ अंगरेजी सेना नै बोस गेल्याँ ये पाये फौजी
रणबीर देश की खातर जज्बा खूब दिखावां सां ।

मेहर सिंह

मेहर सिंह एक दिन मोर्चे पर लेटे लेटे सोचता है। क्या बताया भला ््
अंग्रेजां नै घणे जुल्म ढाये अपणा राज जमावण मैं ।
फूट गेरो राज करो ना वार लाई नीति अपनावण मैं ।
किसानों पर घणे कसूते अंग्रेजों नै जुल्म कमाये थे
कोल्हू मैं पीड़ पीड़ मारे लगान भी उनके बढ़ाये थे
जंगलां की शरण लिया करते ये पिंड छुटवावण मैं ।
मजदूरों को बेहाल करया ढाका जमा उजाड़ दिया
मानचैस्टर आगै बढ़ा जलूस ढाका का लिकाड़ दिया
ढाका की आबादी घटी माहिर मलमल बणावण मैं।
ठारा सौ सतावन की जंग मैं  देशी सेना बागी होगी
अंग्रेजां के हुए कान खड़े या चोट कसूती लागी होगी
आजादी की पहली जंग लड़ी गयी थी सत्तावण मैं।
युवा घने सताए गोरयां नै सारे रास्ते लांघ दिए देखो
भगत सिंह राजगुरु सुखदेव ये फांसी टांग दिए देखो
रणबीर सिंह करै कविताई या जनता जगावण मैं।

अंध विश्वास


अंधविश्वास नै भारत मैं आज पूरा उछाल दिखाया रै।।
महाकाव्य म्हारे जितने सैं सबको इतिहास बताया रै।।
1
ईश्वर की पूजा करने तैं कहते बच्चे पैदा हो ज्यावैं रै
ब्याह शादी करकै नै क्यों पति पत्नी का रगड़ा ल्यावैं रै
इसे झूठे प्रचार करकै नै यो भारत पूरा भरमाया रै।।
2
लक्ष्मी की पूजा तैं कहते अपरंपार धन मिल ज्यावै रै
फेर व्यापार लेन देन का यो झमेला समझ ना आवै रै
टीवी चैलनां नै दिन रात लक्ष्मी का घणा शोर मचाया रै।।
3
सत्यनारायण कथा तैं कहते सुख संसाधन मिल जाते
फेर काम की तलाश मैं क्यों फिरैं बदेशों तक धक्के खाते
आम जनता नै बेकूफ़ बनाकै राज अपना जमाया रै।।
4
जो किसान पस्सीना बहाकै नै सारे भारत का पेट भरै
जै मींह इंद्र पूजे तैं आवै तो किसान आत्म हत्या क्यों करै
किसान की लूट छिपावण ताहिं अंधविश्वास फैलाया रै।।
5
जै रक्षा सूत्र म्हारी सबकी रक्षा सब क्याहें तैं करता रै
तो धर्म पाखण्डी और यो नेता क्यों कमांडो लियें फिरता रै
समाज सुधारकों नै भी था अपने बखतां समझाया रै।।
6
कहैं लक्ष्मण रेखा खींच दयो उसनै दुश्मन लांघ ना सकै
सेना क्यों लाई सरहद पै इन झूठों तैं सच्चाई ना ढंकै
रणबीर बरोने आले नै सोच समझ कै छंद बनाया रै।।

ZORA SINGH

हरियाणवी रागनी
क्यूकर होगा ईब गुजारा , महँगाई नै चूस्या खून सारा, काल्लर कोरै खडया बिचारा, रोवै गरीब किसान रै।।
ठेके पै भाई धरती ले ली, 
बीज की बीज्जी थी कई थेली,
धक्का पेली कर खाद हिथाया, वो भी सारा नकली पाया, पर्ची ले दुकान पै आया, पर हाल्ली नहीं जुबान रै।।
व्यापारी लोग मजाक उड़ावै,
यों बिल नकली सै कुछ ना थ्याहवै,
ना पार बसावै जिब लाग्या धक्का, सुणकै रहग्या हक्का बक्का,यो बिल भी होसै कच्चा पक्का हो मेरे भगवान रै।।।
फेर सामणी पै आस टिकाई.,
बाड़ी बोई किमे जीरी लाई,
आईं कोन्या मानसून बैरण, पाणी बिन लाग्गी जीरी ठहरण, कपास नै खाग्यी सूण्डी जहरण कति बिगड़ लिया ज्ञान रै।।।।
ईब्बे कोन्या खत्म होई कहाणी,
कई बै मोल के लाये पाणी,
खिंचाताणी कर फसल पकाई , सोच्या करी होई मेहनत रंग ल्याई, घणी जोर की बारिश आई, मूंधे पडग्ये धान रै।।।।।
जोरासिंह सब टूटल्यी आस,
खाण नै ल्याया फेर सल्फास,
नाश हो लिया जब जी ना लिकडया, एक लाख का लाग्या रगडा, डॉक्टर गैल्यां कर लिया झगड़ा, बचा लई क्यूँ ज्यान रै।।।।।।

मेहनतकश इनसान पिटैं

   ( मेहनतकश इनसान पिटैं )
                                                              ------ रामधारी खटकड़

आज म्हारे आजाद देश म्हं मेहनतकश इनसान पिटैं
कम्पनियां के चलैं इशारे , न्यूं मजदूर - किसान  पिटैं......(टेक)

विदेशी कम्पनी गुड़गामे म्हं ,  पूरा  दमन  चलाया  था
भारी फोर्स पुलिस की ले खुद डी. सी. आगै आया था
डांगर की ज्यूं माणस पीट्टै , बिल्कुल ना  शरमाया  था
धार  खून  की  बहती  देखी ,  पाट काळजा आया था
शासकवर्ग  करै  दलाली ,  जनता  के  अरमान   पिटैं...
कम्पनियां के चलैं इशारे , न्यूं मजदूर - किसान  पिटैं....

उदारीकरण का लाकै नारा  , गोरयां नै बुलवाएं जा
लाल  किले  पै  झण्डे  नीचै  झूठे सुपन दिखाएं जा
बेकारी  और  बदहाली  अड़ै  अपणै पैर फैलाएं जा
लाठीचार्ज , आंसूगैस  और  गोली  रोज चलाएं  जा
मूर्खमण्डल मौज करै आड़ै , सरेआम गुणवान पिटैं...
कम्पनियां के चलैं इशारे , न्यूं मजदूर - किसान पिटैं...

किते - किते गोदाम सड़ैं ,  किते भूखे बच्चे रोते हैं
टूक मिलै ना पेट भराई , सुबक-सुबक कै सोते  हैं
मांस रया ना उनके तन पै , अस्थि - पंजर ठोते  हैं
कर्मां का फल बतलावणिये बीज बिघ्न का बोते हैं
ढाबयां के म्हां बर्तन मलती नन्हीं - नन्हीं जान पिटैं....
कम्पनियां के चलैं इशारे , न्यूं मजदूर- किसान पिटैं....
          ×                      ×                    ×

सही आजादी ल्यावण खातर भगतसिंह कित पावैगा
हंसकै  फांसी  चूमण  खातर ,  हटकै   ठाणा  ठावैगा
ना  कोय  चारा  चाल्लै , म्हारा धीरज कौण बंधावैगा
सबको  न्याय दिवाणे  आळा , इंकलाब  कद आवैगा
रामधारी इब जाग नींद तै , संगठन बिन तेरे गान पिटैं...
कम्पनियां के चलैं इशारे , न्यूं  मजदूर - किसान  पिटैं...

दिल्ली आल्यो


गिणकै दिये सैं बोल तीन सौ साठ दिल्ली आल्यो
यो दुखी किसान देखै थारी बाट दिल्ली आल्यो
ज्यान मरण मैं आरी क्यों तम गोलते कोन्या 
या फसल हुई बर्बाद क्यों तम तोलते कोन्या 
कति बोलते कोन्या बनरे लाट दिल्ली आल्यो
इसी नीति अपनाई किसान यो बर्बाद करया
घर उजाड़ कै म्हारा अडाणी का आबाद करया 
घना यो फसाद करया टोळ्या घाट दिल्ली आल्यो
धरती म्हारी खोसण की क्यों राह खोल दई 
गिहूं धान क्यों म्हारी बिकवा बिन मोल दई 
मचा रोल दई गया बेरा पाट दिल्ली आल्यो 
रणबीर
27.4.2015

पिरथी कामरेड

पिरथी कामरेड मेरे याद बहोत घणा आवै सै
सन कहत्तर का वाका कई बै मनै उलझावै सै
1
चंडीगढ़ संघर्ष समिति नै संघर्ष बिगुल बजाया
विक्रम पिरथी सिंह नै मेडिकल लेकै नै आया 
कई दिनां का साथ वो दिमाग ऊपर छावै सै।।
2
कुरुक्षेत्र में डिग्री फूंकी मनै जिब बेरा लाग्या था
थारा यो स्टाइल पिरथी बहोत ए घणा फ़ाब्या था
इमरजेंसी में जेल गया नहीं कति घबरावै सै।।
3
 सत्तत्तर मैं भट्टू चुनाव उड़े के रंग निराले देखे 
नौजवान साथी बहोत से उड़ै मोर्चा संभाले देखे 
गरीब का एजेंडा भट्टू मैं पार्टी पूरी ढालां ठावै सै।।
4
 बीमारी की परवाह की ना पार्टी मैं जिंदगी लाई थी
सादा खाना पीना था थारा रात दिन लड़ी लड़ाई थी 
रणबीर पार्टी क्रांति के काम आगै बढ़ाये चाहवै सै।।

इंसान ही सब कुछ


आग पहिये की खोज करी किसनै मनै कोए बतादयो रै।
खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।
सृष्टि कैसे बनी इसका यो पूरा इतिहास बतावैं देखो
एक सैल जीव बने फेर ये कई सैल जीव दिखावैं देखो
रीढ़कारी आये जमाने मैं बांदर कैसे आया सुनावैं देखो
बांदर तैं इंसान बण्या सै वैज्ञानिक पाठ पढ़ावै देखो 
इंसान नै ये खोज करी सैं कोए और होतै सुझादयो रै।
आज तलाक जो भी हुया वो करया खुद इंसान नै सारा 
फेसबुक गूगल बना दिए अजब रच दिया नजारा 
मन्दिर मस्जिद बनाये किसनै सोचना फर्ज यो म्हारा 
समाज धर्मों का निर्माता जान्या बारां और छह ठारा
भगवान गॉड मंदिर चर्च मैं बिठाये किसनै समझादयो रै।
जो भी करया इंसान नै करया फेर भी पुजते भगवान
और कोए प्राणी नहीं मान्या भगवान यो मान्या इंसान 
जित इंसान नहीं पहोंच्या ना मन्दिर उड़ै सै बियाबान 
न्यारे न्यारे देवता बनाये देखो इंसान नै लगा उनमान 
मानो तो भगवान ना तो पाथर खोल कै भेद दिखादयो रै।
इसे करकै आये दुनिया मैं न्यारे न्यारे पूजा विधान देखो 
कितै अल्लाह कितै चर्च कितै कई तरां के भगवान देखो 
मन्दिर मस्जिद मैं रेप होज्यां नहीं सुरक्षित इंसान देखो 
बिना पढ़े ना पास कराया एक  भी बच्चा नादान देखो 
रणबीर जो नहीं मानै उसनै हुया के नुक़सान गिनादयो रै।