Sunday, 21 October 2018

Roadways

एक रचना अभी लिखी
सरकार म्हारे पीस्यां तैं चाहवै प्राइवेट बस चलाया ।।
लोन दिवा चहेतों को  ये उनको चाहवैं बसाया।।
1
रोडवेज़ का निजीकरण यो आम जनता नै घेरैगा
विद्यार्थियों के आणजाण पै कीमत भारी गेरैगा
बूढ़े बूढियां की तरफ तैं देख लियो यो मूंह फेरैगा
किराये बढ़ें डीजल की ढालाँ सरकारी ढांचा छेरैगा
कायदे कानून रोडवेज़ के चाहते ये पैंडा छुटाया ।।
लोन दिवा चहेतों को  ये उनको चाहवैं बसाया।।
2
बैंक लोन देवैं बस का गाड़ी मालिक फेर चलावैगा 
औनी पौनी तनखा मैं ड्राइवर कंडक्टर यो ल्यावैगा
ठूंस ठूंस कै भरै सवारी उड़ै बूढा खड़्या लखावैगा
म्हारे पीस्से तैं देखो अपना बैंक बैलेंस बढावैगा
पीस्से खा देवैं परमिट जावै तुगलकी फरमान चलाया।।
लोन दिवा चहेतों को  ये उनको चाहवैं बसाया।।
3
एक रोडवेज़ का ना रोला शिक्षा मैं ल्याण लागरे
स्वास्थ्य जगत मैं अपनी जिम्मेदारी तैं ये भागरे
पैट्रोल डीजल का देखो भा ये असमानां टांगरे
ठेकेदारी प्रथा लागू करी बिकवाये गरीबों के घाघरे 
सरकार अफसर ठेकेदार नैं मिलकै उधम मचाया।।
लोन दिवा चहेतों को  ये उनको चाहवैं बसाया।।
4
निजीकरण गरीब अमीर की खाई नै बढ़ा देगा रै 
हरियाणे के अम्बानियां की लूट शिखर चढ़ा देगा रै
किसान मजदूर कर्मचारी यो सबनै खिंडा देगा रै 
रणबीर बणा रागनी पाठ एकता का पढ़ा देगा रै
सोचसमझ कै छन्द तत्काल टूट्या फूट्या बणाया।।
लोन दिवा चहेतों को  ये उनको चाहवैं बसाया।।