Tuesday, 26 April 2016

हम सब मिलकर एक प्रयास करेंगे,

हम सब मिलकर एक प्रयास करेंगे, अपना खोया मान सम्मान पाने को। हम सब मिलकर एक हुँकार भरेंगे, साथियों को फर्ज याद दिलवाने को। शिक्षक धर्म अपना कभी नहीं भूलेंगे, कभी आ जाना तुम हमें आजमाने को। सच्ची शिक्षा देने को द्वार अब खुलेंगे, करेंगे मेहनत उनको विद्वान बनाने को। विद्यालय से अब हम फरलो नहीं मारेंगे, समय पर आएंगे बच्चों को पढ़ाने को। मार्ग में आने वाली बाधाओं से नहीं हारेंगे, अतिरिक्त भी पढ़ाएंगे शिक्षा स्तर उठाने को। अक्षर अक्षर का ज्ञान देंगे हर बच्चे को, कभी मना नहीं करेंगे बार बार समझाने को। कामयाब बनाएंगे अपने मनसूबे सच्चे को, हो गए हैं तैयार फर्ज अपना निभाने को। शिक्षार्थ आइये सेवार्थ जाइये को करने साकार, निकल पड़ना है शिक्षा की अलख जगाने को। शिक्षा से बढ़कर नहीं है कोई दूजा हथियार, सुलक्षणा कब से है तैयार सबक सिखाने को। ©® डॉ सुलक्षणा अहलावत

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