उघाड़ैपण नै कहन लागै फैशन भई यू बी तै चाला स।
बेशर्मी का औड़ रहा ना न्यू होया जान का घाला स।।
आजकाल की ये बहु छोरी कति नहीं शर्मावैं सं।
सारा गात चमकै जा इतने पतले सूट सिमावैं सं।
आधी छाती दिखै जा इतने बड़े गले करवावैं सं।
सारा गात ढ़का रह इसे पहरावै का करया टाला स।।
शर्म लिहाज तार कै गालाँ म्ह कै गिरकाती चालैं।
करके आछे भूण्डे इशारे छोरां नै पाछै लाती चालैं।
आई लव यू जान न्यू कह फोनां प बतलाती चालैं।
ये हे हाल रहे तो इस दुनिया का राम रुखाला स।।
छोरियाँ नै के कहूँ ये छोरे बी घणे चाले कर रे सं।
ट्यूशन की फ़ीस तै अय्याशियाँ का बिल भर रे सं।
पढाई की चिंता कोण्या छोरियाँ म्ह ध्यान धर रे सं।
इनकै शौकाँ नै माँ बाप का काढ्या दिवाला स।।
छोरियाँ आला बाणा पहरैं मूँछ साफ़ करवाये हांडे।
कह गुरु रणबीर सिंह ऐबी घणे होगे पी खाये हांडे।
खानदानी बी माँ बाप की इज्जत कै बट्टा लाये हांडे।
साच बात कहण का सुलक्षणा का ढंग निराला स।।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत
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