शिक्षा आले महकमे म्ह पढ़े लिखे अनपढ़ भतेरे सं।
महकमे का भट्ठा बिठाण का मन म्ह इरादा ले रे सं।।
नीचे तै ऊपर ताहीं सारै मुर्ख कट्ठे हो रे सं।
आपणे हाथां महकमे की साख खो रे सं।
गलती इनकी स अर बालक म्हारै रो रे सं।
करना धरना किम्मे कोण्या बस मीठी गोली दे रे सं।।
नियम ये जाणै कोण्या मन की मर्जी करैं सं।
गलती का दोष ये आपणे तै छोटै प धरैं सं।
सूखी बड़ाई लेवण खातर कट कट कै मरैं सं।
सबनै बेरा पाट रहया स ये सारै कितने कमेरे सं।।
आपणै तै स्याणा किसै नै बी समझते कोण्या।
चिट्ठी पत्रियाँ प बी कोय कारवाई करते कोण्या।
एक कोर्ट के अलावा ये किसै तै डरते कोण्या।
छोटे तै छोटे काम खातर बी लगवावैं घणे फेरे सं।।
बुरा हाल स महकमे का सजा मिलै बिना गलती।
रपियाँ अर सिफारिश बिना फ़ाइल ना चलती।
सुलक्षणा ना महकमे के झूठी कालस मलती।
किते सुनवाई ना होई तै कोर्ट म्ह सारै इसने घेरे सं।।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत
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