भाई संतोष तै बड़ी कमाई और कोण्या जगत म्ह।
तेरा क्यूकर होज्या भला र तेरी नित रह ठगत म्ह।।
संतोष करणीया मानस भई कदे ना दुःख पाता।
जिसी बी परिस्थिति आज्या वो कदे ना घबराता।
हर हाल मै चौबीस घण्टे वो ईश्वर के गुण गाता।
रट उस ईश्वर नै जौं बोज्या वो आपणी अगत म्ह।।
जितनी धन माया जोड़ैगा उतना ऐ दुःखी पावैगा।
मन म्ह संतोष करकै देख न्यारा ऐ आनंद आवैगा।
संतोष बिना व्यर्था जिंदगी पाछै तै घना पछतावैगा।
इब नहीं तै समझैगा तू आपणे आखरी बखत म्ह।।
भला इसा कौन जगत म्ह जिसनै ना संतोष करा।
उसनै बी संतोष करा जिसका ऐकला लाल मरा।
कहगै बड़े बूढ़े घणी हाय हाय म्ह कीमे ना धरा।
गृहस्थ म्ह रह संतोष कर ले, के कसर स भगत म्ह।।
गुरु रणबीर सिंह प लिया ज्ञान झोली पसार कै।
जगत म्ह रहना पड़ै स कदे ना कदे मन मार कै।
ऋषि मुनि बी करैं तपस्या मन म्ह संतोष धार कै।
ज्ञान की बात पावैंगी सुलक्षणा की लिखत म्ह।।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत
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