साची बात कहै बिना मेरे प डटा जाता कोण्या।
के राह होगा स्कूलां का समझ म्ह आता कोण्या।।
सरकारी स्कूलां म्ह पहल्याँ ऐ मास्टरां का टोटा स।
ऊपर तै ये मास्टर पढ़ाते कोण्या यू दुःख मोटा स।
ध्यान देवै ना स्कूलां प सरकार का काम खोटा स।
मास्टरां प ले के दूसरे काम पढ़ाई का गल घोटा स।
स्कूलां के हित मै कोय बी आवाज उठाता कोण्या।।
ऐकले मास्टरां का दोष कोण्या सरकार बी दोषी स।
मास्टर तै क्लर्क अर चपड़ासी बना चौधर खोसी स।
सारै ढ़ाल कै काम ले के आत्मा मास्टरां की मोसी स।
सरकार कीमे ना करे जब तक छाई या ख़ामोशी स।
सब थूक बिलोवैं कोय राह की बतलाता कोण्या।।
पहली तै आठमी ताहीं रोज न्यारै व्यंजन बटैं सं।
कापी किताब, वर्दी, वजीफा मिलै न्यू साँटै सटैं सं।
नयी नयी स्कीम चला राखी फेर बी बालक घटैं सं।
कोय बता दयो सरकारी स्कूलां तै क्यूँ लोग कटैं सं।
क्यूँ कोय सरकार नै यू सारा हाल बताता कोण्या।।
सरकार नै ज़मीनी स्तर पै इब काम करना होगा।
पहल्याँ खाली पड़ै मास्टरां के पदां नै भरना होगा।
दूसरे काम ना ले के पढ़ाई का ऐ बोझ धरना होगा।
सरकार की गेल्याँ म्हारै मास्टरां नै बी सुधरना होगा।
सुलक्षणा तेरी ढालाँ खोल कै कोय सुनाता कोण्या।।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत
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