Tuesday, 26 April 2016

वो दूध दही का खाणा छुटग्या

वो दूध दही का खाणा छुटग्या, गाम म्ह आना जाणा छुटग्या, सवेरे साँझ मन्दिर में जा कै, पूजा म्ह शंख बजाणा छुटग्या, खेताँ म्ह घूमना घूमाणा छुटग्या, नहर के म्हा वो नहाणा छुटग्या, बड़े बूढ़ाँ ताहीं राम राम करकै, भाइयों सर का झुकाणा छुटग्या, खेताँ म्ह डांगर चराणा छुटग्या, वो सर प न्यार ल्याणा छुटग्या, सवेरे सांझ नै जोहड़ प जा कै, वो भैंसां नै पानी प्याणा छुटग्या, पोली म्ह भाइयाँ का आणा छुटग्या, वो होक्के का गुड़गुड़ाणा छुटग्या, सारी रौनक चली गयी पोलियाँ की, मूँज आला पलँग बिछाणा छुटग्या, ब्याह के टैम बान बिठाणा छुटग्या, ब्याहँदड़ के मटना लगाणा छुटग्या, राखड़ी, काँगना कोय कोय बाँधे, ब्याह कै टैम तेल चढ़ाणा छुटग्या, रीत रिवाज ब्यौहार पुराणा छुटग्या, हँसी ख़ुशी त्यौहार मनाणा छुटग्या, वो कुटुंब कबीले वो भाईचारे रहे ना, दो घड़ी कट्ठे बैठ बतलाणा छुटग्या, बड़े बूढ़ाँ का वो समझाणा छुटग्या, माड़ी कार प वो धमकाणा छुटग्या, लुगाइयाँ की चौधर होगी घर घर म्ह, पंचायतां का फैसला करवाणा छुटग्या, फागण सामण म्ह गिरकाणा छुटग्या, साँगी भजनियाँ का इब गाणा छुटग्या, गाम तै बाहर बाबा का धुणा तपणा, वो घर घर अलख जगाणा छुटग्या, कह गुरु रणबीर सिंह शर्माणा छुटग्या, पाप कर्म करैं सब, धर्म कमाणा छुटग्या, साची रोवै सुलक्षणा फैशन के दौर म्ह पाछै सीधा साधा हरियाणा छुटग्या, ©® डॉ सुलक्षणा अहलावत

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