आज मत रोको मुझे बहक जाने दो,
मोहब्बत में तेरी मुझे महक जाने दो।
ऐ सनम! चार दिन की है जिंदगानी,
दिल के पँछी को भी चहक जाने दो।
दिल की गहराइयों से मोहब्बत की है,
दिन रात उस खुदा की इबादत की है।
लाख सितम गुजारे तुमने भी दिल पर,
पर बोलो कब मैंने कोई शिकायत की है।
बड़ा तरसा था हाल ऐ दिल बताने को,
हर इम्तेहान पास किया तुम्हें पाने को।
तुमने कबूल कर ली मोहब्बत मेरी,
वरना कब से तैयार बैठा मर जाने को।
तेरी ही तस्वीर बसा रखी है निगाहों में,
चाहता हूँ जिंदगी गुजरे तेरी पनाहों में।
बाद मुद्दत के सुलक्षणा ये घड़ी आई है,
मत देर करो अब सिमट जाओ बाहों में।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत
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