छोड़ कर जातिगत आरक्षण की बैशाखी,
एक बार शिक्षा का दामन पकड़ कर देखो।
निजी स्वार्थों के इस टकराव को भूला कर,
स्वंय को तुम देश प्रेम में जकड़ कर देखो।
मानो तुम कहना धरती स्वर्ग सी बन जायेगी,
दिलों से नफरत का ये ज़हर मिटा कर देखो।
जातिगत आरक्षण समानता में रोड़ा बना है,
अपने उन्नति के मार्ग से इसे हटा कर देखो।
एक समान शिक्षा पद्धति को लागु करवाओ,
सबको मिले मुफ़्त शिक्षा बस ये माँग करो।
समाज में फैली ये असमानताएँ हैं मिटानी,
जातिगत आरक्षण के खिलाफ हुँकार भरो।
छियासठ साल में जो खाई पट नहीं सकी है,
शिक्षा की अलख उस खाई को पाट देगी।
जिन रूढ़िवादी बेड़ियों में जकड़े हुए हैं हम,
शिक्षा उन बेड़ियों को आसानी से काट देगी।
आने वाली पीढ़ी को क्या देना चाहते हो तुम,
यह फैसला सोच समझकर तुम्हें करना होगा।
सुलक्षणा क्या दिया आरक्षण ने जरा सोचना,
तुम्हारे गलत फैसले का दंड उन्हें भरना होगा।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत
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