नेता जी म्हारा छोटा सा काम करवा दयो।
सरकारी स्कूलां कै थम तालै लगवा दयो।।
मास्टरां का यू टोटा तै थारै प दूर होता कोण्या।
बालकां की पढ़ाई की चिंता म्ह मैं सोता कोण्या।
थमनै चिंता क्यूँ होवै थी थारा कोय रोता कोण्या।
रोज रोज की लड़ाई म्ह होवै समझौता कोण्या।
राड़ तै बाड़ आछी हो यू कहण पुगवा दयो।।
मास्टरां प पढ़ाई तै न्यारे सारे काम करवाओ सो।
मिड डे मील का चार्ज दे सब्जी खरीदवाओ सो।
बना नौकर खाना खुवाये पाछै हाथ धुलवाओ सो।
सौंप कै ग्रांट मास्टरां प सारा भवन बनवाओ सो।
मास्टर बेचारां नै थम कोल्हू म्ह कै पिड़वा दयो।।
पहल्याँ तै बीएलओ बन घर घर जा वोट बनावैं।
फेर दोबारा घर घर जा कै पहचान पत्र पहोंचावैं।
इलेक्शना म्ह लागै ड्यूटी मास्टर दूर दूर जावैं।
फेर इलेक्शन होये पाछै मास्टर गिनती करवावैं।
इन बेचारे मास्टरां नै थम फाँसी तुड़वा दयो।।
सत्तर ढ़ाल के काम बेचारे मास्टर दिन रात करैं सं।
कदे क्लर्क बन अधिकारियाँ धोरै मास्टर फिरैं सं।
आरटीआई, डाक तैयार कर कर कागज भरैं सं।
आँख मीच कै सारै फरमान मानै ये इतने डरैं सं।
मास्टरां तै चपड़ासी इन नै थम बनवा दयो।।
जितनै प्रयोग करने हो सं मास्टरां प करो सो।
आपणी गलत नीतियाँ का दोष इन प धरो सो।
कदे गरीबाँ के बालक पढ़ जावैं थम न्यू डरो सो।
नीति समझ म्ह आगी क्यूँ ना खाली पद भरो सो।
सच्चाई महकमे की सुलक्षणा प लिखवा दयो।।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत
स्वागत है तुम्हारा मेरी दोस्ती के संसार में, कभी कमी नहीं मिलेगी यहाँ तुम्हें प्यार में। कभी तन्हा नहीं पाओगे तुम खुद को यहाँ, तड़फ उठोगे तुम अकेलेपन के इंतजार में। दुनिया को भुला दोगे तुम आज के बाद, बदलाव महसूस करोगे अपने व्यवहार में। प्यार मोहब्बत की बातें करोगे हर पल तुम, जिंदगी का मजा है एक दूसरे के ऐतबार में। नफरत के लिए कोई जगह नहीं है यहाँ पर, पर देखना आनंद आएगा तुम्हें तकरार में। हर ख़ुशी हर गम को मिलकर बाँट लेंगे, एक दूजे का साथ नहीं छोड़ेंगे मझधार में। ना कसमें खानी होंगी, ना वादे करने होंगे, बस मोल ना लगा देना दोस्ती का बाजार में। कभी भी इम्तेहान ले लेना मेरी दोस्ती का, फर्क नहीं मिलेगा सुलक्षणा के विचार में। ©® डॉ सुलक्षणा अहलावत
राँझे क्यूँ जुल्म गुजारै, क्यूँ जीते जी मन्नै मारै, के ख़ता होई मेरे प क्यूँ तू बोलै ना। बाहर खड़ी मैं क्यूँ फाटक खोलै ना।। भावज मेरी नै राह रोकी फेर बी मैं आई, रोज की तरियां तेरी खातर दूध मैं ल्याई, खा ले दूध मलाई, जिगर मेरा छोलै ना।। के बात हुई राँझे तू खोल मन्नै बताता ना, औरां दिन की ढालाँ भीतर मन्नै बुलाता ना, लाड़ मेरे लड़ाता ना, क्यूँ आज सर नै रोलै ना।। किसने फुक मारी तेरे जो छो म्ह होरया स, बता दे राँझे मन आपणै म्ह के लकोरया स, के साच म्ह सोरया स, जो मेरी बात गोलै ना।। ना बोल्या तै रणबीर सिंह तै शिक़ात करूंगी, ईबे टोहुँ कुआँ जोहड़ राँझे डूब कै मैं मरूँगी, किसे तै ना डरूँगी, सुलक्षणा का मन डोलै ना।। ©® डॉ सुलक्षणा अहलावत
स्वागत है तुम्हारा मेरी दोस्ती के संसार में, कभी कमी नहीं मिलेगी यहाँ तुम्हें प्यार में। कभी तन्हा नहीं पाओगे तुम खुद को यहाँ, तड़फ उठोगे तुम अकेलेपन के इंतजार में। दुनिया को भुला दोगे तुम आज के बाद, बदलाव महसूस करोगे अपने व्यवहार में। प्यार मोहब्बत की बातें करोगे हर पल तुम, जिंदगी का मजा है एक दूसरे के ऐतबार में। नफरत के लिए कोई जगह नहीं है यहाँ पर, पर देखना आनंद आएगा तुम्हें तकरार में। हर ख़ुशी हर गम को मिलकर बाँट लेंगे, एक दूजे का साथ नहीं छोड़ेंगे मझधार में। ना कसमें खानी होंगी, ना वादे करने होंगे, बस मोल ना लगा देना दोस्ती का बाजार में। कभी भी इम्तेहान ले लेना मेरी दोस्ती का, फर्क नहीं मिलेगा सुलक्षणा के विचार में। ©® डॉ सुलक्षणा अहलावत
राँझे क्यूँ जुल्म गुजारै, क्यूँ जीते जी मन्नै मारै, के ख़ता होई मेरे प क्यूँ तू बोलै ना। बाहर खड़ी मैं क्यूँ फाटक खोलै ना।। भावज मेरी नै राह रोकी फेर बी मैं आई, रोज की तरियां तेरी खातर दूध मैं ल्याई, खा ले दूध मलाई, जिगर मेरा छोलै ना।। के बात हुई राँझे तू खोल मन्नै बताता ना, औरां दिन की ढालाँ भीतर मन्नै बुलाता ना, लाड़ मेरे लड़ाता ना, क्यूँ आज सर नै रोलै ना।। किसने फुक मारी तेरे जो छो म्ह होरया स, बता दे राँझे मन आपणै म्ह के लकोरया स, के साच म्ह सोरया स, जो मेरी बात गोलै ना।। ना बोल्या तै रणबीर सिंह तै शिक़ात करूंगी, ईबे टोहुँ कुआँ जोहड़ राँझे डूब कै मैं मरूँगी, किसे तै ना डरूँगी, सुलक्षणा का मन डोलै ना।। ©® डॉ सुलक्षणा अहलावत
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