Tuesday, 26 April 2016

डॉ सुलक्षणा अहलावत

नेता जी म्हारा छोटा सा काम करवा दयो। सरकारी स्कूलां कै थम तालै लगवा दयो।। मास्टरां का यू टोटा तै थारै प दूर होता कोण्या। बालकां की पढ़ाई की चिंता म्ह मैं सोता कोण्या। थमनै चिंता क्यूँ होवै थी थारा कोय रोता कोण्या। रोज रोज की लड़ाई म्ह होवै समझौता कोण्या। राड़ तै बाड़ आछी हो यू कहण पुगवा दयो।। मास्टरां प पढ़ाई तै न्यारे सारे काम करवाओ सो। मिड डे मील का चार्ज दे सब्जी खरीदवाओ सो। बना नौकर खाना खुवाये पाछै हाथ धुलवाओ सो। सौंप कै ग्रांट मास्टरां प सारा भवन बनवाओ सो। मास्टर बेचारां नै थम कोल्हू म्ह कै पिड़वा दयो।। पहल्याँ तै बीएलओ बन घर घर जा वोट बनावैं। फेर दोबारा घर घर जा कै पहचान पत्र पहोंचावैं। इलेक्शना म्ह लागै ड्यूटी मास्टर दूर दूर जावैं। फेर इलेक्शन होये पाछै मास्टर गिनती करवावैं। इन बेचारे मास्टरां नै थम फाँसी तुड़वा दयो।। सत्तर ढ़ाल के काम बेचारे मास्टर दिन रात करैं सं। कदे क्लर्क बन अधिकारियाँ धोरै मास्टर फिरैं सं। आरटीआई, डाक तैयार कर कर कागज भरैं सं। आँख मीच कै सारै फरमान मानै ये इतने डरैं सं। मास्टरां तै चपड़ासी इन नै थम बनवा दयो।। जितनै प्रयोग करने हो सं मास्टरां प करो सो। आपणी गलत नीतियाँ का दोष इन प धरो सो। कदे गरीबाँ के बालक पढ़ जावैं थम न्यू डरो सो। नीति समझ म्ह आगी क्यूँ ना खाली पद भरो सो। सच्चाई महकमे की सुलक्षणा प लिखवा दयो।। ©® डॉ सुलक्षणा अहलावत
स्वागत है तुम्हारा मेरी दोस्ती के संसार में, कभी कमी नहीं मिलेगी यहाँ तुम्हें प्यार में। कभी तन्हा नहीं पाओगे तुम खुद को यहाँ, तड़फ उठोगे तुम अकेलेपन के इंतजार में। दुनिया को भुला दोगे तुम आज के बाद, बदलाव महसूस करोगे अपने व्यवहार में। प्यार मोहब्बत की बातें करोगे हर पल तुम, जिंदगी का मजा है एक दूसरे के ऐतबार में। नफरत के लिए कोई जगह नहीं है यहाँ पर, पर देखना आनंद आएगा तुम्हें तकरार में। हर ख़ुशी हर गम को मिलकर बाँट लेंगे, एक दूजे का साथ नहीं छोड़ेंगे मझधार में। ना कसमें खानी होंगी, ना वादे करने होंगे, बस मोल ना लगा देना दोस्ती का बाजार में। कभी भी इम्तेहान ले लेना मेरी दोस्ती का, फर्क नहीं मिलेगा सुलक्षणा के विचार में। ©® डॉ सुलक्षणा अहलावत


राँझे क्यूँ जुल्म गुजारै, क्यूँ जीते जी मन्नै मारै, के ख़ता होई मेरे प क्यूँ तू बोलै ना। बाहर खड़ी मैं क्यूँ फाटक खोलै ना।। भावज मेरी नै राह रोकी फेर बी मैं आई, रोज की तरियां तेरी खातर दूध मैं ल्याई, खा ले दूध मलाई, जिगर मेरा छोलै ना।। के बात हुई राँझे तू खोल मन्नै बताता ना, औरां दिन की ढालाँ भीतर मन्नै बुलाता ना, लाड़ मेरे लड़ाता ना, क्यूँ आज सर नै रोलै ना।। किसने फुक मारी तेरे जो छो म्ह होरया स, बता दे राँझे मन आपणै म्ह के लकोरया स, के साच म्ह सोरया स, जो मेरी बात गोलै ना।। ना बोल्या तै रणबीर सिंह तै शिक़ात करूंगी, ईबे टोहुँ कुआँ जोहड़ राँझे डूब कै मैं मरूँगी, किसे तै ना डरूँगी, सुलक्षणा का मन डोलै ना।। ©® डॉ सुलक्षणा अहलावत

ला तेरा यू थोड़ ठिकाना स।। राँझे मेरी बात म्ह फर्क हरगज ना पावैगा, जाणु थी साच सुनदे कालजा हाल जावैगा, उस काणे के कर्मा म्ह मौज उड़ाना स। अर तेरे कर्मा म्ह राँझे धक्के खाना स।। के सोचै हीर तन्नै सारै जहान तै खोगी, भूल तेरी मोहब्बत वा अक्खण की होगी, धोखा करया उसकै आगै आना स। झूठ नहीं थूकै उसनै सारा ज़माना स।। मन म्ह शीलक हो बड़वासनी म्ह जा कै, गुरु रणबीर सिंह तेरा दर्द सुना दें गा कै, सुलक्षणा का काम राह बताना स। दूसरे की गेल्याँ के होवै धिंगताना स।। ©® डॉ सुलक्षणा अहलावत

ऐ वक़्त जरा धीरे धीरे चल, क्यों रहा है लोगों को छल, कुछ पता नहीं चलता है तेरा, कब आया कब गया निकल, तेरी ये एक अदा अखरती है, बड़े बड़ों को दे जाता है अक्ल, बहुत से लोग पछताते रहते हैं, उनके हाथों से तू गया फिसल, तेरी ताकत का पता है सबको, बड़े बड़ों का निकालता है बल, जब वक़्त का पहिया घूमता है, सब कुछ जाता है यहाँ बदल, एक ही गति से चलता रहता है, रुक नहीं सकता सत्य है अटल, हर एक है तेरे हाथों खिलौना, हर समस्या का है तेरे पास हल, तेरी नब्ज को पकड़ लेता है जो, वो होता नहीं जिंदगी में विफल, तेरी गति से चलने वाला यहाँ, हर एक इंसान हुआ है सफल, तेरे साथ साथ यहाँ चलने को, सुलक्षणा की कलम रही मचल, ©® डॉ सुलक्षणा अहलावत

धन्यवाद जी

बाकी रही ना गात म्ह आग लागी अंग अंग मै। जब तै सुनी तू जावैगी ब्याही काणे के संग मै।। मेरे तै मुँह मोड़ लिया बता के खता हुई मेरी, हीर बता मन्नै कौन सी बात ना पुगाई तेरी, डांगर चराये थारे मन्नै अर सही गाल भतेरी, काणा भाई बता बनाया साजन करी डूबाढ़ेरी, कितनी तौली बदल गयी देख कै रहग्या दंग मै।। आँसू बी ना लिकड़ते गया सुख नैन नीर मेरा, रह रह कै याद आवैगा वो खुवाणा खीर तेरा, कितै का ना रहा मैं, बता के बिगड़ा हीर तेरा, बुली की बात साची होई रोता रहग्या पीर तेरा, हाथ काँगना पैर राखड़ी बाँध भरी तू उमंग मै।। जिसी तन्नै करी हीरे र सारी तेरे आगै आवैगी, अक्खण के संग म्ह तू बी सुख तै ना रह पावैगी, दुनिया नै शक्ल आपणी किस ढालाँ दिखावैगी, दुनिया ताने मार कै हीरे तन्नै बेवफा बतावैगी, मैं तै चाल्या जाऊँगा गेरुं ना भंग तेरे रंग मै।। छोड़ कै तेरा ढारा इब बड़वासनी नै जाऊँगा, गुरु रणबीर सिंह नै जा कै सारा हाल बताऊंगा, के बीती दिल मेरे प उन नै सारा दर्द सुनाऊँगा, हीरे तेरी बेवफ़ाई मैं सुलक्षणा प लिखवाऊँगा, हीरे तू बी जाणै स कितना पा रहा सूं तंग मै।। ©® डॉ सुलक्षणा अहलावत

जुल्मी घूँघट देवर भाभी की बहस देवर- के होग्या दो दिन मैं क्यों घणा उप्पर नै मुह ठाया तनै।। भाभी-दुनिया मैं एक इन्सान मैं भी ढंग तैं जीवणा चाहया मनै।। देवर बता भाभी गाम की इज्जत यो घूंघट नहीं सुहावै क्यों रिवाज नीची नजर तैं जीने का आंख तैं आंख मिलावै क्यों उघाड़े सिर चालै गाम मैं सरेआम म्हारी नाक कटावै क्यों सीटी मारैं कुबध करैं हाथ भिरड़ां के छते तों लगावै क्यों बहू सजै ना घूंघट के बिना बिन बूझें तार बगाया तनै।। भाभी रिवाजां की घाल कै बेड़ी क्यों बिठा करड़ा डर राख्या दुभान्त जिन रिवाजां मैं उनका भरोटा सिर पै धर राख्या घूंघट का रिवाज घणा बैरी ईनै पंख म्हारा कुतर राख्या कान आंख नाक मुह बांधे ज्ञान दरवाजा बन्द कर राख्या घूंघट ज्ञान का दुश्मन होसै पढ़ लिख कै बेरा लाया मनै।। देवर क्यूकर ज्ञान का दुश्मन सै तूं किसनै घणी भका राखी सै तेरै अपनी बुद्धि सै कोन्या चाबी और किसे नै ला राखी सै घंूघट तार कै पूरे गाम मैं ईज्जत धूल मैं खिंडा राखी सै सारा गााम थू थू करता घर घर तेरी बात चला राखी सै उल्टे रिवाज चला गाम मैं यो कसूता तूफान मचाया तनै।। भाभी ब्याह तैं पहलम तेरे भाई तैं घूंघट की खोल करी थी कही और सोच समझल्यां उनै ब्याह की तोल करी थी मनै सारी बात साफ बताई इनै ल्हको कै रोल करी थी रणबीर सिंह गवाह म्हारा मनै कति नहीं मखौल करी थी साची साच बताई सारी देवर कति ना झूठ भकाया मनै।।


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