Tuesday, 26 April 2016

गुरु जी बैठ तेरे चरणां म्ह हर नै ध्याना चाहूँ सूं

गुरु जी बैठ तेरे चरणां म्ह हर नै ध्याना चाहूँ सूं। आवागमन तै मिले छुटकारा मोक्ष पाना चाहूँ सूं।। इस दुनिया के म्हा गुरु तै बड़ा ना किसे का औहदा। ज्ञान रूपी जल के बिना बढ़े ना मानस रूपी पौधा। दुनियादारी का किम्मे ना सौदा सबनै बताना चाहूँ सूं।। नारियल किसै हों सं गुरु जी न्यू सारी दुनिया कहवै। सच्चा ज्ञान वो पाज्या जो चरणां के म्हा हाजर रहवै। पार उतरे जो गुरु की मार सहवै न्यू दिखाना चाहूँ सूं।। गुरु बिना संपूर्णता मिले ना न्यू खुद वो भगवान कहगे। गुरु के बिना ज्ञान नहीं, ज्ञान बिना सब दुखां म्ह फहगे। गुरु बिना वेद शास्त्र धरे रहगे न्यू समझाना चाहूँ सुं।। गुरु रणबीर सिंह नै गुरु जगन्नाथ टोहै जा समचाणे म्ह। गुरु की दया तै सुलक्षणा का रुक्का पाटया हरियाणे म्ह। गुरु की दया तै नाम कमाणे म्ह ना वार लाना चाहूँ सुं।। ©® डॉ सुलक्षणा अहलावत

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