सुणो तो सुना दयूं क्यूँ ये सरकारी स्कूल पिछड़ रे सं।
बालक पढ़ाने छोड़ कै मास्टर आपस म्ह झगड़ रे सं।।
कुछ लोह खोटा कुछ लुहार खोटा वाहे बात हो री स।
कुछ तै मास्टर पढ़ा कै राजी ना कुछ सरकार खो री स।
बालक ना पढ़ा दें मास्टर ज्याहें तै बहाने नए टोह री स।
मास्टरां प दोष धर कै सरकार आपणा खोट लको री स।
ये ए सी कमरां म्ह बैठ बैठ अफसर घणे अकड़ रे सं।।
मास्टरां नै बी बालक पढाण म्ह कीमे ज्ञान ना आता।
समझावण की करकै टाला मास्टर खूब रटे मरवाता।
कदे फरलो मारै कदे क्लास म्ह ठाली बैठ चला जाता।
कदे बालकां का आपणै ऐ धोरै ट्यूशन मास्टर लगवाता।
पास करवाण खातर ये नकल की राही पकड़ रे सं।।
माँ बाप बालकां नै संभालते कोण्या न्यू नाश जा लिया।
बालक आपणा धमकाया कोणी मास्टर धमका लिया।
पढ़ाई की पूछैं कोण्या वज़ीफ़ा खातर सर फुड़वा लिया।
स्कूलां की दशा सुधरवाण खातर ना कदम ठा लिया।
माँ बाप पढ़ाई कै ना पैसे अर खाने के पाछै पड़ रे सं।।
ना सरकार भड़क लेरी ना माँ बाप कदम ठाण लाग रे।
ना ऐ मास्टर जी ला कै बालकां नै आड़े पढ़ाण लाग रे।
होणी जाणी कीमे ना सब थोथे गाल बजाण लाग रे।
बुराई मिलेगी तन्नै गुरु रणबीर सिंह समझाण लाग रे।
साच बात लिखै स सुलक्षणा न्यू सारै रासे छड़ रे सं।।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत
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