Friday, 17 February 2023

किसान कहवै  खोल बतादे यो थारा के ठा राख्या रै।।*

 किसान कहवै  खोल बतादे यो थारा के ठा राख्या रै।।*

*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*

1

किसान मरया खेत में तो कैसे देश महान बचैगा

किसान बरबाद हुया तो जरूरी यो घमशान मचैगा

*दर दर का भिखारी क्यों यो अन्नदाता बणा राख्या रै।।*

*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*

2

काले धन के नाम पर म्हारा धौला काबू कर लिया

पुराने जमा कराकै तनै बैंकां का भोभा भर दिया

*म्हारी खेती चौपट होगी काढ़न पै रोक लगा राख्या रै।।*

*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*

3

ब्याह शादी की मुश्किल होरी दाल सब्जी का टोटा होग्या

थारा नोटबंदी का फैसला यो जी का फांसा मोटा होग्या

*देश भक्ति का नाम लेकै यो देश जमा भका राख्या रै।।*

*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*

4

इसे ढाल बात करै सै बण गरीबों का हिमाती रै

इब बेरा लाग्या हमनै घणा कसूता सै उत्पाती रै

*रणबीर सिंह इब क्यों बढ़ा कैशलेश का भा राख्या रै।।*

*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*

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तीन बिल ल्याकै नै किसान धरती कै मारया रै।।

कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया रै।।

1

बुलध तो पड़या बेचना ट्रैक्टर की मार पड़ी या 

मैं एकला कोण्या रै मेरे जिसां की लार खड़ी या

एमएसपी का जिकरा ना जी हुया घणा खारया रै।।

कारपोरेट सिर पै बिठाए कुछ ना चालै चारा रै।।

2

लागत खेती की बढ़गी यो म्हारा खर्चा खूब होवै

तीन बिल और पास करे जिनका चर्चा खूब हुया

म्हारी गेल्याँ कोये चर्चा ना देख्या ईसा नजारा रै।।

कारपोरेट सिर पै बिठाए कुछ ना चालै चारा रै।।

3

भैंस बाँध ली दूध बेचूं यो दिन रात एक करां

तीन हजार भैंस बीमारी के डॉक्टर कै गए घरां 

सिर पै कर्जा तीस हजार टूट्या पड़या यो ढारा रै।।

कारपोरेट सिर पै बिठाए कुछ ना चालै चारा रै।।

4

बालक म्हारे धक्के खावैं इण ताहिं रोजगार नहीं 

छोरी सै बिन ब्याही बिन दहेज़ कोए तैयार नहीं 

छोरे हांडैं गालां मैं घरक्यां का चढ़ज्या पारा रै।।

कारपोरेट सिर पै बिठाए कुछ ना चालै चारा रै।।

5

घरआली करै सिलाई दिन रात करै वा काले 

या खुभात फालतू बचत नहीं हुए कसूते चाले

किसान यूनियनां नै लाया इंकलाब का नारा रै।।

कारपोरेट सिर पै बिठाए कुछ ना चालै चारा रै।।

6

किसान मजदूर छोटे व्यापारी नजर धरी बुरी सै

तीन बिलां के खिलाफ सांझा संघर्ष सही धुरी सै

रणबीर बरोनिया दिल तैं यो गीत बनाया थारा रै।। 

कारपोरेट सिर पै बिठाए कुछ ना चालै चारा रै।।

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