गुमनामी चंदे के दम पै पूंजीपति शासक पार्टियां पै छागे।।
बनवा कानून अपने हक के जनता नै जमा लूट कै खागे।।
यो कानून इब लाजमी भ्रष्टाचार नै खूब बढावैगा भाइयो
पूंजीपति खेलैगा इब खुलकै म्हारै सांस चढ़ावैगा भाइयो
किसान मजदूर और जनता पै आज लगाम जोर की लागे।।
पाछले दो तीन सालां मैं योहे हमनै देवै सै दिखाई भाइयो
तेईस सौ करोड़ चंदे की भजपा नै करी सै उगाही भाइयो
पन्द्रा सौ करोड़ दो साल में ऐकले इलेक्ट्रोल बॉन्ड तैं पागे।।
जनतंत्र और गणतंत्र का जमाना इब चल्या गया भाइयो
आमजन तो कदम कदम पै कसूता छल्या गया भाइयो
जनता नै भी जुमले इनके बेरा ना क्यों ईतने आज भागे ।।
किसान संकट देश मैं नौजवान घूमै आज बेरोजगार यो
ला और आर्डर की समस्या मच्या सै आज हाहाकार यो
कहै रणबीर सिंह बरोने आला म्हारे सारे सपने ये ढागे।।
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