बबीता-चमेली को मेडिकल जाकर अपना मेडिकल करवाने के लिए तैयार करती है। वहां सविता उनकी पूरी मदद करती है। मेडिकल मुआएना हो जाता है और सूरत सिंह के खिलाफ पुलिस को केस दर्ज करना पड़ता है। गांव में चमेली का चरित्र हनन करने की पूरी कोशिशें की जाती हैं। चमेली की मां और बबीता उसका पूरा साथ देती हैं। एक दिन चमेली क्या सोचती है, क्या बताया कवि ने:-
या चोट मनै, गई घोट मनै, गई फिरते जी पै लाग, मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
1. चाला होग्या गाला होग्या, क्यूकर बात बताउं बेबे,
इज्जत गवाई, चिन्ता लाई, क्यूकर ज्यान बचाउं बेबे
सुरते बरगे फिरैं घनेरे, क्यूकर गात छिपाउं बेबे
देख अकेली करी बदफेली, क्यूकर हाल छुपाउं बेबे
ना पार बसाई, ना रोटी खाई, ना आच्छा लागै कोए राग
मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
2. जिस देश मैं नहीं होता हो सही सम्मान लुगाई का
उस देश का नाश लाजमी, जड़ै अपमान लुगाई का
सारी जिन्दगी राम भज्या सै, नहीं भुगतान दुहाई का
घणा अष्टा बणा दिया सै, यो इम्तहान लुगाई का
मैं तो मरली, दिल में जरली, लाउं नाश जले कै आग
मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
3. राम गाम सुणता हो तै, हाम कति ज्यान तै मरली
औरत घणी सताई जागी, या मेरे दिल में जरली
सबला लूटी अबला लूटी, दास बणाकै धरली
इबै तो और सहणा होगा, के इतणे मैं सरली
ना होठ सिउं ना जहर पिउं, तेरा करूं सामना निर्भाग
मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
4. डूबूं तिरूं मन होज्या सै, सोचूं कदे फांसी खावण की
फेर सोचूं हिम्मत करकै, सजा कराद्यूं सुरते रावण की
मां नै भी दिया बहुत सहारा, ऐसी मां ना पावण की
कसर ना छोड़ी बबीता नै मेरा साथ निभावण की
ना कदम हटावै ना केस ठावै न्यां रणबीर सिंह करै जाग
मेरै तो सिलगै बदन में आग।
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