Friday, 17 February 2023

मनुवाद और 4 रागनी

 कई साल पहले लिखी एक रचना**********

हरियाणा तरक्की करग्या रै

दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

1

जीरी गिन्हूं कपास अर इंख की खेती बढती जावै सै

देश के सुब्याँ मैं नंबर वन यो हरयाणा का आवै सै

सड़क पहोंचगी सारै गाम गाम बिजली लसकावै सै 

छैल गाभरू छोरा इसका लड़न फ़ौज के म्हें जावै सै

खेतां के म्हें नया खाद बीज ट्रेक्टर घराटा ठावै सै 

फरीदाबाद सोनेपत हिसार पिंजौर मील सिटी लावै सै 

सारे भारत मैं भाइयो इंका सूरज शिखर मैं चढ़ग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

2

ये बात तो भाई हर रोज बता बता दिल डाटे जाँ रै 

जो भी हुआ फायदा बेईमान आपस मैं बांटें जाँ रै 

भका भका जातां के चौधरी नाड़ म्हारी काँटें जाँ रै 

अपनी काली करतूतां नै जात के तल्ले ढान्पें जाँ रै 

बोलै जो उनके खिलाफ वे झूठे केसां मैं फांसे जाँ रै 

कुछ परवाने भाइयो फिर भी इनके करतब नापें जाँ रै 

बिन धरती अर दो किल्ले आला ज्यां तैं मरग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

3

खम्बे मीटर गाम गाम मैं बिजली के इब तार गए 

ओवर सीयर एस सी सब कर बंगले अपने त्यार गए 

चार पहर भी ना बिजली आवै बाट देख देख हार गए 

बिना जलाएं बिजली के बिल कर कसूती मार गए 

ट्यूबवेल कोन्या चालै ट्रानस्फोर्मार के जल तार गए 

पैसे आल्यां के ट्यूबवेल थ्रेशर चल धुआं धार गए 

गरीबां की गालाँ मै दूना कीचड देखो आज भरग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

4

गाम गाम मैं सड़क बनाई फायदा कौन उठावैं सें

बस आवै जावै कदे कदे लोग बाट मैं मुंह बावैं सें

पैसे आल्यां के छोरट ले मोटर साईकिल धूल उड़ावें सें

टरैक्टर ट्राली सवारी ढोवें मुंह मांगे किराये ठहरावै सें 

सड़क टूटरी जागां जागां साईकिल मैं पंकचर हो ज्यावें सें 

रोड़ी फ़ोडै पां गरीबां के जो मजबूरी मैं पैदल जावैं सें 

बस नै रोकें कोन्या रोकें तो भाडा गोज नै कसग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

5

बिन खेती आल्यां का गाम मैं मुश्किल रहना होग्या

मजदूरी उप्पर चुपचाप दबंगा का जुल्म सहना होग्या 

चार छः महीने खाली बैठ पेट की गेल्याँ फहना होग्या 

चीजां के रेट तो बढ़गे प़र पुराने प़र बहना होग्या 

फालतू मतना मांगो नफे दबंग का नयों कहना होग्या 

गाम छोड़ शहर पडे आना घर एक तरियां ढहना होग्या 

भरे नाज के कोठे फेर भी पेट कमर कै मिलग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

6

खेती करणिया मैं भी लोगो जात कारगर वार करै

एक जागां बिठावै गरीब अमीर नै ना कोए विचार करै

किसान चार ठोड बँट लिया कैसे नैया इब पार तिरै 

ट्रैक्टर आले बिना ट्रैक्टर आल्यां की या लार फिरै

इनकी हालत किसी होगी बिलखता यो परिवार फिरै 

बिना धरती आल्यां का आज नहीं कोए भी एतबार करै 

जात मैं जमात पैदा होगी बेईमान नै खतरा बधग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

7

घन्याँ की धरती लाल स्याही मैं बैंक के महां चढ्गी थी

दो लाख मैं बेचे किल्ला चेहरे की लाली सारी झडगी थी 

चूस चूस कै खून गरीब का अमीर के मुंह लाली बढगी थी 

कर्जे माफ़ होगे एकब़र तो फेर कीमत धरती की बधगी थी 

आगे कैसे काम चलैगा रै एक ब़रतो इसतैं सधगी थी 

आगली पीढ़ी के करैगी म्हारी तै क्यूकरै ए धिकगी थी

हँसना गाना भूल गए जिन्दा रहवन का सांसा पड़ग्या रै|| 

सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

8

शहरों का के जिकरा करूँ मानस आप्पा भूल रहया यो 

आप्पा धापी माच रही आज पैसे के संग झूल रहया यो 

याद बस आज रिश्वत खोरी जमा नशे मैं टूहल रहया यो 

इन्सान तै हैवान बनग्या मिलावट में हो मशगूल रहया यो 

चोरी जारी ठगी बदमाशी के सीख रणबीर उसूल रहया यो

इसी तरक्की कै लगे गोली पसीना बह फिजूल रहया यो 

फेरभी रुके मारे तरक्की के कलम लिखना बंद करग्या रै। 

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

प्रस्तुतकर्ता ranbir dahiya

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15 अगस्त के मौके पर जनता को आह्वान अपनी लड़ाई लड़ने का 


बिना लड़ाई सुणले भाई पार हमारी जाणी ना ।।

हमनै भाई मारै महंगाई काटया मांगै पाणी ना ।।

1

या महंगाई बेकरी तो घणी ए कसूती मार करै

लुटेरे की जात मुनाफा समझ बूझ तैं वार करै

राम नाम की माला लेकै बेड़ा अपना पार करै

राजनीति तैं हमनै लूटै दूर रहो यो प्रचार करै

महंगाई अडानी की जाई या नब्ज पिछाणी ना।।

बिना लड़ाई सुणले भाई पार हमारी जाणी ना ।।

2

आज महारी थारी तन्खा दो तीन गुणी घटज्या

हमनै खाटा शीत मिलै वो नूनी घी पूरा चटज्या

दबकै बाहणा कोण्या खाणा जिंदगी पूरी कटज्या

मंडी में फसल की कीमत क्यों म्हारी घटज्या

नए लुटेरे पैदा होगे ये पुराणे राजा राणी ना ।।

बिना लड़ाई सुणले भाई पार हमारी जाणी ना ।।

3

जाट बाह्मण का खटका फुट गेरज्यां सैं म्हारे मैं

पंजाबी लोकल का झटका हम सुणते गलियारे मैं

चलै इलाके का फटका म्हारे हरियाणे के बारे मैं 

यो प्रमोशन का लटका कहै कोण्या रलता थारे मैं

गुटबंदी कहते होसै गंदी रोकै कुनबा घाणी ना।।

बिना लड़ाई सुणले भाई पार हमारी जाणी ना ।।

4

चौधर कितै माल बिकाऊ घर कसूते घालै भाई

हिरण की डार भली हो रल मिलकै चालै भाई

माणस जूनी लेकै नै भी क्यों एकला हालै भाई

बैरी एकता तोड़ण ताहिं बीज फूट का डालै भाई

ये कमजोरी हमनै खोरी या समझण मैं हाणी ना।।

बिना लड़ाई सुणले भाई पार हमारी जाणी ना ।।

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पी वी सिंधु का मैडल पक्का 

मार दिया इसनै आज छक्का 

ओकिहारा को दिया धक्का 

थोड़ा सा दिल नै थाम लियो ।।

बैंडमिंटन मैं रियो मैं खेल दिखाया देखो 

फाइनल मैं पहोंच कै मान बढ़ाया देखो 

मीडिया न्यों अंदाज लगावै

मैडल पक्का जरूर बतावै

यो देश थारी तरफ लखावै

सिंधु लगा जोर तमाम दियो ।।

जापान की लड़की हरा अपने पैर जमाये 

स्पेनी लड़की गेल्याँ पेचे फाइनल मैं बताये 

राष्ट्रपति म्हारे नै दी सै बधाई 

प्रधानमन्त्री नै करी सै बड़ाई

परिवार नै खूब खुशी मनाई

काल थकन का मत नाम लियो ।।

रात नै सोईये सिंधु थकान बी तार लिए 

काल कौनसे गुर लाने कर विचार लिए 

पूरे दम खम तैं खेलिए सिंधु

वार स्पेन की के झेलिये सिंधु

नम्बर तो फालतू लेलिए सिंधु 

जितना हार का ना नाम लियो ।।

गोल्ड मैडल पै तूँ ध्यान राखिये पूरा हे 

एक गोल्ड देश ले ख्याल राखिये पूरा हे 

म्हारे देश की छोरी छारी सैं 

रणबीर खूब जोर लगारी सैं

बेशक पेट मैं चलैं कटारी सैं

बुलंद कर देश का नाम दियो ।।

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फौजी मेहर सिंह कई साल तक छुट्टी नहीं आ पाया || प्रेम कौर को याद आती है उसकी || क्या सोचती है उस मौके पर भला----- 

तर्ज---------सखी री आज रूत साम्मण की आई----


रिमझिम रिमझिम बादल बरसै, खडी प्रेमकौर पिया बिन तरसै

जल बिन मीन तिसाई ||

ज्यूं चकवी चकवे बिन तरसै, न्यों सूना तेरे बिन मेरा घरसै

ना जाती ये बात लिखाई ||

जिस दिन तै फौज मैं तूं गया , उस दिन तै मेरै चैन नहीं हुया 

तेजी बहौतै ए याद आई ||

तनै चिठी लिखदी धीरज धारो, कहना सै आसान दिल मत हारो

होती नहीं और समाई ||

मुशिकल तै दिन बीत रहे सैं, हम दिन रात गा तेरे गीत र्हे सैं

तेरी बात ना जाती भुलाई ||

रण्रबीर वोह माणस कहलाता, मानवता से जो दूरी नहीं बनाता

करी साच्ची कविताई ||

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मनुवाद 

अनादि ब्रह्म नै धरती पै यो संसार रचाया कहते।।

मुंह बांह जांघ चरणों तैं सै सबको बसाया कहते।।

1

मुंह तैं बाह्मण पैदा करे चर्चा सारे हिंदुस्तान मैं

बाँहों से क्षत्रीय जन्मे जो डटते आये जंगे मैदान मैं

जांघ से वैश्य पैदा करे लिख्या म्हारे ग्रन्थ महान मैं 

चरणों से शुद्र जन्म दिये आता वर्णों के गुणगान मैं 

चार वर्णों का किस्सा यो जातों का जाल फैलाया कहते।।

मुंह बांह जांघ चरणों तैं सै सबको बसाया कहते।।

2

भगवान नै शुद्र के ज़िम्मे यो एक काम लगाया 

बाक़ी तीनों वर्णों की सेवा शुद्र का फर्ज बताया

शुद्र जै इणनैं गाली देदे जीभ काटो विधान सुनाया

नीच जात का बता करकै उसतैं सही स्थान दिखाया

मनुस्मृति ग्रन्थ मैं पूरा हिसाब गया लिखाया कहते।।

मुंह बांह जांघ चरणों तैं सै सबको बसाया कहते।।

3

शुद्र जै किसे कारण तै इणनैं नाम तैं बुला लेवै

दस ऊँगली लोहे की मुंह मैं कील ठुका देवै

भूल कै उपदेश देदे तै उसके कान मैं तेल डला देवै 

लाठी ठाकै हमला करै तो शुद्र के वो हाथ कटा देवै 

मनु स्मृति नै शुद्र खातर नर्क कसूत रचाया कहते।।

मुंह बांह जांघ चरणों तैं सै सबको बसाया कहते।।

4

बाबा अम्बेडकर जी नै मनुस्मृति देश मैं जलाई थी

उंच नीच की या कुप्रथा मानवता विरोधी बताई थी

कमजोर तबके कट्ठे होल्यो देश मैं अलख जगाई थी

आरएसएस मनुवाद चाहवै असली शक्ल दिखाई थी

रणबीर महात्मा बुद्ध भी इसपै सवाल ठाया कहते।।

मुंह बांह जांघ चरणों तैं सै सबको बसाया कहते।।

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