853
नए का पुराना आधार होता है
नए और पुराने का हमेशा संघर्ष हुया बताया है।
पुराने की नीवं पर नया महल बनता आया है।
1
पुराने को खत्म करके बताओ नया कैसे बनेगा
पुराने की कमी छाँट के इसकी अच्छाई पे खिनेगा
रीत बहुत पुराणी है कई बार पुराना घबराया है।
पुराने की नीवं पर नया महल बनता आया है।
2
जरूरी नहीं नया भी बढ़िया हो ये सारे का सारा
इंसानों में खाई करे पैदा वो नया नहीं है हमारा
जो सबका भला करे वही नया सही ठहराया है।
पुराने की नीवं पर नया महल बनता आया है।
3
तर्क और विवेक ये परखने के औजार बताये
नियम कुदरत के जाने बिना दुःख नए ने ठाये
कुदरत के साथ तालमेल से कर कमाल दिखाया है।
पुराने की नीवं पर नया महल बनता आया है।
4
मेरे बीरा क्यों लड़ते हो इस नए और पुराने पर
सोच समझ बढ़ो आगे रणबीर सिंह के गाने पर
संघर्ष से बनता नया दीखती पुराने की भी छाया है।
पुराने की नीवं पर नया महल बनता आया है।
: 854
हरयाणा के समाज मैं
गरीबां की मर आगी हरयाणा के समाज मैं ||
रैहवन नै मकान कडै , खावन नै नाज नहीं
पीवन नै पानी कडै , बीमार नै इलाज नहीं
महंगाई जमा खागी हरयाणा के समाज मैं ||
कपास पीटी धान पीट दिया गेहूं की बारी सै
गीहूं की गोली खा खा मार्गे हुई घनी लाचारी सै
किसान की धरती जागी हरयाणा के समाज मैं ||
बदेशी कंपनी कब्ज़ा करगी ये हिंदुस्तान मैं
लाल कालीन बिछाए किसने इनकी श्यान मैं
इतनी घनी क्यों भागी हरयाणा के समाज नै ||
महिलाओं पै अत्याचार बढे आंख म्हारी मींच्गी
दलितों के ऊपर क्यों तलवार म्हारी खिंचगी
रणबीर की छंद छागी हरयाणा के समाज मैं ||
855
55 साल की आजादी का एक आकलन ।
2003 की रचना
खतरे मैं आजादी म्हारी जिंदगी बणा मखौल दी।
इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।
1
आजादी पावण की खातर असली उठया तूफ़ान था
लाठी गोली बरस रही थी जेलां मैं नहीं उस्सान था
एक तरफ बापू गांधी दूजी तरफ मजदूर किसान था
कल्पना दत्त भगत सिंह नै किया खुल्ला ऐलान था
इंक़लाब जिंदाबाद की उणनै घणी ऊंची बोल दी ।
इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।
2
सत्तावन की असल बगावत ग़दर का इसे नाम दिया
करया दमन फिरंगी नै उदमी राम रूख पै टांग दिया
सैंतीस दिन रहया जूझता कोये ना मिलने जाण दिया
हंस हंस देग्या कुर्बानी हरियाणे का रख सम्मान दिया
हिन्दू मुस्लिम एकता नै गौरी फ़ौज कति खंगोल दी।
इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।
3
भारतवासी अपने दिलां मैं नए नए सपने लेरे थे
नहीं भूख बीमारी रहने की नेता हमें लारे देरे थे
इस उम्मीद पै हजारों भाई गए जेलों के घेरे थे
दवाई पढ़ाई का हक मिलै ये नेक इरादे भतेरे थे
गौरे गए अर आगे काले गरीबां की छाती छोल दी।
इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।
4
फुट गेरो राज करो की रणबीर नीति चाल रहे रै
कितै जात कितै धर्म नै ये बना अपनी ढाल रहे रै
आपस मैं लोग लड़ाए लूट की कर रूखाल रहे रै
वैज्ञानिक नजर जिसकी जी नै कर बबाल रहे रै
इक्कीसवीं की बात करैं राही छटी की खोल दी।
इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।
2003-2004
: 856
देख लिया जमाना
घूम जमाना देख लिया, म्हारी कितै सुनाई कोन्या।
रोल कड़ै सै जमाने मैं, म्हारी समझ मैं आई कोन्या।।
1
महंगा लेकै सस्ता देना, कमा-कमा कै मर लिये रै
लूट म्हारी कमाई किसनै, ये घर अपने भर लिये रै
कर्जे सिर पर लिये रै, बचण नै जागां पाई कोन्या।।
रोल कड़ै सै जमाने मैं, म्हारी समझ मैं आई कोन्या।।
2
दिन-दिन महंगी होती जावै, बालकां की पढ़ाई या
पढ़े पाछै रोजगार नहीं सलॅफास की गोली खाई या
कित जावै कमाई या खोल कै बात बताई कोन्या।।
रोल कड़ै सै जमाने मैं, म्हारी समझ मैं आई कोन्या।।
3
अपोलो जिसे अस्पताल नये-नये खोले जावैं रै
घणा म्हंगा इलाज उड़ै हम बाहर खड़े लखावैं रै
सरकारी के ताला लावैं रै, देता जमा दिखाई कोन्या।।
रोल कड़ै सै जमाने मैं, म्हारी समझ मैं आई कोन्या।।
4
अमीरां की खातर ये बदेशी कम्पनी तैयार खड़ी
गरीबां की मर आगी बाजारी नागन आज लड़ी
रणबीर सिंह नै छन्द घड़ी करी जमा अंधाई कोन्या।।
रोल कड़ै सै जमाने मैं, म्हारी समझ मैं आई कोन्या।।
857
कै दिन राज चलैगा रै।
वोट लिए बहकाकै
वोट लिए हम बहकाकै ईब बिजली के रेट बढ़ाकै
म्हारे तांहिं आँख दिखाकै कै दिन राज चलैगा रै।
बिजली कितने घण्टे आवै किसान इसपै विचार करै
कम बिजली की तूँ क्यूँ म्हारे सिर पै तलवार धरै
बिलां के उप्पर धमकाकै बिल धिंगतानै भरवाकै
राज पाट की दिखाकै कै दिन राज चलैगा रै।
बिजली की चोरी थारे चमचे रोज हमनै करते देखे
करखनेदारां के एस डी ओ पाणी हमनै भरते देखे
जितनी बिजली होवै पैदा इसतैं किसनै कितना फैदा
बिना कोये कानून कैदा कै दिन राज चलैगा रै।
मुफ़्त बिजली पाणी देऊं एक बै न्यों कैह बहकाये
भरपूर बिजली लगातार मिलै वोट थे तणै गिरवाये
कर्मचारी साथ मिलाकै बैठ गया कुर्सी पै जाकै
रोज ये झूठी सूँह खाकै एकै दिन राज चलैगा रै।
निजीकरण ना होवण दयूं इनकी घोषणा तणै करी
लारे लप्पे घणे दिए थे जनता नै पीपी तेरी भरी थी
विश्व बैंक तनै धमकावै तूँ म्हारे पै छोह मैं आज्यावै
रणबीर सिंह छंद बणावै कै दिन राज चलैगा रै।
858
मल्टीनेशनल अमरीका की कई साल तैं डूबती आवैं सैं।।
लूट मचावैं भारत मैं ज्यां दरवाजे खुलवाने चाहवैं सैं।।
अपना टोटा म्हारे देश मैं आकै पूरा करने का विचार सै
पूँजी उनकी मेहनत म्हारी मुनाफा चाहवै बेसुमार सै
लूट के दरवाजे खोलै मोदी ज्यां ओबामा नै खण्दावैं सैं।।
म्हारे देश की पूँजी भी आज उनका मुंह सै ताक रही रै
लूट के बारा आन्ने उनके चार आन्ने की चाह फांक रही रै
अम्बानी अडानी ज्यां करकै मोदी के गीत खूब गावैं सैं।।
जनता खातर नारे घड़दें मीडिया इनका साथ निभावै
जात धर्म पै जनता बांटी मन्दिर मस्जिद पै लड़ावै
मीडिया मिलकै समाँ बांधरया जनता का मोर नचावैं सैं।।
अमीर गरीब की खाई या और घनी चौड़ी होवैगी सुणियो
फासिज्म की जमीनी तैयारी जनता फेर तैँ रोवैगी सुणियो
कहै रणबीर बरोने आला आच्छे दिन कहकै भकावैं सैं।।
26.12015
गणतंत्र दिवस की मुबारक सबको
859
रूढि़वाद
रूढि़चाद यो म्हारे देस मैं क्यों चारों कान्ही छाया।
फरज माणस का सच कहने का ना जाता आज निभाया।।
पुराने मैं सड़ांध उठली पर नया कुछ बी कड़ै आड़ै
नया जो चाहवै सै ल्याणा पार ना उसकी पड़ै आड़ै
घनखरा ए माल सड़ै आड़ै कहैं राम की सब माया।।
वैज्ञानिक सोच का पनपी लाया कदे विचार नहीं
पुराणा सारा सही नहीं हुया इसका प्रचार नहीं
नये का वैज्ञानिक आधा र नहीं अन्धकार चौगरदें छाया।।
नये मैं बी असली नकली का रास्सा कसूत छिड़ग्या
वैज्ञानिक दृषिट बिना यो म्हारा दिमाग जमा फिरग्या
साच झूठ बीच मैं घिरग्या हंस बी खड़या चकराया।।
पिछड़े विचारां का प्रचार जनता नै आज भकाया चाहवैं
बालकां का दूध खोस कै गणेश नै दूध पिलाया चाहवैं
दाग जनता कै लाया चाहवैं रणबीर सिंह बी घबराया।।
860
आछे दिन लेकै आया मनै घणे काम कराये रै
आधार कार्ड के साहरै सबकै साँस चढ़ाये रै
1
इंके बणावण मैं घपला पाया घणा भारया रै
खाते गेल्याँ लिंक करो यो आधार कार्ड थारा रै
मोबाइल भी लिंक करो छोड्या ना कोये चारा रै
एलपीजी की पूँछ नै इसकै बांध्या चाहरया रै
पार्क में छोरी छोरे ना मिलैं ये फरमान सुनाये रै।।
आधार कार्ड के साहरै सबकै सांस चढ़ाये
2
जुलाई से पहले भरो रिटर्न यो हुक्म सुण्या रै
नोट बदलो जी एस टी यो सारा भारत तन्या रै
गरीब मानस नै बैंक आगै गर्मी मैं सिर धुन्या रै
गैस सिलेंडर खातर यो न्यारा राह चुण्या रै
रेल यात्रा कर महंगी ये अमीरां के घर भरवाये रै।।
आधार कार्ड के साहरै सबकै सांस चढ़ाये रै
3
ए टी एम खेल बनाया काढ़ण पै पाबंदी लाई
म्हारा पिसा फेर इसपै कितनी उल्टी स्कीम चलाई
बेरोजगारी दिन दोगुनी या पूरे भारत मैं बढ़वाई
नौजवानों ताहिं या कावड़ खूब गई पकड़ाई
लव जिहाद की मुहिम सारे कै लोग भड़काये रै।।
आधार कार्ड के साहरै सबकै सांस चढ़ाये रै
4
मेल्यां मैं ना बेचोगे डांगर यो फरमान सुनाया
पशुधन म्हारा फेर क्यों यो ईसा कानून बनाया
हवा मैं फैंकें जुमले यो सारा हिंदुस्तान बहकाया
देश दोबारा तोडण का हिंदूवाद नै ठेका ठाया
रणबीर कहै सुणल्यो ला हाँगा विचार बताये रै।।
आधार कार्ड के साहरै सबकै सांस चढ़ाये रै।।
861
वार्ता: सरतो को ज्ञान विज्ञान वालों का निमन्त्राण मिलता है रोहतक
आने का, अमरीका के खिलाफ युद्ध के विरोध में जुलूस में शामिल होने का।
सरतो अपनी सहेली सरोज के साथ मानसरोवर पार्क में पहुंच जाती है। वहां
ज्ञान विज्ञान की नेता शुभा बताती है कि हम समझते हैं कि ज्ञान और विज्ञान
का प्रयोग दुनिया को बेहतर बनाने के लिए, जरूरतों को पूरा करने में होना
चाहिये न कि उनके भविष्य को छीनने के लिए। हैरानी की बात यह है कि
युद्ध,आतंक, हिंसा और नशे का पूरी दुनिया में जाल बिछाने वाला अमरीका
दूसरे देशों को दण्डित कर रहा है, उन पर आर्थिक प्रतिबन्ध लगा रहा है,
तलाशियां ले रहा है और फतवे जारी कर रहा है।
एक सर्वेक्षण के अनुसार 65 प्रतिशत अमेरिका जनता सुरक्षा परिषद की
अनुमति के बिना हमले का विरोध करती है। बुश प्रशासन इराक पर व्यापक
विनाश के हथियारों को रखने और इन हथियारों के उत्पादन की सहूलियतों
को छिपाने का आरोप लगा रहा है। दूसरा झूठ है कि बिना किसी थोड़े से
सबूत के इराकी सरकार को अलकायदा से जोड़ने की कोशिश में है ताकि
उसे हमला करने का बहाना मिल सके। तीसरा झूठ यह है कि बुश ने घोषणा
की है कि इराक को उसके राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन की निरंकुशता से मुक्त
कराने के लिए युद्ध की जरूरत है। इस सरकार को बदल कर इराक में
जनतन्त्रा लागू करने का वायदा किया गया है।
इराक पर हमले के बहाने खोज रहा है अमरीका। मगर दुनिया की
जनता ने सड़कों पर आकर बता दिया कि हमें युद्ध नहीं चाहिये। सरतो
वापिस आ जाती है। रात को उसे सपना आता है। सुबह वह अपनी जिठानी
से सुपने का जिकर करती है। क्या बताती है भला:
के बताउं जिठानी तनै तेरा देवर सपने म्हां आया री।।
देख कै हालत उसकी आई नहीं पहचान के म्हां काया री।।
बिखरे बिखरे बाल थे उसके मूंछ और दाढ़ी बढ़ी हुई
ना न्हाया ना खाया दीखै चेहरे की हड्डी कढ़ी हुई
नींद एक गाड्डी चढ़ी हुई घणी चिन्ता के म्हां पाया री।।
बैठी होले न्यों बोल्या जंग के पूरे आसार होगे
सारी दुनिया युद्ध ना चाहवै अमरीकी मक्कार होगे
माणस लाखां हजार होंगे मिलकै सबने नारा लाया री।।
चीं करकै जहाज हवाई आसमान मैं आन्ता दिख्या
बटन दाब कै बम्ब गेरया पति मनै कराहन्ता दिख्या
दरद मैं चिल्लान्ता दिख्या उनै हाथ हवा मैं ठाया री।।
इतना देख कै मनै अपनी छाती पै हाथ फिरा देख्या
आंख उघड़गी मेरी घबराकै घोर अन्ध्ेरा निरा देख्या
रणबीर सिंह नै घिरा देख्या तुरत मदद कै म्हां आया री।।
: 862
वार्ता: एक दिन बिलासपुर गांव में ज्ञान विज्ञान समिति के चर्चा मण्डल
की बैठक होती है। उसमें चर्चा अमरीका की दादागीरी पर होती है। वहां
बताते हैं कि अमरीका बनाम शेष विश्व का मामला है यह! अमरीका किसी भी
कीमत पर इराक में सरकार परिवर्तन चाहता है। सन् 1991 से अन्तहीन युद्ध
इराक के खिलाफ चलाया जा रहा है। उस युद्ध में अमरीका के लड़ाकू
विमानों और मिसाइलों ने 1,10,000 हवाई उड़ानें भरी थी और 88,500 टन
बम गिराये थे। उस युद्ध में 1,50,000 इराकी मारे गये थे। घर, अस्पताल,
स्कूल कुछ भी नहीं बख्शा था। मामला अमरीका और इराक का नहीं है।
मसला ये है कि पूरी दुनिया में अमन बराबरी और मानवता वादी मूल्यों को
स्थापित करना है या अमरीका का गलबा कायम होना है। वापिस आते हुए
सरतो अपने मन-मन में नफेसिंह को याद करती है और क्या सोचती है भला
ः
अमरीका मनै बतादे नै क्यों हुया इसा अन्याई तूं।।
इराक देश नै मिटाकै नै किसकी चाहवै भलाई तूं।।
खुद हथियार जखीरे लेरया ओरां पै रोक लगावै
दस साल तै पाबन्दी लाकै इराक नै भूखा मारना चाहवै
मतना इतने जुलम कमावै बणकै बकर कसाई तूं।।
जमीनी लड़ाई बिना तेरै इराक हाथ नहीं आणे का
इराक खतम करे बिना ना जमीनी कब्जा थ्याणे का
गाणा सही गाणे का क्यों दुश्मन बण्या जमाई तूं।।
खून मुंह कै लाग्या तेरै फिर अफगानिस्तान के मां
मानवता कती पढ़ण बिठादी तनै सारे जहान के मां
बची सै इन्सान के मां या खत्म करै अच्छाई तूं।।
सब देशां मैं नारे उठे जंग हमनै चाहिये ना
तेल की खातर ओ पापी लहू मानवता का बहाइये ना
आगै फौज बढ़ाइये ना बस करणी छोड़ बुराई तूं।।
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