Tuesday, 7 February 2023

Mehar singh 2

 11***

मोलड़ बता बता कै तेरा आत्मविष्वास खो राख्या सै।।
अन्नदाता कैह कैह कै घणा कसूता भको राख्या सै।।
उबड़ खाबड़ खेत संवारे खूब पसीना बहाया रै
माटी गेल्यां माटी होकै नै भारत मैं नाम कमाया रै
तेरी मेहनत की कीमत ना कर्ज मैं डबो राख्या सै।।
किसान तेरी जिन्दगी का कई लोग मखौल उडाते
ये तेरी मेहनत लूट रहे तनै ए पाजी बी बताते
तेरी जमात किसानी सै जात्यां का जहर बो राख्या सै।।
जिस दिन किसानी देष की कठी होकै नारा लावैगी
उस दिन तसवीर कमेरे या जमा बदल जावैगी
तेरी कमाई का यो हिसाब अमीरां नै ल्हको राख्या सै।।
मजदूर तेरा साथ देवै तूं कड़वा लखावै मतना
दूसरां की भकाई मैं इसतैं दूरी बढ़ावै मतना
कहै रणबीर क्यं जात पै झूठा झगड़ा झो राख्या सै।।
12****
गुलाम देष मैं जन्म लिया देई देष की खातर कुरबानी
दिमाग मैं घूमें जावै मेरै थारी खास टोपी की निषानी
बदेष गये पढ़ने खातर आई सी एस पास करी
उड़ै देख नजारे आजादी के आकै डिग्री पाड़ धरी
भारत की आजादी खातर लादी थामनै पूरी जिन्दगानी।।
काांग्रेस मैं रहकै नै चाही लड़नी तनै लड़ाई दखे
तेरे विचार का्रन्ति कारी थे उडै़ ना पार बसाई दखे
बोल्या थाम खून दयो मैं दयूं तमनै आजादी हिन्दुस्तानी।।
सिंघापुर मैं जाकै थामनै आजाद हिन्द फौल बनाई
हिटलर तैं पड़े हाथ मिलाने चाहे था घणा अन्याई
लक्ष्मी सहगल साथ थारै सैं गेल्यां महिला बेउनमानी।।
हवाई जहाज मैं चल्या था कहैं उड़ै हादसा होग्या दखे
यकीन नहीं आया आज ताहिं षक के बीज बोग्या दखे
के लिख सकै तेरे बारे मैं यो रणबीर सिंह अज्ञानी।।
13****
एक बख्त इसा आवैगा ईब किसान तेरे पै।
राहू केतू बणकै चढ़ज्यां ये धनवान तेरे पै।।
म्हारी कमाई लूटण खातर झट धेखा देज्यां रै
भाग भरोसे बैठे रहां हम दुख मोटा खेज्यां रै
धरती घर कब्जा लेज्यां रै बेइमान तेरे पै।।
सारी कमाई दे कै भी ना सूद पटै तेरा यो
ठेठ गरीबी मैं सुणले ना बख्त कटै तेरा यो
करैगा राज लुटेरा यो फेर शैतान तेरे पै।।
ध्रती गहणै धर लेंगे तेरी सारी ब्याज ब्याज मैं
शेर तै गादड़ बण ज्यागा तू इसे भाजो भाज मैं
कौण देवै फेर इसे राज मैं पूरा ध्यान तेरे पै।।
इन्सानां तै बाधू ओड़े डांगर की कीमत होगी
सरकार फिरंगी म्हारे देश मैं बीज बिघन के बोगी
अन्नदाता नै खागी ना बच्या ईमान तेरे पै।।
सही नीति और रस्ता हमनै ईब पकड़ना होगा
मेहनत करने आले जितने मिलकै लड़ना होगा
हक पै अड़ना होगा यो भार श्रीमान तेरे पै।।
मेहनतकश नै बी हक मिलै इसी आजादी चाहिये
आबाद होज्या गाम बरोना ना कति बर्बादी चाहिये
रणबीर सा फरियादी चाहिये जो हो कुर्बान तेरे पै।।
14*****

लाल चूंदड़ी दामण काला, झूला झूलण चाल पड़ी।
कूद मारकै चढ़ी पींग पै देखै सहेली साथ खड़ी।।
झोटा लेकै पींग बधई, हवा मैं चुंदड़ी लाल लहराई
उपर जाकै तले नै आई, उठैं दामण की झाल बड़ी।।
पींग दूगणी बढ़ती आवै, घूंघट हवा मैं उड़ता जावै
झोटे की हिंग बधावै, बाजैं पायां की छैल कड़ी।।
मुश्किल तै आई तीज, फुहारां मैं गई चुंदड़ी भीज
नई उमंग के बोगी बीज, सुख की देखी आज घड़ी।।
रणबीर पिया की आई याद, झूलण मैं आया नहीं स्वाद
नहीं किसे नै सुनी फरियाद, आंसूआं की या लगी झड़ी।।
15****
तेरी छाती का पिया हुआ मनै दूध लजाया री।।
लोरी दे दे कही बात तनै केहरी शेर बणाया री।।

साधु भेष मैं लाखों रावण देश मैं कूद रहे सैं
पंडित मुल्ला सन्त महन्त पी सुलफा सूझ रहे सैं
पत्थर नै क्यों पूज रहे सैं ना कदे समझाया री।।

क्यूकर समाज बढ़ै आगै या बाड़ खेत नै खावै सै
मुट्ठी भर तो ऐश करैं क्यों किसान खड़या लखावै से।
खोल कै जो बात बतावै सै ना ऐसा पाठ पढ़ाया री।।

आच्छे और भूण्डे की लड़ाई धुर तै चाली आवै सै
बुराई नै दे मार अच्छाई वार ना खाली जावै सै
धनवान ठाली खावै सै यो कोण्या राज बताया री।।

यार दोस्त बैठ फुलसे पै हम न्यों बतलाया करते
गाम राम मैं के होरया सै जिकर चलाया करते
ल्हुक छिप कै बणाया करते रणबीर गीत जो गाया री।।
16*****
सन पैंतीस मैं गया फौज मैं कोण्या आया मुड़कै।।
आज बी मेरै धेखा सा लागै जणों लिकड़या हो जड़कै।।

जाइयो नाश गरीबी तेरा हाली फौजी बणा दिया
फौज मैं भरती होकै उसनै नाम अपणा जणा दिया
पैगाम सबतैं सुणा दिया था गया बाबू तै लड़कै।।

मन का भोला तन का उजला सारा ए गाम कहै
बख्त उठकै सब भाइयां नै अपणी रामै राम कहै
करता नहीं आराम कहै कदै सांझ सबेरी तड़कै।।

पक्का इरादा जिद्द का पूरा बहोत घणा तूं पाया
छोड़ डिगरग्या घर अपणा नहीं पिफरवैफ उल्टा आया
सिंघापुर मैं जावैफ गाया छन्द निराला घड़वैफ।।

एक दो बै छुट्टी आया वो आगै नाता तोड़ गया
देश प्रेम के गाणे गाकै लोगां का मन जोड़ गया
रणबीर सिंह दे मोड़ गया उड़ै मोर्चे उपर अड़कै।।
17****
सिंघापुर मैं फंस्या मेहरसिंह याद जाटणी आई।।
मन मैं घूमै गाम बरोना रात काटणी चाही।।

जर्मन और जापान फौज का बढ़ता आवै घेरा था
भारत के फौजी भाई अंग्रेज फौज का डेरा था
सिंघापुर काट्या दुनिया तै पुल काट कै गेरया था
अंग्रेजी सेना भाज लई थी पीला पड़ग्या चेहरा था
सुणा रागनी फौजी नै या फौज डाटणी चाही।।

साथ रहणिये संग के साथी उसनै यो पैगाम दिया
सिंघापुर मैं फौजी जितने सबका दिल फेर थाम दिया
म्हारे साथ क्यों ऐसी बनरी अन्दाजा लगा तमाम दिया
प्रेम कौर की याद सतावै ना फेर बी जिगर मुलाम किया
चिन्ता आई जो दिल मैं तत्काल बांटणी चाही।।

पड़े पड़े कै याद आया प्रेम कौर का वो फाग भाई
मक्की की रोटी गेल्यां बणाया सिरसम का उनै साग भाई
साहमी बैठ परोसी थाली बोल्या मुंडेरे पै काग भाई
कुछ दिन पाछै भरती होग्या खींच लेग्या यो भाग भाई
फिरया फिरंगी वायदा करकै झूठ चाटणी चाही।।

तीजां का त्यौहार सतावै ओ जामण उपर झूल्या
गाम को गोरा दिख्या उसनै नहीं खेतां नै भूल्या
प्रेम कौर की चिट्ठी आई ना गात समाया फूल्या
रणबीर सिंह नै मेहर सिंह का हाल लिख्या सै खुल्या
बणा रागनी फौजी की सब बात छांटणी चाही।।
18****
तनै घणी सताई क्यों बाट दिखाई जमा निस्तरग्या निरभाग
बोल्या बैठ मुंडेरे काग।।

के बेरा तनै पिया जी मैं दिन काटूं मर पड़कै हो
परेशानी दिन रात रहै मैं रोउं भीतर बड़कै हो
तेरी फौज की नौकरी दखे कुणक की ढालां रड़कै हो
राम जी नै किसा खेल रचाया सोचूं खाट मैं पड़कै हो
कद छुट्टी आवै, मेरी आस बंधावै जो चाहवै मेरा हो सुहाग।।
भूखी प्यासी रहकै घर मैं उमर गुजारुं फौजी मैं
सपने के म्हां कई बै देकै बोल पुकारुं फौजी मैं
निर्धनता बीमारी का क्या जतन बिचारुं फौजी मैं
तीर मिलै तो तुक कोन्या कित टक्कर मारुं फौजी मैं
रोज खेत कमाउं, बहोतै थक ज्याउं, रात की नींद मेरी जा भाग।।
ज्यान बिघन मैं घलगी वुफएं जोहड़ मैं मनै मरना हो
तेरी प्यारी प्रेम कौर नै ज्यान का गाला करना हो
तेरी पलटन के कारण मैंने दुख बहोत घणा भरना हो
आजादी मेरी शैतान होगी नहीं किसे का सरना हो
यो अफसर तेरा, हुया बैरी मेरा, ईंकै लड़ियो जहरी काला नाग।।
हार चाहे हो जीत म्हारी मैं कोन्या त्यार मरण खातिर
सहम भरमते पषु फिरैं तेरा सुन्ना खेत चरण खातिर
कदे तो थोड़ा बख्त काढ़ लिये मनै याद करण खातिर
एक बर तो छुट्टी आज्या तूु मेरा पेटा भरण खातिर
लिखै रणबीर, ईब तेरी तहरीर, करै दुनिया के म्हां जाग।।
19****
माणस की ज्यान बचावैं अपणी ज्यान की बाजी लाकै।।
फेर बी सम्मान ना मिलता लिखदे अपणी कलम चलाकै।।

मरते माणस की सेवा मैं हम दिन और रात एक करैं
भुला दुख और दरद हंसती हंसती काम अनेक करैं
लोग क्यों चरित्रहीन का तगमा म्हारे सिर पै टेक धरैं
जिसी सम्भाल हम करती घर के नहीं देख रेख करें
घर आली नै छोड़ भाजज्यां देखै बाट वा ऐड्डी ठाकै।।

फ्रलोरैंस नाइटिंगेल नै नर्सों की इज्जत असमान चढ़ाई
लालटेन लेकै करी सेवा महायुद्ध मैं थी छिड़ी लड़ाई
कौण के कहवैगा उस ताहिं वा बिल्कुल भी नहीं घबराई
फेर दुनिया मैं नर्सों नै या मानवता की थी अलख जगाई
बाट देखते नाइटिंगेल की फौजी सारे ही मुंह बाकै।।

करैं पूरा ख्याल बीमारां का फेर घर का सारा काम होज्या
डाक्टर बिना बात डाट मारदे जल भुन काला चाम होज्या
कहवैं नर्स काम नहीं करती चाहवै उसकी गुलाम होज्या
मरीज बी खोटी नजर गेर दें खतम खुशी तमाम होज्या
दुख अपणा फेर बतादे रोवां हम किस धौरै जाकै।।

काम घणा तनखा थोड़ी म्हारा थारा शोषण होवै क्यों
सारे मिल देश आजाद करावां फेर जनता रोवै क्यों
बिना संगठन नहीं गुजारा जनता नींद मैं सोवै क्यों
बूझ अंग्रेज फिरंगी तै यो बीज बिघन के बोवै क्यों
रणबीर सिंह देवै साथ म्हारा ये न्यारे छन्द बणाकै।।
20****
मनै पाट्या कोण्या तोल, क्यों करदी तनै बोल
नहीं गेरी चिट्ठी खोल, क्यों सै छुट्टी मैं रोल
मेरा फागण करै मखोल, बाट तेरी सांझ तड़कै।।
या आई फसल पकाई पै, या जावै दुनिया लाई पै
लागै दिल मेरे पै चोट, मैं ल्यूं क्यूकर इसनै ओट
सोचूं खाट के मैं लोट, तूं कित सोग्या पड़कै।।
खेतां मैं मेहनत करकै, रंज फिकर यो न्यारा धरकै
लुगाइयां नै रोनक लाई, कट्ठी हो बुलावण आई
मेरा कोण्या पार बसाई, तनै कसक कसूती लाई
पहली दुलहण्डी याद आई, मेरा दिल कसूता धड़कै।।
इसी किसी तेरी नौकरी, कुणसी अड़चन तनै रोकरी
अमीरां के त्योहार घणे सैं, म्हारे तो एकाध बणे सैं
खेलैं रलकै सभी जणे सैं, बाल्टी लेकै मरद ठणे सैं
मेरे रोंगटे खड़े तनै सैं, आज्या अफसर तै लड़कै।।
मारैं कोलड़े आंख मीचकै, खेलैं फागण जाड़ भींचकै
उड़ै आग्या था सारा गाम, पड़ै था थोड़ा घणा घाम
पाणी के भरे खूब ड्राम, दो तीन थे जमा बेलगाम
मनै लिया कोलड़ा थाम, मारया आया जो जड़कै।।
पहल्यां आली ना धाक रही, ना बीरां की खुराक रही
तनै मैं नई बात बताउं, डरती सी यो जिकर चलाउं
रणबीर पै बी लिखवाउं, होवे पिटाई हररोज दिखाउं
कुण कुण सै सारी गिणवाउं, नहीं खड़ी होती अड़कै।।
21***
मेहरसिंह नै ललकार दई थी, करकै सोच बिचार दई थी।
एक नहीं सौ बार दई थी, जंजीर गुलामी की तोड़ दियो।।

न्यूं बोलो सब कट्ठै होकै भारत माता जिन्दाबाद
गाम बरोना देश हमारा गोरयां नै कर दिया बरबाद
फिरंगी सैं धणे सत्यानासी, करक्े अपणी दूर उदासी
लाइयो मतना वार जरा सी, मुंह तोपां का मोड़ दियो।।

म्हारा होंसला करदे खूंडा उनका जो बढ़िया हथियार
लक्षमी सहगल बीर मर्दानी ठाके खड़ी हुई तलवार
मेहरसिंह नै दी किलकारी, देशप्रेम की ठा चिंगारी
देश की माट्टी फेर पुकारी, कुर्बानी की लगा होड़ दियो।।

नन्दराम पिता नै आर्यसमाज का झण्डा हाथ उठाया था
पत्थर मतना पूजो लोगो यो असमान गुंजाया था
ृ लाया था सारे कै नारा, जुणास लागै हमनै प्यारा
यो सै भारत देश म्हारा, सबके दिलां नै जोड़ दियो।।

रोम रोम मैं छाज्या सबकै मेहर सिंह के बोलां का रंग
आजाद हिन्द फौज चली जब अंग्रेज देख होग्या दंग
रणबीर नै जंग तसबीर बनाई, हरीचन्द नै करी सफाई
नई-नई कर कविताई, छंद लय सुर मैं जोड़ दियो।।
22***

तेरे द्वार खड़ा एक जोगी
लियो मेहर सिंह का सलाम
छोड़ चले हम देश साथियो तुम लियो मिलकै थाम
देश छोड़ चाल पड़े रै, भरे अंग्रेजां के पाप घड़े रै
जनता जागगी सारी
किसान संगठन खूब बनावैं, किते वकील सड़क पै आवैं
देश मैं उठी चिंगारी
बढ़ती जा सै फौज म्हारी, लियो मान मेरा पैगाम।।
म्हारे पाछे तै ख्याल राखियो, देश हवालै थारे साथियो
मतना तुम सो जाइयो
देश की खातर लड़ो लड़ाई, कट्ठे होकै लागे लुगाई
गीत खुशी के गाइयो
अंग्रेज नै मार भगाइयो, तज अपणा आराम।।
पाबन्दी ना लगै जाट पै, गीत सुरीले गावै ठाठ तै
बीर मरद और जवान
गीतां तै उठैगी झाल, कुर्बानी के हों न्यूं ख्याल
बणो भगतसिंह से महान
भारत मां की बणो स्यान, लियो यू समझ हमारा काम।।
बाबू नै दिया धक्का फौज में, न्यों सोचै था रहैगा मौज में
गए बदल उड़ै फेर ख्याल
मनै खून द्यो तम भाई, आजादी द्यूं थारे ताहिं
सुभाष बतागे फिलहाल
समझगे तत्काल मेहरसिंह, दियो रणबीर सर अन्जाम।।
23****


आस बंधी अक भोर होवैगी षोशण जारी रहै नहीं ।।
लोक राज तैं राज चलैगा रिष्वत बीमारी रहै नहीं ।।
रिष्वतखोर मुनाफाचोर की स्वर्ण तिजूरी नहीं रहै
चेहरा सूखा मरता भूखा इसी मजबूरी नहीं रहै
गरीब कमावै उतना पावै बेगार हजूरी नहीं रहै
षरीफ बसैंगे उत मरैंगे या झूठी गरुरी नहीं रहै
फूट गेर कै राज करो फेर इसी बीमारी रहै नहीं ।।
करजे माफ होज्यांगे साफ आवैगा दौर सच्चाई का
बेरोजगारी भता कपड़ा लता हो प्रबन्ध दवाई का
पैंषन होज्या सुख तैं सोज्या होवै काम भलाई का
जच्चा बच्चा होज्या अच्छा मौका मिलै पढ़ाई का
मीठा पाणी चालै नल में यो पाणी खारी रहै नहीं।।
भाई चारा सबतैं न्यारा नहीं कोए धिंगताना हो
बदली खातिर ठाकै चादर ना मंत्री पै जाना हो
हक मिलज्या घीसा घलज्या सबनै ठौर ठिकाना हो
सही वोट डलैं ना नोट चलैं इसा ताना बाना हो
हम सबनै संघर्श चलाया अंग्रेज अत्याचारी रहै नहीं।।
पड़कै सोज्यांगे चाले होज्यांगे नहीं कुछ बी होवैगा
माथा पकड़ कै भीतर बड़कै फेर बूक मारकै रोवैगा
नया मदारी करैगा हुष्यारी हमनै बेच के सोवेगा
चौकस रहियो मतना सोइयो काटैगा जिसे बौवैगा
रणबीर सिंह बरोने आला कितै दरबारी रहै नहीं।।
24****
सन ब्यालीस मैं हे फौजी नै दई सिंघापुर मैं ललकार।।
न्यों बोल्या द्यो साथ बोस का ठाकै हाथों मैं हथियार।।

जुल्म ढाये गोरयां नै करे जारी काले फरमान आड़ै
भगतसिंह से फांसी तोड़े लूटे म्हारे अरमान आड़ै
गान्धी आगै औछे पड़गे ये ब्रिटेन के इन्सान आड़ै
म्हारे देश के बच्यां की खोसी क्यों मुसकान आड़ै
ठारा सौ सतावण मैं चाली हे उदमी राम की तलवार।।

देख जुल्म अंग्रेजां के लग्या फौजी कै झटका सुणियो
भरके नै यो फूट गया उनके पापां का मटका सुणियो
बंदरबांट देख गोरयां की होया उसके खटका सुणियो
एक बै बढ़े पाछै फर ना उसनै खाया लटका सुणियो
सन पैंतीस मैं भरती होग्या छोड़ गाम की मौज बहार।।

गुलाम देश का मतलब के न्यों पूरा गया पकड़ फौजी
देश आजाद कराना घणा जरूरी न्यों गया अकड़ फौजी
बुझी चिंगारी सुलगाके नै बाल गया यो भकड़ फौजी
देश प्रेम की बना रागनी न्यों तोड़ गया जकड़ फौजी
जाट का होके तूं गावै रागनी ना भूल्या बाबू की फटकार।।

लखमी दादा नै सांग करया गाम बरोने मैं एक रात सुणो
पदमावत के किस्से मैं दोनां की थी मुलाकात सुणो
कद का देखूं बाट घाट पै तेरे आवण की या बात सुणो
माणस आवण की बात बणाई कर तुरत खुभात सुणो
स्टेज पै बुला दादा लखमी नै रणबीर करया भूल सुधार।।
25****
जाल तोड़कै नै लिकड़ गया होग्या तूं आजाद पिया।।
साथ रहनियां संग के साथी करै हरियाणा याद पिया।।

जालिम और गुण्डे जनता नै नोच नोच कै खावैं
रिश्वतखोरी बाधू होरी ये कति नहीं शरमावैं
धनवानां की करैं चाकरी कमेरयां नै धमकावैं
के न्यों काढ़े अंग्रेज हमनै अक देशी लूट मचावैं
बेइमानां की चान्दी होरी सुनते ना फरियाद पिया।।

सारे देश मैं रुक्का पड़ग्या चौगरदें नै होग्या शोर
मेहनत म्हारी खोस लई उल्टा हमनै ए बतावैं चोर
तख्त राज का डोलै सै रौल्ला माच रया चारों और
तनै गा गा के धनवान बणे करते कोण्या मेरी गोर
चूल हिलादी उसकी जो धरी तनै बुनियाद पिया।।

तेरी रागनी टोहवण आज्यां मेरा किसे नै ख्याल नहीं
तेरी दमयन्ती दुखी फिरै किसे कै भी मलाल नहीं
असली बात भूलगे तेरी इसतै बडडा कमाल नहीं
सारा गाम तनै याद करै टूटया मोह का जाल नहीं
हरया भरया था गाम बरोना होता जा बरबाद पिया।।

आम सरोली पेड़ काट दिये काली जाम्मण सूक गई
गाम छोड़गे घणे जणे तो वुफछ नै मार या भूख गई
तेरी बुआ तो अपफसार बणगी बढ़िया बणा रसूक गई
बालकपन मैं अनपढ़ रैहगी रणबीर मौका चूक गई
तेरी रागनी कररी सैं मेरा सूना मन आबाद पिया।।

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