Monday, 13 February 2023

580..599

 580

मेरा चालै कोण्या जोर हमनै लूटैं अम्बानी चोर

नहीं पाया कोये ठौर कटी पतंग की डोर

हमनै लावैं डांगर ढ़ोर यो किसा घोटाला रै।

म्हरा बोलना जुल्म हुया

उनका बोलना हुक्म हुया

सारे ये मुनाफा खोर ये थमा धर्म की डोर

बनावैं ये म्हारा मोर सुहानी इनकी भोर

ऐश करैं डाकू चोर मन इनका काला रै।

ये भारत के पालन हार

क्यों कारपोरेट के सैं ताबेदार

म्हारे पै टैक्स लगावैं बोलां तो खावण आवैं

मिल्ट्री सैड़ दे बुलावैं चोरां की मौज करावैं

काले का सफेद बणावै भजैं राम की माला रै।

बिलां की मार कसूती

सिर म्हारा म्हारी जूती

घाल्या किसान कै फंदा सै यो सिस्टम घणा गन्दा सै

यो अम्बानी का रन्दा सै घालै दोगला फंदा सै

क्यूकर जीवै बन्दा सै हुया ढंग कुढाला रै।

पत्थर पुजवा बहकाये

भक्षक रक्षक दिखाये

काले नाग डसगे क्यों ये शिकंजे कसगे क्यों

दो संसार बसगे क्यों गरीब जमा फ़ंसगे क्यों

रणबीर पै हंसगे क्यों कर दिया चाला रै।



581

हमनै बेकूफ़ बतावैं देखो  घणे होशियार बणे हांडें सैं।।

लूट म्हारा खून पसीना घणे साहूकार बणे हांडें सैं।।

1

सारी उम्र बाबू कमाया उसकी कोण्या पार बसाई फेर

करड़े हाडां की मां म्हारी लाकै हांगा करी कमाई फेर

पैर भिडांतें हांडया करते आज थानेदार बणे हांडें सैं।।

लूट म्हारा खून पसीना घणे साहूकार बणे हांडें सैं।।

2

पढ़ लिख कै हमनै बढ़िया नौकरी लेनी चाही रै

बहोतै जागां धक्के खाये नहीं किसी भी थ्याई रै

बिचौलिया धन कमागे घणे ईज्जतदार बणे हांडें सैं ।।

लूट म्हारा खून पसीना घणे साहूकार बणे हांडें सैं।।

3

बीडीओ सैक्टरी नै मिलकै गाम पढ़ण बिठाया क्यों

बदफेली होवैं रोज आड़े यो राम नहीं शरमाया क्यों

रिश्वत देकै बचते देखो ये घणे ठोलेदार बणे हांडें सैं।।

लूट म्हारा खून पसीना घणे साहूकार बणे हांडें सैं।।

4

महिला जमा महफूज नहीं चौगरदे हाहाकार मच्या रै

बलात्कार छीना झपटी हों ना मान सम्मान बच्या रै

रणबीर सिंह खोल बतावै घणे बदकार बणे हांडें सैं।।

लूट म्हारा खून पसीना घणे साहूकार बणे हांडें सैं।।


582

अम्बानी नै कपास पीट दी हम देखां खड़े खड़े 

उसे नै म्हारी धान पीट दी हम सोवां पड़े पड़े

1

म्हारी या कस्ट कमाई आंख्यां के साहमी लुटगी

कपास कदे धान की खेती ये आज चोड़ै पिटगी 

सब्सिडी ये सारी घटगी लागते नेता सड़े सड़े 

2

बालक हांडैं बिना नौकरी बिघन घणा होग्या रै

एक छोरे नै खाई गोली सहम ज्यान यो खोग्या रै

सुन्न भीतरला जमा होग्या रै हाथ होगे जड़े जड़े

3

बेटी रैहगी बिन ब्याही ये गोड्डे म्हारे टूट लिए

बिना दहेज ब्याह कड़ै म्हारे पसीने छूट लिए

सांड खुल्ले छूट लिए बुलध मरैं ये बड़े बड़े

4

मां बेटी बाहण आज जमा महफूज रही नहीं

समाज जावैगा पाताल मैं आगै जा कही नहीं

बदमाशी जा सही नहीं रणबीर सां खड़े अड़े


583

हम दिए धरती कै मार, ये अडानी अम्बानी के वार, करने हाथ पड़ें दो चार , सुनियो भारत के  नर नारी।।

1

खेती पर काले बादल छाये, कड़ तोड़ कै धरदी

धान कपास गिहूँ पिटग्या या नाड़ मोड़ के धरदी

या सब्सिडी खत्म करदी, क्यों हांडी पाप की भरदी, असली नहीं सै हमदर्दी , झूठे वायदयां के  बड़े खिलारी।।

2

कारखाने लाखों बन्द होगे बच्या कितै रोजगार नहीं

जात पात और धर्मान्धता का खाली जाता वार

नहीं

काला धन बाजार मैं छाया, अमरीका नै यो जाल बिछाया,जन देश का खूब भकाया,दिखा कै सपने बड़े भारी।।

3

टी वी के चैनलां पै कब्जा सरकारी खबर दिखाई जावैं

सब किमैं बेचण लागरे बाजार मैं ना बोली लवाई जावैं

गरीब बी इंसान होवै सै,क्यों उसका अपमान हो सै, ना तमनै उनमान हो सै, पुरानी रीत घणी अत्याचारी ।।

4

पढ़ाई लिखाई पढण बिठाई गरीब कमेरा कित जावै

सरकारी सेहत ढांचा ढाया गरीब इलाज कित करवावै

जो अनैतिकता खूब फैलावे वो नैतिकता का पाठ पढावै,रणबीर नै भी वो धमकावै, छलनी करदी छाती म्हारी।।



584

अमेरिका नचा रहा है और आगे और नचाएगा। क्या बताया भला------------  

अमरीका का खेल आज भारत क्यों खेल रहया।।

आत्मनिर्भरता का नारा यो कष्ट क्यों झेल रहया ।।

1

ड्रोन विमान खरीदण नै अमरीका का दौरा करया 

एफ सोलां भारत मैं बणै उसनै यो एजेंडा धरया 

जूनियर सैन्य पार्टनर कहै हमनै वो धकेल रहया।।

अमरीका का खेल आज भारत क्यों खेल रहया।।

2

म्हारी सरकार खुशी तैं पुगावै अमरीका के फरमान 

अमरीका बनकै तानाशाह करता देशों का अपमान 

सेना के खुफिया तंत्र मैं अपने एजेंट धकेल रहया।।

अमरीका का खेल आज भारत क्यों खेल रहया।।

3

अमरीका चाहवै सैन्य रिश्ते अपनी ढाल के भाई

गोड्डे टिकवाकै मानैगा वो चलावैगा अपणी राही

अपणे हथियार बेचण नै घाल म्हारै नकेल रहया।।

अमरीका का खेल आज भारत क्यों खेल रहया।।

4

विश्व शांति के पैमाने हथियार विक्रेता बतावै रै

अपणी कीमत पै बेचकै घणी लूट यो मचावै रै

कहै रणबीर अमरीका म्हारे रक्षा तंत्र नै ठेल रहया।।

अमरीका का खेल आज भारत क्यों खेल रहया।।


 585

1***

6/11/1990 की रचना

बदली आंख युद्ध जीत कै अंग्रेजों की सरकार  नै।।

अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।

1

फिरंगी की हालत खराब हुई शुरू जब वल्ड वार हुया

भारत देश नै आजाद करां अंग्रजों का यो प्रचार हुया

देश इस शर्त पै मददगार हुया ले सारे घर परिवार

नै।। 

अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।

2

जर्मन चढ़ता आया लन्दन पै अंग्रजों नै था हाथ फैलाया

मदद करो रै अंग्रेजों की गांधी जी नै था नारा लगाया

रंग रुट भर्ती था करवाया यो देख्या सारे संसार नै।।

अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।

3

वायदा करकै नै नाट गया यो विश्वास खोया म्हारा था

काले कानून करे लागू माइकल ओ डायर हत्यारा था

होमरूल का नारा था हुई मुश्किल फिरंगी औधेदार नै।।

अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।

4

कलकत्ता कोर्ट मैं जज बताया भारतवासी हसन इमाम रै

किलेटन बेहूदे गौरे नै गाली उसको देदी थी सरे आम रै

रणबीर देश उठया तमाम रै देख कै फिरंगी अत्याचार नै।।

अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।

2***

आजादी के आंदोलन की लहर

अंग्रेज फिरंगी लारया अड़ंगी म्हारे प्यारे प्रदेश पंजाब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै चुच्ची बच्चा पंजाब मैं।।

1

तिलक दहाड़े ऐनी पुकारै होम रूल ल्याकै मानांगे

जनता चाली धरती हाली देश आजाद कराकै मानांगे

हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई मिलाकै चालां कांधा पंजाब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै चुच्ची बच्चा पंजाब मैं।।

2

हथियार उठाकै अलख जगाकै चले क्रांतिकारी बंगाल मैं

नौजवान पंजाबी हमला जवाबी चाहया देना हर हाल मैं

साथी लाला हरदयाल मैं फेर उठी थी चिंगारी दोआब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै चुच्ची बच्चा पंजाब मैं।।

3

पाल्टी बनाई गद्दरी भाई दूर विदेश मैं जा करकै देखो 

करे हथियार उड़ै तैयार ज्यान की बाजी ला करकै देखो

हिंदुस्तान मैं आ करकै देखो भरया देश प्रेम नवाब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै चुच्ची बच्चा पंजाब मैं।।

4

तीन सौ हिंदुस्तानी जहाज जापानी कनाडा कांहीं चाल पड़े

कनाडा तैं ताहे उल्टे आये सोचें राह मैं सारे बेहाल खड़े

जेलों मैं दिए डाल बड़े कुछ आये रणबीर तैर सैलाब मैं ।।

3***

अंग्रेज हुकूमत ताहिं दी चुनौती पहली ठारा सो सतावन मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

1

सबक सिखावन नै हमको डायर जुल्मी तिलमिला गया था

रोलेट एक्ट खत्म करो हड़ताल देख कै बौखला गया था

बच्चा बुढ़ा कुलमुला गया था झेले कष्ट अंग्रेज भजावण मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

2

इस पाछै तो भारत सारा आजादी खातर कूद पड़या था

पाली हाली क्लर्क बाबू जाड़ भींच कै खूब लड़या था

उधम लन्दन मैं जा बड़या था ओडायर तैं हिसाब चुकावण मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

3

तेरा अप्रैल का दिन था कट्ठे बाग मैं नर नार हुए थे

काले कानून उल्टे लेओ वे लड़ने खातर तैयार हुए थे

पैने अंग्रेज के हथियार हुए थे म्हारी आवाज दबावण मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

4

फेर बख्त की धार बदलगी जलियाँ वाले बाग के म्हां

सारे हिंदुस्तानी कूद पड़े थे आजादी आले फाग के म्हां

रणबीर कूद पड़े आग के म्हां देश नै आजाद करावण मैं।।

586

#रागनी 

*उसी दौर की एक और रागनी*

आजादी के आंदोलन की लहर

अंग्रेज फिरंगी लारया अड़ंगी म्हारे प्यारे प्रदेश पंजाब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै  बच्चा युवा पंजाब मैं।।

1

तिलक दहाड़े ऐनी पुकारै होम रूल ल्याकै मानांगे

जनता चाली धरती हाली देश आजाद कराकै मानांगे

हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई मिलाकै चालां कांधा पंजाब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै बच्चा युवा पंजाब मैं।।

2

हथियार उठाकै अलख जगाकै चले क्रांतिकारी बंगाल मैं

नौजवान पंजाबी हमला जवाबी चाहया देना हर हाल मैं

साथी लाला हरदयाल मैं फेर उठी थी चिंगारी दोआब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै बच्चा युवा पंजाब मैं।।

3

पाल्टी बनाई गद्दरी भाई दूर विदेश मैं जा करकै देखो 

करे हथियार उड़ै तैयार ज्यान की बाजी ला करकै देखो

हिंदुस्तान मैं आ करकै देखो भरया देश प्रेम नवाब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै बच्चा युवा  पंजाब मैं।।

4

तीन सौ हिंदुस्तानी जहाज जापानी कनाडा कांहीं चाल पड़े

कनाडा तैं ताहे उल्टे आये सोचें राह मैं सारे बेहाल खड़े

जेलों मैं दिए डाल बड़े कुछ आये रणबीर तैर सैलाब मैं ।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै बच्चा युवा पंजाब मैं।।

587

अंग्रेज हुकूमत ताहिं दी चुनौती पहली ठारा सो सतावन मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

1

सबक सिखावन नै हमको डायर जुल्मी तिलमिला गया था

रोलेट एक्ट खत्म करो हड़ताल देख कै बौखला गया था

बच्चा बुढ़ा कुलमुला गया था झेले कष्ट अंग्रेज भजावण मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

2

इस पाछै तो भारत सारा आजादी खातर कूद पड़या था

पाली हाली क्लर्क बाबू जाड़ भींच कै खूब लड़या था

उधम लन्दन मैं जा बड़या था ओडायर तैं हिसाब चुकावण मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

3

तेरा अप्रैल का दिन था कट्ठे बाग मैं नर नार हुए थे

काले कानून उल्टे लेओ वे लड़ने खातर तैयार हुए थे

पैने अंग्रेज के हथियार हुए थे म्हारी आवाज दबावण मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

4

फेर बख्त की धार बदलगी जलियाँ वाले बाग के म्हां

सारे हिंदुस्तानी कूद पड़े थे आजादी आले फाग के म्हां

रणबीर कूद पड़े आग के म्हां देश नै आजाद करावण मैं।।

588

बेरोजगारी नै भारत मैं लड़के लड़की खूब सताए रै।

आज बेरोजगारी और नशे मैं जान बूझकै फंसाए रै।

1

ढाल ढाल के नशे परोस कै कसूती लत लगाई सै

अफीम चरस हीरोइन दारू घर घर में पहुंचाई सै

नशे माफिया नै दुनिया मैं बहोत उधम मचाई सै 

अफ़गानिस्तान गढ़ बनाया अमेरिका की चतुराई सै

आज पंजाब के नौजवान ये नशे में खूब  डुबाये रै।

आज बेरोजगारी और नशे मैं जान बूझकै फंसाए रै।

2

नेता अफसर पुलिस की  तिग्गी कहैं धंधा चला रही 

सरकार छोटे-मोटे नै पकड़े जुल्मियों नै बचा रही 

किततैं आवै कौन व्यापारी बात सारी ये छिपा रही 

शातिर ढंग तैं माफिया तिग्गी पूरा जाल बिछा रही

कोये घर ना बच्या दारू तैं सुल्फे फीम नै आण दबाए रै।। 

आज बेरोजगारी और नशे मैं जान बूझकै फंसाए रै।

3

साथ मैं म्हारे शासकों नै यो फ्री सेक्स का जाल बिछाया सै

स्मार्ट फोन पै पोर्नोग्राफी तैं कसूता उधम मचाया सै

वेश्यावृत्ति बढ़ी टीवी नै सब ढाल का रंग दिखाया सै

लूटो खाओ मौज उड़ाओ घर घर संदेश पहुंचाया सै

बेरोजगार युवक युवती उल्टे धंधयां मैं लगाए रै।।

आज बेरोजगारी और नशे मैं जान बूझकै फंसाए रै।

4

नशा फ्री सेक्स ल्याकै नैं बेरोजगारों का मुंह मोड़ दिया

जात पात और धर्म पै बांटे मानवता का सिर फोड़ दिया 

बहुविविधता भुला दई भाईचारे का धागा तोड़ दिया 

गौ माता का नारा इसकी गेल्याँ  ल्याकै नै जोड़ दिया 

के होगा म्हारे हिंदुस्तान का रणबीर भी घबराए रै।।

आज बेरोजगारी और नशे मैं जान बूझकै फंसाए रै।


589

बिना तलासी और बिना वारंट के जेलों के अंदर डार दिए।।

गुप्ती मुकद्दमे चला चलाकै हजारों भारतवासी मार दिए।।

1

वकील दलील अपील नहीं राज उड़ै बताया मनचाही का 

फिरंगी ठेकेदार जनतंत्र का चेहरा असल मैं कसाई का

रोलेट एक्ट नहीं बताया भलाई का सिर वीरों के तार लिए।।

गुप्ती मुकद्दमे चला चलाकै हजारों भारतवासी मार दिए।।

2

सुण फिरंगी हम नहीं हारां दीवाने खुले आम कहण लगे

तोप बन्दूक नहीं डरा सके खून के नाले उड़ै  बहण लगे

अंग्रेजों की गेल्याँ फहण लगे लोगों नै बेटी बेटे वार दिए।।

गुप्ती मुकद्दमे चला चलाकै हजारों भारतवासी मार दिए।।

3

उर्दू का कवि देश मैं मशहूर भाई इकबाल हुया देखो

बीज सींच्या खून की गेल्याँ पौधा बलवान हुया देखो

नायडू कै स्वाभिमान हुया देखो गीत जोशीले त्यार किए।।

गुप्ती मुकद्दमे चला चलाकै हजारों भारतवासी मार दिए।।

4

तीस मार्च नै विरोध हुया था पहली हड़ताल आम हुई

दुकान बाजार बंद होगे सरड़क शहर की सब जाम हुई

गोरयां की नींद हराम हुई रणबीर कसूते अत्याचार किए।।

गुप्ती मुकद्दमे चला चलाकै हजारों भारतवासी मार दिए।।


590

रामनौमी का दिन बतावैं जलूस निकाल्या था भारी रै।।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख आये थे समान बणी थी न्यारी रै।।

1

रोलेट एक्ट उल्टा लेओ हवा मैं गूंज गया था नारा 

अंग्रेजो तम भारत छोड़ जाओ यो देश नहीं सै थारा

एकता का यो झंडा म्हारा हुया जंगे आजादी जारी रै।।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख आये थे समों बणी थी न्यारी रै।।

2

फिरंगी भाजम भाज होग्या अमृतसर मैं महाघोर हुया

डिप्टी कमिश्नर होंश भूलग्या चारों कांहीं शोर हुया

जुल्मी डायर घनघोर हुया फायरिंग की करी त्यारी रै।।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख आये थे समान बणी थी न्यारी रै।।


दस अप्रैल नै बुला कोठी पै धोखे तैं गिरफ्तार किए 

किचलू डॉक्टर और सतपाल दोनों जेल मैं डार दिए

जनता नै लगा इश्तिहार दिए फिरंगी सरकार हुई

हत्यारी रै।।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख आये थे समान बणी थी न्यारी रै।।

4

नेता छोड़ो दोनों म्हारे जलूस फेर बाजार के मैं आया 

पुलिस नै जलूस रोक दिया भंग करण का हुक्म सुनाया

मंजूर कोण्या नारा लगाया आगै बढ़गी या जनता सारी रै।।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख आये थे समान बणी थी न्यारी रै।।

5

गोरयां का असली चेहरा उस दिन उजागर होग्या था

निहत्थी भीड़ पै चलाई गोली बेटा नागर सोग्या था

कालजा पात्थर होग्या था रणबीर घणी जनता मारी रै।।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख आये थे समान बणी थी न्यारी रै।।


591

कोर्ट कचहरी राज पाट का फुटया ढ़ारा देख लिया।

माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।

1

पुलिस बचावै कातिल नै मेरी समझ मैं आई ना

सरकार मदद पै आज्या सै क्यों जमा सरमाई ना

अफसर बिक़ज्यां चौड़े मैं वो मानै कति बुराई ना

घड़ा पाप का भरग्या सै ईब होती जमा समाई ना

लोक लाज लोक राज का तमाशा सारा देख लिया।।

माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।

2

कातिल और चोर लुटेरे मंत्री पुलिस के तलियार बनैं

सही आवाज दबावण नै साहूकारों के हथियार बनैं

आम आदमी डरकै इनतैं चुप रैहकै नै होशियार बनैं

म्हारी चुप्पी नाश करैगी न्यों कोण्या घर परिवार बनैं

इनकी कड़ थेपड़ता मनै सरकारी इशारा देख लिया।।

माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।

3

ये बिल करैं घोर अंधेरा न्यों क्यूकर पार घलैगी रै

कॉपोरेट हुया म्हरा लुटेरा न्यों क्यूकर दाल गलैगी रै

सरकार नै गोड्डे टेक दिए न्यों क्यूकर बात चलैगी रै

खेती उद्योग तबाह होज्यांगे न्यों क्यूकर मार टलैगी रै

ये जहरीले नाग डंक मारैं मरै कमेरा बेचारा देख लिया।

माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।

4

आज के समाज म्हारे की या असली घुंडी खोल दई

चारों स्तम्भ म्हारे जनतंत्र के लिकड़ सबकी पोल गई

सरकार भी जुल्म कमावै न्यों छाती म्हारी छोल दई

रणबीर नै बरोने के मैं सारी साच्ची साच्ची बोल दई

जनता जागै फेर जुल्मी भागै निचोड़ सारा देख लिया।

माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।


592

#अपनीरागनी 

दारू और दवा की दुकान 

दारू और दवा की दुकान हर गाम शहर मैं पाज्या।।

बढ़ी दारूबाजी और बीमारी असल देश की बताज्या।।

1

पी दारू मजदूर किसान अपने घर का नाश करै

दारू फैक्ट्री बन्द होवैं महिला इसकी आस करै

आस करती होज्या बूढी पति नै इतनै दारू खाज्या।।

बढ़ी दारूबाजी और बीमारी असल देश की बताज्या।।

2

दवा के रेट का कोए हिसाब ना गोज ढ़ीली करज्या

मरीज खरीद कै खाली होज्या डॉक्टर की गोज भरज्या

पूरा इलाज फेर भी न होवै चानचक सी मौत आज्या।।

बढ़ी दारूबाजी और बीमारी असल देश की बताज्या।।

3

दारू का बेर या नाश करै सर्कार क्यों फैक्ट्री खुलवावै

रोज खोल दूकान दारू की मौत न्यौता देकै बुलवावै

के बिना दारू विकास ना हो कोए आकै मनै बताज्या।।

बढ़ी दारूबाजी और बीमारी असल देश की बताज्या।।

4

इलाज महँगा कर दिया गरीब बिना दवाई मरता 

इलाज ब्योपार बणा दिया खामियाजा मरीज भरता 

रणबीर बरोने आला सोच समझ कलम घिसाज्या।।

बढ़ी दारूबाजी और बीमारी असल देश की बताज्या।।

19.3.2015

 

593

सामाजिक बीमारी का व्यक्तिगत समाधान बताया क्यों।।

मानस के हालात भुला के माणस जिम्मेदार ठराया क्यों।।

1

देश मैं नशे और हिंसा का पैकेज आज कौन परोस रहया

असली अपराधी देश का आज काढ़ म्हारे मैं दोष रहया

दारू ठेके खुलैं रोजाना नौजवान पीकै हो मदहोश रहया

विकास करैं दारु बेच कै हो नहीं जमा अफसोस रहया

समाज के विकास मैं खोट पीवनिया ऊपर लगाया क्यों ।।

मानस के हालात भुला के माणस जिम्मेदार ठराया क्यों।।

2

क्युकर बन्द करां दारु के दुनिया में फैले व्यापार नै

हजारों लाखों करैं गुजारा क्युकर खोसाँ हम रोजगार नै

रेवेन्यू हजारों करोड का चलाता देशां की सरकार नै

दारु बिकैगी तो पीई जागी तोड़ेगी म्हारे परिवार नै

यो बधै संकट माणस का ठेका दरवाजै पहूंचाया क्यों ।।

मानस के हालात भुला के माणस जिम्मेदार ठराया क्यों।।

3

नशे सैक्स और हिंसा का यो माफिया दुनिया मैं छाया रै

राज पाट राजनीति भीतर चौगरदें यो जाल बिछाया रै

दारू सुल्फे मैं मस्त रहो कहो या सब प्रभु की माया रै

दारू खातर चीज बेचकै पीवण का चलन यो आया रै

विकास राही सत्यानाशी सै ना कोये सवार उठाया क्यों ।।

मानस के हालात भुला के माणस जिम्मेदार ठराया क्यों।।

4

पीवनिया भरतू करतारे का दोष म्हारी रागनी बतावैं

जड़ समस्या की गहरी सैं नहीं खोल कै हमनै समझावैं

पीवनिया पै करैं जुर्माना घाघरी कईयाँ ताहिं पहरावैं

असली दोषी इन बुराइयां के नहीं उन कांहीं लखावैं

रणबीर सिंह बरोणे आला नहीं लोगां नै भाया क्यों ।।

मानस के हालात भुला के माणस जिम्मेदार ठराया क्यों


594

म्हारा समाज 

एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।

आंधी गली मैं बड़गे लोग इस चिंता नै आज खा लिया।

घर घर देखां घणा कसूता माहौल हुया सै सारे कै

शहर गाम देश दुनिया ब्लड प्रेसर हुया हुशियारे कै

लग्या टपका चौबारे कै माणस घणा काल पा लिया।

एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।

रोज माणस भित्तर तैं टूटै इसा जमाना आन्ता जावै 

घरमैं बाहर भाण बेटी की इज्जत पै हाथ ठान्ता पावै

और तले नै जान्ता जावै बदमाशी नै कब्जा जमा लिया।

एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।

दारू पीकै पड़े रहवाँ हमनै शर्म लिहाज ना कोये 

ताशां पै बैठ करां मशखरी कहवाँ इलाज ना कोये 

दीखै सही अंदाज ना कोये खापां नै मजाक बना लिया।

एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।

रिश्वत की कमाई भूंडी फेर भी इसको स्वीकार लिया 

दहेज नै बीमारी बतावैं सारे फेर बी क्यों चुचकार लिया

विरोध कर ना इंकार किया रणबीर फेर औड़ आ लिया। 

एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।


595

सबका देश हमारा देश 

सबका हरयाणा हमारा हरयाणा 

मशीन नै तरीके बदले खेत क्यार की कमाई के ।।

गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।

1

बाइक उप्पर चढ़कै नै छोरा खेत मैं जावै देखो

ज्वार काट खेत म्हां तैं भरौटा बणा छोड्यावै देखो

भरौटा ल्यावां ट्रेक्टर मैं दिन गए सिर पै ढवाई के।।

गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।

2

जिसकै ट्रेक्टर कोण्या उड़ै आज झोटा बुग्गी आगी रै

घरके काम गैल छोटा बुग्गी या औरत नै खागी रै

घणखरे काम औरत जिम्मै मर्द के काम ताश खिलाई के।।

गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।

3

प्रवासी मजदूर पै कई का टिक्या खेत क्यार का काम 

म्हणत तैं घिन्न होगी चाहवै चौबीस घण्टे आराम 

दारू बीमारी घर घर मैं आगी करे हालात तबाही के ।।

गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।

4

सबका हरियाणा अपना ल्याकै भाईचारा बणावांगे 

मानवता का झंडा हरेक गाम शहर पहोंचावांगे 

कहै रणबीर बरोने आला छंद लिखै ना अंघाई के ।।

गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।


596

समाज का माहौल

म्हारे समाज कै के होग्या माहौल घणा खराब हुया।।

भाई का भाई बैरी होग्या मर्डर आज बेहिसाब हुया।।

1

एक दूजे की मदद करैं थे हम हारी बीमारी मैं

मेल मिलाप बहोत होते हरेक तीज त्यौहारी मैं

सारी लिहाज शर्म भूले हाय हू चालू जनाब हुया।।

2

दारु सुलफा स्मैक का एन सी आर षिकार हुया

भ्रष्ट पुलिस अफसर नेता तिग्गडे का उभार हुया

सबकै साहमी यो तिग्गडा आज कति बेनकाब हुया।। 

3

एक हिस्से धोरै काला धन और बी बढ़ता जावै सै

बड़ा तबका समाज का यो तले नै खिसकता आवै सै

दिन की रात रात का दिन गलतान पी शराब हुया।।

4

जात पात गोत नात भूलकै एक मंच पर आना होगा

एक दूजे नै प्यार करै जड़ै इसा समाज बनाना होगा

रणबीर जब संघर्ष हो मानैं पूरा हिसाब हुया।।


 597

दारू बीमारी घणी कलिहारी छोड्डै माणस कै लिहाज नहीं

आदत पड़ज्या बात बिगड़ज्या पावै फेर कोये इलाज नहीं

1

दारू सतावै चोरी भी करावै या घणे बिघण का काम करै

दारू रूआदे इज्जत खिन्डादे जिगर खराब तमाम करै

ना सबर सुबहो शाम करै रहै क्यान्हे का भी अंदाज नहीं।।

2

दारू शरीर बिकादे खाड़े करादे माणस हुया बर्बाद फिरै

आच्छे भुण्डे काम कराकै या रोजाना खड़या फसाद करै

पी दारू माणस अलबाद करै फेर काबू रहवै मजाज नहीं।।

3

कंगाल बनादे माणस नै या पैदा बड़े बड़े धनवान करै

घर कुन्बा यो रुलता हांडै बिन आई के यो इंसान मरै 

घोर अन्याय यो भगवान करै घर मैं छोडै दो मुठी नाज नहीं।।

4

शराब और लुटेरे की भाई आपस मैं घणी यारी क्यों

मजलूमां की हो खाल तराई मौज करै साहूकारी क्यों

दारू सिखावै मक्कारी क्यों रणबीर होवै थारै खाज नहीं ।।

598

बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीत आज इतिहास रचाया यो।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।

1

सिंधु नै ओकुहारा को सीधे गेमां मैं लाकै जोर हराया रै

हांगा लाकै खेली पी वी सिंधु गोल्ड मैडल देश मैं आया रै

इक्कीस सात इक्कीस सात तैं हराकै देश गौरव बढ़ाया यो।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।

2

ओकुहारा के खिलाफ यो कैरियर रिकॉर्ड नौ सात करया 

 स्विट्जरलैंड में पी वी सिंधु नै बैडमिंटन मैं इतिहास रचया

नोजोमी ओकुहारा को मात देकै नै खास माहौल बनाया यो।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।

3

वर्ल्ड के स्तर पै  बैडमिंटन मैडल ना कोये बी ल्याया रै

पी वी सिंधु की मेहनत नै रविवार नै यो मैडल पाया रै

शाबाश पी वी सिंधु तनै म्हारी झंडा तिरंगा जितवाया यो।। 

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।

4

यो मुकाबला अड़तीस मिनट चल्या पसीनम पसीन्यां होई

दो सौ सतरा की हार का बदला लेकै याद वा पुरानी धोई

बढ़त बना कै पहले खेल मैं रणबीर  आगै कदम उठाया यो ।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।

 599

पी वी सिंधु का मैडल पक्का 

मार दिया इसनै आज छक्का 

ओकिहारा को दिया धक्का 

थोड़ा सा दिल नै थाम लियो ।।

बैंडमिंटन मैं रियो मैं खेल दिखाया देखो 

फाइनल मैं पहोंच कै मान बढ़ाया देखो 

मीडिया न्यों अंदाज लगावै

मैडल पक्का जरूर बतावै

यो देश थारी तरफ लखावै

सिंधु लगा जोर तमाम दियो ।।

जापान की लड़की हरा अपने पैर जमाये 

स्पेनी लड़की गेल्याँ पेचे फाइनल मैं बताये 

राष्ट्रपति म्हारे नै दी सै बधाई 

प्रधानमन्त्री नै करी सै बड़ाई

परिवार नै खूब खुशी मनाई

काल थकन का मत नाम लियो ।।

रात नै सोईये सिंधु थकान बी तार लिए 

काल कौनसे गुर लाने कर विचार लिए 

पूरे दम खम तैं खेलिए सिंधु

वार स्पेन की के झेलिये सिंधु

नम्बर तो फालतू लेलिए सिंधु 

जितना हार का ना नाम लियो ।।

गोल्ड मैडल पै तूँ ध्यान राखिये पूरा हे 

एक गोल्ड देश ले ख्याल राखिये पूरा हे 

म्हारे देश की छोरी छारी सैं 

रणबीर खूब जोर लगारी सैं

बेशक पेट मैं चलैं कटारी सैं

बुलंद कर देश का नाम दियो ।।

Pichhle daur par likhi ragni

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