गरीब अमीर का मेल नहीं, बकरी शेर का खेल नहीं,सही कातल नै जेल नहीं , बीर मर्द की रखैल नहीं,जी छोडै अमर बेल नहीं, या दुनिया कहती आई।।
1बिना शिक्षा के ज्ञान नहीं,
बिना ज्ञान हो सम्मान नहीं
टोहवां हम असल सच्चाई , जो सबकी साहमी आई,कमेरे की हो खाल तराई, जानै सरतो और भरपाई,या बात गई आजमाई, नहीं मनै झूठ भकाई।।
2
बिना मणि के नाग नहीं,
बिना माली के बाग नहीं
लुटेरे बिना हो ना लूट , और कोए ना बोवै फुट,सबर का यो प्यावै घूंट, नयों हमनै यो खावै चूट,यो फेर दिखावै सै बूट, कदे समझ नहीं पाई।।
3
बिना सुर के राग नहीं,
बिना घर्षण के आग नहीं
दफन सभी फ़रयाद हुई, घनी लीलो बरबाद हुई,कबूल नहीं फ़रयाद हुई, मेहनत सारी खाद हुई, कमजोर म्हारी याद हुई, न्यों या नौबत ठाई।।
4
ना बिना पदार्थ कुछ साकार,
ना बिना तत्व गुणां का सार
ये नीति इसी चाल रहे, बिछा हम पर जाल रहे,बिकवा घर का माल रहे, सब ढालां कर काल रहे,गलूरे बना ये लाल रहे, रणबीर की शामत आई।।
1989
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