गोहाना में जो कुछ हुआ वह बहुत ही शर्म नाक और दिल दहला देने वाली बात थी। कसूर किसी का सजा किसी को। उसी वक्त लिखी एक रचना । क्या बताया भला:-
मारै कोए भुगतै कोए घणा बुरा जमाना आया रै।
गोहाना मैं दलितां उपर जुलम कसूता ढाया रै।।
1.
स्वर्ण जातां का जुलम उड़ै हटकै दिया दिखाई सै
ऊँची जात आले चौधरी दलितां की बस्ती जलाई सै
पुलिस भी हाजिर थी उड़ै जिब आग लगाई सै
एम पी के छोरे नै उड़ै अपफवाह खूब फैलाई सै
स्वयंभू पंचायत नै फेर हटकै नै रंग दिखाया रै।।
गोहाना मैं दलितां उपर जुलम कसूता ढाया रै।।
2.
दो दिन पहलम हुया पंचायत का फतवा जारी
डीसी एसपी सोवैं तान कै जनता बस्ती छोड़गी सारी
पंचायती नहीं गेरे जेल मैं या गलती कर दी भारी
ना बस्ती मैं पुलिस बिठाई क्यों अकल मारी थारी
मिल सबनै दलितां तै सबक सिखाना चाहया रै।।
गोहाना मैं दलितां उपर जुलम कसूता ढाया रै।।
3.
सब कुछ साहमी हुया पुलिस देखती रही खड़ी
स्वर्ण जात की हिम्मत दलित बस्ती मैं आण बड़ी
धूं-धूं करकै घर जलगे चौगरदे थी आग पड़ी
इस कांड तैं दलितों ऊपर थी या घणी जुल्म घड़ी
सोच समझ प्लान बणा कै गया सै काण्ड रचाया रै।।
गोहाना मैं दलितां उपर जुलम कसूता ढाया रै।।
4.
साल की आजादी मैं किसी आजादी पाई या
दलितां पै जुलम बढ़े सरकार नहीं शरमाई या
एक बाल्मीकि के कारण बस्ती सारी क्यों जलाई या
मानवता के बणे रूखाले हवा जहरी चलाई या
कलम कांपण लागी रणबीर घणा दुख पाया रै।।
गोहाना मैं दलितां उपर जुलम कसूता ढाया रै।।
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