*किसा हो साल तेईस का*
*लालच लूट खसोट बचै नहीं इसा तेईस का साल चाहवाँ ।।**धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बनावां।।*
1
नई तरां का इन्सान उभरै नई तरां के म्हारे समाज मैं
नई बात और बोल नए कहे जाँ नये सुर और साज मैं
*बीमारी कम होज्यावैं विज्ञान नै लोक हित मैं लगावां।।*
धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बनावां।।
2
दोगली शिक्षा का खात्मा हो ज्ञान पिटारा इन्सान होज्या
नाड़ काट मुकाबला ना रहै एक दूजे का सम्मान होज्या
*नशा खोरी नहीं टोही पावै इसका नामों निशान मिटावां।।*
धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बनावां।।
3
मुनाफा मंजिल नहीं रहै ना चारों तरफ घमासान मचै
लाठी की भैंस नहीं रहै ना हथियारों का सम्मान बचै
*प्रदूषण यो कम करकै धरती शमशान होण तैं बचावां।।*
धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बनावां।।
4
महिला नै इंसान समझैँ रीत खत्म हों दोयम दर्जे की
नौजवानों नै मिलै सही रास्ता ना मार बचै इस कर्जे की
*जात पात खत्म हो रणबीर सारे कै हम बिगुल बजावां।।*
धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बनावां।।
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