Monday, 13 February 2023

दीपू हरिजन भाई

 दीपू हरिजन भाई का आड़ै बस्या करता परिवार भाई।।

धरती थी ना करै मजदूरी कुणबा घणा ए लाचार भाई।।
1
एक भैंस थी रुँढी सी उसका दूध बेचना पड़ज्या था
न्यार फूंस लेण कांता जावै घणा बोझ खेंचना पड़ज्या था
सारा हिसाब देखणा पड़ज्या था कदे हो तकरार भाई।।
2
कांता एक दिन छेड़ दई उस माया राम के पोते नै
किसकै आगै दुख वा रोवै कौन छेड़ दे उस खोते नै
देख दीपू को सोते नै करया उसनै हटकै वार भाई।।
3
आस पड़ौस की साथण भी कई ए जनी शिकार थी
घुस फुस तो सारी करती पर ना बोलण नै त्यार थी
जात पात की दीवार थी नहीं था कोये मददगार भाई ।।
4
महताब था छोटा घणा पर ओ थोड़ी थोड़ी समझै था
कांता क्यों उदास घणी वो राह की रोड़ी समझै था
दुनिया सै बोड़ी समझै था रणबीर सोचै उपचार भाई।।


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