Sunday, 12 February 2023

हमें क्या पता था खेल रहे जज्बात के साथ ।

 हमें क्या पता था खेल रहे जज्बात के साथ ।

मजाक किया देखो हमारी औकात के साथ।
सिस्टम ही ऐसा हमें मालूम ना था यारो --कुर्बान हुए हम तो उसकी बात  के साथ।
हर रिश्ता टिका है यहाँ पैसे की नींव पर--- बदलते  देखा इसको हर रात के साथ।
पैसे ने छीन  ली है हम सब की मानवता--- विरोध नही गलत का बह जाते हालत के साथ ।
प्यार पर वासना हावी होती जा रही देखो ---साथी बदल जाते है हर मुलाकात के साथ।

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