मानस का धर्म
धर्म के सै माणस का मनै कोए बतादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
1
माणस तैं मत प्यार करो कौणसा धर्म सिखावै
सरे आम बलात्कार करो कौणसा धर्म सिखावै
रोजाना नर संहार करो कौणसा धर्म सिखावै
तम दारू का व्यापार करो कौणसा धर्म सिखावै
धर्म क्यों खून के प्यासे मनै कोए समझादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
2
ईसा और राम अलाह जिब एक बताये सारे रै
इनके चाह्वण आले बन्दे क्यूँ खार कसूती खारे रै
क्यों एक दूजे नै मारण नै एके जी हाथां ठारे रै
अमीर देश हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै
बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रन्थ भुलादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
3
मानवता का तत कहैं सब धर्मां की जड़ में सै
कुदरत का प्रेम सारा सब धर्मां की लड़ मैं सै
कदे कदीमी प्रेम का रिश्ता माणस की धड़ मैं सै
कट्टरवाद नै घेर लिए यो हर धरम जकड़ मैं सै
लोगां तैं अरदास मेरी क्युकरै इनै छटवादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै ।।
4
यो जहर तत्ववाद का सब धर्मों मैं फैला दिया
कट्टरवाद घोल प्याली मैं सब ताहिं पिला दिया
स्कीम बणा दंगे करे इंसान मासूम जला दिया
बड़ मानवता का आज सब धर्मों नै हिला दिया
रणबीर सिंह रोवै खड़या इनै चुप करवादयो नै ।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए समझादयो नै ।।
2001 की रचना
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