Monday, 6 February 2023

877..886

 [01/02, 6:05 pm] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 877

2086-87 के वक्त लिखी रागनी 


*दसमीं ताहिं का स्कूल आगै क्युकर करूं पढ़ाई मैं।।*

*माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।*

1

माँ बोली आज जमाने मैं बिना पढ़ाई कोये बूझै ना

शहर मैं क्युकर खंदाऊँ बाबू कहै मनै राही सूझै ना

*बोल्या हाथ पीले करने होंगे सुनकै घणी घबराई मैं।।*

माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।

2

बाबू बोल्या बुरा जमाना शहर ठीक नहीं सै जाणा 

ऊंच नीच कोये होज्यागी तै यो होज्या मोटा उल्हाणा

*क्युकर मनाऊं मेरे बाबू नै हे इस चिंता नै खाई मैं।।*

माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।

3

माँ बोली माहौल गाम का शहर तैं आज न्यारा कोण्या

डर कै घर मैं दुबके तो होवै कति आज गुजारा कोण्या

*मैं बोली मत ठाओ पढ़ण तैं मरज्यांगी बिन आई मैं।।*

माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।

4

पांच सात दिन पाछै बाबू नै मुँह अपना खोल्या 

डर लागै बेटी मनै रणबीर आंख्या पानी ल्या बोल्या

*साच्ची बूझै तो ईब करना चाहूं बेटी तेरी सगाई मैं।।*

माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।

[02/02, 6:28 pm] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 878

किसा वर हो

सरोज सरतो ब्याह शादी की आपस मैं बतलाई हे।

सरोज किसा वर चाहवै अपना उसनै बात चलाई हे।

1

सरोज बोली शांत शुभा हो माणस सबर आला हो

लिहाज करना आंता हो विश्वास गजब निराला हो 

शरीर का चाहे सांवला हो मन का नहीं वो काला हो

निस्वार्थ भाव का धौरी हो समझै बख्त कुढ़ाला हो

दौलत का वो भूखा ना हो ना जाणै घणी अंघाई हे।

सरोज किसा वर चाहवै अपना उसनै बात चलाई हे।

2

पाछली गलती तैं सीखै वो आगे का फेर ख्याल करै

जमा बहाने नहीं बणावै कही बात तैं कति नहीं फिरै

असलियत का हिम्माती हो दिखावे पै नहीं कान धरै

दहेज का लोभी नहीं हो पराई चीज ऊपर नहीं मरै

अपने दिल की खोल सारी सरोज नै बात बताई हे।

सरोज किसा वर चाहवै अपना उसनै बात चलाई हे।

3

ऊंचा रूतबा हो उसका घमंड जमा नहीं करता हो 

औरां नै बर्बाद करकै नै वो ना अपने घर नै भरता हो

झूठी बात नै नहीं मानै साच कहन तैं ना डरता हो 

अत्याचार के विरोध मैं वो सोच कै नै डिंग धरता हो

दोस्त आला बरतेवा करै नहीं समझै निरी लुगाई हे।

सरोज किसा वर चाहवै अपना उसनै बात चलाई हे।

4

सीधी पाधरी शादी करले ईसा मानस वो खास हो 

निराशा नहीं हो जिसमैं आशा हमेशा उसके पास हो

दुख सुख का हो साथी ना सुल्फे दारू का दास हो

मनै भी एक इंसान समझै चाहूँ बढ़िया मेरी सास हो

रणबीर के धोरै जावांगी उसपै इसी लिस्ट बताई हे।

सरोज किसा वर चाहवै अपना उसनै बात चलाई हे।

[02/02, 7:00 pm] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 879

टांड पै बिठा जनता नै अम्बानी अडानी लूट रहे ।।

फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।।

1

मुट्ठी भर तो पावैं नौकरी कई लाख का पैकेज थ्यावै

बीच बीच में एक दो बै यूके फ्रांस के चक्कर लगावै

एम टेक आले पै मजबूरी या चपड़ासी गिरी करावै

बेरोजगारी बढ़ै रोजाना यो नौजवान खड्या लखावै

अडानी अम्बानी की कम्पनी कुछ तो चांदी कूट रहे।।

फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।।

2

एक तरफ विकास का नारा लगता राज दरबारां मैं

कौन फालतू मुनाफा कमावै होड़ लगी साहूकारां मैं

इनके तलवे चाटें जावैं ये ना फर्क कोये सरकारां मैं

संकट इस विकास करकै आया किसानी परिवारां मैं

गंभीर संकट के चलते भरोसे जनता के इब टूट रहे।।

फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।।

3

अम्बानी अडानी की लूट इस संकट की जड़ मैं देखो 

झिपाने नै लड़वा जात धर्म पै लठ मरैं कड़ मैं देखो

जात धर्म पै भिड़वा दिए हुए फिरैं अकड़ मैं देखो 

असली नकली म्हारै भी नहीं आये पकड़ मैं देखो

कितै गौमाता कितै गीता पर सिर ये म्हारे फूट रहे।।

फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।।

4

दूसरे देश भी इस लूट मैं बड्डे हिस्सेदार बणे भाई

उनकी पूंजी ले अडानी उनके सूबेदार बणे भाई

एमरजेंसी लागू होगी देशद्रोही थानेदार बणे भाई

काले धन का जिकरा ना उन्के पहरेदार बणे भाई

कुलदीप हम क्यों रोजाना अपमान का पी घूंट रहे।।

फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।।

[02/02, 7:03 pm] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 880

प्रतिगामी ताकतां नै देखो किसा उधम मचाया रै।।

यो सारा सरकारी ढांचा प्राइवेट की भेंट चढ़ाया रै।।

1

शिक्षा स्वास्थ्य के सरकारी ढांचे पहले तो खराब करै

खराबी के दोष जान कै डॉक्टर टीचर पै ल्याण धरै

कितै ढांचे का टोटा होरया कितै कम स्टाफ दुखी फिरै

सच कहता हुया मानस यो सरकार तैं आज घणा डरै

बिठा दिया सरकारी ढांचा प्राइवेट का धर्राटा ठाया रै।।

यो सारा सरकारी ढांचा प्राइवेट की भेंट चढ़ाया रै।।

2

यो ढांचा पड़ेगा बचाना गरीब की जिब पार जावैगी

एक बात स्टाफ समझले जनता की मदद चाहवैगी

नहीं बचे स्कूल अस्पताल तो जनता खूबै धक्के खावैगी 

महंगी शिक्षा और इलाज का बोझ किस तरियां ठावैगी

भक्षक बनकै रक्षक छागे अंधविश्वास खूब फैलाया रै।।

यो सारा सरकारी ढांचा प्राइवेट की भेंट चढ़ाया रै।।

3

पढ़ लिख कै बालक म्हारे कदे बेरा पाड़लें लुटेरयां का

उलझाल्यो जात धर्म पै जितना तबका सै कमेरयां का

कमेरे समझे कोण्या इब लग जाल घल्या बघेरयां का

कावड़ कदे कुम्भ का मेला ध्यान बांट दिया चितेरयां का 

शिक्षा स्वास्थ्य के ढांचे का जानबूझ भट्ठा बिठाया रै।।

यो सारा सरकारी ढांचा प्राइवेट की भेंट चढ़ाया रै।।

4

रोडवेज का हाल देखल्यो जमा धरती कै मार रहे

प्राइवेट बस चलाकै नै ये जनता का पीसा डकार रहे

जनता सड़कों पै आ बैठी ये मुकदमे कर तयार रहे 

जनता को कोये ख्याल नहीं कर्मचारी नै दुत्कार रहे

रणबीर सिंह सरकारी ढांचा सोचो कैसे जा बचाया रै।।

यो सारा सरकारी ढांचा प्राइवेट की भेंट चढ़ाया रै।।

[03/02, 5:56 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 881

मुनाफे की फसल

खेतां मैं अपणे मुनाफे की आज फ़सल उगाया चाहवैं।।

किसान की कष्ट कमाई नै औने पौने मैं कब्जाया चाहवैं।।

1

म्हारे हाथ बांध कै हमनै बनाया चाहते बेकार रै

म्हारे दिमाग कर काबू मैं इनकी मदद करै सरकार रै

अपणे फैंसले करे पाछै ये म्हारी मोहर लवाया चाहवैं ।।

2

ना सोचो ना सवाल करो बस उनकी करो जयजयकार रै

कितने गुनाह वे करो उनके सारे साजिश स्वीकार रै

अंधभक्ति का पाठ पढाकै पक्के अंधभक्त बनाया चाहवैं ।।

3

लोकतंत्र के मलबे पै खड़ा करना चाहते अपणा निजाम

फर्क झूठ और सच्चाई का मिटाना चाहते आज तमाम

राह मैं बिछा कै कांटे कैहवैं थारा साथ निभाया चाहवैं।।

4

घेर लिये चारों कांहीं तैं ये कैहते थारी पूरी आजादी सै

बिगाड़ नै कैहवैं सुधार करदी म्हारी घणी

बर्बादी सै

रणबीर सिंह ये थैली आले म्हारा मोर  नचाया चाहवैं।।

[03/02, 5:57 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 882

***********रागनी*************

दुनिया की वित्त पूंजी नै कसूता अंधेर मचाया।।

सारे देशों मैं घुसगी मेहनतकश लूट कै खाया।।

1

जोंक बनकै लहू चूसै आज कारपोरेट साहूकार

कदेतैं हुक्म बजाती आयी सै केंद्र की सरकार 

देश भक्त जो असली उनको बताते आज गद्दार

नकली देश भक्त आज बनगे देश के   पहरेदार

राष्ट्रभक्ति के नाम पै तो अंध विश्वास फैलाया।।

सारे देशों मैं घुसगी मेहनतकश लूट कै खाया।।

2

कोटे परमट आले भेड़िए आज बनें सैं हितकारी

मजदूर किसान लूट लिए सबकी अक्कल मारी

मीठी मीठी बात करें पर भीतर तैं पूरे अत्याचारी

बकरी भेड़ समझैं हमनै आज के ये न्याकारी

कारपोरेट और वित्तपूंजी नै देश मैं धुम्मा ठाया।।

सारे देशों मैं घुसगी मेहनतकश लूट कै खाया।।

3

रिश्वतखोर मगरमच्छ पूरे हिन्दुस्तान मैं छागे

मजदूर किसान की कमाई चूट चूट कै नै खागे

अरबों के बने मालिक औधे घणे चौखे पागे

किसानी संकट के चलते ये किसान फांसी लागे

नये नये जुमले छोड़ कै यो हिन्दुस्तान भकाया।।

सारे देशों मैं घुसगी मेहनतकश लूट कै खाया।।

4

तीन मुंही नाग जहरी एकफन पै बड़ा व्यापारी

दूजे फन पै बैठी मारै भ्रष्टाचार की या थानेदारी

तीजे फन पै पूंजीपति करता कसूती मारा मारी

तीनों मिलकै देखो ये लूट घणी मचारे अत्याचारी

रणबीर सिंह नै यो टूटया फुटया छन्द बनाया।।

सारे देशों मैं घुसगी मेहनतकश लूट कै खाया।।

[04/02, 3:22 pm] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 883

लगभग 30 साल पहले लिखी एक रागनी

छियासी हिस्से खजाने ऊपर बीस उपरले कब्जा कररे सैं।।

खून पसीने की ये लूट कमाई लुका छुपा कै ईसनै धररे सैं।।

1

एक  गुना चीज म्हारे देश मैं वा आठ गुना अमेरिका मैं मिलती 

उनकै फूलां के खिलैं सैं बगीचे म्हारै एक भी 

कली नहीं खिलती 

म्हारे मुकाबले बतावैं बिजली आज पैंतीस गुना

उड़ै जलती  

तीन तीन सरड़क बनी उड़ै रै जिनपै उनकी जनता चलती 

करकै खाली म्हारे माल खजाने जालिम घर अपना भररे सैं।।

खून पसीने की ये लूट कमाई लुका छुपा कै ईसनै धररे सैं।।

2

किस किसका मैं जिक्र करूँ जितने उड़ै एशो आराम मिलैं ये 

उनकी  किस्मत वे मेहनत  करते बात  करते  तमाम मिलैं ये 

अपने देश  के दरवाजे  खोलो उनके  हमनै पैगाम मिलैं ये 

जै गोर तैं देखां दिमाग लगाकै इसतैं भुंडे नहीं काम मिलैं ये 

म्हारे देश मैं क्यों कालाअंधेरा देशवासी उनकी

घुड़की तैं डररे सैं।।

खून पसीने की ये लूट कमाई लुका छुपा कै ईसनै धररे सैं।।

3

के हाल म्हारे देश मैं बंटवारे का तम करकै थोड़ा ख्याल सुनो 

चौदा फीसदी बचे  संसाधन जो उनका के  हुया ईब हाल सुनो 

ऊपर  के पांच  लेगे सात फीसदी नै हुया  किसा  कमाल सुनो 

पिचहत्तर धौरै बचया पांचवां हिस्सा ज्यां छिड़या यो बबाल सुनो 

इसनै कहैं भगवान की माया यो प्रचार करकै खूब चररे सैं।।

खून पसीने की ये लूट कमाई लुका छुपा कै ईसनै धररे सैं।।

4

ईब पिचहत्तर फीसदी  का जागना  बहोतै घना जरुरी सैं

जात  पात  मैं  बांट  दिए  हम  ज्यां  बढ़गी म्हारे

बीच  की  दूरी  सै

म्हारी सेहत  की खराबी के  कारण  की  समझ 

म्हारी अधूरी  सै 

निदान म्हारा रहवै अधूरा जब ताहिं ना बणै समझ पूरी सै

कहै रणबीर सिंह बरोने आला ज्यां  हम  बिन आई मररे सैं।।

खून पसीने की ये लूट कमाई लुका छुपा कै ईसनै धररे सैं।।

[05/02, 5:47 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 884

बोल बख्त के

हरियाणा में पंचायतों की सख्ती और रोक के बावजूद भी बढ़ रहे हैं प्रेम विवाह के मामले | सच्चा प्यार कभी नहीं झुकता |

क़्या लिखा कवि ने भला--------

सच्चा प्यार करणियां नै कदे पाछै कदम हटाये कोन्या |

एक बर जो मन धार लिया मुड़्कै फेर लखाये कोन्या |

हीर रांझा नै अपने बख्तां मैं पूरा प्यार निभाया कहते

लीलो चमन हुये समाज मैं घणा ए लोड़ उठाया कहते

सोनी महिवाल सच्चे प्रेमी मौत को गले लगाया कहते

आज के पंचायती बेरा ना प्रेमियां नै क्यों नहीं सहते

सुण फरमान पंचायतियां के कदे प्रेमी घबराये कोन्या |

नल दमयन्ती का किस्सा हम कदे कदीमी सुणते आवां

दमयन्ती नै वर माला घाली या सच्चाई कैसे भुलावां

अपना वर आपै ए चुन्या क्यों इस परम्परा नै छुपावां

अपनी मर्जी तै जो ब्याह करैं उनकै फांसी क्यों लगावां

हरियाणा के प्रेमी जोड़े पंचायतां कै काबू आये कोन्या |

सत्यवान और सावत्री का किस्सा बाजे लख्मी गागे आड़ै

सावत्री लड़ी यमराज तै वे कहते पिंड़ा छुड़ा भागे आड़ै

सावत्री तै इतनी आजादी देकै लिखणियां बी छागे आड़ै

हरियाणा के आज के जोड़े फेर क़्यों फांसी पागे आड़ै

हरियाणा नम्बर वन प्यार मैं इसे गाने गाये कोन्या |

जातां बीच मैं प्रेम विवाह का चलन यो बढ़ता आवै सै

फांसी का फंदा दीखै साहमी पर प्यार की पींग बढ़ावै सै

इसी के चीज बताई प्यार मैं जो प्रेमियां नै उकसावै सै

रणबीर सोचै पड़्या खाट मैं बात समझ नहीं पावै सै 

तहे दिल तै साथ सूं थारै मनै झूठे छन्द बनाये कोन्या |

[07/02, 6:35 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 885

नारी

माणस तो बणै बिचारा कहैं बिघणां की जड़ या नारी।।

बतावैं वासना छिपावण नै चोट कामनी की हो न्यारी।।


योग ध्यान करणिया नारद पूरा योगी गया जताया

विश्व मोहिनी पै गेरी लार काया मैं काम जगाया

पाप लालसा डटी ना उसकी मोहिनी का कसूर बताया

सदियां होगी औरत ऊपर हमेशा यो इल्जाम लगाया

आगा पाछा देख्या कोन्या सही बात नहीं बिचारी।।


कीचक बी एक हुया बतावैं विराट रूप का साळा

दासी बणी द्रोपदी पै दिया टेक पाप का छाळा

अपनी बुरी नजर जमाई कर्या चाहया मुंह काळा

भीम बली नै गदा उठाई जिब देख्या जुल्म कुढ़ाळा

सारा राज पुकार उठ्या था नौकरानी की अक्कल मारी।।


पम्पापुर मैं रीछ राम का बाली बेटा होग्या देखो

सुग्रीव की बहु खोस लई बीज कसूते बोग्या देखो

गैंद बणा दी जमा बीर की उसका आप्पा खोग्या देखो

जमीन का हक खोस लिया मोटा रासा होग्या देखो

सबतैं घणी सताई जावै घर मैं हो चाहे करमचारी।।


पुलस्त मुनि का पोता हांगे मैं पूरा ए मगरुर होया

पंचवटी तें सीता ठाकै घमण्ड नशे मैं चूर होया

सीता थपी कलंकणी थी धोबी का कथन मंजूर होया

उर्मिला का तप फालतू था जिकरा चाहिए जरुर होया

झूठी शान की बलि चढ़ाई रणबीर या सबला मोहतारी

 886

कहानी

किसे और की कहाणी कोन्या इसमैं राजा रानी कोन्या

सै अपनी बात बिराणी कोन्या, थोड़ा दिल नै थाम लियो।।


यारी घोड़े घास की भाई, नहीं चलै दुनिया कहती आई

मैं बाऊं और बोऊं खेत मैं, बाळक रुळते मेरे रेत मैं

भरतो मरती मेरी सेत मैं, अन्नदाता का मत नाम लियो।।


जमकै लूटै सै मण्डी हमनै, बीज खाद मिलै मंहगा सबनै

मेहनत लुटै मजदूर किसान की, आंख फूटी क्यों भगवान की

भरै तिजूरी क्यों शैतान की, देख सभी का काम लियो।।


चाळीस साल की आजादी मैं, कसर रही ना बरबादी मैं

बाळक म्हारे सैं बिना पढाई, मरैं बचपन मैं बिना दवाई

कड़ै गई म्हारी कष्ट कमाई, झूठी हो तै लगाम दियो।।


शेर बकरी का मेळ नहीं, घणी चालै धक्का पेल नहीं

टापा मारें पार पडैग़ी धीरे, मेहनतकश रुपी जितने हीरे

बजावैं जब मिलकै ढोल मंजीरे, रणबीर का सलाम लियो।।

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