[30/01, 5:53 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 868
जाकै देखां गामां के हम रंग बदलते जावैं ।।
ताश खेलते पावैं पुराने ढंग बदलते जावैं।।
1
धरती बंटती बंटती या एक किल्ले पै जाली
चौपाड़ों की हाल बुरी पड़ी रहैं सैं खाली
नलक्यां की टूटी ना भरी गंदगी तैं नाली
बिना धरती आले आज घूमें जावैं ठाली
जोहड़ रहे ना बणी रही सब बंग बदलते जावैं।।
ताश खेलते पावैं पुराने ढंग बदलते जावैं।।
2
टेप रेकॉर्ड खत्म हुए यो मोबाइल आग्या रै
पुराणी धुन भूल रहे डी जे सबनै भाग्या रै
नौजवानों के म्हें मोह बाइक का छाग्या रै
कई जगां खुली अकेडमी उनमें बैठण लाग्या रै
म्हारे रहण की शर्त आज दबंग बदलते जावैं ।।
ताश खेलते पावैं पुराने ढंग बदलते जावैं।।
3
भैंस नै गाम ये थामे दूध बेच गुजारा होवै
महिला सारे काम करै न्यार सिर पै ढोवै
कितै महफूज कोण्या गैंग रेप रोजाना होवै
स्कूलों के हाल बुरे सैं देख कै नै मन रोवै
रिश्ते परिवारों के ये सब संग बदलते जावैं।।
ताश खेलते पावैं पुराने ढंग बदलते जावैं।।
4
अन्धविश्वाशों का यो बढ़ता आवै सै घेरा
कई ढाल की कावड़ कहैं करैं दूर अँधेरा
गणेश आये घर घर मैं कहैं ल्यावै नया सबेरा
हारी और बीमारी का घर घर हुया बसेरा
रणबीर शहर गाम होकै तंग बदलते जावैं।।
ताश खेलते पावैं पुराने ढंग बदलते जावैं।।
[30/01, 5:56 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 869
दुनिया की वित्त पूंजी नै कसूता अंधेर मचाया।।
सारे देशों मैं घुसगी मेहनतकश लूट कै खाया।।
जोंक बनकै लहू चूसै आज कारपोरेट साहूकार
कदेतैं हुक्म बजाती आयी सै केंद्र की सरकार
देश भक्त जो असली उनको बताते आज गद्दार
नकली देश भक्त आज बनगे देश के पहरेदार
राष्ट्रभक्ति के नाम पै तो अंध विश्वास फैलाया।।
सारे देशों मैं घुसगी मेहनतकश लूट कै खाया।।
2
कोटे परमट आले भेड़िए आज बनें सैं हितकारी
मजदूर किसान लूट लिए सबकी अक्कल मारी
मीठी मीठी बात करें पर भीतर तैं पूरे अत्याचारी
बकरी भेड़ समझैं हमनै आज के ये न्याकारी
कारपोरेट और वित्तपूंजी नै देश मैं धुम्मा ठाया।।
सारे देशों मैं घुसगी मेहनतकश लूट कै खाया।।
3
रिश्वतखोर मगरमच्छ पूरे हिन्दुस्तान मैं छागे
मजदूर किसान की कमाई चूट चूट कै नै खागे
अरबों के बने मालिक औधे घणे चौखे पागे
किसानी संकट के चलते ये किसान फांसी लागे
नये नये जुमले छोड़ कै यो हिन्दुस्तान भकाया।।
सारे देशों मैं घुसगी मेहनतकश लूट कै खाया।।
4
तीन मुंही नाग जहरी एकफन पै बड़ा व्यापारी
दूजे फन पै बैठी मारै भ्रष्टाचार की या थानेदारी
तीजे फन पै पूंजीपति करता कसूती मारा मारी
तीनों मिलकै देखो ये लूट घणी मचारे अत्याचारी
रणबीर सिंह नै यो टूटया फुटया छन्द बनाया।।
सारे देशों मैं घुसगी मेहनतकश लूट कै खाया।।
[30/01, 5:59 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 870
बुलेट ट्रेन
काफी चर्चा में है बुलेट ट्रेन। एक ट्रेक पर सवा लाख करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं जबकि काकोदकर कमेटी ने कहा था कि मौजूदा रेल पटरियों के पूरे ढांचे को ठीक करने के लिए एक लाख करोड़ चाहिए । क्या बताया भला -----
बुलेट ट्रेन चलावैगा जरूर, कसूता चढ़रया इंके शरूर
खड़या देखै किसान मजदूर,पूरे सवा लाख करोड़ गालैगा
1
इसकी जरूरत कति कोण्या, फेरबी बता क्यों ल्यावै सै
झूठे साच्चे फायदे बताकै जनता नै खामखा भकावै सै
बाकि रेलां का हाल बताऊँ, बुरी हालत इनकी दिखाऊं
जनता का मैं दुखड़ा सुनाऊं,भक्कड़ घणा कसूता बालैगा
बुलेट ट्रेन चलावैगा जरूर.....
2
दुसरे देशां मैं बुलेट ट्रेन या फेल होली बतावैं देखो
किराया आम नागरिक नहीं जमा बी दे पावैं देखो
जापान का हाल देखियो भाई, दूजे देशां मैं तबाही मचाई, फेरबी भारत मैं जागी चलाई, अडाणी अम्बानी नै पालैगा
बुलेट ट्रेन चलावैगा जरूर......
3
अस्सी हजार करोड़ खर्च इस एक ट्रेन पै होवैगा रै
बाकी ट्रेन जाओ धाड़ कै रेल यात्री बैठया रोवैगा रै
विकास नहीं विनाश राही चाले, गरीबों कै आज पूरे घर घाले, इनै कालजे म्हारे कसूते साले,आंदोलन के बिना नहीं टालैगा
बुलेट ट्रेन चलावैगा जरूर......
4
बेरोजगारी पै ध्यान कोण्या नौजवान मारे मारे फिरते
शिक्षा सेहत बाजार हवाले महिलावां के ये चीर चिरते
कलम चलाई रणबीर देखो, नहीं झूठी दिखाई तस्वीर देखो , स्थिति बताई घणी गंभीर देखो,हमनै यो डोबै बीच बिचालैगा।।
बुलेट ट्रेन चलावैगा जरूर.....
[30/01, 6:37 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 871
जनता की जनवादी क्रांति हम बदल जरूर ल्यावाँगे रै ॥
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
जनतन्त्र का मुखौटा पहर कै राज करै सरमायेदारी या
जल जंगल जमीन धरोहर बाजार के मैं बेचै म्हारी या
हम लोगां का लोगां की खातर लोगां का राज चलावांगे रै ॥
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
कौन लूटै जनता नै इब सहज सहज पहचान रहे
आज घोटाले पर घोटाले कर ये कारपोरेट बेईमान रहे
एक दिन मिलकै इन सबनै हम जेल मैं पहोंचावांगे रै ॥
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
जनता जाओ चाहे भाड़ मैं बिदेशी पूंजी तैं हाथ मिलाया
दरवाजे खोल दिए उन ताहिं गरीबाँ का सै भूत बनाया
जमा बी हिम्मत नहीं हारां मिलकै नै सबक सिखावांगे रै ॥
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
बढ़ा जनता मैं बेरोजगारी ये नौजवान भटकाये देखो
जात पात गोत नात मैं बांटे आपस मैं भिड़वाये देखो
किसान मजदूर के दम पै करकै संघर्ष दिखावांगे रै ॥
[31/01, 6:13 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 872
RANBIRDAHIYARAGNI
आज का माणस
आज का माणस किसा होग्या सारे सुणियो ध्यान लगाकै
स्वार्थ का कोए उनमान नहीं देख्या ज़िब नजर घुमाकै
चाट बिना भैंस हरियाणे की दूध जमा ना देवै देखो
इसका दूध पी हरियाणवी खुबै ए रिश्वत लेवै देखो
भगवान इणनै सेहवै देखो यो बैठया घर मैं आकै।
और किसे की परवाह कोण्या अपने आप्पे मैं खोया
दूज्यां की खोज खबर ना हमेशा अपना रोना रोया
कमजोर कै ताकू चभोया बैठै ठाड्डे की गोदी जाकै।
दूसरयाँ नै ख़त्म करकै अपना व्यापर बढ़ावै देखो
चुगली चाटी डांडी मारै सारे हथकण्डे अपनावै देखो
दगाबाज मौज उड़ावै देखो चौड़ै सट्टे की बाजी लाकै।
मारो खाओ मौज उड़ाओ इस लाइन पै चाल पड़या
हाथ ना आवै जै आवै तो होवै रिश्वत कै तान खड़या
रणबीर सिंह नै छंद घड़या सच्चाई का पाळा पाकै।
[31/01, 6:25 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 873
किसान के शोषण के बारे एक गीत (रागनी )
मौलड़ कहकै तनै तेरा शोषण साहूकार करै ॥
मौलड़ कोन्या करम तेरे तैं तूँ ना इंकार करै ॥
भैंस खरीदी तनै जिब धार काढ़ कै देखी थी
बुलद खरीदया तनै जिब खूड बाह कै देखी थी
वैज्ञानिक ढंग अपनाये कौन नहीं स्वीकार करै ॥
हल की फाली तनै अपने सहमी तयार करायी
पिछवा बाल की महत्व तनै ध्यान मैं ल्याई
पूरी खेती बाड़ी मैं तर्क विवेक तैं सब कार करै ॥
एक क्वींटल गंडे की तनै कितनी कीमत थ्यायी
इसकी बैठ कै तनै कद विवेक तैं हिस्साब लगाई
शीरा अर खोही कितनी थी नहीं खाता तैयार करै ॥
तनै मौलड़ कह्वानीया ना चाह्ता हिस्साब सीखाना \
हमनै तो चाहिए कमेरे म्हारी लूट का खाता बनाना
रणबीर बरोने आला लिखकै तनै होशियार करै ॥
[01/02, 5:46 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 874
**साथी प्रभात के जन्म दिन के मौके पर**
जनता की जनवादी क्रांति की अलख जगाई प्रभात तनै ।।
यूनियन बनाकै मजदूरां की जी लाकै करी खुभात तनै ।
1
किसान मजदूर करे लामबंद गई मांग उनकी ठाई
कमेरे की लूट करैं लूटेरे जा जाकै गामां मैं बात बताई
भट्ठे मालिकां की खोल दईं मजदूरां बीच खुराफात तनै।
यूनियन बनाकै मजदूरां की जी लाकै करी खुभात तनै ।
2
पत्थेरे और कमेरे भठ्यां पै सहज सहज साथ मैं आगे
बहोत से भठ्यां के ऊपर फेर ये लाल झंडे लहरागे
जागरूक करी हाँगा लाकै खेत मजदूरां की जमात तनै।
3
इनकी जिंदगी गेल्याँ कहते नजदीक का रिश्ता बनाया था
इनके जीवन के बारे में अपना घना ए टेम लगाया था
मजदूरों की खड़ी करदी एक घणी लड़ाकू जमात तनै ।
यूनियन बनाकै मजदूरां की जी लाकै करी खुभात तनै ।
4
मजदूरों के जीवन पै लिखी कई कहानी लगा जोर तनै
भट्ठे मालिकों की धमकी भी नहीं कर पाई कमजोर तनै
रणबीर पढ़कै लेनिन मार्क्स कर दिखाई करामात तनै ।
यूनियन बनाकै मजदूरां की जी लाकै करी खुभात तनै ।
[01/02, 5:46 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 875
**सलाम आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के संघर्ष को**
आंगनवाड़ी की आत्म कथा
आंगनवाड़ी मैं काम क रूं आप बीती बताऊं बेबे ।।
काम घणा करना होसै तंनखा नाम की पाऊं बेबे ।।
1
मां और बच्चों की सेवा का केंद्र आंगनवाड़ी बताया
कुपोषण तैं निपटने का यो ग्रामीण केंद्र बनाया
उन्नीस सौ पिचासी मैं सरकार ने प्रोग्राम चलाया
आंगन आश्रय भी कहदें यो हिंदुस्तान में फैलाया
सार्वजनिक स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा सुनाऊं बेबे ।।
काम घणा करना होसै तंनखा नाम की पाऊं बेबे ।।
2
गांव की महिला नै गर्भ निरोधक परामर्श देती
इनकी सप्लाई करने का जिम्मा अपने जीमै लेती
सेफ पीरियड के बारे मैं बैठ बात करैं मेरे सेती
कई सुना कै अपना दुखड़ा रो रो के आंख भेती
जी करड़ा कर कै नै उन ताहिं सारी समझाऊं बेबे ।।
काम घणा करना होसै तंनखा नाम की पाऊं बेबे ।।
3
और कामां की गेल्यां सै यो पोषण शिक्षा का जिम्मा मेरा
खून की कमी कइया मैं चालती हाण आवै अंधेरा
खाने पीने मैं के खाना कईयां नै ना इसका बेरा
बाल कुपोषित मां का पीला पड़ता आवै चेहरा
के खाना पीना चाहिए कई कई घंटे लाऊं बेबे ।।
काम घणा करना होसै तंनखा नाम की पाऊं बेबे ।।
4
सतरां रजिस्टर मेरे पास बात जरे कोन्या थारे
बुनियादी दवाई भी देना कई काम जिम्मे म्हारे
टीकाकरण की जिम्मेदारी घर-घर घूमैं सारे
छोटे बालकां नै पढ़ाऊं कामां का बोझ मनै मारे
रणबीर और भी काम घने ये किसनै बताऊं बेबे।।
काम घणा करना होसै तंनखा नाम की पाऊं बेबे ।।
[01/02, 11:47 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 876
हरियाणा नै खो दिया वो जो आर्थिक जगत मैं कमा राख्या ।।
सामाजिक स्तर पर रूढिवाद वो आज भी क्यों ब्याह राख्या।।
1
पुराने परम्परावादी बीज छोड़ नये बीज अपनाये
हल छोड़ बुलधां आला थाम ट्रैक्टर तावले से ल्याये
गोबर खाद सदियां की छोड़ कैमिकल खाद बिखराये
छोड़ घाघरा सलवार पहरी खंडवे एक औड़ धरवाये
ब्याह शादी के मामले मैं रूढ़ का रुख क्यों अपना राख्या।।
सामाजिक स्तर पर रूढिवाद वो आज भी क्यों ब्याह राख्या।।
2
महिला नै हरेक काम मैं तेरा पूरा साथ निभाया देख
माट्टी गेल्या हो माट्टी तेरा घर इसनै खूब बसाया देख
खेलों मैं नहीं रही पाछै ये स्वर्ण पदक भी दिवाया देख
पेट मैं मर मार कै तनै बता कौणसा पुन कमाया देख
गैंग रेप की संख्या नै सम्मान यो धरती ऊपर टिका राख्या।।
सामाजिक स्तर पर रूढिवाद वो आज भी क्यों ब्याह राख्या।।
3
अंध उपभोक्तावाद की या बाजार व्यवस्था हिम्मत करै
लड़के लड़की के अंदर पितृसत्ता खुल कै नै दुभान्त करै
पितृसत्ता की संस्कृति की पूरी यरफदरी खाप पंचायत करै
हाथ जोड़ के अर्ज मेरी समझो जै कोये समझाँने की बात करै
समतावादी समाज बनावां इसका बीड़ा आज ठा राख्या।।
सामाजिक स्तर पर रूढिवाद वो आज भी क्यों ब्याह राख्या।।
4
वंचित तबके और महिला साथ नौजवान भी आवैंगे
उत्तम शिक्षा सबको काम यो नारा चौगिरदें गुंजावेंगे
अत्याचार भ्रष्टाचार तैं लड़कै नया इतिहास बणावैंगे
जात पात और धर्मान्धता नै मिलजुल कै नै मिटावैंगे
सोच समझकै नए हरियाणे का रणबीर यो राह बता राख्या ।।
सामाजिक स्तर पर रूढिवाद वो आज भी क्यों ब्याह राख्या।।
[01/02, 6:05 pm] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 877
2086-87 के वक्त लिखी रागनी
*दसमीं ताहिं का स्कूल आगै क्युकर करूं पढ़ाई मैं।।*
*माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।*
1
माँ बोली आज जमाने मैं बिना पढ़ाई कोये बूझै ना
शहर मैं क्युकर खंदाऊँ बाबू कहै मनै राही सूझै ना
*बोल्या हाथ पीले करने होंगे सुनकै घणी घबराई मैं।।*
माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।
2
बाबू बोल्या बुरा जमाना शहर ठीक नहीं सै जाणा
ऊंच नीच कोये होज्यागी तै यो होज्या मोटा उल्हाणा
*क्युकर मनाऊं मेरे बाबू नै हे इस चिंता नै खाई मैं।।*
माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।
3
माँ बोली माहौल गाम का शहर तैं आज न्यारा कोण्या
डर कै घर मैं दुबके तो होवै कति आज गुजारा कोण्या
*मैं बोली मत ठाओ पढ़ण तैं मरज्यांगी बिन आई मैं।।*
माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।
4
पांच सात दिन पाछै बाबू नै मुँह अपना खोल्या
डर लागै बेटी मनै रणबीर आंख्या पानी ल्या बोल्या
*साच्ची बूझै तो ईब करना चाहूं बेटी तेरी सगाई मैं।।*
माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।
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