Friday, 30 March 2018

रूढ़िवाद

रूढ़िवाद
रूढ़िचाद यो म्हारे देस मैं क्यों चारों कान्ही छाया।
फरज माणस का सच कहने का ना जाता आज निभाया।।
पुराने मैं सड़ांध उठली पर नया कुछ बी कड़ै आड़ै
नया जो चाहवै सै ल्याणा पार ना उसकी पड़ै आड़ै
घनखरा ए माल सड़ै आड़ै कहैं राम की सब माया।।
वैज्ञानिक सोच का पनपी लाया कदे विचार नहीं
पुराणा सारा सही नहीं हुया इसका प्रचार नहीं
नये का वैज्ञानिक आधार नहीं अन्धकार चौगरदें छाया।।
नये मैं बी असली नकली का रास्सा कसूत छिड़ग्या
वैज्ञानिक दृष्टि बिना यो म्हारा दिमाग जमा फिरग्या
साच झूठ बीच मैं घिरग्या हंस बी खड़या चकराया।।
पिछड़े विचारां का प्रचार जनता नै आज भकाया चाहवैं
बालकां का दूध खोस कै गणेश नै दूध पिलाया चाहवैं
दाग जनता कै लाया चाहवैं रणबीर सिंह बी घबराया।।







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