Friday, 30 March 2018

81.105



-81-

गुप्ती घा
गुप्ती घा जिगर मैं होगे पीकै दारू सतावै मतना।
निरदोसी से कुन्बा तेरा इसकै दोस लगावै मतना।।
पीकै दारू पड़या रहै कटती नहीं दिन रात पिया
बिना बात तूं करै पिटाई दुख पावै सै गात पिया
घरकी इज्जत खोदी तनै और बट्टा लगावै मतना।।
बुरे करम रोज करै सै तनै कति शरम नहीं आवै
चोरी जारी ठग्गी सब सिखी चोर कै पीस्से लेज्यावै
तेरी क्यूकर धोक मारूं मान सम्मान घटावै मतना।।
क्यूं दारू पीकै गल्तान रहे दिल अपने की बात बता
तड़कै शुरू होज्या नहीं देखै दोफारा और रात बता
होवण लागरी कुणबा घाणी और गलती खावै मतना।।
तेरी दारू करण आज पड़गे बालकां नै धक्के खाणे
क्यूं दारू की खातर बेचै बरतन भांडे ये तनै बिराणे
रणबीर मौत मुंह मैं जिन्दगी म्हारी धकावै मतना।।















-82-

याहे दुनिया
जो सै वो सै इस दुनिया मैं जानल्यां हम सच्चाई नै।
बाकी बात झूठ सारी नहीं आवां किसे की भकाई मैं।।
आज की दुनिया का अपना एक इतिहास बताया
झूठे कामचोरों नै अपना यो मुखौटा न्यारा बनाया
साच झूठ मैं जंग होती, कुदरत नै पाठ पढ़ाया
साच छिप नहीं सकती, झूठ की हो नश्वर काया
पदार्थ तै बनी दुनिया, समझां विद्वानां की लिखाई नै।।
पदार्थ के कई गुण सैं, हर बख्त गतिमान रहै
कदे नष्ट नहीं हो सकता, दुनिया का विद्वान कहै
परिवर्तनशीलता गुण सै, न्यां साइंसदानकहै
वैज्ञानिक सोच जिसकी उनै गुणां की पहचान रहै
पदार्थ का ज्ञान लेना हो सरतो चमेली भरपाई नै।।
या दुनिया कुदरत के नियमां के हिसाब मैं चलती
माणस करै छेड़खानी तो आंख कुदरत की बलती
जै नियमां का पालन हो कुदरत साथ म्हारे रलती
इसको नष्ट करता बाजार या बात इसकै खलती
बाजार नै माणस लूटे, लूटी कुदरत अन्याई नै।।
विज्ञान नै कुदरत की सच्चाई के भेद खोल दिये
मानव श्रम करै दौलत पैदा लगा सही तोल दिये
वैज्ञानिक सोच उंचा गुण सै बता सच्चे बोल दिये
इस सोच के दम पै देखो पाप के हांडे फोड़ दिये
रणबीर बरोने आला समझै विज्ञान की गहराई नै।।

               





-83-

बाबा फरीद
बाबा फरीद तेरे शहर मैं आज निराला
पहलम आली सारी चीजां का बदल्यां मनै रंग देख्या।।
1. फरीद तेरे काट नै आज कर कूण बदनाम रहे सैं
  बणकै तेरे रूखाले छिपा अपणे काले काम रहे सैं
  खड़क जाम पै जाम रहे सैं शरीफ आदमी दंग देख्या
  पहलम आली सारी चीजां...
2. काला धन कमा कमा ये शरीफ बणे बदमाश दखे
  तेरी माला जप जप कै माणस होगे उदास दखे
  गरीब कै बची ना आस दखे अमीर कसूता नंग देख्या
  पहलम आली सारी चीजां...
3. तेरे बख्त के प्यार मुलाहजे मुश्किल टोहे पावैं देख
  जनता मैं शरीपफ बणते रात अन्धेरी गुल खिलावैं देख
  महिला नै सतावैं देख नेता अफसर के संग देख्या
  पहलम आली सारी चीजां...
4. त्याग और तपस्या आज फरीद सब कड़ै चली गई
  तेरी सादी भोली जनता सभी जगह पर छली गई
  या बेकसूर दली गई रणबीर सिंह बी तंग देख्या
  पहलम आली सारी चीजां...












-84-

काला धन
किसनै किसका के ठा राख्या, मुंह नै सुजाएं हांड रहे।
जनता बनाई काली गउ अमीर बण से सांड रहे।।
1. धन काला और काले काम, सफेद लबादा औढ़ रहे
  वैश्वीकरण नै बता दवाई, फैला समाज मैं कोढ़ रहे
  कदे हवाला यो कदे तहलका, कर कांड पै कांड रहे।।
2. रक्षक बणकै भक्षक आगे, समाज का ताना तोड़ दिया
  गुण्डागदरी छाई समाज मैं, शरीफ का बाणा छोड़ दिया
  आजादी की जंग के मुखबर, बैठे कुर्सी पै बांड रहे।।
3. घर शीतल ये कार ठंडी, होटल पांच सितारा इनके
  चित बी मेरी पिट बी मेरी, आज पौ बारा इनके
  उनके चलैं जहाज हवाई जिनके बण भांड रहे।।
4. पीस्सा छाग्या दुनिया मैं, आज बाजार कब्जा करग्या
  अमीर घणा अमीर होग्या, गरीब ज्यान तै मरग्या
  रणबीर बरोने आले कै, अमीर तोहमद मांड रहे।।















-85-
मुर्गी पहलम अक अण्डा
चम्पा: घणी ए दुखी करी बहना इस छोटे से परिवार नै
चमेली: कड़ तोड़ कै धर दी मेरी बालकां की इस लार नै।।
चम्पा: जिस घर मैं थोड़े बालक सुण्या ओ आच्छा घर हो सै
      पढ़णा लिखणा हो बढ़िया ना करजे का डर हो सै
      क्याहें चीज का तोड़ा ना सुरग मैं कहैं न नर हो सै
      प्यार रहे छोटे घर के म्हां एक दूजे की खबर हो सै
      इतना कुछ दे कै बी मैं क्यों दुखी करी करतार नै।।
चमेली: नौ बालक जणे थे मनै बस पांच ईब आगै बेबे
      नहीं मिलै दवाई बख्त पै जिब दिन उल्टे लागैं बेबे
      ये गाम आले मेरे उपर बोल घणे कसूते दागैं बेबे
      सारे कमा कै ल्यावां सां फेर म्हारे भाग ना जागैं बेबे
      बड्डा कुणबा साहरा देवै क्यूकर समझाउं संसार नै।।
चम्पा: मनै चिन्ता रहवै रोजाना उनकी ठीक पढ़ाई की
      सेहत ठीक ना रैहती या पड़ती मार दवाई की
      मारबल का मकान हो चिन्ता पानी सप्लाई की
      घरां काम बाहर नौकरी औटूं डाट थारे जमाई की
      बालक टी.वी. नै चूघैं मार दिये चैनलां की भरमार नै।।
चमेली: दोनूं बाहण दुखी सां नहीं बात काबू मैं आई
      छोटे बड्डे का ना रोला या विकास मैं रोल बताई
      मेहनत के फल का बंटवारा ना देता ठीक दिखाई
      माण का माण बैरी औरत जा घणी सताई
      कौन बैरी खोस कै लेग्या आज सारी म्हारी बहार नै।











दोनूं: घणी जनसंख्या के कारण दुख कोण्या म्हारे ये
      म्हारे दुखां का कारण दीखैं जिन्दगी के बंटवारे ये
      इसी रची समाज व्यवस्था गरीब धरती कै मारे ये
      विकास का बे
      बेबे बैठकै सोचां क्यूकर करां दुखी घरबार नै।।
      इसा विकास हो देश मैं जिसमैं ठीक बंटवारा हो
      प्यार बढ़ै आपस में ना भाई का भाई हत्यारा हो
      बलात्कारी ना टोहे पावैं म्हारासुखी हर गलियारा हो
      जनसंख्या समस्या ना दीखै सबकै फेर उजियारा हो
      फेर परिवार नियोजन ना करना पड़ैगा सरकार नै।।




















-86-

तहलका डॉट कॉम
यो देख्या टी वी खोलकै
कॉम तहलका डॉट
या लागती दिल पै जाकै
बंगारु पीस्से गिनता पाया
इनै संघ का नाम कटाया
पार्या जार्ज म्हां टोल कै
कर लिऐ पूरे ठाठ
भारत की बोली लाकै।।
करकै दलाली घर भरे
काले धंधे तमाम करे
मरे फौजी जय बोल कै
ये सूनी करगे खाट
छाती मैं गोली खाकै।।
चोरी सीना जोरी दिखाते
धरम का जहर पफैलाते
पिलाते मैं घोल कै
दिन पूरे तीन सौ साठ
जनता नै बहकाकै।।










-87-

पापी
वायदा करकै नाटै, उंका ना पूरा पाटै।
डाहल नै खुद काटै, पीटें जावै लकीर नै।।
वो हमेश झूठ का साथ होसै
सोच उसकी जमा बासी होसै
वो माणस पापी हो, करै अपना धापी हो
थाह ना जा नापी हो, बात कही कबीर नै
ना बात बतावै दिल की कदे,
ना बात करै अकल की कदे,
हो करम का मुआ, वो लालच का कुंआ
जहरी उंका सुआ, करै खतम शरीर नै।।
विज्ञान का बैरी कसूता होसै,
इनै बरतै खूब नपूता वोसै,
तकनीक नै बरतै, पीस्सा खूबैए खरचै
औरां नै ओ बरजै, सराहवै सै अमीर नै।।
ओ बनी बनी का यार सबका
चोर चार ठग जितना तबका
झूठ पै ऐश करता, फेर बी ना भरता
कहे बिना ना सरता, बरोनिया रणबीर नै।।










-88-

राजबाला अपने पति अजीत से पूछती है कि गुजारा कैसे होगा? गिहूं पिटगे, धान पिटग्या, बिजली महंगी, खाद महंगी, पढ़ाई महंगी और दवाई महंगी। अजीत राजबाला को अपने दिल की बात बताता है:-
खेती नै बचावै जो, रोटी बी दिलावै जो, देश नै चलावै जो
इसी लहर उठाणी सै जरूर।।
धनी देश एक टोल बनारे, ये मिलजुल रोल मचारे
बिगाड़ी म्हारी चाल, तारली जमकै खाल, करे गलूरे लाल,
इनकी काट बिछाणी सै जरूर।।
ये मंदिर नै हटकै लियाये, जिब रोटी दे नहीं पाये
जात तै हम बांटे, धर्म पै खूब काटे, मन करे सैं खाटे
या मानवता बचाणी सै जरूर।।
बाजार की दया पै छोड़ दिये, अमरीका तै गठजोड़ किये
पीट दिया धान क्यों, काढ़ी म्हारी ज्यान क्यों, ना कोए ध्यान क्यों
या कमीशन बिठाणी सै जरूर।।
नंगी फिल्में गन्दे गाणे टीवी पै, लिहाज बची ना परजीवी पै
रणबीर सुण ले, सही राही चुन ले, कर पक्की धुन ले
नई समाज बणाणी सै जरूर













-89-

सपना राजबाला का
  रोटी कपड़ा किताब कॉपी नहीं घाट दिखाई देंगे
  मार पिटाई बंद हो सारी ओ दिन कद सी आवैगा।।
  चेहरे की त्यौरी मिटज्यां सब ठाठ दिखाई देंगे
  काम करण के घंटे पूरे फेर आठ दिखाई देंगे
  म्हारे बालक बणे हुये मुल्की लाठ दिखाई देंगे
  कूकै कोयल बागां मैं प्यारी ओ दिन कद सी आवैगा।।
  दूध दही का खाणा हो बालकां नै मौज रहैगी
  छोरी मां बापां नै फेर कति ना बोझ रहैगी
  तांगा तुलसी नहीं रहै दिवाली सी रोज रहैगी
  बढ़िया ब्यौहार हो ज्यागा ना सिर पै फौज रहैगी
  ना हो औरत नै लाचारी ओ दिन कद आवैगा।।
  सुलफा चरस फीम का ना कोए भी जमली पावै
  माणस डांगर नहीं रहै ना कोए जंगली पावै
  पीस्सा ईमान नहीं रहै ना कोए नकली पावै
  दान दहेज करकै नै दुख ना कोए बबली पावै
  होवैं बराबर नर और नारी ओ दिन कद सी आवैगा।।
  माणस के गलै न माणस नहीं कदे बी काटैगा
  गाम बरोना रणबीर का असली सुर नै छाटैगा
  लिख कै बात चमेली की सब दुख सुख नै बांटैगा
  वोह पापी होगा जो इस सुणनै तै बांटैगा
  राड़ खत्म हो म्हारी थारी ओ दिन कद सी आवैगा।।









-90-

अजीत की बात सुनकर राजबाला पूछती है कि इसका इलाज क्या हो? अजीत कहता है मुझे नहीं पता क्या बनेगा? राजबाला कहती है कि सोचना तो पड़ेगा। अपनी पुरानी खेती बोनी छोड़ कर पफूल की खेती आखिर कहां ले जाएगी हमें? क्य कहती है भला:-
खेती म्हारी टोचन करदी, ईब दुनिया के मण्डी बाजार तै।
बदेशी कंपनी बेलमाम घूमैं, ना काबू आवैं सरकार तै।।
1. गिहूं, बाजारा बोणा छोड़कै, हम फूल उगावण लाग्गै हो
  अपणे बिना पफूलां के क्यों, उनके महम सजावण लाग्गे हो
  शादी पै माखी भिनकै उनकी, क्यों टहल बजावण लाग्गे हो
  देशी खेती मंधी मारदी, सब किसान बतलावण लाग्गे हो
  म्हारा उजड़णा लाजमी सै, जो चाले इसे रफतार तै।।
2. मुंह मांगी कीमत देकै, फूल उगावण नै मजबूर करैं
  उनके स्वाद पूरे होज्यां, हमनै रोटियां तै भी दूर करैं
  गिहूं की कीमत पै सब्जी बोवां, किमै गलती जरूर करैं
  यो रास्ता पिट लिया हम, इस राही पै गरूर करैं
  भूख फैले बोहत घणी कैसे मिलै भोली भरतार तै।।
3. कुपोषण म्हारे देस मैं ईब, दिन दिन और बढ़ैगा हो
  धरती की ताकत मारी जा, म्हारा पैदावार घटैगा हो
  मन्दी का दौर चाल पड़या, महंगाई का ताप चढ़ैगा हो
  गरीब आदमी मारया जागा, चौड़े जुलूस कढ़ैगा हो
  जनता दुखी सै इन झूठे, नारां की तेरी हुंकार तै।।
4. भारत का किसान मरया तै, आजाद बचै हिन्दुस्तान नहीं
  देश बचावण की कौण कहै, जिब बचै यो इन्सान नहीं
  मानवता खतरे में गेरदी, क्यों बोलै यो भगवान नहीं
  अनैतिकता पै खड़ै होकै, मानतवा बचाना आसान नहीं
  कहै रणबीर सिंह बरोने आला, लड़ै कलम के हथियार तै।।




-91-

एक दिन जोगी किसान की दशा पर गाने लगता है तो राजबाला टोक देती है और रूप बसन्त के किस्से से सुनाने को कहती है तो जोगी सुनाता है बात उस वक्त की जब जहाज से सेठ रूप को समुन्द्र में धक्का मार कर गिरा देता है और चन्द्र को अपने कब्जे में कर लेता है:-
सेठ कै बेइमाना होग्या रूप समुन्द्र मैं धिका दिया।
पराई नार पै नीत डिगाई असली रूप दिखा दिया।।
1. भौंचक्का रैहग्या रूप एक बै बात समझ मैं आई ना
  थोड़ा ए तिरना जाणै था उड़ै दिया कुछ दिखाई ना
  चन्द्रा चन्द्रा रूक्के मारे चन्द्रा नै दिया सुनाई ना
  नहीं हौंसला हारया रूप नै जोर पूरा लगा दिया।।
2. जोर की बाल चाल पड़ी समुद्र मैं फेर लहर चली
  तिरता होया एक तख्ता आया नजर रूप की ठहर चली
  साहरा रूप नै तख्ते का सांस पफेर वाई पहर चली
  रूप नै ले कै वा किस्ती पास बसे एक शहर चली
  हौंस आवन्ते उठ लिया चन्द्रा का नाम गुंजा दिया।।
3. कड़ै थी चन्द्र क्यूकर बोले कैद जहाज मैं पड़ी हुई
  एक एक करकै याद आगी रूप नै चिन्ता बड़ी हुई
  रोवन्ती दीखै चन्द्रा रूप नै जहाज उपर खड़ी हुई
  मुक्का मार लिया छाती मैं रूप कै मजबूरी अड़ी हुई
  रोया रूप दहाड़ मारकै उड़ै पत्ता-पत्ता रूला दिया।।
4. बैठ पेड़ की छाया मैं हटकै अपणे कीे तैयार किया
  सोचै सेठ नै धोखे तै क्यों इस घटिया वार किया
  दीन ईमान सब भूल गया पर नारी पै मन मार लिया
  सेठ तै बदला लेने का पक्का मन मैं धार लिया
  रणबीर बरोने आले नै फेर कलम सही चला दिया।।





-92-

राजबाला घर के काम से फारिग होकर जोगी का इन्तजार कर रही थी। दो मिनट बाद जोगी आ गया और उसने गीत सुनाया:
एड्डी ठा ठा देखूं सूं यो जमाना कड़ै जा लिया।
के बणैगी आगे सी मैं इसे चिन्ता नै खा लिया।।
1. बुलध गया टैªक्टर आ गया यो थ्रैसर हमने भाया
  मशीन पानी काढ़ै देखो हार वेस्टर कम्बाइन आया
  महारे पै आरा चलाया क्यों कम्प्यूटर ठा लिया।।
2. चाक्की आटा पीस्सै बिजली दूध बिलोवै म्हारा
  बटन दबा गंडासा चालै धनवानां के पौ बारा
  गरीब का कड़ै गुजारा जोड़ सारा ला लिया।।
3. नवोदय मैं पढ़ै उनके म्हारे स्कूल सरकारी मैं
  बढ़िया दवा दारू उनकी म्हारे सड़ैं बीमारी मैं
  सोचां पड़े लाचारी मैं नूनी किसनै ता लिया।।
4. टी.वी. उपर फिल्म नंगी किंके दम पै दिखाई जां
  औरत दी एक चीज बणा बाजार मैं बोली लाईजां
  चौड़ै रिश्वत खाई जां रणबीर औड़ आ लिया।।














-93-

राजबाला ने जागी से पूछा-कई दिन तक दिखाई नहीं दिये। जोगी बोला-हफ्रते के लिए गुजरात चला गया था। राजबाला पूछती है वहां के क्या हाल हैं? जोगी बताता है:
भुज शहर मैं जाकै हमनै, मलबे के
भूखे प्यासे और भीख मांगते, लाचार माणस बड़े देखे।।
1. मलबा पड़या चारों कान्ही, एकाध मकान बचा हुया
  कोए रोवै छात पै बैठया, कोए चिल्लावै था दब्या हुया
  कोहराम उड़ै मच्या हुआ, अफसर निढ़ाल खड़े देखे।।
2. अफरा-तफरी माच रही, किस नै कुछ ना सूझ रह्या
  ट्रक आला सामान ल्याया, कित तांरू न्यों बूझ रह्या
  शहर मौत तै जूझ रह्या, गिद्ध लाशां पै लड़े देखे।।
3. कितै कई-कई चिता जलैं थी, कितै कोए कराहवै था
  लाशों के
  माणस नै माणस बचावै था, खाली पाणी के घड़े देखे।।
4. कितै पूरा कुणबा खत्म होग्या, कितै यो बालक रोंता हांडै
  कितै कूण मैं पड़ी बेटी रोवै, कितै बाप एकला बांडै
  रणबीर सिंह तसवीर मांडै, लाशां के लुटते कड़े देखे।।














-94-

सुबह के बारा बज गये। जोगी का इकतारा नहीं सुनाई दिया। राजबाला कुछ बेचैन हुई। जोगी का इकतारा बज उठा, वह भाग कर गली में आई। जोगी गा रहा था:
गिणकै दिये बोल तीन सौ साठ दिल्ली आल्यो।
ना सुणते बात हम देखें बाट दिल्ली आल्यो।।
1. खत्म म्हारी पढ़ाई तम कति बोलते कोण्या
  मरते बिना दवाई तम कति सोचते कोण्या
  जुबां कति खोलते कोण्या होगे लाट दिल्ली आल्यो।।
2. इसी नीति अपनाई किसान यो बरबाद कर्या
  घर उजाड़ कै म्हारा अपणा यो आबाद कर्या
  तमनै यो फसाद कर्या तोलकै घाट दिल्ली आल्यो।।
3. म्हारे बालक सरहद पै अपणी ज्यान खपावैं
  थारे घूमैं जहाजां मैं म्हारे खेत खान कमावैं
  भूख मैं टेम बितावैं थारे सैं ठाठ दिल्ली आल्यो।।
4. सात सौ चीजां की रणबीर सीम खोल दई
  ये भैंस बकरी सब किबवा बिन मोल दई
  मचा रोल दई गया बेरा पाट दिल्ली आल्यो।।















-95-

स्वदेशी का
स्वदेशी का
भीतरले में जहर काला यो बाहर सफेद रंग थारा क्यूं।।
1. समाज बिगाड़ण की ठेकेदारी, अपणे नाम छुटाई आज
  नारी दी एक चीज बणा तमनै बीच बाजार बिठाई आज
  चेले चपट्यां ने उसके शरीर परै नजर सै गड़ाई आज
  दे दे कै फतवे थारे बरग्यां नै या क्यों घरां बिठाई आज
  बाजार मैं शरीर इनका बेचो लाओ मातृ शक्ति का नारा क्यूं।।
2. औरत ताहिं हक बराबर के नहीं देवणा चाहते हम
  जननी और देवी कैहकै नै इसको खूब भकाते हम
  क्लबां मैं नगा नचाते इसनै जिब क्यूं ना शरमाते हम
  दूजी कान्ही कसूर इसी का बेशरमी से बताते हम
  नैतिकता का नारा लाओ खोल्या अनैतिकता का भंडारा क्यूं।।
3. स्वदेशी का नारा उफंचे सुर मैं सब पुकार रहे
  न्योंत न्यौंत के बदेशी क्यों उजाड़ सब कारोबार रहे
  इसी नीति अपणा राखी सब खत्म कर रोजगार रहे
  मुट्ठीभर तै मौज करैं गरीबां कै उपर चला वार रहे
  थारे महल अटारी सारे गरीबां का फुट्या
4. आपा धापी मचा दई अराजकता का माहौल रचाया सै
  फासीज्म अराजकता के दम पै दुनिया मैं आया सै
  देश जाओ चाहे भाड़ मैं सुखी चाही अपणी काया सै
  अमीरां आग्गै गोड्डे टेक दिये गरीब घणा दबाया सै
  रणबीर की भूख दीखै कोन्या अमीरां के पौ बारा क्यूं।।







-96-
बाबू-बेटी
बाबू मनै रोकै मतना, जाण दे समिति के जत्थे मैं।
रैह बोल चुपकी हाथ ना लावै भिरड़ां के छते मैं।।
बेटी: समिति ने बदल ल्याण की या नई जंग छेड़ी सै
म्हारा विकास हिमाती किसका या तत्त काढ़ कै गेड़ी सै
पता लगाया किसनै गेरी म्हारे पाहयां मैं बेड़ी सै
माणस तै हैवान बनाये या आगे की राह भेड़ी सै
चोर बदमाशां नै जत्था चाहवै ईब देणा हत्थे मैं।।
बाबू: कैहवण की सैं बात बेटी, यो मनै सारा बेरा सै
पांचों आंगली बरोबर कोण्या योहे कैहणा मेरा सै
सबनै बरोबर करै समिति बोल्या तेरे पै छेरा सै
झूठे साचे दिखा कै सपने यो मन मोहया तेरा सै
समिति मैं कड़ै ताकत बेटी, या नहीं किसे खत्ते मैं।।
बेटी: इतनै बढ़िया माणस ना कोए बाबू दिल मानै मेरा
चाल तनै मिलवां दॅयं उनतै पफेर दिल ठुकज्या तेरा
महिला समता सही चाहवन्ते इतना तै मनै बेरा
जनता होश संभालै तो फेर होज्या दूर अन्धेरा
बैरी नै उलझा दिये सां ताश सुलफे अर सट्टे मैं।।
बाबे: बेरी तों समझण जोगी सै घण बुरा जमाना आर्या
रिश्तेदारां का भी नहीं भरोसा रोज अखबार बतार्या
उफंच-नीच किमै होगी तै मुश्किल होज्या घणी भार्या
तरूं डूबूं सै जी मेरा बेटी मनै नहीं किनारा पार्या
कड़ै समझ सै बेटी इतनी सादे भोले इस फत्ते मैं।।
बेटी: बाबू रोकै मतना दिल मैं उठया सै मेरे तूफान
अपनी बेटी पै राख भरोसा जग मैं बाकी सै इंन्सान
समिति चाहवै म्हारी भलाई मेरा सही उनमान
इसका जो ना साथ दिया तो छाज्यां सोर कै शैतान
रणबीर सिंह बरोने आला कफन बांधर्या मत्थे पै।।



-97-

एक दिन अजीत बहादुरगढ़ से दिल्ली जा रहा था। बस में एक महिला भीख मांगती हुई गा रही थी:
तेरी थोड़ी सी जिन्दगानी, इतनी क्यूं कर रया बेईमानी।
सिर पै काल तेरे छोरे, फिर भी समझया ना अग्यानी।।
मतलब का है कुटुम्ब कबीला जिसनै तूं कहता मेरा
ना तूं किसी का न कोई तेरा यो चिड़िया नैन बसेरा
तेरा कोई नहीं पिरानी, इतनी क्यों ठावै सै परेशानी।
क्यूं तूं बंध्या पाप के डोरै, या दुनिया है आनी जानी।।
पीस्से की म्यें हाय लागरी, न्यों होगी डूबा
या माया तेरे साथ चलै ना तूं जिसनै कहता मेरी
तेरी दो दिन की जिन्दगानी है, तूं ओस कैसा पानी।
मत मेहनत से अंखियां चारै जो चाहवै नाम निशानी।।
ओम नाम का जाप करया पर पड़ी मुश्किल सहनी
राम जी बी फर्क करण लागर्या बात पड़ी सै कहनी
रहनी ना तेरी जवानी, नहीं चलैगी कोए मनमानी।
तूं रहै खड़या गाम के गोरै, दूर हो ना तेरी परेशानी।।
रणबीर बरोने आला कहवै, कुछ तो दूर बुराई तै हटले
इस आपा धापी के चक्कर तै इब तो तूं न्यारा पटले
समझले ना कर ईब-नादानी, मत बन इतना अभिमानी।
तूं रह ज्यागा कालर कोरै, जो ना कुछ करने की ठानी।।











-98-

तहलका डॉट कॉम
तहलका नै बीन बजाई, या बाड़ खेत नै खाण लगी।
दलाली लेकै नाक कटाई, बांस चौगरदे आण लगी।।
1. मुनाफा खोर पूंजीवाद का, साहमी आग्या चेहरा आज
  पूंजीपतियां की पार्टियां कै, घूस नै घाल्या घेरा आज
  वामपंथ साफ सुथरा खड़या दिखाई देर्या आज
  बीजेपी समता पार्टी नै, यो बनाया घास पटेरा आज
  जमा नहीं शरमाई या, हटकै म्हारे कान्ही गडराण लगी।।
2. म्हारी भी जमा आंख फूटगी, इनकी साथ खड़े होगे रै
  दिमाग कै ताला ला लिया, पी सुलफा पड़कै सोगे रै
  म्हारी बेरुखी के कारण, ये बीज बिघन का बोगे रै
  के म्हारे बेटा बेटी कारगिल मैं, सहम ज्यान खोगे रै
  लाखां कुर्बानी दे आजादी पाई, आज उल्टी जाण लगी।।
3. हथियारां की होड़ बधाकै जो आगै बढ़णा चाहवैं सैं
  इत्र पाउडर बेच बेच जो, ईब आगै बढ़णा चाहवैं सैं
  दारू सुलफे की बणा सी
  ये दलाल बेच देश नै, सिर म्हारे पै मढ़णा चाहवैं सैं
  तरेपन साल की कमाई, या सरकार खिंडाण लगी।।
4. पूंजीपति वर्ग लुटेरा ईब, चौड़े मैं नंग होग्या देखो
  ईब तांहि समझे कोण्या, ज्यां मरण का
  तहलका टी.वी. पै देख कै, जमाना दंग होग्या देखो
  नेता अफसर कई डूब लिये, गेल्यां संघ होग्या देखो
  रणबीर नै करी कविताई, फेर दुनिया गाण लगी।।








-99-

किसनै संसार रच्या
सृष्टि के बारे मैं सब धर्मां नै न्यारा-2 अंदाज लगाया सै
देवी भगवती पुराण न्यों बोले एक देवी संसार रचाया सै
1. ब्रह्मा के भगत जगत में ब्रह्म को जनक बताते भाई
  शिव पुराण का किस्सा न्यारा शिवजी जनक कहाते भाई
  गणेश खंड न्यों कहवै गणेश जी दुनिया को चलाते भाई
  सूरज पुराण की दुनिया को सूरज महाराज घुमाते भाई
  विष्णु आले न्यों रुक्के मारैं विष्णु जी की निराली माया सै।।
2. विष्णु महेश के चेले दुनिया मैं घणे बताये देखो
  आपस में झगड़ा करकै कई बै सिर फुड़वाये देखो
  आपस की राड़ मेटण नै त्रिमूर्ति सिद्धांत ल्याये देखो
  ब्रह्म पै करै विष्णु पालै संहार शिव नै मचाये देखो
  बाइबल नै सबतै हटकै पैगम्बर का नाम चलाया सै।।
3. यो बुद्धमत उभर कै आया त्रिमूर्ति का विरोध किया
  जैन मत भी गया चलाया नहीं दोनों को सम्मान दिया
  यहूदी और धर्म इसाई एक ईश्वर को धार दिया
  इस्लाम नै एक परमात्मा मैं लाया सै अपणा जीया
  दुनिया मैं माणस नै एक ईश्वर सिद्धान्त पनपाया सै।।
4. सोच समझ कै इसाइयां नै यो परमेश्वर गलै लगाया
  मुसलमान क्यों पाछै रहैं न्यों अल्लाह हाकिम बनाया
  सिक्खां नै शब्द टोह लिये औंकार झट से जनाया
  हिन्दुआं नै तावल करकै नै ओम दिल पै खिनवाया
  घणे भगवान पैदा कर दिये रणबीर का जी घबराया सै।।






-100-

राजबाला की बात सुनकर चांद कौर अपनी बात बताती है कि अपने हक पर बोलने का क्या फल मिलता है। हमारा समाज क्या सोचता है हमारे बारे में:
जीणा होग्या भारी बेबे, तबीयत होगी खारी बेबे।
सबनै खाल उतारी बेबे, फेर बी जीवन की आस मनै।।
1. पुराना घेरा तोड़ बगाया,
  कमाया मनै जमा डटकै, उनके याहे बात खटकै
  मेरी हर बात अटकै, पूरा हुया अहसास मनै।।
2. मंुह मैं घालण नै होरे, चाहे बू

  डोरे डालैं श्याम सबेरी, कहते मनै गुस्सैल बछेरी
  कई बै मेरी राह घेरी, बैंल बतावैं ये बदमाश मनै।।
3. सम्भल-संभल मैं कदम धंरू, आण बाण पै सही मंरू
  करूं संघर्ष मिल जुलकै, हंसू बोलूं सबतै खुलकै
  ना जिउं घुल घुलकै, बात बतादी या खास मनै।।
4. चरित्रहीन ये बतादें, भों कोए तोहमद लादें
  खिंडादें ये इज्जत म्हारी, खुद करते ये चोरी जारी
  न्यों होज्या तबियत खारी, रणबीर आवै ना रास मनै।।














-101-

हवस पीस्से की
हवस पीस्से की दुनिया मैं घणी ए बुरी बतावैं हे।
पूंजीवाद नाश की राही मुट्ठीभर मौज उड़ावैं हे।।
1. आठ घण्टे जो काम करै बस मिलता पेट भराई हे
  आधी दुनिया बिन काम फिरै किसी नीति बनाई हे
  मेहनतकश धन करै पैदा ना कितै सुनाई हे
  ये खास रिति रिवाज बणाये म्हारी लूट कराई हे
  कामचोर मालिक बणकै बैठे हुकम चलावैं हे।।
2. सरकारी कारखाने बेचो निजीकरण का नारा यो
  सरकारी खरच्यां मैं कटौती विश्व बैंक चाहर्या यो
  स्वास्थ्य और शिक्षा पै कसूती नजर गड़ार्या यो
  रुपये की कीमत गेरण नै डालर उंचा ठार्या यो
  निजीकरण उदारीकरण कष्टां की कहैं दवाई हे।।
3. वैश्वीकरण के बाहनै दरवाजे म्हारे खुलवाये
  पैप्सी नाइके नेस्ले तांहि ये कालीन लाल बिछवाये
  ये आयात सीमा शुल्क सब क्याहें पर तै हटवाये
  निर्यात करो फालतू ये फूल सब्जी उगवाये
  म्हारा पीस्सा लूटण की ये नई-नई प्लान बणावैं हे।।
4. म्हारी पढ़ाई की चिन्ता ना म्हारे देशी साहूकारां नै
  म्हारी दवाई की चिन्ता ना म्हारे देशी ठेकेदारां नै
  म्हारी नौकरी की चिन्ता ना म्हारी देशी सरकारां नै
  म्हारी संस्कृति की चिन्ता ना म्हारे देशी थानेदारां नै
  रणबीर पीस्से की हवस ये रोज-रोज बढ़ावैं हे।।







-102-

खूनी कीड़े नई सदी के
नई सदी के ये खूनी कीड़े फेर गुलाम बनाया चाहवैं।
संकट फैला के चारों कान्हीं म्हारी मोर नचाया चाहवैं।।
1. पानी खाद बिजली पै सब्सिडी खत्म हुई सारी क्यों
  धरती लाल स्याही मैं चढ़ी दरवाजे खड़ी बीमारी क्यों
  ब्याह शादी मुश्किल होगे बढ़ी ईब बेराजगारी क्यों
  पेट्रोल डीजल महंगे करे ना
2. गिहूं अर चावल देश मैं ये चिड़िया घर मैं टोहे पावैंगे
  दूध शीत बिना ये बालक म्हारे भैंसा कान्ही लखावैंगे
  फसल के मालिक बिदेशी होज्यां दूर बैठकै हुकम चलावैंगे
  हम के बोवां अर के खावां देशी बदेशी साहूकार बतावैंगे
  दारू सुलफा स्मैक पिलाकै हमनै कूण मैं लाया चाहवैं।।
3. दारू बुरी बीमारी जगत के मां जानै दुनिया सारी भाई
  फेर क्यों या काढ़ी जावै सै नुकसान करती भारी भाई
  माफिया पाल ये दारू के करैं फेर फरमान जारी भाई
  म्हारे बालक फंसावैं जाल मैं म्हारी अकल मारी भाई
  लाशां के उपर दारू बेचैं अपणा मुनाफा बढ़ाया चाहवैं।।
4. अमरीका जापान मैं सब्सिडी हम देते सभी किसानां नै
  इम्पोर्ट ड्यूटी भारया उनकी पिटवाते म्हारे धानां नै
  उड़े कुत्ते बिल्ली मौज करैं मुश्किल आड़ै इन्सानां नै
  कमेरे जमा चूस कै बगाये देशी बिदेशी धनवानां नै
  कहै रणबीर सिंह मुनाफा खोर ये लगाम लगाया चाहवैं।।








-103-

जुल्मी घूंघट
के होग्या दो दिन मैं क्यों घणा उपर नै मुंह ठाया तनै।
दुनिया मैं एक इन्सान मैं भी
1. बता भाभी गाम की इज्जत यो घूंघट ना तनै सुहावै क्यों
  रिवाज नीची नजर कर जीणे का आंख तै आंख मिलावै क्यों
  उघाड़े सिर चालै गाल मैं सरेआम म्हारी नाक कटावै क्यों
  सीटी मारैं कुबध करैं छोरे भिरड़ां के छत्ते के हाथ लगावै क्यों
2. रिवाजां की घाल कै बेड़ी क्यों बिठा करड़ा डर राख्या
  दुभान्त जिन रिवाजां मैं उनका भरोटा म्हारे सिर धर राख्या
  घूंघट का रिवाज घणा बैरी इनै पंख म्हारा कुतर राख्या
  कान आंख नाक मुंह बांधे ज्ञान दरवाजा बंद कर राख्या
  घूंघट ज्ञान का दुश्मन होसै पढ़ लिख बेरा लाया मनै।।
3. क्यूकर ज्ञान का दुश्मन सै तूं किसनै घणी भका राखी सै
  तेरे अपणी बुद्धि सै कोण्या और किसै नै चाबी ला राखी सै
  घूंघट तार गाम मैं म्हारी ईज्जत धूल मैं खिंडा राखी सै
  घूंघट धर्म पतिव्रता का न्यों म्हारे ग्रंथा मैं बता राखी सै
  उल्टे रिवाज चला घर मैं कसूता तूफान मचाया तनै।।
4. ब्याह तै पहलम तेरे भाई तै घूंघट की खोल करी थी
  मनै सारी बात साफ बताई इनै हां भरकै रोल करी थी
  कहूं थी और सोच समझल्यां इनै ब्याह की तोलकरी थी
  रणबीर सिंह गवाह म्हारा मनै कति नहीं मखोल करी थी
   इब मनै दबाना चाहो सारे नहीं दबूंगी बताया मनै।।










-104-

गलत बंटवारा
एक चौथाई और तीन चौथाई रोटी का बंटवारा यो।
म्हारी मेहनत कमाई उनकी गल्त सै डंगवारा यो।।
1. विश्व बैंक ने भारत तांहि जारी इसा फरमान करया
  सरकारी खरच्यां मैं कटौती जमा खुल्या ऐलान कर्या
  बीच की खाई चौड़ी होगी किसा उदारीकरण थारा यो।।
  म्हारी मेहनत कमाई ...
2. सब किमै नीलाम करण लागरे क्यों कौड़ियां के दामां मैं
  किसान तबाह होगे मजदूर मारे नाश ठाय्या गामां मैं
  अपणा बणकै चोट मारगे खुलग्या भेद सारा यो।।
  म्हारी मेहनत कमाई ...
3. बैर ईर्ष्या मेरा तेरी गोता मैं बांट कै लूट लिये
  स्वदेशी का
  रिवाजां की बेड़ी गेरदी आग्या समझ मैं नजारा यो।।
  म्हारी मेहनत कमाई ...
4. पूरी रोटी पै हक म्हारा सै रणबीर नै बताई या
  जनता विरोधी कानून बना म्हारी रोटी हथियाई या
  म्हारी किस्मत माड़ी बताकै करगे अपणे पौ बारा क्यों।।
  म्हारी मेहनत कमाई ...










-105-

दुखिया
तेरे दरवाजे पै दुखिया आई करिये मेरी सुणाई।
बैंक आल्यां नै भीतर कर दिया कति शरम ना आई।।
1. दिन रात कमाये दुख ठाये क्यों दूना टोटा आया यो
  ऐल फेल नहीं कर्या कोए खर्या खोटा क्यों पाया यो
  वो सोटा मार बिठाया क्यों करी कुणबे की रूसवाई।।
2. दस दिन हो लिए उनै गये नै कुछ ना लाग्या बेरा
  ना सूधे मंह कोए बात करै मेरै दिया चिन्ता नै घेरा
  मनै दीखै सै कुआं झेरा सब साची बात बताई।।।
3. मनै सुणी सै गोहाने मैं तार दिया उसका चाम कहैं
  सूधी मूधी यो सोल्हू भी पूरा का पूरा गाम कहैं
  सैकटरी नै दिया नाम कहैं अपणी खुन्दक काढ़ि चाही।।
4. अन्नदाता कहै सै तो फेर क्यों म्हारा इसा हाल हुआ
  तेरे धोरै आई नेताजी यो कुणबा कति नि
  थानेदार घणा चण्डाल हुआ रणबीर की करै पिटाई।।

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