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हमारा समाज
सुणले करकै ख्याल दखे, ये गुजरे लाखां साल दखे
सिंधु घाटी कमाल दखे, यो गया कड़ै लोथाल दखे,
यो करकै पूरा ख्याल दखे, खोल कै भेद बतादे कोए।।
सुसुरता नै देष का नाम करया, वागभट्ट नै चौखा काम करया
ब्रह्म गुप्त नै हिसाब पढ़ाया, आर्यभट्ट जीरो सिखाया
नालन्दा नै राह दिखाया, तक्षशिला गैल कदम बढ़ाया
तहलका चारों धाम मचाया, ये गये कडै़ समझादे कोए।।
मलमल म्हारी का जोड़ नहीं, ताज कारीगिरी का जोड़ नहीं
हमनै सबको सम्मान दिया, सह सबका अपमान लिया
ग्रीक रोमन को स्थान दिया, भगवान का गुणगान किया
इसनै म्हारा के हाल किया, या सही तसबीर दिखादे कोए।।
दो सौ साल राजा म्हारे देस के, बदेसी बोगे बीज क्लेश के
फिरंगी का न्यों राज हुया, चिड़ी का बैरी बाज हुया
सारा खत्म क्यों साज हुआ, क्यों उनके सिर ताज हुया
क्यों इसा कसूता काज हुया, थोड़ा हिसाब लगादे कोए।।
लाहौर मेरठ जमा पीछै नहीं रहे, म्हरे वीर बहादुर नहीं डरे
फिरंगी देस के चल्या गया, कारीगर फेर बी मल्या गया
धर्म जात पै छल्या गया, संविधान म्हारा दल्या गया
क्यों इसा जाल बुण्या गया, रणबीर पै लिखवादे कोए।।
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