-161-
स्वास्थ्य दिवस
सेहत दिवस सात अप्रैल का दुनिया मैं जावै मनाया रै।।
विकास की गलत राही बीमारियां नै हाहाकार मचाया रै।।
1. तनाव बढ़े तरां-तरां के मानवता थरथर कांप रही
खतरनाक हथियारां की दौड़ सबका बधा या ताप रही
उद्योग करैं प्रदूषण पैदा बढ़ दिलां की चाप रही
विकसित दुनिया उदारीकरण की क्यों माला या जाप रही
अमरीका नै सब सूधे करण का आज पूरा ठेका ठाया रै।।
2. बीस देश दुनिया के छियासी प्रतिशत साधन लेरे रै
मौज उड़ावै म्हारे दम पै न्यों भारत मैं गरीबी के डेरे रै
तरां-तरां की ये बधैं बीमारी हम दुख घणा खेहरे रै
उनके मुंह पै लाली चमकै म्हारे पीले पड़गे चहेरे रै
हमनै कहवैं जनसंख्या बधाली ज्यां यो संकट छाया रै।।
3. म्हारे साधनां पै कर कमब्जा भारतवासी बणा दिये बोड़े रै
उनकी लूट के कारण म्हारे देश के साधन पड़गे थोड़ै रै
म्हारे देश के अमीर घराने आज बणगे इनके घोड़े रै
भूख गरीबी जनसंख्या के भारत मैं ज्यां पड़गे भोड़े रै
म्हारी सेहत अर शिक्षा का इननै भट्ठा कति बिठाया रै।।
4. पचास साल राज करया उननै गलत रास्ते पै डाल दिये
मेहनत करी हम सबनै बंटवारे मैं घर घाल दिये
अपणी खातर अपोलो म्हारे तै खैराती अस्पताल दिये
दे कै लालच म्हारे बेटा बेटी अपणे रूखाले पाल दिये
रणबीर म्हारी सेहत नहीं बणै यो इसा खेल रचाया रै।।
-162-
सपना टूट गया
डॉक्टर बनूं पढ़ लिख कै यो मन का सपना मेरा।
मरीजां का इलाज करूंगी हो घर का दूर अन्धेरा।।
1. मां बाबू अनपढ़ म्हारे घणे लाड प्यार तैं पढ़ाई
खेती मैं नहीं पूरा पाटै उल्टी सीधी ना कोए कमाई
धरती गहणे धरकै पढ़े दो बाहण एक भाई
मेहनत कर आगै बढ़िये मेरे तैं सीख सिखाई
दो भैंस बांध दूध बेचैं करजे का बढ़ता आवै घेरा।।
2. भाई नै एम ए करकै बी नहीं कितै नौकरी थ्याई
गाम मैं किरयाणे की फेर उसकी दुकान खुलाई
बड्डी बाहण बीएड कर बैठी घर मैं बिन ब्याही
मेरा पी एम टी टैस्ट मैं सत्तरहीं पोजीसन आई
काउंसलिंग खातर गई उड़ै दिया दिखाई झेरा।।
3. ठारा हजार म्हिने की पहले साल की फीस बताई
पसीना आया गात मैं धरती घूमती नजर आई
आंख्यां मैं आंसूं आगे फेर मां की तरफ लखाई
हाल क्यूकर ब्यां करूं मैं ना कलम मैं ताकत पाई
अपने दलाल बिठारया सै दीख उडै़ वर्ग लुटेरा।।
4. फीस देण की आसंग कोण्या मन मारकै आगी फेर
गाम मैं यकीन करैं ना बोले माच्या किसा अन्धेर
इस
सरकार मैं बैठे जितने ना कटावैं गरीबां की मेर
रणबीर न्यों बूझै ये बालक क्यूकर पढ़ावै कमेरा।।
-163-
छाती गुदा पै चर्चा होरी इन्सान चरचा मैं नहीं पाया।
कैंसर इलाज पै जोर था रोक पै बखत नहीं लागया।।
1. खाने की नली में कैंसर पै पहले दिन गैहटा तार दिया
संजय शर्मा और कोठारी चारों तरफ तै इपैं वार किया
एकाध फांचर ठोक आन मरया घणा उलटा सवाल ठाया।।
2. जेम्ज रूसनिस्की और कैयाव आये अमरीका जापान तै
घणे जोर कै लैक्चर दिये कुछ सोन्ते पाये थे ध्यान तै
नई तकनीक कई बताई कई सवालां पै हाथ हिलाया।।
3. कोए किसे अंग का माहिर करकै मेहनत खासा होग्या रै
पेनल डिस्टकस्सन कई हुए कई बातां का खुलासा होग्या रै
किततै चाल कित पहुंचगे डी सूजा नै सवाल घुमाया।।
4. कैंसर लाइलाज बीमारी ना फेर इलाज आसान कड़ै सै
उस घर की करै तबाही जिसमैं एक बर आन बड़ै सै
कान्फ्रैंस नै थोड़ा घणा पीजीआईएमएस का मान बढ़ाया।।
-164-
एक बी पीस्सा
फरवरी पाछै दिया कोन्या एक बी पीस्सा म्हारे तैं।
एमडी बोल्या टोटा आग्या बताती साच्ची बात थारे तै।।
1. बड़े जतन करकै हमनै यो खेत बोया बाहया देख
गंडेरी बोई खेत म्हारे मैं कई बै कुण्बे नै नुलाया देख
छोल कै जाड्डे मैं ल्याया देख बुग्गी मांगी मुखत्यारे तैं।।
2. ये मिल के चक्कर काटे कई दिन मैं नम्बर थ्यावै था
कदे कम तोलैं कदे नुक्स किमै दम नाक मैं आवै था
रोटी टूक कड़ै भावै था जिब काम चालता उधारे तैं।।
3. पन्दरा हजार खड़े मिल मैं कोए अता पता देन्ता ना
बाली नेता म्हारा इस बात पै किसे नै बी सेहन्ता ना
सीएम दरखास्त लेन्ता ना बात करै घणे इशारे तैं।।
4. मिलकै सोचां कष्ट निवारण न्यों पार ना पड़ै म्हारी
मजबूत संगठन बणा अपणा पेमैंट लेवांगे सारी
किसानां नै दी किलकारी एमडी आज्या तलै चौबारे तैं।।
-165-
बैंक फंड व्यापार त्रिमूर्ति मिलकै खाल तारै म्हारी रै।।
इसके काटे घूमण लागरे गरीब नर और नारी रै।।
1. सिरकी घाल कै करैं गुजारा जिननै ताज महल बनाये
उनके बालक भूखे मरते जिननै जमकै खेत कमाये
तन पै उनके लत्ता ना जिननै कपड़े के मील चलाये
वे बिना दूध सीत रहते, जिननै डांगर खूब चराये
भगवान भी आन्धा कर दिया ना कितै दीखता भ्रष्टाचारी रै।।
2. जितना करड़ा काम म्हारा नहीं सम्मान उतना मिलता
दस नम्बरी माणस जितने उनका हुकम सारै पिलता
नकली फूल सजावैं देखो यो क्यों ना असली खिलता
कहैं उसके बिना आड़ै यो पत्ता तक नहीं हिलता
सबके उपर ध्यान नहीं उसका फेर किसा न्यायकारी रै।।
3. डांगर की कदर फालतू माणस बेकदरा सै संसार मैं
छोरे की कदर घणी सै छोरी धन पराया परिवार मैं
किसे जुल्म होण लागरे ये छपते रोज अखबार मैं
कति छांट कै इसनै चलाई महिला भ्रूण पै कटारी रै।।
4. इस व्यवस्था मैं मुट्टीभर तो घणे हो मालामाल रहे
हमपै चलाकै चाल अपणी ये पूर कसूता जाल रहे
सोच कै बढ़ियो आगै नै ये माफिया काले पाल रहे
पुलिसिया और फौजी कर रणबीर इनकी रूखाल रहे
सही सोच कै संघर्ष बिना ईब जनता पिटती जारी रै।।
-166-
करजा
करजे नै कड़ तोड़ी म्हारी दिया पूरे घर कै घेरा।
एक औड़ गहरा कुआं दीखै यो दूजे औड़ नै झेरा।।
1. ट्रैक्टर की बाही मारै ट्यूबवैल का रेट सतावै
थ्रेसर की कढ़ाई मारै भा फसल का ना थ्यावै
फल सब्जी दूध सीत सब
माट्टी गेल्यां माट्टी होकै बी सुख का सांस ना आवै
बैंक मैं सारी धरती जाली दीख्या चारों ओर अन्धेरा।।
2. निहाले धोरै रमूल तीन रुपइया सैकड़े पै ल्यावै
वो सांझ नै रमलू धोरै दारू पीवण तांहि आवै
निहाला करज की दाब मैं बदफेली करना चाहवै
विरोध करया तो रोजाना पीस्यां की दाब लगावै
बैंक आल्यां की जीप का रोजना लागण लाग्या फेरा।।
3. बेटा बिन ब्याहया हांडै सै घर मैं बैठी बेटी कंवारी
रमली रमलू न्यों बतलाये कट्ठी होगी मुसीबत सारी
खाद बीज नकली बिकते होगी खत्म सब्सिडी म्हारी
मां टी बी की बीमार होगी छाग्या हमपै संकट भारी
रोशनी कितै दीखती कोन्या छाया चारों कूट अन्धेरा।।
4. मां अर बाबू इनके नै जहर धुर की नींद सवाग्या
इनके घर का जो हाल हुया वो सबकै साहमी आग्या
जहर क्यूं खाया उननै यो सवाल कचौट कै खाग्या
आत्म हत्या ना सही रास्ता रणबीर सिंह समझाग्या
मिलकै सोचां क्यूकर आवै घर मैं सो नया सबेरा।।
-167-
सौ के तोड़ की
राजबाला बहुत दुखी है। जोगी से समाज के बारे में पूछती है। जोगी एक गीत सुनाता हैः-
चापलूसां का चारों कान्हि घणा जमघट होग्या रै।
घर में प्यार बच्चा कोन्या जमा मर घट होग्या रै।।
1. स्वार्थी कामचोरां की ईब लागी आड़ै लार दखे
हांडैं नशे के गुलाम हुये ये कई हजार दखे
टूटैं सैं परिवार दखे सूना पनघट होग्या रै।।
2. अफरा तफरी माची म्हारे मानव समाज मैं
आज महिला बेहाल हुई इस जंगल राज मैं
फंसाई पुराने रिवाज मैं जीने का संकट होग्या रै।।
3. माणस माणस नै खावै ऐसा चल्या रिवाज सै
पांच सितारा मैं जावैं बेची शर्म लिहाज सै
भूखा मरै समाज सै यो जीणा सिरकट होग्या रै।।
4. उपेक्षा तिरिस्कार का हुया आज ठाड्डा पाला रै
धोला पिटता हांडै सै राज करै धन काला रै
रणबीर सिंह नै दोष दें कहैं लम्पट होग्या रै।।
-168-
जाइये मनै बताकै
घसे कसूते दुःखी होरे सां देख मुरारी आकै।
अपणे हाथां क्यूं ना गेरता कुएं के मां ठाकै।।
1. देश दम म्हारे पै फल्या यो
अमीर घर दीवा बल्या यो
म्हारा सब किमै छल्या यो घिटी मैं गूंठा लाकै।।
2. तेरा चेला दुखड़ा
मेहनत कर भूखा सोवै सै
तनै सारे कै टोहवै सै सोग्या अमीरां कै जाकै।।
3. तनै गरीब क्यों नहीं भाता
क्यों ना म्हारी तरफ लखाता
तूं कद खोलै म्हारा खाता जाइये मनै बताकै।।
4. बचया छिदा इन्सान आड़ै
सब देखै भगवान आडै़
घर होगे शमशान आड़ै रणबीर कथा सुणाई गाकै।।
-169-
जनता खाउ
देश का नाश करै इस व्यापार बढ़ाना ना चाहिये।।
राजनीति नै
सब पै रोब जमावै इसा थानेदार बिठाना ना चाहिये
लिंग भेद जो बढ़ावै इसा उपचार बताना ना चाहिए
गरीबी नै जो बढ़ावै इसा संसार रचाना ना चाहिए
औरत हक मांगै तो ईपै हाहाकार मचाना ना चाहिए।।
बराबरी नै जो
समाज नै जो भकावै इसा प्रचार कराना ना चाहिए
जो उल्टी सीख लावै इसा ब्यौहार सिखाना ना चाहिए
जात धर्म पै जो बांटै इसा बुखार चढ़ाना ना चाहिए।।
म्हारी जड़ां नै काटे इसा हथियार उठाना ना चाहिए
करै फर्क छोरा छोरी मैं इसा घरबार बनाना ना चाहिए
दरार करदे रै जो पैदा इसा त्यौहार मनाना ना चाहिए
पैदा करै डर भारया इसा अधिकार जताना ना चाहिए।।
जो साची नहीं गावै इसा फनकार बुलाना ना चाहिए
जो महिला नै सतावै इसा भरतार सराहना ना चाहिए
म्हारे खेत नै खावै इसा पहरेदार बिठाना ना चाहिये
जिस पै शर्म आवै इसा इश्तिहार लगाना ना चाहिए।।
-170-
जागी महिला हरियाणे की
करकै कमाल दिखाया सै, यो घूंघट तार बगाया सै,
खेतां मैं खूब कमाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
1. देश की आजादी खातर अपणी ज्यान खपाई बेबे
गामड़ी सांघी खिडवाली मैं न्यारी रीत चलाई बेबे
लिबासपुर रोहणात मैं बहादरी थी दिखलाई बेबे
अंग्रेजां तै जीन्द की रानी गजब करी लड़ाई बेबे
अंग्रेजां का भूत बनाया, यो सब कुछ दापै लाया,
देश आजाद कराणा चाहया जागी महिला हरियाणे की।।
2. देश आजाद होये पाछै हरित क्रांति ल्याई बेबे
खेत क्यार कमावण तै कदे नहीं घबराई बेबे
डांगर ढोर संभाले हमनै दिन रात कमाई बेबे
घर परिवार आगै बढ़ाये स्कूलां करी पढ़ाई बेबे
हरियाणा आगै बढ़ाया सै ,सात आसमान चढ़ाया सै,
गुण्डयां का जुलूस कढ़ाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
3. हमनै गाम बराहणे मैं दारू बन्दी पै गोली खाई सै
खेलां के मैदानां मैं जगमति सांगवान खूबै छाई सै
सुशीला राठी बड्डी डॉक्टर हरियाणे की श्यान बढ़ाई सै
नकल रोकती बाहण सुशीला जमा नहीं घबराई सै
चावला नै नाम कमाया सै, महिला का मान बढ़ाया सै
यो रस्ता सही दिखाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
4. संतोष यादव बाहण म्हारी करकै कमाल दिखाया हे
सुमन मंजरी डीएसपी पुलिस मैं नाम कमाया हे
सांगवान मैडम नै बिमल जैन तै सबक सिखाया हे
नवराज जयवन्ती श्योकन्द जीवन सफल बनाया हे
ज्योति अरोड़ा सरोज सिवाच प्रशासन खूब चलाया हे
ये आगै बढ़ती जारी बेबे, करकै कमाल दिखारी बेबे
रणबीर मान बढ़ारी बेबे, जागी महिला हरियाणे की।।
-171-
बम्बई
कोठा बंगले अर भूखे कंगले बम्बई की तसबीर भाई रै।
मेहनत करता वो भूख मरता दुनिया की तकदीर भाई रै।।
1. समुद्र किनारा शहर प्यारा इसतै आच्छी बात नहीं सै
महल अट्टारी बनती जारी बिन पीस्से औकात नहीं सै
पीस्सा ईमान हुया भगवान रही माणस की जात नहीं सै
इनसान मशीन करले यकीन फुरसत दिन रात नहीं सै
होटल आलीशान ये बढ़ावैं मान मनै सही तदबीर लड़ाई रै।
2. शिवसेना भाई उड़ै छाई बदमाशी का कोए औड़ नहीं
माफिया राज बताया आज इसका कहैं कोए जोड़ नहीं
फिल्मी सितारे टोर बनारे राजकुमार तै घणी मरोड़ नहीं
सारी बात मिलै फुटपाथ छत नीचे कई करोड़ नहीं
हुया हैरान मैं करूं बखान परेशान चलता राहगीर भाई रै।।
3. परिन्दा नया टोहलें एक पल मैं जेब साफ करैं
उपर नीचे नीचे उपर पीस्सा बांट कै इन्साफ करैं
करैं हद बन्दी और पाले बन्दी ना दूजे नै माफ करैं
बड़े घराने शाही खजाने लूट का हाफ-हाफ करैं
नजर आवै इनै कोन छिपावै जो लूट अमीर मचाई रै।।
4. घणी लम्बाई और चौड़ाई इस शहर बम्बई की रै
उंची इमारत और तिजारत मशहूर शहर बम्बई की रै
फुटपाथ बतावैं शर्त लगावैं बड्डी शहर बम्बई की रै
ठगी बतावैं किस्से सुनावैं नामी शहर बम्बई की रै
सुण कमल या कहै अमन या लिखै रणबीर कतिवाई रै।।
-172-
चिट्ठी
चिट्ठी आई सै बदायूं तै मेरे दोनों बेटे मार दिये।
राम मंदिर के झंझट नै लोगां पै कसूते वार किये।।
1. हिन्दू मुस्लिम का धुर तै बदायूं मैं भाई चारा था
कट्ठे खावैं खेलैं मिलकै मुस्लिम नै हिन्दु प्यारा था
बहू बेटी बरोबर सबकी शहर का अजब नजारा था
यो झंझट याद नहीं था म्हंगाई का बुलन्द सितारा था
रेलगाड़ी पै हमला बोल दिया हिस्से धड़ के चार किये।।
2. म्हउ रतलाम जलण लागरे माणस देश के तंग होगे
बिना बात के रास्से मैं हिन्दू मुस्लिम के जंग होगे
मुल्ला पंडे और पुजारी ये जमा उघाड़े नंग होगे
फिरका परस्ती चला दई देश टूटण के
बालक औरत मरे बिचारे कर दुखी नर नार दिये।।
3. फेर कहैं मोहम्मद खां नै भारत तै कोए प्यार नहीं
कुणबा घाणी कर दी मेरी आड़ै किसे का इतबार नहीं
जाउं तो जाउं कित मैं और कितै तो घरबार नहीं
पींडी कापै डर लागै सै पावै मनै मददगार नहीं
हर हर महादेव के नारे त्रिशूल सभी नै धार लिये।।
4. सन सैंतालीस मैं बाप मेरा दंग्यां नै छीन लिया
रोटी लत्ता मिल्या नहीं था इसा मेरी दीन किया
दर-दर ठोकर खाउं था खोस मेरा यकीन लिया
देश छोड़ परेदश मैं आग्या गात बना मशीन दिया
रणबीर सिंह पूछै हटकै कर क्यों अत्याचार दिये।।
-173-
जवाब अमन का
लाउं चौथा गेर करूं फेर बम्बी जान की तैयारी रै।
पापी पेट यो मारै चपेट होवै कुणबे की लाचारी रै।।
1. दाल, फ्राई मिलती भाई घणी लाम्बी दूरी होज्या सै
खावैं
राह सुनसान करै परेशान ताप कदे जूरी होज्या सै
एकशल टूटै किस्मत फूटै बाट देश नूरी सोज्या सै
घणा घबराउं किन्नै बताउं उड़ै पानी मिलै सै खारी रै।।
2. चुंगी आला कहै साला बीस तरां की बात बणावै
पुलिस सतावै पीस्से खावै डण्डे का या रोब जमावै
कमर दूखै कालजा सूखै न्यांे गाड़ी के खाक चलावै
डाकू लुटेरे सांप बघेरे दुख मैं दारू साथ निभावै
इसका चस्का करदे खस्ता जणो हारया औड़ जुआरी रै।।
3. रोंद मचावै तांेद छिपावै मालिक लेवै सै पूरे ठाठ रै
कड़ टूटै परिवार छूटै तनखा मिलै तीन सौ साठ रै
बढ़ै म्हंगाई करै तबाही खर्चा हो सोला सौ आठ रै
रात अन्धेरी देवै घेरी हनुमान का करता मैं पाठ रै
ड्राइवर मनता बनियो इतना समझ पाया मैं वारी रै।।
4. पैंचर होज्या चाबी खोज्या जंगल मैं रात बिताउं मैं
ट्रक उलटै पासा पल्टै मुश्किल तैं ज्यान बचाउं मैं
मेरा कसूर बण्या दस्तूर चाहे अपनी राही जाउं मैं
सुण कमल कहै अमन तनै दिल खोल दिखाउं मैं
लिखै रणबीर मेरी तहरीर देहली पै खड़ी बेरोजगारी रै।।
-174-
जवाब तै सबक सीख कै चाहिये असली मांग ठाणी रै।
किसानी कै पूंछ धरम की करगी भाई कुणबा घाणी रै।।
1. लोंगोवाल का कतल हुया न्यों मोटा चाला होग्या था
कई हजार सिख मार दिये न्यों
नफरत फैली सारे देश मैं न्यों मन काला होग्या था
रोज मासूम जावैं मारे यो मिलण का टाला होग्या था
अमरीका का मुंह काला होग्या था डाण्डी मारी सै काणी रै।।
2. हरियाणे मैं दो काम करे हरित क्रांति जिब तै आई सै
साधन आला तै खूब चढ़ाया चेहरे पै लाली छाई सै
बिन साधन आला मार दिया म्हंगाई नै रेल बनाई सै
बेराजगारी बधी सुलफा दारू गाभरू चाल्या उल्टी राही सै
पुलिस अफसर मंत्री कई सैं भरैं गुण्डयां का पाणी रै।।
3. मेहनतकश की सही मांगां तै इनका कोए सरोकार नहीं
लावैं पूंछ पंजाबी लोकल की समझै म्हारी सरकार नहीं
मारे जावां हरियाणे मैं बी जो रहे हम खबरदार नहीं
बिना बात मारकाट होवैगी हिलै लूट का दरबार नहीं
गरीब की या मददगार नहीं सै व्यवस्था माणस खाणी रै।।
4. म्हारी हुश्यारी बिना कदे लीलो का चमन उजड़ज्या
अपणे कारज साधन नै देवर कदे हमनै छोड़ डिगरज्या
चांदकौर कहै सुणिये मेरी कदे सारा खेल बिगड़ज्या
लाल किले का सपना म्हारा कदे माट्टी म्हें रूलज्या
रणबीर सिंह चाहे नाड़ उतरज्या लिखै नहीं राजा राणाी रै।।
-175-
दसमी
दसमीं तांहि का स्कूल आगै क्यूकर करूं पढ़ाई मैं।
मां तै चाहवै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।
1. मां बोली आज जमाने मैं बिना पढ़ाई कोए बूझै ना
शहर मैं क्यूकर खंदाउं राही मनै कोए सूझै ना
मां की देख कै नै लाचारी दिल मैं घणी घबराई मैं।।
2. बाबू बोल्या बुरा जमाना शहर ठीक नहीं सै जाणा
उंच-नीच कोए हो ज्यागी तै हो ज्यागा मोटा उल्हाणा
क्यूकर मनाउं मेरे बाबू नै इस चिन्ता नै खाई मैं।।
3. मैं बोली माहौल गाम का शहर तै आज न्यारा ना
डरकै घर मैं बड़गे तो हुवै आज यो गुजारा ना
पढ़ण तै ठावै मतना मरज्यां मौत बिन आई मैं।।
4. पांच सात दिन पाछै बाबू नै मुंह अपणा खोल्या
डर लागै बहोत घणा बेटी आंख्यां पाणी ल्या बोल्या
रणबीर दिल तै चाहूं सूं करना तेरी सगाई मैं।।
-176-
सैमण गाम
महम तहसील का गाम बताया सैमण उसका नाम कहै।
पांच हजार किल्ले धरती जाटां का असली गाम कहैं।।
1. छत्तीस जात बसैं उड़ै अपणे दुःख सुख बांटैं सैं
कदे हंसकै कदै लड़कै अपणे दिनां नै काटैं सैं
मुश्किल तै दिल डाटैं वे ना थ्यावैं पूरे दाम कहैं।।
2. छुआछूत कुछ कम होग्या पूरे बन्धन ये टूटे ना
जातपात गोत नात के रिवाज जमा बी छूटे ना
पाप के घड़े फूटे ना बाट देखते सुबो शाम कहैं।।
3. पहलम आला प्यार मुलहाजा ना दीखता किसे घर मैं
मां बाहन और बेटी सांस लेवन्ती आज घणे डर मैं
इस मातृत्व के सिर मैं लावैं झूठा इल्जाम कहैं।।
4. टी वी ब्लयू फिल्म आज ये करते नंगेपन का प्रचार
सही गलत और गलत सही चलाया जुलमी कारोबार
रणबीर सिंह करता तैयार सुणल्यो नया पैगाम कहैं।।
-177-
सुणियो ईब कथा सुणाउं, खोल कै सारी बात बताउं।।
साच कैहन्ता ना शरमाउं, पंचायतां की रेल बनाई।।
1. धरे
धरे
पंचायती राज का खोल सै, इसमैं होरी घणी रोल सै
बिना बजट सब गोल सै, पंचायतां की रेल बणाई।।
2. मैम्बर पंचायत बणी सरपंच मीटिंग बुलावै ना
कारवाई रजिस्टर चाहूं देखणा नपूता दिखावै ना
ग्राम सभा पढ़ण बिठादी झूठी मीटिंग हुई दिखादी
साइन करवा हुई बतादी, पंचायतां की रेल बणाई।।
3. अफसर भी म्हारे डूब गये देखती आंख्यां माखी खावैं
गाल पक्की जिब हुई नहीं तो क्यों हुया खरच बतावैं
बी डी ओ की हिस्सा पत्ती सै, सरपंच तै इनकी बत्ती सै
गाम मैं आवै मास्सा रत्ती सै, पंचायत की रेल बणाई।।
4. चौधर के भूखे सरपंची के ये दावेदार बणे देखो
सुलफे तै फुरसत ना आप्पे मैं थानेदार बणे देखो
गालां की सुध नहीं लेवैं ये, बैठे बस थूक बिलौवें ये
रणबीर के ताकू चभौवैं ये, पंचायतां की रेल बणाई।।
-178-
देश आजाद हुया था सैंतालीस मैं साल पचास बीत गये।
उनके बांटै दूध मलाई म्हारे करमां मैं बता सीत गये।।
1. धनवानां के बिल्ली कुत्ते म्हारे तै बढ़िया जीवन गुजारैं वे
बिना भोजन कुपोषण होग्या म्हारै खा-खा के घणे डकारैं वे
हमनै कैहकै नीच पुकारैं वे घणी माड़ी चला रीत गये।।
2. जमीन आसमान का अन्तर किसनै आज म्हारे बीच बणाया
खेत कमावां सारी उमर फेर बी सांस ना उलगा आया
सोच-सोच कै सिर चकराया सै वे क्यूकर पाला जीत गये।।
3. तरक्की करी हरियाणे मैं अपणा खून पसीना बाहकै रै
उफपर ले तो फायदा ठागे हम बाट देखते मुंह बाकै रै
देखे चारों कान्ही धक्के खाकै रै मिल असली मीत गये।।
4. तीनों नकली लाल हरियाणे के उनतै यो सवाल म्हारा रै
गरीब क्यों घणा गरीब होग्या अमीर का भरग्या भंडारा रै
असली लाल प्रभात प्यारा रै रणबीर बणो ये गीत गये।।
-179-
प्रजातंत्र
लागी दिल पै चोट, लेगे जात पै वोट
बंटे साथ मैं नोट, यो प्रजातंत्र का खोट
ले गरीबी की ओट, अमीर खेले धन मैं।।
1. नाम जनता का लेवैं सैं, अमीरां के अण्डे सेहवैं सैं
बतावैं माणस का दोष, कहैं या व्यवस्था निर्दोष
ये बुद्धि लेगे खोस, इसे करे हम मदहोस
ना आवै कोए रोष, सोचूं अपणे मन मैं।।
2. ये साधैं सै हित अपणा, ना करैं ये पूरा सपना
जितने बैठे मुनाफा खोर, सबसे बड़े डाकू चोर
सदा सुहानी इनकी भोर, ना पावै इनका छोर
थमा जात धरम की डोर, फूट गेर दी जान मैं।।
3. कुर्सी खातर रचते बदमाशी, ना शरम लिहाज जरा सी
पालतू इनकी हो सरकार, ना जावै कहे तै बाहर
गरीबां की कहै मददगार, लारे दिये कई बार
ईब रहया नहीं ऐतबार, इस गदरी बन मैं।।
4. स्कूली किताबां पै तकरार, गन्दा साहित्य बेसुमार
सबको शिक्षा सबको काम, आजादी पै दिया पैगाम
सत्तर अनपढ़ बैठे नाकाम, तीस के ये लगते दाम
ना पढ़ते करैं बदनाम, आग लागरी तन मैं।
-180-
नया दौर
आस बंधी भोर हुई सै शोषण जारी रहै नहीं।
लोकलाज तै राज चलै ईब रिश्वत भारी रहै नहीं।।
1. रिश्वतखोर मुनाफाखोर की स्वर्ण तिजूरी नहीं रहै
चेहरा सूख मरता भूखा इसी मजबूरी नहीं रहै
गरीब कमावै उतना पावै बेगार हजूरी नहीं रहै
शरीफ बसैंगे उत मरैंगे झूठी गरूरी नहीं रहै
फूट गेरो राज करो की या महामारी रहै नहीं।।
2. करजे माफ हो ज्यांगे साफ, चालैगा दौर कमाई का
बेरोजी भत्ता कपड़ा लत्ता हो प्रबन्ध दवाई का
पैंशन होज्या सुखतै सोज्या मौका मिलै पढ़ाई का
जच्चा-बच्चा होज्या अच्छा हो सम्मान लुगाई का
मीठा पाणी चालै नल मैं पाणी खारी रहै नहीं।।
3. भाईचारा सबतै न्यारा कोए नहीं धिंगताणा हो
बदली खातर ठाकै चादर ना चण्डीगढ़ जाणा हो
हक मिलज्या घी सा घलज्या सबका ठोर ठिकाणा हो
वोट दिये और नोट दिये इसा सिस्टम मिटाणा हो
हम सबनै नारा लाया सै भ्रष्टाचारी रहै नहीं।।
4. पड़कै साज्यां चाले होज्यां कोण्या कुछ भी होवैगा
माथा पकड़ कै भीतर बड़कै भाई बूक मारकै रोवैगा
इसा मदारी रचै हुश्यारी हमनै बेच कै सोवैगा
चोकस रहियो मतना सोइयो काटै उसे जिसे बोवैगा
रणबीर सिंह बरोने आला कितै दरबारी रहै नहीं।।
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