Friday, 30 March 2018

26.50



-26-

हमारा समाज
सुणले करकै ख्याल दखे, ये गुजरे लाखां साल दखे
सिंधु घाटी कमाल दखे, यो गया कड़ै लोथाल दखे,
यो करकै पूरा ख्याल दखे, खोल कै भेद बतादे कोए।।
सुसुरता नै देष का नाम करया, वागभट्ट नै चौखा काम करया
ब्रह्म गुप्त नै हिसाब पढ़ाया, आर्यभट्ट जीरो सिखाया
नालन्दा नै राह दिखाया, तक्षशिला गैल कदम बढ़ाया
तहलका चारों धाम मचाया, ये गये कडै़ समझादे कोए।।
मलमल म्हारी का जोड़ नहीं, ताज कारीगिरी का जोड़ नहीं
हमनै सबको सम्मान दिया, सह सबका अपमान लिया
ग्रीक रोमन को स्थान दिया, भगवान का गुणगान किया
इसनै म्हारा के हाल किया, या सही तसबीर दिखादे कोए।।
दो सौ साल राजा म्हारे देस के, बदेसी बोगे बीज क्लेश के
फिरंगी का न्यों राज हुया, चिड़ी का बैरी बाज हुया
सारा खत्म क्यों साज हुआ, क्यों उनके सिर ताज हुया
क्यों इसा कसूता काज हुया, थोड़ा हिसाब लगादे कोए।।
लाहौर मेरठ जमा पीछै नहीं रहे, म्हरे वीर बहादुर नहीं डरे
फिरंगी देस के चल्या गया, कारीगर फेर बी मल्या गया
धर्म जात पै छल्या गया, संविधान म्हारा दल्या गया
क्यों इसा जाल बुण्या गया, रणबीर पै लिखवादे कोए।।










-27-

पोलीथीन
पोलीथीन नै म्हारे दे शहर का कर दिया बंटा धार
                          देखियो के होगा।।
नहीं गलै ना पिंघलै लोगो धरती पर तै मिटै नहीं
खेत क्यार का नाश करै नुकसान करण तै हटै नहीं
म्हारे जिस्यां पै उटै नहीं या पोलीथीन की मार
                          देखियो के होगा।।
कागज के लिफाफे म्हारे कति पढ़ण नै बिठा दिये
सन के थैले खूंटी टांगे मजे किसानां तै चखा दिये
सस्ते दामां बिका दिये इंहका इसा चढ़या बुखार
                          देखियो के होगा।।
गली नाली मैं जा कै जिब ये रोक लगादे भारी सै
गन्दे नाले बैक मारज्यां फैलै घणी बीमारी सै
न्यों होवै पीलिया महामारी सै माचै घणी हाहाकार
                          देखियो के होगा।।
बढ़िया वातावरण बिना म्हारा रैहणा मुश्किल होज्या गा
के बेरा किसका बालक न्यूं मौत के मुंह में सोज्या गा
रणबीर सही छन्द पिरोज्या गा सही प्रचार, देखियो के होगा।।












-28-

 लिंग भेद
स्त्री पुरुष की दुनिया मैं स्त्री नीची बताई समाज नै।
फरज और अधिकारां की तसबीर बनाई समाज नै।।
शादी पाछै पति गेल्यां सम्बन्ध बणाणे का अधिकार
ब्याह पाछै मां बणैगी नहीं तो मान्या जा व्याभिचार
पुरुष चौगरदें घुमा दियो यो नारी का पूरा संसार
मां बेटी बहू सास का रच दिया घर और परिवार
एक इन्सान हो सै महिला या बात छिपाई समाज नै।।
परिवार का दुनियां मैं पुरुष मुखिया बणाया आज
सारे फैंसले वोहे करैगा पक्का फैंसला सुणाया आज
धन धरती सारी उसकी कसूता जाल बिछाया आज
चिराग नहीं छोटी वंश की छोरा चिराग बताया आज
संबंधा की छूट उसनै या रिवाज चलाई समाज नै।।
पफर्ज औरत के बताये घर के सारे काम करैगी या
बेटा पैदा करै जरूरी घर का रोशन नाम करैगी या
औरत पति देव की सेवा सुबह और श्याम करैगी या
सारे रीति रिवाज निभावै बाणे कति तमाम करैगी या
बूढ़े और बीमारां की सेवा जिम्मे लगाई समाज नै।।
पुरुष परिवार का पेट पालै उसका फर्ज बताया यो
महिला नै सुरक्षा देवैगा उसकै जिम्मे लगाया यो
दुभांत का आच्छी तरियां रणबीर जाल बिछाया यो
फर्ज का मुखौटा ला कै औरत को गया दबाया यो
बीर हर तरियां सवाई हो या घणी दबाई समाज नै।।







-29-

 रूढ़िवाद
रूढ़िचाद यो म्हारे देस मैं क्यों चारों कान्ही छाया।
फरज माणस का सच कहने का ना जाता आज निभाया।।
पुराने मैं सड़ांध उठली पर नया कुछ बी कड़ै आड़ै
नया जो चाहवै सै ल्याणा पार ना उसकी पड़ै आड़ै
घनखरा ए माल सड़ै आड़ै कहैं राम की सब माया।।
वैज्ञानिक सोच का पनपी लाया कदे विचार नहीं
पुराणा सारा सही नहीं हुया इसका प्रचार नहीं
नये का वैज्ञानिक आधार नहीं अन्धकार चौगरदें छाया।।
नये मैं बी असली नकली का रास्सा कसूत छिड़ग्या
वैज्ञानिक दृष्टि बिना यो म्हारा दिमाग जमा फिरग्या
साच झूठ बीच मैं घिरग्या हंस बी खड़या चकराया।।
पिछड़े विचारां का प्रचार जनता नै आज भकाया चाहवैं
बालकां का दूध खोस कै गणेश नै दूध पिलाया चाहवैं
दाग जनता कै लाया चाहवैं रणबीर सिंह बी घबराया।।















-30-

 झूठे वायदे
सारे आकै न्यों कहवैं हम गरीबां की नैया पार लगावां।
एक बै वोट गेर दयो म्हारी धरती पै सुरग नै ल्यावां।।
वोट मांगते फिरैं इसे जणु फिरैं सगाई आले रै
जीते पाछे ये जीजा और हमसैं इनके साले रै
पांच साल बाट दिखावैं एडी ठा ठाकै इन कान्हीं लखावां।।
नाली तै सोडा पीवण आले के समझैं औख करणिया नै
कार मैं चढ़कै ये के समझैं नंगे पांव धरणियां नै
देसी-विदेसी अमीर लूटैं इनके हुकम रोज बजावां।।
गरमी मैं भी जराब पहरैं के जाणैं दरद बुआई का
गन्डे पोरी नै भी तरसां इसा बोदें बीज खटाई का
जो लुटते खुले बाजार मैं उनका कौणसा देश गिणावां।।
फरक हरिजन और किसान मैं कौण गिरावै ये लीडर
ब्राह्मण नै ब्राह्मण कै जाणा कौण सिखावैं ये लीडर
गरीब और अमीर की लड़ाई रणबीर दुनिया मैं बतावां।।















-31-

सैंतालिस की आजादी
15 अगस्त सैंतालिस का दिन लाखां ज्यान खपा कै आया।
घसे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।
सैंतालिस की आजादी पाछै दो हजार आ लिया
बस का भाड़ा याद करो आज कड़ै जा लिया
सीमेंट का कट्टा कितने का आज कौणसे भा लिया
एक गिहूं बोरी दे कै सीमेंट हमने कितना पा लिया
चिन्ता नै घेर लिये जिब लेखा-जोखा आज लगाया।।
आबादी बधी दोगणी पर नाज चौगुणा पैदा करया
पचास मैं थी जो हालत उसमैं बताओ के जोड़ धरया
बिना पढ़ाई दवाई खजाना सरकारी हमनै रोज भरया
ईमानदारी की करी कमाई फेर बी हमनै कड़ै सरया
भ्रष्टाचार बेइमानी नै क्यों सतरंगा जाल बिछाया।।
यो दिन देखण नै के भगत सिंह नै फांसी पाई थी
यो दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फौज बनाई थी
यो दिन देखण नै के गांधी बापू नै गोली खाई थी
यो दिन देखण नै के अम्बेडकर संविधान बनाई थी
नये-नये घोटाले सुणकै यो मेरा सिर चकराया।।
आजादी दिवस पै कसम उठावां नया हरियाणा बणावांगे
भगत सिंह का सपना अधूरा उनै पूरा कर दिखावांगे
ना हो लूट खसोट देस मैं घर-घर अलख जगावांगे।
या दुनिया घणी सुन्दर होज्या मिलकै हांगा लावांगे
रणबीर सिंह मिलकै सोचां गया बख्त किसकै थ्याया।।






-32-

 वजूद ईश्वर का
ईश्वर का वजूद दुनिया मैं कोए सिद्ध नहीं कर पाया।
सबनै अपणे अपणे
जो सिद्ध होग्या उसनै स्वीकारां विज्ञान नै पढ़ाया यो
जो नहीं हुया उसनै खोजां विज्ञान नै सिखाया यो
विज्ञान सिद्धान्त बनाया यो भगवान पै सवाल उठाया।।
ईश्वर का वजूद स्वीकारैं इसका मिल्या आधार कड़ै
बिना सबूत क्यूकर मानैं ईश्वर पाया साकार कड़ै
ईश्वर बनाया संसार कड़ै मामला समझ नहीं आया।।
मनुष्य नै ईश्वर रचाया कल्पना का साहरा लिया रै
कुदरत खेल समझ ना आया ईश्वर का सहारा लिया रै
भगवान का भूत बनाया यो खड़या खड़या लखाया।।
जिब सिद्ध हो ज्यागा तो इसका वजूद रणबीर मानै
इतनै साइंस के प्रयोगां तै पूरी दुनिया नै पहचानै
ईश्वर नै सारे के छानै उसनै कड़ै अपणा धूना लाया।।
















-33-

वैज्ञानिक नजर के करै
वैज्ञानिक दृष्टि अपणाणे तै माणस कै फरक के पड़ज्या।
दैवी शक्ति तैं ले छुटकारा वो खुद प्रयत्नवादी बणज्या।।
आत्म विश्वास बढ़ै उसमैं अन्ध विश्वासी फेर रहै नहीं
समस्या की तैह मैं जावैगा वो सत्यानाशी फेर रहै नहीं
तुरत फुरत कुछ कहै नहीं साच्ची बात पै जमा अड़ज्या।।
तर्क संगत विचार की आदत माणस के म्हां आज्या फेर
हवा मैं हार पैदा करके साईं बाबा क्यूकर भकाज्या फेर
माणस सही रास्ता पाज्या फेर नहीं तो दिमाग जमा सड़ज्या।।
बेरा लागै जीवन मृत्यु का एक जनम समझ मैं आवै
आगले पाछले जनम के पचड़यां तै वो मुक्ति पावै
साथ नहीं कुछ बी जावै म्हारे मिनटां भीतर सांस लिकड़ज्या।।
माणस इस जीवन यात्रा मैं क्यूकर सुन्दर और बणावै
आपा मारे पार पड़ै जीवन मैं या बात समझ मैं आवै
रणबीर साथ गीत बणावै कदे थोड़ा सुर बिगड़ज्या।।















-34-

 अन्तहीन संसार
अन्तहीन संसार का अन्त कहैं कदे नहीं आवैगा।
संसार रूकता नहीं कितै यो आगै बढ़ता जावैगा।।
विज्ञान नई खोज करै मानवता नै सुख पहोंचावै
विवेक माणस का फेर इनै सही दिशा मैं ले ज्यावै
सत्य खोज निरन्तर चलावै झूठ नै हमेश्या हरावैगा \\
पदार्थ हमेश्या गति शील हो इसका गुण बताया यो
नष्ट नहीं होवै कदे बी बदलता आकार दिखाया यो
साइंस नै पाठ पढ़ाया यो पदारथ ना नष्ट हो  पावैगा।।
खोज हमेश्या जारी रहती न्यांे विज्ञान हमनै बतावै
हम बुद्धि गेल्यां काम करां भावां मैं बैहने तै बचावै
सिद्ध हुया उसनै अपणावै बाकी पै सवाल उठावैगा।।
अज्ञानी मां बीमार बालक नै तांत्रिक धोरै ले ज्यावैगी
ज्ञानी मां डॉक्टर तै दिखाकै बालक की दवाई ल्यावैगी
भावां मैं बैह ज्यावैगी तो बालक ना जमा बच पावैगा।।















-35-

 गलत विज्ञान
मानवता का विनाश करै जो इसा इन्सान चाहिये ना।
संसार नै गलत दिशा देवै इसा विज्ञान चाहिये ना।।
विज्ञान पै पाड़या बेरा अणु मैं ताकत बहोतै भारी सै
अणु भट्टी तै बणै बिजली जगमगावै दुनिया सारी सै
अणु बम तो विनासकारी सै इसा शैतान चाहिये ना।।
मानवता नै बड़ी जरूरत सै आज अन्न और वस्त्रां की
जंग की जरूरत जमा नहीं ना जरूरत अणु शस्त्रां की
जो पैरवी करै अस्त्रां की इसा भगवान चाहिये ना।।
कड़ै जरूरत सै उनकी कारखाने जो हथियार बणावैं
बणे पाछै चलैं जरूरी ये दुनिया मैं हाहाकार मचावैं
विज्ञान कै तोहमद लावैं इसा घमासान चाहिये ना।।
हिरोशिमा की याद आवै शरीर थर-थर कांपण लाग्गै
विज्ञान का गलत प्रयोग मानवता सारी हांफण लाग्गै
दुनिया टाडण लाग्गै रणबीर इसा कल्याण चाहिये ना।।















-36-

ठेकेदारां की आपा धापी
या आपाधापी मचा दई इन देस के ठेकेदारां नै।
सारे रिकार्ड तोड़ दिये धन के भूखे साहूकारां नै।।
विकास तरीका घणा कुढ़ाला बेरोजगार बढ़ाया रै
घर कुणबा कोए छोड़या ना घणामहाघोर मचाया रै
बाबू बेटा तै दारू पीवैं सास बहू मैं जंग कराया रै
बूढ़यां की कद्र कड़े तै हो जवानां का मोर नचाया रै
माणस तै हैवान बणाये सभ्यता के थानेदारां नै।।
इसा विकास नाश करैगा क्यों म्हारै जमा जरती ना
गरीब अमीर की या खाई क्यों कदे बी भरती ना
चारों कान्ही माफिया छाग्या बुराई आज डरती ना
अच्छाई मैं ताकत इतनी फेर बी या कदे मरती ना
बदेशी कंपनी छागी देदी छूट राजदरबारां नै।।
अमरीका दादा पाक गया दुनियां मैं आतंक मचाया
सद्दाम हुसैन साहमी बोल्या यो इराक पढ़ण बिठाया
युगोस्लाविया पै बम्ब गेरे यो कति नहीं शरमाया
तीसरी दुनिया चूस लई भारत मैं भी जाल फैलाया
बदेशी अर देशी डाकू सिर चढ़ाये सरकारां नै।।
उल्टी राही चला दई म्हारे देस की जनता किसनै
बेरा पाड़ां सोच समझ कै देश तै भजावां उसनै
उस विकास नै बदलां मोर बनाया सै जिसनै
रणबीर इसा विकास हो जो मेटदे सबकी तिसनै
दीन जहान तै खो देगी जनता इन दरकारां नै।।



-37-

किस्सा म्हारा-थारा
वार्ता: सरोज को बहु झोलरी जाना पड़ता है। दो चुल्हे होने के कारण खरचा और बढ़ जाता है। बाकी परेशानियां उठानी पड़ती हैं वह अलग। भरत सिंह अपणी माड़ी किस्मत को कोसता है तो सरोज एक इतवार को उसका होंसला बढ़ाती है और क्या कहती है? कवि के शब्दों में:

जो आया दुनियां के म्हां उनै पड़ै लाजमी जाणा हो।
सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।
बीर मरद तै हो उत्पत्ति या जाणै दुनिया सारी सै
पांच भूत के योग तै या बणी सृष्टि न्यारी सै
या तासीर खास योग की जीव मैं होवै न्यारी सै
मिजाज जिब बिगड़ै भोग का जीव नै हो लाचारी सै
इसकी गड़बड़ मैं मौत कहैं हो बन्द सांस जब आणा हो।।
पहले जनम मैं जिसे करे कहैं इस जनम मैं भुगतै
इस जनम मैं जिसे करे कहैं अगले के म्हां निबटै
दोनों बात गलत लागै क्यों ना इसका इसमें सिमटै
साहमी हुए की चिन्ता ना क्यों बिना हुए कै चिपटै
इसे जनम का रोला सारा बाकी लागै झूठा ताणा हो।।
मनुष्य सामाजिक जीव कहैं बिन समाज डांगर होज्या
लेकै समाज पै चाहिये देणा बिन इसके बांदर होज्या
माली बिना बाग और खेती बिन पाणी बांगर होज्या
मरकै कोए ना आया उलटा जलकै पूरा कांगर होज्या
साइंस नै बेरा पाड़ लिया ईब छोड्डो
आच्छे भूण्डे करमां करकै या दुनिया हमनै याद करै
या गुणी के गुण गावै आड़ै पापी कंस की यादे तिरै
यो शरीर जल बणै कारबन प्यारा कर कर याद मरै
मेहर सिंह पफौजी बरोने का रणबीर करता याद फिरै
करमां आला ना मरै कदे ना पाले राम का गाणा हो।।

-38-

किसे और की कहानी कोन्या
किसे और की कहानी कोण्या, इसमें ये राजा राणी कोन्या
सै अपनी बात बिरानी कोण्या, थोड़ा दिल नै थाम लियो।।
यारी घोड़े घास की भाई, नहीं चालै दुनिया कहती आई
बाहूं और फेर बोउं खेत मैं, बालक रुलते म्हारे रेत मैं
भरतो मरती मेरी सेत मैं, अन्नदाता का मत नाम लियो।।
जमकै लूटै सै मण्डी सबनै, बीज खाद मिलै म्हंगा हमनै
लूटाई मजदूर किसान की, ये आंख फूटी भगवान की
यो भरै तिजूरी शैतान की, देख इसके तम काम लियो।।
छप्पण साल की आजादी मैं, कसर रही ना बरबादी मैं
ये बालक म्हारे बिना पढ़ाई, मरैं बचपन मैं बिना दवाई
कड़ै गई म्हारी कष्ट कमाई, झूठी होतै तम लगाम दियो।।
शेर बकरी का मेल नहीं सै, घणी चालै धक्का पेल नहीं सै
आप्पा मारैं पार पड़ैगी म्हारी,, जिब कट्ठी होकै जनता सारी,
लीख काढ़ै या सबतै न्यारी, रणबीर सिंह का सलाम लियो।।















-39-

बैठ्या सोचूं
बैठ्या सोचूं खेत के डोलै ईब क्यूकर होवै गुजारा।
ज्वार बाजरा आलू पिटग्या गिहूं धान भी म्हारा।।
खूब जतन कर खेत मनै उबड़ खाबड़ संवारे फेर
दस मणे तै बीस मणे हुये ज्वार बाजरे म्हारे फेर
खाद बीज की कीमतां नै जमा धरती कै मारे फेर
पूरे हरियाणा मैं लागे हरित व्रफांति के नारे फेर
दस पन्दरा बरसां मैं इसका यो फुट्या लागै गुबारा।।
धनी किसान जो म्हारे गाम के फायदा खूब उठोगे
उपर का धन खूब कमाया बालक नौकरी पागे
बिन साधन आले मरगे दुखां के बादल छागे
म्हारे नेता गाम मैं आकै म्हारी किस्मत माड़ी बतागे
सत्संग मैं जावण लागे जिब और ना चाल्या चारा।।
सत्संग मैं बढ़िया बात करैं गरीबी पै चुप रैहज्यां
सुरग नरक की बहसां मैं ये सींग कसूते फैहज्यां
मेरे बरगे रहवैं सोचते जमा बोल चुपाके सैहज्यां
जिनकी पांचों घी मैं वे घटिया बोल कई कैहज्यां
खेती क्यों तबाह होगी ना भेद खोल बतावैं सारा।।
गिहूं पड्या सड़ै गोदामां मैं रणबीर देख्या जान्ता ना
इसा हाल क्यों हुया इसका कारण समझ आन्ता ना
कहैं फूल फल उपज्याल्यो राह कोए मनै पान्ता ना
फल फूल कड़ै बिकैगा या बात कोण बतान्ता ना
टिकाउ खेती बचा सकै सै हो किलोई चाहे छारा।।








-40-
छब्बीस जनवरी
छब्बीस जनवरी का दिन भाई लाखां ज्यान खपा कै आया
घणे हुए कुर्बान देश पै जिब आजादी का राह पाया।।
सैंतालिस की आजादी ईब यो दो हजार च्यार आ लिया
बस भाड़ा था कितना याद करो आज कड़ै सी जा लिया
एक सीमेंट कट्टा कितने का आज कौणसे भा ठा लिया
एक गिहूं की बोरी देकै आज यो खाद कितना पा लिया
चिन्ता नै घेर लिया जिब यो सारा लेखा जोखा लाया।।
आबादी तै बधी तीन गुणी पर नाज चौगुणा पैदा करया
सैंतालिस मैं थी जो हालत उसमैं बताओ के जोड़ धरया
बिना पढ़ाई दवाई खजाना हमनै सरकारी रोज भरया
ईमानदारी तै करी कमाई पफेर बी तमनैनहीं सरया
भ्रष्टाचार बेइमानी नै क्यों सतरंगा जाल बिछाया।।
यो दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फौज बनाई थी
यो दिन देखण नै के भगत सिंह नै फांसी खाई थी
यो दिन देखण नै के गांधी बापू जी नै गोली खाई थी
यो दिन देखण नै के अम्बेडकर ने संविधान रचाई थी
नये-नये घोटाले देख कै यो गरीब का सिर चकराया।।
हरियाणा धरती पै कसम उठावां नया हरियाणा बणावांगे
भगत सिंह का सपना अधूरा उनै करकै पूरा दिखावांगे
ना हो लूट खसोट देश मैं या घर-घर अलख जगावांगे
या दुनिया खूबै सुन्दर होज्या मिलकै हांगा लावांगे
रणबीर सिंह मिलकै सोचो गया बख्त किसकै थ्याया।।







-41-

बंटवारा
हुई तरक्की भोत मारगी या गड़बड़ बंटवारे की।
सदा कमेरा वर्ग दबाया या नीति हिन्द म्हारे की।।
सबको मिलै पढ़ाई छह अरब डालर का खरच बताया
अमरीका मैं श्रंगार तांहि आठ अरब डालर जावै खिंडाया
पाणी और सफाई का खरचा नौ अरब डालर आज दिखाया
ग्यारा अरब डालर यूरोप मैं आइसक्रीम पर खरचा आया
चार सौ अरब डालर का नशा करावैं होज्या शक्ल छुहारे की।।
सबकी सेहत की खातर तेरा अरब डालर कुल चाहवैं सै
अमीर रुक्के मारैं पीस्से कोण्या म्हारा सेहत बजट घटावैं सै
अमरीका यूरोप के कुत्ते बिल्ली सतरा अरब डालर खावैं सै
जापान मैं मनोरंजन पै ये पैंतीस अरब डालर बहावैं सैं
झूठी कोण्या जमा साची सै तसबीर इस विकास प्यारे की।।
झूठा नहीं कोए आंकड़ा मानव विकास रिपोर्ट मैं बताया
तीसरी दुनिया चूस बगादी ईब जी सेवन दुनिया मैं छाया
विश्व बैंक और डब्ल्यूटीओ नै अमीरां का साथ निभाया
मुद्रा कोष नै डान्डी मारकै म्हारा नाश का बीड़ा ठाया
नौकरी खत्म करण लागरे कविता सविता मुखत्यारे की।।
नशे की दवाई और दारू बेचैं दूसरा धंधा हथियारां का
तीसरा धन्धा इत्र फुलेल का इन अमरीकी साहूकारां का
विकास नहीं विनास पै टिक्या जीवन इन थानेदारां का
बंटवारा ठीक हो दुनिया मैं मन नहीं करता ठेकेदारां का
अमीर गरीब की खाई मैं मर आई रणबीर बिचारे की।।








-42-

इलाज पति का
पांच हजार मनै उधारे दे दे पति मेरा बीमार हुया।
मैडीकल मैं पड़या तड़पै घणा मोटा त्यौहार हुया।।
1 दो बोतल खून मांग्या, डाक्टरां नै परेशन बोल दिया
  न्यों बोले मोल नहीं बिकता यो भेद तमाम खोल दिया
  एक बोतल तै मेरा काढ़या दूजी का पांच सै मोल दिया
  एक दो तै खावण नै आये, ओ बिचला मदद गार हुया।।
2 पन्दरा हजार खर्चा आया, ओ काम जोगा रहया नहीं
  मरणे तै तो बचग्या फेर दरद उंपै जान्ता सहया नहीं
  ल्हुकमा सुलफा दारू पीज्या जावै कुछ बी कहया नहीं
  सारे ताणे तुड़ा कै देख लिए जाता और फहया नहीं
  जिसकै घर बर्तन मांजूं उंकै साहरै घर बार हुया।।
3 एक दिन मनै अपणा दुखड़ा बहन जी आगै रोया
  वकील पति नै बेरा लाग्या उसनै अपणा धीरज खोया
  शाम सबेरी करै वो इशारे दिल मेरा घणा दुखी होया
  एक दिन करी छेड़खानी उनै बीज बिघन का बोया
  दुनिया उनै कहै देवता पर मेरा जीना दुश्वार हुया।।
4 तिरूं डूबूं जी मेरा होग्या किस आगै दुख रोउं मैं
  वकील का करूं सामना तै सारे कुणबे की रोटी खोउं मैं
  चुपकी रहूं तो उसकी बदफेली का शिकार होउं मैं
  और कितै नहीं साहरा दीखै रणबीर पै मुंह धोउं मैं
  सुण्या सै गरीबां का यो बरोने मैं मददगार हुया।।









-43-
लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री का कद छोटा उंचा घणा बिचार था
जय जवान जय किसान का नारा लाया घणा दमदार था
दुनिया मैं या उत्थल पुथल चारों कान्ही माच रही थी
गुलाम देशां मैं अंग्रेजी सेना खेल नंगा नाच रही थी
गरीब जनता की साथ मैं या कर खींचम खंाच रही थी
लाल बहादुर नै जन्म लिया साल उन्नीस सौ पांच रही थी
शारदा प्रसाद बाप टीचर था सादा गरीब परिवार था।।
डेढ़ साल का जमा बालक याणा पिता स्वर्ग सिधार गये
छोटे से बालक उपर जिम्मेदारी परिवार की ये डार गये
चाचा के कहने पै वाराणसी मैं पढ़ खातर पधार गये
मिश्रा जी मिले शहर मैं उनके हो पक्के मददगार गये
आजादी की जंग का मिश्रा नै खाका बताया बारम्बार था।।
लाल बहादुर शास्त्री जी कै आजादी का जनून चढ़या
महात्मा गांधी जी पै उननै असहयोग का पाठ पढ़या
जिब बायकॉट की बात चली शास्त्री सबतै आगै कढ़या
मिश्रा और चाचा नाराज हुये लाल पै गुस्सा खूब बढ़या
माता ललिता देवी नै साथ दिया जताया अपना प्यार था।।
लाहौर सैसन कांग्रेस का शास्त्री अटैंड करकै आया
पूर्ण स्वराज का नारा लाकै जंग का गया बिगुल बजाया
आजादी पाछै जनता का मंत्री पद पै साथ निभाया
नेहरू बाद प्रधानमंत्री बने देश आगै बढ़ाना चाहया
कहै रणबीर बरोने आला वो माणस घणा होनहार था।।









-44-

असहयोग आन्दोलन
असहयोग आन्दोलन की मन मैं पूरी उमंग भरी थी।
चाचा और मिसरा जी नै प्रकट नाराजी खूब करी थी।।
स्कूल कॉलेज बायकाट का गांधी जी नै नारा लाया था
बीए का एक साल बच्या शास्त्री नै कदम बढ़ाया था
चाचा नै इस बात का बेरा लाग्या भूंडी
मिसरा नै चाचा के सुर मैं अपना बी सुर मिलाया था
बोले अपनी पढ़ाई करले ज्यान बिघन मैं घिरी थी।।
अंग्रेजां के राज मैं भारत घणी कसूती
सुणकै हुकम चाचा जी का उसकै काला सांप सा लड़ग्या
बोल्या मैं बायकॉट करूंगा अपनी बात पै अड़ग्या
घर और शास्त्री बीच मैं इस बात का रासा छिड़ग्या
मिसरा जी कै साहमी उसनै दिल की बात खोल धरी थी।।
चाचा मिसरा दोनूं नाट गये शास्त्री का जी दुख पाया था
वो माता कै आगै रोया जाकै जी खोल कै उसतै दिखाया था
माता नै सारी बात सुणकै होंसला उसका बधाया था
बी.ए. पास करूंगा जरूरी इसका प्रण करवाया था
कई बार जेल मैं गया जलस्यां मैं बिछाई खूब दरी थी।।
दर्शन मैं ली शास्त्री डिग्री लड़ते-लड़ते करी पढ़ाई
बचन दिया जो माता जी तै बात वा पूरी करकै दिखाई
वाराणसी तै अलाहबाद आ आजादी जंग मैं जान खपाई
पीछै मुड़कै नहीं देख्या फेर अंग्रेजां की थी भ्यां बुलाई
अंग्रेज एक दिन भाजैंगे बात लाल बहादुर कै जरी थी।।








-45-

ठण्डी बाल
तन
एक कून मैं पड़ रहना धरां सिर कै हाथ तलै।।
1. फुटपाथ सै रैन बसेरा घणे सुन्दर मकान थारे
  दो बख्त की रोटी मुश्किल रोज बनैं पकवान थारे
  दीखे इरादे बेइमान थारे सत्ते का जी बहोत जलै।।
2. होटल मैं बरतन मांजैं करैं छोटी मोटी मजूरी
  थारे घरां की करैं सफाई घर अपने मैं गन्द पूरी
  कद समझी या मजबूरी जाड़ी बाजैं ज्यों शाम
3. थारे ठाठ-बाट देख निराले हूक उठे दिल म्हारे मैं
  पुल कै नीचै लेटे देखां लैट चसै उड़ै चौबारे मैं
  गरम कमरे थारे मैं यो सैक्स का व्यापार पलै।।
4. म्हारी एक नहीं सुनै राम थारे महलां बास करै
  इसे राम नै के हम चाटां पूरी ना कोए आस करै
  रणबीर सब अहसास करै दिल मैं आग बलै।।















-46-

गाम-गाम की कहानी आज की या सुणियो आज सुणाउं मैं
दलितां का हुया जीवना मुश्किल यो किस्सा आज बताउं मैं।।
1.     गाम किला जफरगढ़ मैं कहर दलितां उपर
      मकान तोड़े मारे पिट्टे जुलम दबंगा नै बरपाया रै
      वीरवार की रात कहैं भगवती जागरण था करवाया रै
      महिला पुरुष बैठें
      दबंग जात के छोरयां की आगे की करतूत गिणाउं मैं।।
2.     दस बारा नौजवनां का टोल दबंग समाज का आया
      महिलावां पाछै बैठ गये उनपै पात्थर रेल बरसाया
      छेड़खानी करी भद्दा बोले घणा कसूता बिघन खिंडाया
      महिलावां नै टोक दिये दबंगा का न्यों सिर चकराया 
      दलित बी इन्सान हों सैं इस समझ की कमी दिखाउं मैं।।
3.     आयोजकां न उन बिगड़ैलांे को थोड़ा घणा समझाया
      दबंग कौम के होनहारां की मण्डली नै उधम रचाया
      झगड़ा करया उल्टा बोले कसूता रोब जमाना चाहया
      इसे बीच मैं किसे नै जाकेै पुलिस तांहि फोन खड़काया
      गरीब की बहु सबकी जोरू कोन्या जमा झूठ भकाउं मैं।।
4.     पुलिस आगी गाम मैं किसे नै जागरण मैं आण बताया
      दबंग कौम के उतां मांतै उड़ै कोए नहीं टोहया पाया
      चार पांच पुलिस आल्यां नै जागरण पूरा चलवाया
      दबंग कौम नै दलितां पै अपना खौफ खूब फैलाया
      रणबीर सिंह बरोनिया कहै या साच साहमी ल्याउं मैं।।









-47-

दास्तान
जीणा होग्या भारी बेबे, तबीयत होज्या खारी बेबे।
नहीं सुनाई म्हारी बेबे, फेर बी जीवण की आस मनै।
1. ठीक
  कमाया मनै जमा डटकै, मेरा बोलना घणा खटकै
  दुख मैं कोण पास फटकै, यो पूरा सै अहसास मनै।।
2. मुंह मैं घालण नै होरे ये, चाहे बूढ़े हों चाहे छोरे ये
  डोरे ये डालैं शाम सबेरी, ,कहवैं मनै गुस्सैल बछेरी
  मेरी कई बर राही घेरी, गैल बतावैं ये बदमास मनै।।
3. सम्भल-सम्भल मैं कदम धरूं, सही बात पै जमा मरूं
  करूं संघर्ष मिल जुल कै, हंसू बोलूं सबतै खुलकै
  नहीं जीउं घुल-घुल कै, या बात समझली खास मनै।।
4. चरित्रहीन का इल्जाम लग्या, मेरा भीतरला और जग्या
  सग्या लूटै इज्जत म्हारी, ओहे बणज्या समाज सुधारी
  कहता फिरै मनै कलिहारी, रणबीर का विश्वास मनै।।














-48-

त्याग
सोनिया गांधी का त्याग देख कै मनै आंख्यां आंसू ल्यायें देखे।
आखरी फैसला सुणणे नै कान रेडियो पर सब लगायें देखे।।
कोए कहवै ड्रामा रच राख्या सै या हटकै हां भर लेगी
कोए कहवै इस बिना कांग्रेस दो दिन के मैं मर लेगी
कोए कहवै के बेरा था इतनी तावली या डर लेगी
कोए कहवै त्याग करया अपणा कद उंचा कर लेगी
दस जनपथ पै लोग कर्इ्र मनै नजर गड़ायें देखे।।
भाजपा नै जात दिखाई बदेशी का मुद्दा फेर उठाया रै
गोबिन्दाचार्य आत्म सम्मान का मंच बणा कै ल्याया रै
देश संविधान तै उपर उसनै टी वी उपर बताया रै
आत्म सम्मान राष्ट्र का घणा कसूता
बिना बात बदेशी का मुद्दा उमा और सुषमा ठायें देखे।।
देश के आत्म सम्मान पै इतनी कसूती
आड़ै भूखतै मरैं हजारां इन बातां पै कान नहीं धरते
मन्दिर साझला ना कुआं साझै हिन्दुत्व का दम भरते
हिन्दू राष्ट्र की बात करैं देश तोड़ण तै नहीं डरते
देश बेच्या सारा जिननै वे देशी ठप्पा चिपकायें देखे।।
सोनिया गांधी बहन नै भारत देश तै इतना प्यार किया
प्रधान मंत्री पद देश पै उसनै भाइयो देखो वार दिया
भारत देश का जन आदेश पूरी तरियां अंगीकार किया
धर्म निरपेक्ष मोर्चा सबनै मिल करकै नै तैयार किया
न्यूनतम साझा कार्यक्रम पै देशवासी आस जमायंे देखे।।







-49-

अब तक का सफर
पन्दरा अगस्त सैंतालिस मैं हमनै देश आजाद कराया रै।
हजारां लाखां बीर मरद जिननै सब किमै दा पै लाया रै।।
एक छत्र राज अंग्रेजां का जड़ै सूरज कदे छिप्या नहीं
बाहणा था व्यापार करण का लालच उनपै दब्या नहीं
गूंठे कटवाए कारीगरां के जुलम उनका घट्या नहीं
मजदूर किसान लूट लिए मेहनतकश कदे हंस्या नहीं
एका करकै जंग मैं उतरे फिरंगी ना भाज्या थ्याया रै।।
आजाद भारत का सपना देष पूरा आत्मनिर्भर होवै
शिक्षा मिलै सबनै पूरी ना कोए बालक भूखा सोवै
महिला पै हिंसा खत्म हो अपणे घरां चैन तै सोवै
छुआछात नहीं रहैगी ना कोए सिर पै मैला
सुभाष बोश भगत सिंह नै इन्कलाब का नारा लाया रै।।
देश के मजदूर किसानां नै पसीना घणा बहाया फेर
माट्टी गेल्यां माट्टी होकै कई गुणानाज उगाया फेर
कई सौ लोगां की कुर्बानी डैम भाखड़ा बनाया फेर
हरित क्राांति हरियाणे मैं एक बै नया दौर आया फेर
दस की तो खूब ऐश हुई नब्बै जमा खड़या लखाया रै।।
देश और तरक्की करै म्हारा वैश्वीकरण का नारा ल्याए
झूठ मूठ की बात बणाकै हम भारतवासी गए भकाए
ऐश करैं ले करज बदेशी देष के बेच खजाने खाए
बदेशी कंपनी खातर फेर झट पट दरवाजे खुलवाए
रणबीर सिंह मरै भूखा नाज गोदामां मैं सड़ता पाया रै।।







-50-

फागण
मनै पाट्या कोण्या तोल, क्यों करदी तनै बोल
नहीं गेरी चिट्ठी खोल, क्यों सै छुट्टी मैं रोल
मेरा फागण करै मखोल, बाट तेरी सांझ तड़कै।।
या आई फसल पकाई पै, या जावै दुनिया लाई पै
लागै दिल मेरे पै चोट, मैं ल्यूं क्यूकर इसनै ओट
सोचूं खाट के मैं लोट, तूं कित सोग्या पड़कै।।
खेतां मैं मेहनत करकै, रंज फिकर यो न्यारा धरकै
लुगाइयां नै रोनक लाई, कट्ठी हो बुलावण आई
मेरा कोण्या पार बसाई, तनै कसक कसूती लाई
पहली दुलहण्डी याद आई, मेरा दिल कसूता धड़कै।।
इसी किसी तेरी नौकरी, कुणसी अड़चन तनै रोकरी
अमीरां के त्योहार घणे सैं, म्हारे तो एकाध बणे सैं
खेलैं रलकै सभी जणे सैं, बाल्टी लेकै मरद ठणे सैं
मेरे रोंगटे खड़े तनै सैं, आज्या अफसर तै लड़कै।।
मारैं कोलड़े आंख मीचकै, खेलैं फागण जाड़ भींचकै
उड़ै आग्या था सारा गाम, पड़ै था थोड़ा घणा घाम
पाणी के भरे खूब ड्राम, दो तीन थे जमा बेलगाम
मनै लिया कोलड़ा थाम, मारया आया जो जड़कै।।
पहल्यां आली ना धाक रही, ना बीरां की खुराक रही
तनै मैं नई बात बताउं, डरती सी यो जिकर चलाउं
रणबीर पै बी लिखवाउं, होवे पिटाई हररोज दिखाउं
कुण कुण सै सारी गिणवाउं, नहीं खड़ी होती अड़कै।।

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