-131-
बिना मकसद
कुछ बी आच्छा नहीं लागै बिन मकसद हांडू मैं।
ना दिन रात चैन मनै पड़या पड़या बांडू मैं।।
1. मजदूरी मिलती कोण्या म्हिने मैं दिन बीस मनै
खेत मैं ले काम रगड़ कै जमा देवैं घीस मनै
ध्याड़ी सौ कम तीस मनै मुश्किल दिन का
2. सड़कां पै काम रहया ना ईंट भट्ठे बन्द होगे
चिनाई भी कम होरी से ले लाखां मजदूरी खोगे
म्हारे नेता एसी मैं सोगे यो नक्शा असली मांडू मैं।।
3. गाम बरोना जिला सोनीपत हरियाणा में बास मेरा
होली क्यूकर खेलूं यो मन रहवै उदास मेरा
ना याड़ी कोए खास मेरा चेहरा किसका भांडू मैं।।
4. गरीबां की बूझ नहीं नेता ख्याल करैं अमीरां का
माणस नै खेल रचाया कहते खेल लकीरां का
बाणा हुया फकीरां का रणबीर नया छन्द चांडू मैं।।
-132-
एक तरफा ऐलान
तारीख ठारा मार्च म्हिना या दुनिया याद करैगी।
बुश नै जंग थोप दिया या जनता घणी मरैगी।।
1. चाले करे अमरीका नै एक तरफा ऐलान करया
टोनी ब्लेयर के मंत्रियां नै यो इस्तीफा ल्यान धरया
फ्रांस रूस चीन जंग विरोधी बिन बोलें नहीं सरया
आखरी धमकी दी बुश नै इराक जमा नहीं डरया
दो दिन मैं देश छोड़ दे ना तै सेना तेरे धरैगी।।
2. कहै सद्दाम अर घर उसका सही रास्ते तै भटक्या
तेल इराक का प्यारा लागै ईराक का माणस खटक्या
यू एन ओ अमरीका नै सिर पर तै ठाकै पटक्या
अमरीका की दादागिरी तै यो जगत सूली पै लटक्या
घणा स्वार्थी सै अमरीका बात ना म्हारै जरैगी।।
3. भारत नै तीसरी दुनिया की चाहिये लेनी अगवाई
ना थोड़े दिनां मैं दादागिरी पावै तीजी दुनिया पै छाई
खुलकै चाहिये बोलणा ना तै हो दुनिया मैं रूवाई
जनता की दाब बिना जंग पै नहीं जावै रोक लगाई
आपस के एक्के बिना अमरीका सेना नहीं डरैगी।।
4. जंग के घोड़े दौड़ा अमरीका दुनिया पै छाणा चाहवै
तेल खातर इराक नै यो गुढ़लिया चलाणा चाहवै
इसकै साहमी बोलै उसतै सबक पढ़ाणा चाहवै
पैंटागन के दम पै रणबीर झूठ छिपाणा चाहवै
अमरीका की सेना कै दिन दुनिया मैं सूनी चरैगी।।
-133-
बारा बाट
इब होगे बारा बाट कसूते होती कितै सुनाई ना।
चूट-चूट कै खागे हमनै मिलती कितै दवाई ना।।
1. जिन सरमाये दारां नै गोरे झूठी चा पिलाया करते
जी हजूरी फितरत उनकी जमकै टहल बजाया करते
बड्डे चौधरी सांझ-सबेरे ललकै पैर दबाया करते
राए साहब कोए सर की न्यों पदवी पाया करते
आज मालिक बने देश के समझी हमनै चतुराई ना।।
2. कुल सौ बालक म्हारे देश के दो कॉलेज पढ़ण जावैं सैं
पेट भराई मिलै तीस नै सत्तर भूखे क्यों सो जावैं सैं
बिना नौकरी ये छोरे गाभय आपस मैं नाड़ कटावैं सैं
काले जबर कानून बना कै म्हारे होंठ सिमणा चाहवैं सैं
नब्बे की रेह-रेह माटी देखी इसी तबाही ना।।
3. बेकारी महंगाई गरीबी तो कई गुणी बढ़ती जावै रै
जब हक मांगै कट्ठे होकै वे तान बन्दूक दिखावैं रैं
साहूकार हमनै बांटण नै नई-नई अटकल ल्यावैं रैं
म्हारी जूती सिर भी म्हारा न्यों म्हारा बेकूफ बणावैं रैं
थोथा-थोथा पिछौड़ दे सारा छाज इसी अपनाई ना।।
4. इतनी मैं नहीं पार पड़ी दस नै जुल्मी खेल रचाया यो
नब्बे की कड़ तोड़ण खातर तिन मुहा नाग बिठाया यो
निरा देशी साहूकारा लूटै एक फण इसा बणाया यो
दूजा फण सै थोड़ा छोटा उस पै बड्डा जमींदार टिकाया यो
तीजे फण फिरंगी बैठ्या सै उसकी कोए लम्बाई ना।।
5. इस तरियां इन लुटेरयां नै नब्बे हाथ न्यों बांट दिए
लालच दे कै सब जात्यां मैं अपणे हिमाती छांट लिए
उडारी क्योंकर भरै मैंना धरम की कैंची तै पर काट दिए
हीर अर रांझयां बिचालै देखो अक्खन काणे डाट दिए
नब्बे आगै दस के करले इसकी नापीं गहराई ना।।
-134-
यू पी ए सरकार
यू पी ए सरकार नै आज पूरा एक साल हो लिया।
जो वचन करे थे इसनै उनका के हाल हो लिया।।
1. कोए सोनिया कोए मन मोहन के मोह मैं फंसरया
गुण गाण करैं बढ़ा चढ़ा कोए इनकै उपर हंसरया
कोए कहै जमा धंसरया गरीब कंगाल हो लिया।।
2. टी वी चैनलां पै कई दिन तै इस पै गैहटा तारया हे
कोए करै काट घणी कसूती कोए गीत सुरीले गारया हे
साच्ची बात कोण बतारया हे दिल बेहाल हो लिया।।
3. किसे जागां तो ठीक करया यूपीए नै काम बतावैं सैं
किसे जागां पै चाल
लोग जागां जागां चिल्लावैं सैं म्हारा सूना ताल हो लिया।।
4. लैफट लगाम कसता दीखै एनडीए राहू भूल रहया
कांग्रेस का एक हिस्सा यो होकै नशे मैं टूहल रहया
सत्ता का झूला झूल रहया रणबीर काल हो लिया।।
-135-
यूनिवर्सिटी में मार्या छोहरा, पंचायत कती ना बोली।
कुछ दलितां तै माणस मरग्या, बस्ती फंूकी दिन धोली।।
1. जात की जात मैं गुण्डे इतने, महिलाओं नै रोज सतावैं सैं
रेप के केस दर्ज सैें जिनपै, उननै हाम रोज छिपावैं सैं
दस-दस मर्डर कर राखे, उननै पंचायत बचावैं सैं
अपनी जात में दहेज के लोभी, बहुआं ने रोज जलावैं सैं
इन पंचायतों नै ये बात कदे भी, आज तलक ना तोली।।
2. सूद खोर पै गरीबां की आड़ै जा सै खाल तराई
जात के ठेकेदार ना सोचैं, जिब छोरी रहै बिन ब्याही
के यो काम गलत कोन्या, क्यूं ना पंचायत बुलाई
इन पहलवानां के खिलाफ ना हो, पंचायत में सुणवाई
ये 16वीं सदी के तौर तरीके, आज पोल कसूती खोली।।
3. न्यू कानून हाथ में लेकै तै, सारा हरियाणा जलज्यागा
ना कोए गाम बचैगा न्यू तो, सबका दीवा सा बलज्यागा
बांट समाज नै जात पात पै, लुटेरा गरीब नै छलज्यागा
काम उसे होन्ते रहंगे तो अमीरां के घी सा घलज्यागा
इस जात पात नै बंटवारे की, जहर समाज में घोली।।
4. बेरोजगार तो बेरोजगार सै, ना कोए जात बताई
बेरोजगारी जात सै उसकी, हो किसै कोम का भाई
किसान की जात किसानी हो , क्यूंना म्हारी समझ में आई
जात पात पै लड़ाकै इननै, रणबीर की छाती घोली।।
-136-
किस्सा म्हारा थारा
भरत सिंह और उसके भाई कंवल सिंह के बीच बिजली के बिलों की माफी को लेकर चर्चा होती है। भरत सिंह कहता है-जो बिजली की सबसे ज्यादा चोरी करते थे उनको सबसे ज्यादा फायदा होगा। उनकी बिजली का खर्चा आम जनता क्यों भरे। कंवल सिंह कहता है नहीं, इससे सभी किसानों को एक बार तो राहत मिलेगी। दोनों में बातचीत होती है और क्या बताया भला कवि ने:-
कंवल : सौला सौ करोड़ माफ करे, हुड्डा सरकार नै
भरत सिंह: छोटू राम की कुड़की बचाग्या, खाए करज्यां की मार नै
कंवल : या राहत के थामनै थोड़ी बिजली बिलां ने तोड़ दिए
कई-कई हजार बाकी रहरे टूटे कनेक्शन जोड़ दिए
धरती थोड़ी खर्चा ज्यादा मारे दारू की मिकदार नै।।
भरत सिंह: पहलम कर्जे में गरक करे इस सिस्टम ठीक कड़ै
अर्ज करो यो माफ करैगा हुया लागू सिस्टम इसा आड़ै
ऐसा सिस्टम बणै कर्ज का ना किसान फंसै बारम्बार नै।।
कंवल : किसान मसीहा छोटूराम नै, क्यूं तों आज बिसरावै
भाखड़ा डैम बणाया देखो, फसल खेता मैं लहरावै
यो किसान तो अैहदी होग्या, संभालै नै घरबार नै।।
भरत सिंह: दिन और रात काले कर दिए, खूबै ए खेत कमाया
सारी कमाई मंडी खागी, नहीं मूल कदे बी थ्याया
रणबीर सिंह बरोणे आला दिया छोड़ बीच मझदार मैं।।
-137-
गोहाना में जो कुछ हुआ वह बहुत ही शर्म नाक और दिल दहला देने वाली बात है। कूसर किसी का सजा किसी को। क्या बताया भला:-
मारै कोए भुगतै कोए घणा बुरा जमाना आया रै।
गोहाना मैं दलितां उपर जुलम कसूता
1. स्वर्ण जातां का जुलम उड़ै हटकै दिया दिखाई सै
उंची जात आले चौधरी दलितां की बस्ती जलाई सै
पुलिस भी हाजिर थी उड़ै जिब आग लगाई सै
एम पी के छोरे नै उड़ै अफवाह खूब फैलाई सै
स्वयंभू पंचायत नै फेर हटकै रंग दिखाया रै।।
2. दो दिन पहलम हुया पंचायत का फतवा जारी
डीसी एसपी सोवैं तान कै जनता बस्ती छोड़गी सारी
पंचायती नहीं गेरे जेल मैं या गलती कर दी भारी
ना बस्ती मैं पुलिस बिठाई क्यों अकल मारी थारी
मिल सबनै दलितां तै सबक सिखाना चाहया रै।।
3. सब कुछ साहमी हुया पुलिस देखती रही खड़ी
स्वर्ण जात की हिम्मत दलित बस्ती मैं आण बड़ी
धूं-धूं करकै घर जलगे चौगरदे थी आग पड़ी
सोच समझ प्लान बणा कै गया सै काण्ड रचाया रै।।
4. सतावण साल की आजादी मैं किसी आजादी पाई या
दलितां पै जुलम बढ़े सरकार नहीं शरमाई या
एक बाल्मीकि के कारण बस्ती सारी क्यों जलाई या
मानवता के बणे रूखाले हवा जहरी चलाई या
कलम कांपण लागी रणबीर घणा दुख पाया रै।।
-138-
चमेली और बबली की बातचीत होती है। बबली बहुत दुःखी है चमेली के उत्पीड़न से। वह कहती है-अब जात का सहारा लेकर सूरते को बचाना चाहते हैं। हमारी ही जात के लड़के जब हमारे साथ छेड़खानी करते हैं तब भी कुछ नहीं बोलते। समाज कहां जा रहा है? एक गीत के माध्यम से कैसे अपनी बात कहती है:-
1. गरीब अमीर का मेल नहीं, शेर बकरी का खेल नहीं
सही कातिल ने जेल नहीं, बीर मर्द की रखैल नहीं
जी छोड्डै अमर बेल नहीं, या दुनियां कहती आई
बिन शिक्षा के ज्ञान नहीं, बिन ज्ञान होवै सम्मान नहीं।
2. टोहली बबली असल सच्चाई इब सबकी श्यामत सै आई
गरीब की हो खाल तराई, जाणैं सारे लोग लुगाई
बात ये सबके साहमी ल्याई, कोन्या मनै झूठ भकाई
बिन फागण के फाग नहीं, बिन माली के बाग नहीं।।
3. इज्जत सुरते नै ली सै लूट, इब गेर्या चाहवै म्हारे में फूट
सबर का हमनै प्याकै घूंट, सदियां तै रहे हामनै चूंट
उपर तैं फेर दिखावैं बूंट, खोलकै सारी बात बताई
4. बिन सुर के कोए राग नहीं, बिन घरषण के आग नहीं
दफन सभी फरियाद हुई, घणी चमेली बरबाद हुई
खामैखां की कवायद हुई, या मेहनत सबकी खाद हुई
कमजोर म्हारी या याद हुई, न्यू सब मैं नोबत आई।।
5. ना बिना पदार्थ कुछ साकार, ना बिना तत्व गुणों का सार
इब नीति इसी चाल रहे, बिछा टेलीविजन का जाल रहे
बिकवा घर का माल रहे, सब
गलूरे बणा ये लाल रहे, रणबीर की श्यामत आई।।
-139-किस्सा म्हारा थारा
बबीता-चमेली को मेडिल जाकर अपना मेडिकल करवाने के लिए तैयार करती है। वहां सविता उनकी पूरी मदद करती है। मेडिकल मुआएना हो जाता है और सूरत सिंह के खिलाफ पुलिस को केस दर्ज करना पड़ता है। गांव में चमेली का चरित्र हनन करने की पूरी कोशिशें की जाती हैं। चमेली की मां और बबीता उसका पूरा साथ देती हैं। एक दिन चमेली क्या सोचती है, क्या बताया कवि ने:-
या चोट मनै, गई घोट मनै, गई फिरते जी पै लाग
मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
1. चाला होग्या गाला होग्या, क्यूकर बात बताउं बेबे,
इज्जत गवाई, चिन्ता लाई, क्यूकर ज्यान बचाउं बेबे
सुरते बरगे फिरैं घनेरे, क्यूकर गात छिपाउं बेबे
देख अकेली करी बदफेली, क्यूकर हाल छुपाउं बेबे
ना पार बसाई, ना रोटी खाई, ना आच्छा लागै कोए राग
मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
2. जिस देश मैं नहीं होता हो सही सम्मान लुगाई का
उस देश का नाश लाजमी, जड़ै अपमान लुगाई का
सारी जिन्दगी राम भज्या सै, नहीं भुगतान दुहाई का
घणा अष्टा बणा दिया सै, यो इम्तहान लुगाई का
मैं तो मरली, दिल में जरली, लाउं नाश जले कै आग
मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
3. राम गाम सुणता हो तै, हाम कति ज्यान तै मरली
औरत घणी सताई जागी, या मेरे दिल में जरली
सबला लूटी अबला लूटी, दास बणाकै धरली
इबै तो और सहणा होगा, के इतणे मैं सरली
ना होठ सिउं ना जहर पिउं, तेरा करूं सामना निर्भाग
मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
4. डूबूं तिरूं मन होज्या सै, सोचूं कदे फांसी खावण की
फेर सोचूं हिम्मत करकै, सजा कराद्यूं सुरते रावण की
मां नै भी दिया बहुत सहारा, ऐसी मां ना पावण की
कसर ना छोड़ी बबीता नै मेरा साथ निभावण की
ना कदम हटावै ना केस ठावै न्यां रणबीर सिंह करै जाग
मेरै तो सिलगै बदन में आग।
-140-
एक दिन भरत सिंह व उसकी पत्नी सरोज आपस में बात कर रहे हैं कि बहुत बुरा जमाना आ गया है। उपभोक्तावाद की अधी गली में हम घुसते जा रहे हैं। मारो खाओ हाथ ना आओ का चारों तरफ बोलबाला है। मानवीय रिश्तों में गिरावट आ रही है। भरत सिंह सरोज को बताता है कि इस चुनाव में कैसे दारू सुलफे का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ है। सरोज कहती है कि भ्रष्टाचार का कोए अन्त नहीं रहा। भरत सिंह एक गीत के माध्यम से सरोज को अपने दिल की बात सुनाता है:-
एक बै नजर घुमाकै देखां समाज म्हारा कित जा लिया।
क्यों आन्धी गली मैं बड़ते जावां, इस चिन्ता नै खा लिया।।
1. घर-घर देखां घणा बेढ़ंगा, माहौल हुया यो सारे कै
कोए तो आड़ै काच्चे काटे क्यों बोझा पड़या करतारे कै
आंच ना महल चौबारे कै, गरीब काल क्यों पा लिया।।
2. माणस रोज भीतर तैं टूटै, इसा जमाना आता जा
घर के भीतर बाहण बेटी की, इज्जत पै संकट छाता जा
शरीफ तले नै आता जा, बदमाश नै पैर जमा लिया।।
3. दारू सुल्फा सारे छागे, शरम लिहाज ना कोए ईब
भ्रष्टाचारी का साथ देवो, कहते इलाज ना कोए ईब
खापां का अन्दाज ना कोए, हरियाणा सिर पै ठा लिया।।
4. रिश्वत की कमाई भूंडी, फेर बी इसको स्वीकार लिया
दहेज बीमारी भूंडी कहते, फेर बी इसको चुचकार लिया
रणबीर नहीं इन्कार किया तो, समझो ओड़ आ लिया।।
-141-
वार्ता: बबली और चमेली एक दिन आपस में बातें कर रही हैं कि कैसे कॉलेज जाते समय वे युवाओं के गैंगों की शिकार होती हैं। रोहतक और उसके आसपास के जिलों का युवा दर्शन और भूप के गैंगों से सीधे या वाया भटिण्डा किसी न किसी रूप में जुड़ गया है। लड़कियां भी इन गैंगों की सम्पतियों के रूप में देखी जाने लगी हैं। हिंसा के साथ सैक्स की पतनशील संस्कृति ने भी हाथ मिला लिया है। इन दोनों का साथ दारू, सुल्फा व स्मैक पूरी तरह से निभा रही है। चमेली ने कहीं पढ़ा कि इन तीनों चीजों के सहारे अमरीका पूरी दुनियाभर पर राज करना चाहता है और चमेली बबीता को क्या बताती है भला:
साम्राज्यवाद के निशाने पै, युवा लड़के और लड़की।
बेरोजगारी हिंसा और नशा, घण्टी खतरे की खड़की।।
1. इन बातां तै ध्यान हटाकै, नशे का मन्तर पकड़ाया
लड़की फिरती मारी-मारी समाज यो पूरा भरमाया
ब्यूटी कम्पीटीशन कराकै, देई लवा देश की दुड़की।।
2. निराशा और दिशाहीनता देवैं चारों तरफ दिखाई
बात-बात पै हर घर के माह, माचरी खूब लड़ाई
सल्फाश की गोली खाकैं, करैं जीवन की बन्द खिड़की।।
3. युवा लड़की की ज्यान पै शांका, घणा कसूता छाया
रोज हिंसा का शिकार बणैं, ना सांस मोह सुख का आया
वेश्यावृत्ति इसी फैलाई, जणू जड़ ये फैली बड़की।।
4. एक तरफ सै चक्का चौंध, यो दूजी तरफ अंधेरा
दिन पै दिन बढ़ता है संकट, ना दिखै कोए सबेरा
रणबीर सिंह विरोध, करो तुम बाजी लाकै धड़की।।
-142-
सुरत सिंह की बड़ी बेटी कविता का यूनिवर्सिटी में यूथ फैस्टीवल होता है। वहां पर खासतर की दो अर्थी बातों वाले गीत गाये जाते हैं। कविता भी आज की सुन्दरता को लेकर अपने
सुन्दरता किसनै कहते, इस पै चर्चा करनी चाहूं में।
गोरी चमड़ी आच्छी हो सै, छिपरया नस्लवाद दिखाउं मैं।।
1. गोरी चमड़ी बता सुन्दर गोरे, सारी दुनिया पै छागे
काली चमड़ी सुन्दर कोन्या, इन नै निरभाग बतागे
गोरी चमड़ी की सुन्दरता नै, खड़ी करदी खाट बताउं मैं।।
2. मेहनत करकै जो बणता सुन्दर उसनै कौण पिछाणै
कष्ट कमाई नै चोर कै लेज्यां, उसकी चोरी नै ना कोण जाणै
सुन्दर बाहर काला भीतर तैं, कति कोन्या झूठ भकाउं मैं।।
3. उनकी सुन्दरता भूल गए जिननै ताज महल बणाया
किस्सा शाहजहां मुमताज का रोजाना जावै सुणाया
कारीगरां कै पटी रै बिवाई, वा सुन्दरता कड़ै छुपाउं मैं।।
4. बाहर पेट तै ल्यावण में यो, साथ दिया जिस दाई नै
जिनै न्हवां धवा कै मैल तार्या, गेरी नीच जात की खाई मैं
रणबीर असली सुन्दरता पै सुन्दर छन्द बणाउं मैं।।
-143-
मर ज्यांगे पर झुकां नहीं
मर ज्यांगे पर झुकां नहीं, न्यूं मिलकै कसम खाई।
अमित अंजू की शादी स्वयंभू, पंचायत नै रोकना चाही।।
1. जगदीश अमित कृष्ण मंजू नै, जिब अपणा ब्याह रचाया
श्योराण और गिल गोतां का ब्याह, पंचायत नै रोक्या चाहया
पंचायत स्वयंभू गैर कानूनी, आज हरियाणा मैं छाई।।
2. कानूनी औकात ना इनकी, न्यूं जाणै दुनिया सारी
स्वयंभू ये पंचायत, आज करदें फतवे जारी
मिलकै करो सामना, अमित अंजू नै राह दिखाई।।
3. इसी घटिया बातां का चाहिये, बहिष्कार समाज मैं
नागरिक अधिकारां का मामला, उठावां सही अन्दाज मैं
इन फतवां नै मुश्किल कर दिये म्हारे ब्याज और सगाई।।
4. मुबारक सोनिया रामपाल नै यो, आसण्डे मैं युद्ध लड़या
जौन्धी और नया बास में भी नागरिक समाज हुया खड़या
कहै रणबीर सिंह बरोने आला, लाडावास की बारी आई।।
-144-
इज्जत नहीं जहां औरत की प्यार वहां नहीं रह पायेगा।
बेशक दौलत से लथपथ हों, एक दिन भूखा मर जायेगा।।
1. पैदा करके बड़ा करे वो, बेटा बेटी करती रहती
उस पर ही जो करे जुलम वो उपर उनके ही मरती रहती
जो भी आंसूं देगा उसको जिन्दगी मैं धक्के खायेगा।।
2. राखी लेकर खड़ी रहें ये बहन हमारी जो कहलाती
भाई को दें घी की रोटी, सूखी देखो खुद खा जाती
मौत मिले राखी के बदले बहन का दिल भी थर्रायेगा।।
3. कुकरम करते आदमी सारे तोहमद औरत की लग जाती
पिस जाती ये चिंटी हरदम, मंडराते रहते ये हाथी
विवश बेचारी अबला देखो, क्या कभी इन का भी नि आएगा।।
4. रजवाड़ों में इसे नचाया डांस बार भी भरे हुए हैं
नोंच कर खाने वाले गली गली में भरे हुए हैं
अगर कृष्ण ले अवतारी, हर घर में एक द्रोपदी पायेगा।।
-145-
महिला पलटन
आई एन ए में भरती होकर बनाई महिला पलटन न्यारी।
लक्ष्मी सहगल बनी कमाण्डर दी अंग्रेजों को किलकारी।।
1. भारत आजाद कराउं जरूरी सहगल ने मन में धार लिया
फिरंगी भारत छोड़ो हमारा सारी दुनियां में प्रचार किया
आजाद हिंद फौज बोस की अलग से पलटन तैयार किया
तोप गोले बन्दूक चलाई रणचण्डी सा फिर सिंगार किया
वही लक्ष्मी सहगल देखी मोर्चे पर आगे बढ़ती जारी।।
2. गोले गए आजादी आई सपने खूब सजाए हमने भाई
मेहनत करी बहोत देखो अपने डेम बनाए हमने भाई
रामधन सिंह जैसे विज्ञानी अपने बीज उगाए हमने भाई
खान फैक्टरी और खेतों में अपने शरीर खपाए हमने भाई
लक्ष्मी सहगल पूछ रही है दे दी किसने आज बुहारी।।
3. खेत खलिहान और सड़कों पर औरत बहुत सताई जाती
दहेज अच्छा नहीं मिला है यों हर रोज जलाई जाती
जुल्म की हद नहीं कोई जबरी फांसी चढ़ाई जाती
नंगी तसवीरें फूहड़ गाने ऐसी ये फिल्में बनाई जाती
जीना है तो लड़ना सीखो क्यों बनी बैठी हो बेचारी।।
4. औरत के हकों की खातिर लड़ने का बीड़ा उठाया है
सबको इकट्ठा करने के लिए संगठन सही बनाया है
इकट्ठी होकर लड़ें लड़ाई घर घर अलख जगाया है
गांव-गांव कर लो तैयारी संदेश तो यही पहुंचाया है
औरत दबकर नहीं रहेगी रणबीर की कलम पुकारी।।
-146-
घड़ा पाप का
घड़ा भर लिया पाप का एक दिन फूटैगा जरूर भाई।
मेहनतकश पड़ कै सोग्या कदे तो उठैगा जरूर भाई।।
1. राही और राजभवन की आज खुलकै ने तकरार ठनी
गरीब की गर्दन के उपर आज नंगी या तलवार तनी
अमीरी आन्धी बहरी आज बनी एक दिन टूटैगा गरूर भाई।।
2. महलां मैं दिन चढ़ज्या म्हारे घर मैं काली रात रहै
जनता भोली चौराहे पै गुण्डयां की आज लात सहै
ताज ना साच्ची बात कहै धूल कदे चाटैगा जरूर भाई।।
3. कलम बेच कै अपणी देखो गलत नै सही बतावैं सैं
दस नब्बे का खेल यो सारा साची बात छिपावैं सैं
जोंक की
4. अनपढ़ता बेकारी और गरीबी तीनों ही मां जाई ये
अनपढ़ता कै देले घेरा आसान फेर बाकी लड़ाई ये
रोड़ा अटकावैंगे कसाई ये रणबीर चाला पाटैगा जरूर भाई।।
-147-
मामला गउ का
दुलिना काण्ड नै आज यो पूरा एक साल हो लिया रै।
सारे कालित छुट कै आगे यो बुरा हाल हो लिया रै।।
1. माणस मारे पुलिस चौकी में, सबकै साहमी आई रै
गुपचुप ठिकानै लगवाये ना करी कानूनी कारवाई रै
माणस तै बढ़कै गउ धर्म ठेकेदारों ने बात बताई रै
गउशाला मैं नहीं ले जाते सुन्नी गउ देवैं दिखाई रै
गउ चमड़े पै कई जागां खड़या बबाल हो लिया रै।।
2. सभी गोशाला ठेके चमड़े के सारे कै ठवावैं देखो
गउ के नाम पै चारा चन्दा ये सबतै ले ज्चावैं देखो
गउआं की हाडी चिलकैं ना पूरा चारा खवावैं देखो
गउ की हालत गोशाला मैं कई-कई मरी पावैं देखो
गउ हिमाती करते हत्या किसा कमला हो लिया रै।।
3. जिन्दा की कोए सम्भाल नहीं मरी पै माणस मार रहे
गउ के रक्षक चमड़े का करोड़ां का कर ब्यौपार रहे
बणा गउ नै मोहरा दलितां पै कर ये अत्याचार रहे
अल्प संख्यक पै हमले गउ नै बणा हथियार रहे
गउ पै करैं राजनीति खड़या यू सवाल हो लिया रै।।
4. ट्रैक्टर खेती मैं आया तो बुलध कितै कितै रैहग्या
गउ का सम्मान समाज मैं इसे करकै फेर
ट्रैक्टर कम्पनी ऐश करैं किसान गउ पै फैहैग्या
सोचो क्यूं मार काट गउ पै रणबीर सिंह न्यो कैहग्या
गउ का चमड़ा आड़ै धर्म की नंगी
-148-
सबक सिखाएंगे
तूं घणा आण्डी पाकै सै हम तनै सबक सिखावांगे।
उधार और तेरे करज पै पूरी रोक लगावांगे।।
1. म्हारा कहया माण्या ना तेरी इतनी हिम्मत होगी
लेणे के देणे पड़ज्यां तनै क्यों तेरी अक्कल खोगी
ईब तै आगै समझ लिये या तेरी किस्मत खोगी
तेरी गलत हरकत या जमा झूठे झगड़े झोगी
म्हारी बात नहीं माणण का जमकै मजा चखावांगे।।
2. म्हारे बमां का करै मुकाबला तेरी या औकात कड़ै
नाक रगड़ै दरवाजे पै तेरी कड़ पै लात पड़ै
माक्खी भिनकैं तेरे उपर तूं दिन और रात सड़ै
हेकड़ी भूलज्या तूं सारी फेर नहीं बिना बात अड़ै
क्यों आंख्यां पै पाटी बान्धी हम इसनै खोल बगावांगे।।
3. तेरी बोलती बन्द करद्यां धक्के दर-दर खावैगा
दुनियां मैं तनै हिम्माती नहीं टोहया कोए पावैगा
पड़या भंवर मैं पफेर तूं बचाओ मनै चिलावैगा
तेरा भ्यां बुलाद्यांगे पड़या-पड़या फेर रंभावैगा
धक्के खान्ता नाक रगड़ता तनै तो हम बतावांगे।।
4. न्यूकलीयर ताकत बणज्यां तनै क्यूकर सोच लई
पांच पटाखे छुटा कै सोचै या दुनिया दबोच दई
इनतै म्हारे ना माड़ी सी बी जमा कोए खरोच गई
तेरी नाड़ मेरी समझ मैं करतूत या मोच गई
रणबीर सिंह न्यों कहवै ना धोंस थारी मैं आवांगे।।
-149-
जात का चश्मा
जिस दिन भाण भाइयो यो जात का चश्मा टूटैगा।
उस दिन पैंडा म्हारा जुल्मी शोषण तै छूटैगा।।
1. हमनै बांटण नै बैरी नै हथियार बनाई या
गेहूं के खेत मैं पैदा खड़ पतवार बताई या
दीवार जै मिलकै ना
2. म्हारे देश के सब माणस ये जात्यां मैं बांट दिये
न्यों म्हारी एकता के लुटेरयां नै पर काट दिये
समझण तै नाट लिये लुटेरा हमनै चूटैगा।।
3. लुटेरयां की जात मुनापफा आंख खोल कै देख्या ना
लुटेरे एकै बोली बोलैं सैं कै देख्या ना हमनै बोल
नाप तोल कै देख्या ना मुनाफा खोर न्यों लुटैगा।।
4. रणबीर बरोने आला चाहे बिजली गिरै आज
नये जमाने मैं क्यों इसकी कोली भरै आज
इसतै काम ना सरै आज यो दूना गल घूंटैगा।।
-150-
कारतूस
समाज की सेवा करने वाले कदे किसे तै डरे नहीं।
समाज के ठेकेदारो थारे कारतूस थोथे सैं भरे नहीं।।
1. दिन रात कमावां मिलकै खेत कारखाने अर खान मैं
अमीर गरीब की छिड़ी लड़ाई देखो सारे ही जहान मैं
सतरंगा जाल बिछा लूटे करां गुजारा खाली छान मैं
म्हारी मत मार दी ज्यां करकै ना बैरी आया पहचान मैं
पाप के बेड़े भवसागर मैं पार कदे बी ये तिरे नहीं।।
2. जात पात के चश्मे म्हारे न्यारे-न्यारे सब बांट दिये
इलाका कितै धरम बांटता सब लूटण के
फौज बन्दूक तान दें जिब हुकम इनका नाट दिये
महिला नौजवान दलित दुखी फिरैं इनके चक्कर काट लिये
जनता के हमले बिना कदे जुल्मी पापी ये मरे नहीं।।
3. अनपढ़ राखे जान बूझ कै मारैं हमनै बिना दवाई ये
मेहनत लूट कै महल बनाये बतावैं किस्मत की कमाई ये
सारी नैतिकता भूल गये बनगे म्हारे खसम जमाई ये
बेइमान ईमानदार बाजैं ईमानदारां की करैं पिटाई ये
देख लिया जांच परख कै ये सिक्के खोट्टे सैं खरे नहीं।।
4. सुभाष बोस नै राह दिखाई उसपै आगै बढ़णा होगा
भगत सिंह नै फांसी खाई उसका विचार पढ़णा होगा
लाल हरदयाल अलख जगाई नई मंजिल चढ़णा होगा
अदल-बदल ये देख लिये समाज नया गढ़णा होगा
कहै रणबीर हथियार पैने करल्यां खुंडे सै यं जरे नहीं।।
-151-
बरसात
सीली सीली बाल चालती चौगरदे नै बोलैं मारै।
नान्हीं-नान्हीं बूंद पड़ैं ये बादल छाये घण घोर।।
1. धरती की प्यास बुझी उठती दीखै दिल मैं झोल
पेड़ हवा मैं झूमैं जण आपस मैं करैं मखौल
कितै चिड़िया चिचावै कितै बटेर करे किलोल
माणस क्यों भाज रहया इसके जी नै माची तोल
आसमान दुधिया होग्या एक छोर तै दूजी छोर।।
2. बाग का माली बाग की यो रूखाली करता जमकै
बंजर के मैं फूल खिलादे हर माणस देखै थमकै
हरियाली मन नै भाव गुलाब फूल न्यारा चमकै
सुहान्ती सी धूप आवै बादलां के म्हां कै छन कै
बेरा ना क्यों आज मनै या निराली लागै भोर।।
3. सोनीपत जिले मैं बरोणा सै भाई यो गाम मेरा
याद आवैं बात वे सारी जड़ै बीत्या बचपन तमाम मेरा
क्यूकर भूलं उन लोगां नै जिननै उधेड़या चाम मेरा
झूठी तोमद लाकै करया नाम गया बदनाम मेरा
गाम छटवा दिया उननै मेरा चाल्या कोण्या जोर।।
4. किते गुलगुले किते पूड़े किते सुहाली तारी जा
मेरी खुरपी चलै बाग मैं सूरत ईंकी संवारी जा
सोचूं कूण खुवावै पूड़े हो न्यों तबीयत खारी जा
किसने सुणाउं मन की जिब दिल हो भारी जा
रणबीर तै बढ़िया मिलती ना मेरे दिल नै ठोर।।
-152-
सेठ कै बेइमाना होग्या रूप पाणी में धिका दिया।
पराई नार पै नीत डिगाई चेहरा काला दिखा दिया।।
1. भौंचक्का रैहग्या रूप एक बै बात समझ मैं आई ना
थोड़ा ए तिरणा जाणै था उड़ै कुछ दिया दिखाई ना
गोते खावै पफेर डूबण लाग्या दया राम नै खाई ना
चन्द्रा चन्द्रा न्यों रूक्के मारै चन्द्रा नै दिया सुनाई ना
नहीं हौसला हारया रूप नै जोर पूरा लगा दिया।।
2. जोर की बाल चाल पड़ी समुद्र मैं फेर लहर चली
तिरता-तिरता तख्त आया नजर रूप की ठहर चली
रूप नै तख्ते का साहरा न्यों सांस कई ए पहर चली
रूप नै लेकै वा किस्ती पास बसे होये शहर चली
होश आवन्तें हे उठ लिया चन्द्रा का नाम गुंुजा दिया।।
3. कड़ै थी चन्द्रा क्यूकर बोलै कैद जहाज मैं पड़ी हुई
एक-एक करकै याद आई रूप नै चिन्ता बड़ी हुई
चन्द्रा दीखै रोवन्ती उसनै जहाज के उपर खड़ी हुई
मुक्का मार लिया छाती मैं रूप कै मजबूरी अड़ी हुई
रोया रूप दहाड़ मारकै उड़ै पत्ता-पत्ता रूला दिया।।
4. बैठ पेड़ की छाया मैं हटकै अपणे को तैयार किया
सोर्चे सेठ ने धोखे मैं क्यों इसा घटिया वार किया
दीन ईमान सब भूल गया पर नारी पै मन मार लिया
सेठ तै बदला लेना का प्रण मन में था धार लिया
रणबीर बरोने आले नै फेर कलम अपना चला दिया।
-153-
तर्ज: किस तरियां तू बड़या बाग मैं
लीलो चमन बरबाद हुए जिब धनपत ठाडा रोया था।
धरम के काले नाग नै घणा जहरी डंग चभोया था।।
1. बड्डे बूढ़े बालक कत्ल हुए इसा हाल्या दौर अमन का
लाहौर मैं लीलो बिछड़ गई इसा डाल्या दौर दमन का
हिन्दुस्तान मैं आणा पड्ग्या ना चाल्या जोर चमन का
इस घाल्या डोर भरम का चमन लीला ने खोया था।।
2. इज्जत नहीं महफूज रही दफन सारी ए मरयाद हुई
एक लीलो का जिकरा ना घणी ए लीलो बरबाद हुई
मौत के सौदागर पापी कबूल उननै ना फरयाद हुई
लीलो सबकै याद हुई थी धनपत नै साज संजोया था।।
3. लिकड़ सकी ना लीलो इसे फन्दे के म्हां फंसगी वा
क्यूकर होवै बचाव धरम के रन्दे के म्हां घिसगी वा
चमन घणा लाचार हुया गाड़ी खांचे मैं धंसगी वा
पिफरका परस्ती चाले करगी माणस नै आपा खोया था।।
4. कहै रणबीर सिंह फूट लिया यो भांडा इस कुकरम का
लीलो चमन मार दिये दोनूं जाइयो नाश धरम का
गरीब अमीर की लड़ाई पै गेर दिया जाल भरम का
नहीं शरम का काम सोच रणबीर नै छन्द पिरोया था।।
-154-
कै दिन समाज बचैगा
बिन वंचित की रूखाल करें, बिन महिला का ख्याल करें।
बिन समता का सवाल करें, कै दिन समाज बचैगा रै।।
1. गरीब परिवार मैं पैदा होकै हांगा लाकै करी पढ़ाई
सत्तर प्रतिशत नम्बर ले कै भी ना कितै नौकरी थ्याई
ज्यान कति मरण मैं आई हे, के संकट समझ नहीं पाई हे
दिन दूनी क्यों बढ़ी म्हंगाई हे, कै दिन समाज बचैगा रै।।
2. पढ़ाई लिखाई व्यापार बणाली क्यों सारे ही संसार नै
पीस्से की हवस बढ़गी खोस कै लेगी म्हारी बहार नै
टी वी नंगी फिल्म दिखावै सै, अत्याचार यो बढ़ता जावै सै
माणस नै माणस खावै सै, कै दिन समाज बचैगा रै।
3. हुये आजाद तो सोचैं थे सबनै ईब रूजगार मिलैंगे
ठीक ठ्याक जिन्दगी गुजरै ना धक्के बारम्बार मिलैंगे
सपने सारे धूल मैं मिलगे, म्हारे आदर्श सारे हिलैंगे
बदमाशां के चेहरे खिलैंगे, कै दिन समाज बचैगा रै।।
4. आर्थिक सुधार का रंदा म्हारी नाड़ पै चलाया क्यों
आत्मनिर्भरता का नारा आज पढ़ण बिठाया क्यों
विश्व बैंक हमनै भावै क्यों निजीकरण बढ़ाया क्यों
गरीब का गला दबाया क्यों कै दिन समाज बचैगा रै।।
-155-
बात पते की
ये दो आंख ले कै बी आन्धे हमनै सड़ांध देवै दिखाई ना।।
बिल्ली देख कबूतर आंख मूंद कै कहवै आड़ बिलाई ना।।
1. ईमानदारी का पाठ पढ़ावैं नेता अफसर संसार मैं
इन्कम टैक्स की चोरी करना बालक सीखैं परिवार मैं
इस काले धन की बहार मैं दीखै फेर सच्चाई ना।।
2. उपर बैठे अफसर नेता लेरे बदेशी बैंकां मैं खात्ते ये
जड़ मैं भ्रष्टाचार पनपै तो क्यूकर हरे रहवैं पात्ते ये
इननै चाहिये चिमटे तात्ते ये इनकी कोए और दवाई ना।।
3. साठ हजार करोड़ का करजा म्हारे देश के अमीरां पै
सरकार म्हारी चालती देखो इनकी काढ़ी लकीरां पै
हम हांडां संत और फकीरां पै साच समझ मैं आई ना।।
4. पीस्से की हवस इनकी सब किमै बाजार मैं बिठाया सै
मानवता सिसकण लागरी यो माणस हैवान बणाया सै
रणबीर सिंह नै छन्द बनाया सै साच जमा छिपाई ना।।
-156-
बोल बख्त के
आतंकवाद का पिल्ला थारा सुण्या तमनै पाड़ण आया।
सांप उग्रवाद का पाल्या उसतै रजकै दूध पिलाया।।
1. एक चोट आतंकवाद की आज थारे पै नहीं उटी सै
बीस बरस तै झेल रहे सां थारी छाती नहीं फटी सै
तीन बेटे दो बेटी खपगी जीवण इच्छा नहीं घटी सै
इबै थारी बमबारी जारी या रात काली नहीं छटी सै
काम धंधे चौपट होगी फीम की खेती नै गुल खिलाया।।
2. काबुल पै कब्जे तांहि तमनै दूर की स्कीम बनाई ये
कट्टरवाद तै हाथ मिलाया तालिबान छोटे भाई ये
कम्यूनिस्ट खत्म करण नै लाखां मारे लोग लुगाई ये
उस बख्त के काम भूण्डे तमनै दिये नहीं दिखाई ये
जेहाद हरफ जाण बूझ क्यों म्हारी जुबान पै चढ़वाया।।
3. क्यां क्यां का जिकर करूं इरान पै हमले करवाये क्यों
बारूदी सुरंग बिछा काबुल मैं मासूम लोग उड़वाये क्यों
आच्छा भूण्डा सब भूल गये औरतां पै कहर
क्यूबा के पूरे चौहतर खिलाड़ी गिणकै नै मरवाये क्यों
कै मण बीघै उतरी जिब यो थारे बारणे आगै गड़राया।।
4. रूस कै जिब घर घाले तो यो तालिबान लग्या प्यारा हे
इसमैं शक कड़ै किसे कै आतंकवाद खूंखार हत्यारा हे
इंका खात्मा होणा चाहिये दुनिया का इन्सान पुकारया हे
जनक आतंकवाद का इनै खत्म करण का बीड़ा ठारया हे
अमरीका यो खेल तेरा रणबीर सिंह कै साहमी आया।।
-157-
बोल बख्त के -आन्धा राम
राम अरदास मेरी सै गरीबां की तरफ लखावै न।।
भूखा क्यों सै काम करणिया खोल कै भेद बतावै नै।।
1. तरेपन साल आजादी के हमनै खूब कमाया देख
माट्टी गेल्यां हो माट्टी तीन गुणा नाज उगाया देख
गरीब झोंपड़ी भूल तनै महलां ज्योत जलाया देख
मजदूरां की मेहनत नै ताजमहल सजाया देख
ईमानदार आज भूखा मरता रोल कड़ै सुझावै नै।।
2. म्हारी मेहनत लूट-लूट किसनै पेट फुलाये आज
दारू सुल्फा प्यावण तांहि मन्दिर खूब बनाये आज
हजारां द्रोपदी लूटी जां कृष्ण मुरारी ना आये आज
कड़ै पड़कै सोग्या राम जी माणस गये जलाये आज
तेरे कहे बिना पता हिलै ना बदमासां नै हिलावै नै।।
3. अपने पायां खड़े होवां हमनै खूब जतन करे थे
सड़क स्कूल अस्पताल बनाये उगाये पेड़ हरे थे
मरने तै नहीं घबराए देश कै उपर खूब मरे थे
भगत सिंह राजगुरू सुखदेव फांसी तै ना डरे थे
आखिरी बन्दा टोहवै आजादी कदे हिसाब लगावैं नै।।
4. भारत बाजार भेंट चढ़ाया अमीरां का पेट भरया
ऐशो आराम किसनै चाहे देश मलिया मेट करया
महंगाई बढ़ा सारी चीजां का कई गुणा रेट करया
म्हारी इज्जत आत्म सम्मान बदेशी कैं भेंट करया
क्यों मंदिर पै लड़वा दिये रणबीर नै समझावै नै।।
-158-
पढ़ाई लिखाई व्यापार बणादी डब्ल्यूटीओ की सरकार नै।
या फीस गई गुणा बधा दी मारे म्हंगाई की रफ्रतार नै।।
1. स्कूल बक्से ना बक्से कालेज इस बढ़ती फीस के जाल तैं
कश्मीर तै केरल तक बींधे यो मांस तार लिया सै खाल तै
चारों कान्ही हाहाकार माचग्या इस आण्डी बाण्डी चाल तैं
जमा धरती कै मार दिये के तम वाकफ ना म्हारे हाल तै
एक चौथाई साधण जुटाओ कहवैं लूटो जनता लाचार नै।।
2. यूजीसी कटपुतली बणादी उल्टे नियम बणवाये जावैं
दो सी बीस फीस थी पहलम तेरां हजार भरवाये जावैं
दिल्ली यूनिवर्सिटी मैं सात हजार शुरू मैं धरवाये जावैं
बन्धुओ थारी बढ़ी फीस या लेगी खोस कै म्हारी बहार नै।।
3. दो हजार आटोनोमस कालेज पूरे भारत में चलाये सैं
नये कोर्स कम्प्यूटर बरगे इनके अन्दर ये खुलवाये सैं
इन कोर्सों के रूपये लाखां इन कालजां नै भरवाये सैं
गरीब बालक माखी की
युद्ध कान्हीं ध्यान बंटा कै चाहो बढ़ाना इस भ्रष्टाचार नै।।
4. विश्व बैंक के कहने पै बन्धुओ क्यों गोड्डे टेके तमनै
उनके फायदे खातर क्यों म्हारे फायदे नहीं देखे तमनै
सब्सिडी खत्म गरीबां की बर्बादी पै परोंठे सेके तमनै
जनता साथ जान बूझ कै ईब फंसा लिये पेचे तमनै
रणबीर सिंह की कलम बचावै देश की पतवार नै।।
-159-
देखां खड़े-खड़े
किसनै या कपास पीट दी हम देखां खड़े-खड़े।
उसे नै या जीरी पीट दी हम सोवां पड़े-पड़े।।
1. म्हारी कष्ट कमाई आंख्या के साहमी लुटगी
कपास और धान की खेती आज चौड़ै पिटगी
सब्सिडी म्हारी घटगी लागैं नेता सड़े-सड़े।।
2. बालक हांडै बिना नौकरी बिघन घणा होग्या
एक बेटे नै खाई गोली सहम ज्यान नै खोग्या
सुन्न भीतरला होग्या हाथ होगे जड़े-जड़े।।
3. बेटी रैहगी बिना ब्याही ये गोड्डे टूट लिये
बिना दहेज ब्याह कड़ै ये पसीने छूट लिये
सांड खुल्ले छूट लिये बुलध मारे बड़े-बड़े।।
4. मां बेटी औरत आज ये महफूज रही नहीं
समाज गया पाताल मैं आगै जावै कहीं नहीं
बदमाशी जा सही ना देखं रणबीर खड़े-खड़े।।
-160-
सुणले बहना
मेरा चालै कोण्या जोर हे, हमनै लूटैं मोट्टे चोर हे।
नहीं पाया कोए छोर हे, कटी पतंग की डोर हे
वे समझैं डांगर
1. म्हारा बोलना जुलम बतावैं, उनका बोलना हुकम बतावैं
ये सारे मुनाफाखोर हे, थमा कै धर्म की डोर हे
ये बनाते म्हारा मोर हे, न्यों सुहानी इनकी भोर हे
ऐश करैं डाकू चोर हे, मन सै इनका काला।।
2. ये भारत के पालन हार, बनगे चोरां के दावेदार
म्हारे पै टैक्स लगाते हे, बोलां तो खावण आते हे
काले नै सफेद बताते हे, चोरां की मौज कराते हे
ये लोगां नै जलवाते हे, भज कै राम की माला।।
3. म्हंगाई की मार कसूती हे, सिर म्हारा म्हारी जूती हे
फिलहाल घणा मन्दा हे, यो सिस्टम सै गन्दा हे
चलै म्हारे पै रन्दा हे, यो घलै कसूता फन्दा हे
क्यूकर जीवै बन्दा हे, हुया सै
4. रोटी रोजी सब भुलवाये, जात धर्म पै हम लड़वाये
ये नाग डसगे बेबे हे, ये गरीब फंसगे बेबे हे
ये शिकंजा कसबे बेबे हे, दो संसार बसगे बेबे हे
रणबीर पै हंसगे बेबे हे, करया सै मोटा चाला।।