Friday, 30 March 2018

घर घर मैंजावै दिवाली मनाई




हरियाणे के घर घर मैंजावै दिवाली मनाई आज।।
अच्छाई की बुराई पर जीत होई थी बताई आज।।
प्रण करो अच्छाई के पक्ष मैं हम खड़े होवांगे सारे
साच बोला्रगे जीवन मैं चाहे कोए लते पाड़ले म्हारे
अच्छाई पड़ी बिलख रही हमनै दया ना आई आज।।
चारों तरफ नै या बुराई सिर पर चढ़ चढ़ बोलै
हिन्द म्हारे की साख आज पग पग पर कति डोलै
मैडीकल मैं सिर ठावण लागी या बैरण बुराई आज।।
अच्छाई और बुराई की बहुत पुरानी जंग बताई
मानवता और सच्चाई ही ये समाज की धुरी जताई
पूरा भरोसा मनै भाईयो सिर ठा चलै अच्छाई आज।।
काला धन स्विस बैंक का उल्टा भारत मैं आवै
लगै विकास मैं हिन्द के प्रकाष पूरे देष मैं छावै
कहै रणबीर बरोने आला या नई जोत जलाई आज।।

कितै मनै दिवाली

कितै मनै दिवाली चौखी कितै लिकड़या आज दिवाला
कुछ घर मैं हुया चांदना म्हारे मैं हुया अन्धेरा काला
बुराई पै जीतै अच्छाई जिब दिवाली मनाई जावै
अच्छाई पिटै चारों कान्ही आज बुराई बढ़ती आवै
इसे माहौल मैं दिवाली कोए दिल तैं कैसे मनावै
राम की नगरी मैं माणस बेबस खड़या लखावै
म्हारी बदरंगी दुनिया का नहीं रहया राम रुखाला।।
कैसे खील पतासे मैं ल्याउं घर मैं मुस्से कुला करैं
मेहनत करकै रोटी खावां षाम सबेरी दुआ करैं
फेर बी उनकी चान्दी होरी दिन रात जो बुरा करैं
हमनै सुन्दर दुनिया बनाई हमतैं राम क्यों गिला करैं
राम के तो मिटा अन्धेरा ना तै होगा दुनिया मैं चाला।।
राम राज मैं बढ़ै गरीबी बात समझ मैं आई ना
तेरे राज मैं हमनै राम जी मिलती आज दवाई ना
इसा के हुया चाला बता मिलती मुफत पढ़ाई ना
क्यों तेरे राज मैं सुरक्षित आज लोग लुगाई ना
दुनिया का मालिक बणण का करदे राम जी टाला।।
बता क्यूकर दिवाली मनाउं रास्ता मनै बतादे तूं
समता हो दुनिया मैं इसा रास्ता मनै दिखादे तूं
औरत नै इन्सान समझैं समाज इसा बणादे तूं
तेरे बसका ना यो करना तै म्हारे जिम्मै लादे तूं
मेरा भरोसा उठता जा कहै रणबीर बरोने आला।।

161.180



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स्वास्थ्य दिवस
सेहत दिवस सात अप्रैल का दुनिया मैं जावै मनाया रै।।
विकास की गलत राही बीमारियां नै हाहाकार मचाया रै।।
1. तनाव बढ़े तरां-तरां के मानवता थरथर कांप रही
  खतरनाक हथियारां की दौड़ सबका बधा या ताप रही
  उद्योग करैं प्रदूषण पैदा बढ़ दिलां की चाप रही
  विकसित दुनिया उदारीकरण की क्यों माला या जाप रही
  अमरीका नै सब सूधे करण का आज पूरा ठेका ठाया रै।।
2. बीस देश दुनिया के छियासी प्रतिशत साधन लेरे रै
  मौज उड़ावै म्हारे दम पै न्यों भारत मैं गरीबी के डेरे रै
  तरां-तरां की ये बधैं बीमारी हम दुख घणा खेहरे रै
  उनके मुंह पै लाली चमकै म्हारे पीले पड़गे चहेरे रै
  हमनै कहवैं जनसंख्या बधाली ज्यां यो संकट छाया रै।।
3. म्हारे साधनां पै कर कमब्जा भारतवासी बणा दिये बोड़े रै
  उनकी लूट के कारण म्हारे देश के साधन पड़गे थोड़ै रै
  म्हारे देश के अमीर घराने आज बणगे इनके घोड़े रै
  भूख गरीबी जनसंख्या के भारत मैं ज्यां पड़गे भोड़े रै
  म्हारी सेहत अर शिक्षा का इननै भट्ठा कति बिठाया रै।।
4. पचास साल राज करया उननै गलत रास्ते पै डाल दिये
  मेहनत करी हम सबनै बंटवारे मैं घर घाल दिये
  अपणी खातर अपोलो म्हारे तै खैराती अस्पताल दिये
  दे कै लालच म्हारे बेटा बेटी अपणे रूखाले पाल दिये
  रणबीर म्हारी सेहत नहीं बणै यो इसा खेल रचाया रै।।



               



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सपना टूट गया
डॉक्टर बनूं पढ़ लिख कै यो मन का सपना मेरा।
मरीजां का इलाज करूंगी हो घर का दूर अन्धेरा।।
1. मां बाबू अनपढ़ म्हारे घणे लाड प्यार तैं पढ़ाई
  खेती मैं नहीं पूरा पाटै उल्टी सीधी ना कोए कमाई
  धरती गहणे धरकै पढ़े दो बाहण एक भाई
  मेहनत कर आगै बढ़िये मेरे तैं सीख सिखाई
  दो भैंस बांध दूध बेचैं करजे का बढ़ता आवै घेरा।।
2. भाई नै एम ए करकै बी नहीं कितै नौकरी थ्याई
  गाम मैं किरयाणे की फेर उसकी दुकान खुलाई
  बड्डी बाहण बीएड कर बैठी घर मैं बिन ब्याही
  मेरा पी एम टी टैस्ट मैं सत्तरहीं पोजीसन आई
  काउंसलिंग खातर गई उड़ै दिया दिखाई झेरा।।
3. ठारा हजार म्हिने की पहले साल की फीस बताई
  पसीना आया गात मैं धरती घूमती नजर आई
  आंख्यां मैं आंसूं आगे फेर मां की तरफ लखाई
  हाल क्यूकर ब्यां करूं मैं ना कलम मैं ताकत पाई
  अपने दलाल बिठारया सै दीख उडै़ वर्ग लुटेरा।।
4. फीस देण की आसंग कोण्या मन मारकै आगी फेर
  गाम मैं यकीन करैं ना बोले माच्या किसा अन्धेर
  इस
  सरकार मैं बैठे जितने ना कटावैं गरीबां की मेर
  रणबीर न्यों बूझै ये बालक क्यूकर पढ़ावै कमेरा।।







-163-

छाती गुदा पै चर्चा होरी इन्सान चरचा मैं नहीं पाया।
कैंसर इलाज पै जोर था रोक पै बखत नहीं लागया।।
1. खाने की नली में कैंसर पै पहले दिन गैहटा तार दिया
  संजय शर्मा और कोठारी चारों तरफ तै इपैं वार किया
  एकाध फांचर ठोक आन मरया घणा उलटा सवाल ठाया।।
2. जेम्ज रूसनिस्की और कैयाव आये अमरीका जापान तै
  घणे जोर कै लैक्चर दिये कुछ सोन्ते पाये थे ध्यान तै
  नई तकनीक कई बताई कई सवालां पै हाथ हिलाया।।
3. कोए किसे अंग का माहिर करकै मेहनत खासा होग्या रै
  पेनल डिस्टकस्सन कई हुए कई बातां का खुलासा होग्या रै
  किततै चाल कित पहुंचगे डी सूजा नै सवाल घुमाया।।
4. कैंसर लाइलाज बीमारी ना फेर इलाज आसान कड़ै सै
  उस घर की करै तबाही जिसमैं एक बर आन बड़ै सै
  कान्फ्रैंस नै थोड़ा घणा पीजीआईएमएस का मान बढ़ाया।।
















-164-

एक बी पीस्सा
फरवरी पाछै दिया कोन्या एक बी पीस्सा म्हारे तैं।
एमडी बोल्या टोटा आग्या बताती साच्ची बात थारे तै।।
1. बड़े जतन करकै हमनै यो खेत बोया बाहया देख
  गंडेरी बोई खेत म्हारे मैं कई बै कुण्बे नै नुलाया देख
  छोल कै जाड्डे मैं ल्याया देख बुग्गी मांगी मुखत्यारे तैं।।
2. ये मिल के चक्कर काटे कई दिन मैं नम्बर थ्यावै था
  कदे कम तोलैं कदे नुक्स किमै दम नाक मैं आवै था
  रोटी टूक कड़ै भावै था जिब काम चालता उधारे तैं।।
3. पन्दरा हजार खड़े मिल मैं कोए अता पता देन्ता ना
  बाली नेता म्हारा इस बात पै किसे नै बी सेहन्ता ना
  सीएम दरखास्त लेन्ता ना बात करै घणे इशारे तैं।।
4. मिलकै सोचां कष्ट निवारण न्यों पार ना पड़ै म्हारी
  मजबूत संगठन बणा अपणा पेमैंट लेवांगे सारी
  किसानां नै दी किलकारी एमडी आज्या तलै चौबारे तैं।।















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बैंक फंड व्यापार त्रिमूर्ति मिलकै खाल तारै म्हारी रै।।
इसके काटे घूमण लागरे गरीब नर और नारी रै।।
1. सिरकी घाल कै करैं गुजारा जिननै ताज महल बनाये
  उनके बालक भूखे मरते जिननै जमकै खेत कमाये
  तन पै उनके लत्ता ना जिननै कपड़े के मील चलाये
  वे बिना दूध सीत रहते, जिननै डांगर खूब चराये
  भगवान भी आन्धा कर दिया ना कितै दीखता भ्रष्टाचारी रै।।
2. जितना करड़ा काम म्हारा नहीं सम्मान उतना मिलता
  दस नम्बरी माणस जितने उनका हुकम सारै पिलता
  नकली फूल सजावैं देखो यो क्यों ना असली खिलता
  कहैं उसके बिना आड़ै यो पत्ता तक नहीं हिलता
  सबके उपर ध्यान नहीं उसका फेर किसा न्यायकारी रै।।
3. डांगर की कदर फालतू माणस बेकदरा सै संसार मैं
  छोरे की कदर घणी सै छोरी धन पराया परिवार मैं
  किसे जुल्म होण लागरे ये छपते रोज अखबार मैं
  कति छांट कै इसनै चलाई महिला भ्रूण पै कटारी रै।।
4. इस व्यवस्था मैं मुट्टीभर तो घणे हो मालामाल रहे
  हमपै चलाकै  चाल अपणी ये पूर कसूता  जाल रहे
  सोच कै बढ़ियो आगै नै ये माफिया काले पाल रहे
  पुलिसिया और फौजी कर रणबीर इनकी रूखाल रहे
  सही सोच कै संघर्ष बिना ईब जनता पिटती जारी रै।।









-166-

करजा
करजे नै कड़ तोड़ी म्हारी दिया पूरे घर कै घेरा।
एक औड़ गहरा कुआं दीखै यो दूजे औड़ नै झेरा।।
1. ट्रैक्टर की बाही मारै ट्यूबवैल का रेट सतावै
  थ्रेसर की कढ़ाई मारै भा फसल का ना थ्यावै
  फल सब्जी दूध सीत सब
  माट्टी गेल्यां माट्टी होकै बी सुख का सांस ना आवै
  बैंक मैं सारी धरती जाली दीख्या चारों ओर अन्धेरा।।
2. निहाले धोरै रमूल तीन रुपइया सैकड़े पै ल्यावै
  वो सांझ नै रमलू धोरै दारू पीवण तांहि आवै
  निहाला करज की दाब मैं बदफेली करना चाहवै
  विरोध करया तो रोजाना पीस्यां की दाब लगावै
  बैंक आल्यां की जीप का रोजना लागण लाग्या फेरा।।
3. बेटा बिन ब्याहया हांडै सै घर मैं बैठी बेटी कंवारी
  रमली रमलू न्यों बतलाये कट्ठी होगी मुसीबत सारी
  खाद बीज नकली बिकते होगी खत्म सब्सिडी म्हारी
  मां टी बी की बीमार होगी छाग्या हमपै संकट भारी
  रोशनी कितै दीखती कोन्या छाया चारों कूट अन्धेरा।।
4. मां अर बाबू इनके नै जहर धुर की नींद सवाग्या
  इनके घर का जो हाल हुया वो सबकै साहमी आग्या
  जहर क्यूं खाया उननै यो सवाल कचौट कै खाग्या
  आत्म हत्या ना सही रास्ता रणबीर सिंह समझाग्या
  मिलकै सोचां क्यूकर आवै घर मैं सो नया सबेरा।।







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सौ के तोड़ की
राजबाला बहुत दुखी है। जोगी से समाज के बारे में पूछती है। जोगी एक गीत सुनाता हैः-
चापलूसां का चारों कान्हि घणा जमघट होग्या रै।
घर में प्यार बच्चा कोन्या जमा मर घट होग्या रै।।
1. स्वार्थी कामचोरां की ईब लागी आड़ै लार दखे
  हांडैं नशे के गुलाम हुये ये कई हजार दखे
  टूटैं सैं परिवार दखे सूना पनघट होग्या रै।।
2. अफरा तफरी माची म्हारे मानव समाज मैं
  आज महिला बेहाल हुई इस जंगल राज मैं
  फंसाई पुराने रिवाज मैं जीने का संकट होग्या रै।।
3. माणस माणस नै खावै ऐसा चल्या रिवाज सै
  पांच सितारा मैं जावैं बेची शर्म लिहाज सै
  भूखा मरै समाज सै यो जीणा सिरकट होग्या रै।।
4. उपेक्षा तिरिस्कार का हुया आज ठाड्डा पाला रै
  धोला पिटता हांडै सै राज करै धन काला रै
  रणबीर सिंह नै दोष दें कहैं लम्पट होग्या रै।।













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जाइये मनै बताकै
घसे कसूते दुःखी होरे सां देख मुरारी आकै।
अपणे हाथां क्यूं ना गेरता कुएं के मां ठाकै।।
1. देश दम म्हारे पै फल्या यो
  अमीर घर दीवा बल्या यो
  म्हारा सब किमै छल्या यो घिटी मैं गूंठा लाकै।।
2. तेरा चेला दुखड़ा
  मेहनत कर भूखा सोवै सै
  तनै सारे कै टोहवै सै सोग्या अमीरां कै जाकै।।
3. तनै गरीब क्यों नहीं भाता
  क्यों ना म्हारी तरफ लखाता
  तूं कद खोलै म्हारा खाता जाइये मनै बताकै।।
4. बचया छिदा इन्सान आड़ै
  सब देखै भगवान आडै़
  घर होगे शमशान आड़ै रणबीर कथा सुणाई गाकै।।















-169-

जनता खाउ

  देश का नाश करै इस व्यापार बढ़ाना ना चाहिये।।
  राजनीति नै
  सब पै रोब जमावै इसा थानेदार बिठाना ना चाहिये
  लिंग भेद जो बढ़ावै इसा उपचार बताना ना चाहिए
  गरीबी नै जो बढ़ावै इसा संसार रचाना ना चाहिए
  औरत हक मांगै तो ईपै हाहाकार मचाना ना चाहिए।।
  बराबरी नै जो
  समाज नै जो भकावै इसा प्रचार कराना ना चाहिए
  जो उल्टी सीख लावै इसा ब्यौहार सिखाना ना चाहिए
  जात धर्म पै जो बांटै इसा बुखार चढ़ाना ना चाहिए।।
म्हारी जड़ां नै काटे इसा हथियार उठाना ना चाहिए
  करै फर्क छोरा छोरी मैं इसा घरबार बनाना ना चाहिए
  दरार करदे रै जो पैदा इसा त्यौहार मनाना ना चाहिए
  पैदा करै डर भारया इसा अधिकार जताना ना चाहिए।।
  जो साची नहीं गावै इसा फनकार बुलाना ना चाहिए
  जो महिला नै सतावै इसा भरतार सराहना ना चाहिए
  म्हारे खेत नै खावै इसा पहरेदार बिठाना ना चाहिये
  जिस पै शर्म आवै इसा इश्तिहार लगाना ना चाहिए।।










-170-

जागी महिला हरियाणे की
करकै कमाल दिखाया सै, यो घूंघट तार बगाया सै,
खेतां मैं खूब कमाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
1. देश की आजादी खातर अपणी ज्यान खपाई बेबे
  गामड़ी सांघी खिडवाली मैं न्यारी रीत चलाई बेबे
  लिबासपुर रोहणात मैं बहादरी थी दिखलाई बेबे
  अंग्रेजां तै जीन्द की रानी गजब करी लड़ाई बेबे
  अंग्रेजां का भूत बनाया, यो सब कुछ दापै लाया,
  देश आजाद कराणा चाहया जागी महिला हरियाणे की।।
2. देश आजाद होये पाछै हरित क्रांति ल्याई बेबे
  खेत क्यार कमावण तै कदे नहीं घबराई बेबे
  डांगर ढोर संभाले हमनै दिन रात कमाई बेबे 
  घर परिवार आगै बढ़ाये स्कूलां करी पढ़ाई बेबे
  हरियाणा आगै बढ़ाया सै ,सात आसमान चढ़ाया सै,
  गुण्डयां का जुलूस कढ़ाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
3. हमनै गाम बराहणे मैं दारू बन्दी पै गोली खाई सै
  खेलां के मैदानां मैं जगमति सांगवान खूबै छाई सै
  सुशीला राठी बड्डी डॉक्टर हरियाणे की श्यान बढ़ाई सै
  नकल रोकती बाहण सुशीला जमा नहीं घबराई सै
  चावला नै नाम कमाया सै, महिला का मान बढ़ाया सै
  यो रस्ता सही दिखाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
4. संतोष यादव बाहण म्हारी करकै कमाल दिखाया हे
  सुमन मंजरी डीएसपी पुलिस मैं नाम कमाया हे
  सांगवान मैडम नै बिमल जैन तै सबक सिखाया हे
  नवराज जयवन्ती श्योकन्द जीवन सफल बनाया हे
  ज्योति अरोड़ा सरोज सिवाच प्रशासन खूब चलाया हे
  ये आगै बढ़ती जारी बेबे, करकै कमाल दिखारी बेबे
  रणबीर मान बढ़ारी बेबे, जागी महिला हरियाणे की।।


-171-

बम्बई
कोठा बंगले अर भूखे कंगले बम्बई की तसबीर भाई रै।
मेहनत करता वो भूख मरता दुनिया की तकदीर भाई रै।।
1. समुद्र किनारा शहर प्यारा इसतै आच्छी बात नहीं सै
  महल अट्टारी बनती जारी बिन पीस्से औकात नहीं सै
  पीस्सा ईमान हुया भगवान रही माणस की जात नहीं सै
  इनसान मशीन करले यकीन फुरसत दिन रात नहीं सै
  होटल आलीशान ये बढ़ावैं मान मनै सही तदबीर लड़ाई रै।
2. शिवसेना भाई उड़ै छाई बदमाशी का कोए औड़ नहीं
  माफिया राज बताया आज इसका कहैं कोए जोड़ नहीं
  फिल्मी सितारे टोर बनारे राजकुमार तै घणी मरोड़ नहीं
  सारी बात मिलै फुटपाथ छत नीचे कई करोड़ नहीं
  हुया हैरान मैं करूं बखान परेशान चलता राहगीर भाई रै।।
3. परिन्दा नया टोहलें एक पल मैं जेब साफ करैं
  उपर नीचे नीचे उपर पीस्सा बांट कै इन्साफ करैं
  करैं हद बन्दी और पाले बन्दी ना दूजे नै माफ करैं
  बड़े घराने शाही खजाने लूट का हाफ-हाफ करैं
  नजर आवै इनै कोन छिपावै जो लूट अमीर मचाई रै।।
4. घणी लम्बाई और चौड़ाई इस शहर बम्बई की रै
  उंची इमारत और तिजारत मशहूर शहर बम्बई की रै
  फुटपाथ बतावैं शर्त लगावैं बड्डी शहर बम्बई की रै
  ठगी बतावैं किस्से सुनावैं नामी शहर बम्बई की रै
  सुण कमल या कहै अमन या लिखै रणबीर कतिवाई रै।।







-172-

चिट्ठी
चिट्ठी आई सै बदायूं तै मेरे दोनों बेटे मार दिये।
राम मंदिर के झंझट नै लोगां पै कसूते वार किये।।
1. हिन्दू मुस्लिम का धुर तै बदायूं मैं भाई चारा था
  कट्ठे खावैं खेलैं मिलकै मुस्लिम नै हिन्दु प्यारा था
  बहू बेटी बरोबर सबकी शहर का अजब नजारा था
  यो झंझट याद नहीं था म्हंगाई का बुलन्द सितारा था
  रेलगाड़ी पै हमला बोल दिया हिस्से धड़ के चार किये।।
2. म्हउ रतलाम जलण लागरे माणस देश के तंग होगे
  बिना बात के रास्से मैं हिन्दू मुस्लिम के जंग होगे
  मुल्ला पंडे और पुजारी ये जमा उघाड़े नंग होगे
  फिरका परस्ती चला दई देश टूटण के
  बालक औरत मरे बिचारे कर दुखी नर नार दिये।।
3. फेर कहैं मोहम्मद खां नै भारत तै कोए प्यार नहीं
  कुणबा घाणी कर दी मेरी आड़ै किसे का इतबार नहीं
  जाउं तो जाउं कित मैं और कितै तो घरबार नहीं
  पींडी कापै डर लागै सै पावै मनै मददगार नहीं
  हर हर महादेव के नारे त्रिशूल सभी नै धार लिये।।
4. सन सैंतालीस मैं बाप मेरा दंग्यां नै छीन लिया
  रोटी लत्ता मिल्या नहीं था इसा मेरी दीन किया
  दर-दर ठोकर खाउं था खोस मेरा यकीन लिया
  देश छोड़ परेदश मैं आग्या गात बना मशीन दिया
  रणबीर सिंह पूछै हटकै कर क्यों अत्याचार दिये।।







-173-

जवाब अमन का
लाउं चौथा गेर करूं फेर बम्बी जान की तैयारी रै।
पापी पेट यो मारै चपेट होवै कुणबे की लाचारी रै।।
1. दाल, फ्राई मिलती भाई घणी लाम्बी दूरी होज्या सै
  खावैं
  राह सुनसान करै परेशान ताप कदे जूरी होज्या सै
  एकशल टूटै किस्मत फूटै बाट देश नूरी सोज्या सै
  घणा घबराउं किन्नै बताउं उड़ै पानी मिलै सै खारी रै।।
2. चुंगी आला कहै साला बीस तरां की बात बणावै
  पुलिस सतावै पीस्से खावै डण्डे का या रोब जमावै
  कमर दूखै कालजा सूखै न्यांे गाड़ी के खाक चलावै
  डाकू लुटेरे सांप बघेरे दुख मैं दारू साथ निभावै
  इसका चस्का करदे खस्ता जणो हारया औड़ जुआरी रै।।
3. रोंद मचावै तांेद छिपावै मालिक लेवै सै पूरे ठाठ रै
  कड़ टूटै परिवार छूटै तनखा मिलै तीन सौ साठ रै
  बढ़ै म्हंगाई करै तबाही खर्चा हो सोला सौ आठ रै
  रात अन्धेरी देवै घेरी हनुमान का करता मैं पाठ रै
  ड्राइवर मनता बनियो इतना समझ पाया मैं वारी रै।।
4. पैंचर होज्या चाबी खोज्या जंगल मैं रात बिताउं मैं
  ट्रक उलटै पासा पल्टै मुश्किल तैं ज्यान बचाउं मैं
  मेरा कसूर बण्या दस्तूर चाहे अपनी राही जाउं मैं
  सुण कमल कहै अमन तनै दिल खोल दिखाउं मैं
  लिखै रणबीर मेरी तहरीर देहली पै खड़ी बेरोजगारी रै।।








-174-

जवाब तै सबक सीख कै चाहिये असली मांग ठाणी रै।
किसानी कै पूंछ धरम की करगी भाई कुणबा घाणी रै।।
1. लोंगोवाल का कतल हुया न्यों मोटा चाला होग्या था
  कई हजार सिख मार दिये न्यों
  नफरत फैली सारे देश मैं न्यों मन काला होग्या था
  रोज मासूम जावैं मारे यो मिलण का टाला होग्या था
  अमरीका का मुंह काला होग्या था डाण्डी मारी सै काणी रै।।
2. हरियाणे मैं दो काम करे हरित क्रांति जिब तै आई सै
  साधन आला तै खूब चढ़ाया चेहरे पै लाली छाई सै
  बिन साधन आला मार दिया म्हंगाई नै रेल बनाई सै
  बेराजगारी बधी सुलफा दारू गाभरू चाल्या उल्टी राही सै
  पुलिस अफसर मंत्री कई सैं भरैं गुण्डयां का पाणी रै।।
3. मेहनतकश की सही मांगां तै इनका कोए सरोकार नहीं
  लावैं पूंछ पंजाबी लोकल की समझै म्हारी सरकार नहीं
  मारे जावां हरियाणे मैं बी जो रहे हम खबरदार नहीं
  बिना बात मारकाट होवैगी हिलै लूट का दरबार नहीं
  गरीब की या मददगार नहीं सै व्यवस्था माणस खाणी रै।।
4. म्हारी हुश्यारी बिना कदे लीलो का चमन उजड़ज्या
  अपणे कारज साधन नै देवर कदे हमनै छोड़ डिगरज्या
  चांदकौर कहै सुणिये मेरी कदे सारा खेल बिगड़ज्या
  लाल किले का सपना म्हारा कदे माट्टी म्हें रूलज्या
  रणबीर सिंह चाहे नाड़ उतरज्या लिखै नहीं राजा राणाी रै।।







-175-

दसमी
दसमीं तांहि का स्कूल आगै क्यूकर करूं पढ़ाई मैं।
मां तै चाहवै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।
1. मां बोली आज जमाने मैं बिना पढ़ाई कोए बूझै ना
  शहर मैं क्यूकर खंदाउं राही मनै कोए सूझै ना
  मां की देख कै नै लाचारी दिल मैं घणी घबराई मैं।।
2. बाबू बोल्या बुरा जमाना शहर ठीक नहीं सै जाणा
  उंच-नीच कोए हो ज्यागी तै हो ज्यागा मोटा उल्हाणा
  क्यूकर मनाउं मेरे बाबू नै इस चिन्ता नै खाई मैं।।
3. मैं बोली माहौल गाम का शहर तै आज न्यारा ना
  डरकै घर मैं बड़गे तो हुवै आज यो गुजारा ना
  पढ़ण तै ठावै मतना मरज्यां मौत बिन आई मैं।।
4. पांच सात दिन पाछै बाबू नै मुंह अपणा खोल्या
  डर लागै बहोत घणा बेटी आंख्यां पाणी ल्या बोल्या
  रणबीर दिल तै चाहूं सूं करना तेरी सगाई मैं।।















-176-

सैमण गाम
महम तहसील का गाम बताया सैमण उसका नाम कहै।
पांच हजार किल्ले धरती जाटां का असली गाम कहैं।।
1. छत्तीस जात बसैं उड़ै अपणे दुःख सुख बांटैं सैं
  कदे हंसकै कदै लड़कै अपणे दिनां नै काटैं सैं
  मुश्किल तै दिल डाटैं वे ना थ्यावैं पूरे दाम कहैं।।
2. छुआछूत कुछ कम होग्या पूरे बन्धन ये टूटे ना
  जातपात गोत नात के रिवाज जमा बी छूटे ना
  पाप के घड़े फूटे ना बाट देखते सुबो शाम कहैं।।
3. पहलम आला प्यार मुलहाजा ना दीखता किसे घर मैं
  मां बाहन और बेटी सांस लेवन्ती आज घणे डर मैं
  इस मातृत्व के सिर मैं लावैं झूठा इल्जाम कहैं।।
4. टी वी ब्लयू फिल्म आज ये करते नंगेपन का प्रचार
  सही गलत और गलत सही चलाया जुलमी कारोबार
  रणबीर सिंह करता तैयार सुणल्यो नया पैगाम कहैं।।















-177-

सुणियो ईब कथा सुणाउं, खोल कै सारी बात बताउं।।
साच कैहन्ता ना शरमाउं, पंचायतां की रेल बनाई।।
1. धरे
  धरे
  पंचायती राज का खोल सै, इसमैं होरी घणी रोल सै
  बिना बजट सब गोल सै, पंचायतां की रेल बणाई।।
2. मैम्बर पंचायत बणी सरपंच मीटिंग बुलावै ना
  कारवाई रजिस्टर चाहूं देखणा नपूता दिखावै ना
  ग्राम सभा पढ़ण बिठादी झूठी मीटिंग हुई दिखादी
  साइन करवा हुई बतादी, पंचायतां की रेल बणाई।।
3. अफसर भी म्हारे डूब गये देखती आंख्यां माखी खावैं
  गाल पक्की जिब हुई नहीं तो क्यों हुया खरच बतावैं
  बी डी ओ की हिस्सा पत्ती सै, सरपंच तै इनकी बत्ती सै
  गाम मैं आवै मास्सा रत्ती सै, पंचायत की रेल बणाई।।
4. चौधर के भूखे सरपंची के ये दावेदार बणे देखो
  सुलफे तै फुरसत ना आप्पे मैं थानेदार बणे देखो
  गालां की सुध नहीं लेवैं ये, बैठे बस थूक बिलौवें ये
  रणबीर के ताकू चभौवैं ये, पंचायतां की रेल बणाई।।













-178-

देश आजाद हुया था सैंतालीस मैं साल पचास बीत गये।
उनके बांटै दूध मलाई म्हारे करमां मैं बता सीत गये।।
1. धनवानां के बिल्ली कुत्ते म्हारे तै बढ़िया जीवन गुजारैं वे
  बिना भोजन कुपोषण होग्या म्हारै खा-खा के घणे डकारैं वे
  हमनै कैहकै नीच पुकारैं वे घणी माड़ी चला रीत गये।।
2. जमीन आसमान का अन्तर किसनै आज म्हारे बीच बणाया
  खेत कमावां सारी उमर फेर बी सांस ना उलगा आया
  सोच-सोच कै सिर चकराया सै वे क्यूकर पाला जीत गये।।
3. तरक्की करी हरियाणे मैं अपणा खून पसीना बाहकै रै
  उफपर ले तो फायदा ठागे हम बाट देखते मुंह बाकै रै
  देखे चारों कान्ही धक्के खाकै रै मिल असली मीत गये।।
4. तीनों नकली लाल हरियाणे के उनतै यो सवाल म्हारा रै
  गरीब क्यों घणा गरीब होग्या अमीर का भरग्या भंडारा रै
  असली लाल प्रभात प्यारा रै रणबीर बणो ये गीत गये।।















-179-

प्रजातंत्र
लागी दिल पै चोट, लेगे जात पै वोट
बंटे साथ मैं नोट, यो प्रजातंत्र का खोट
ले गरीबी की ओट, अमीर खेले धन मैं।।
1. नाम जनता का लेवैं सैं, अमीरां के अण्डे सेहवैं सैं
  बतावैं माणस का दोष, कहैं या व्यवस्था निर्दोष
  ये बुद्धि लेगे खोस, इसे करे हम मदहोस
  ना आवै कोए रोष, सोचूं अपणे मन मैं।।
2. ये साधैं सै हित अपणा, ना करैं ये पूरा सपना
  जितने बैठे मुनाफा खोर, सबसे बड़े डाकू चोर
  सदा सुहानी इनकी भोर, ना पावै इनका छोर
  थमा जात धरम की डोर, फूट गेर दी जान मैं।।
3. कुर्सी खातर रचते बदमाशी, ना शरम लिहाज जरा सी
  पालतू इनकी हो सरकार, ना जावै कहे तै बाहर
  गरीबां की कहै मददगार, लारे दिये कई बार
  ईब रहया नहीं ऐतबार, इस गदरी बन मैं।।
4. स्कूली किताबां पै तकरार, गन्दा साहित्य बेसुमार
  सबको शिक्षा सबको काम, आजादी पै दिया पैगाम
  सत्तर अनपढ़ बैठे नाकाम, तीस के ये लगते दाम
  ना पढ़ते करैं बदनाम, आग लागरी तन मैं।











-180-

नया दौर
आस बंधी भोर हुई सै शोषण जारी रहै नहीं।
लोकलाज तै राज चलै ईब रिश्वत भारी रहै नहीं।।
1. रिश्वतखोर मुनाफाखोर की स्वर्ण तिजूरी नहीं रहै
  चेहरा सूख मरता भूखा इसी मजबूरी नहीं रहै
  गरीब कमावै उतना पावै बेगार हजूरी नहीं रहै
  शरीफ बसैंगे उत मरैंगे झूठी गरूरी नहीं रहै
  फूट गेरो राज करो की या महामारी रहै नहीं।।
2. करजे माफ हो ज्यांगे साफ, चालैगा दौर कमाई का
  बेरोजी भत्ता कपड़ा लत्ता हो प्रबन्ध दवाई का
  पैंशन होज्या सुखतै सोज्या मौका मिलै पढ़ाई का
  जच्चा-बच्चा होज्या अच्छा हो सम्मान लुगाई का
  मीठा पाणी चालै नल मैं पाणी खारी रहै नहीं।।
3. भाईचारा सबतै न्यारा कोए नहीं धिंगताणा हो
  बदली खातर ठाकै चादर ना चण्डीगढ़ जाणा हो
  हक मिलज्या घी सा घलज्या सबका ठोर ठिकाणा हो
  वोट दिये और नोट दिये इसा सिस्टम मिटाणा हो
  हम सबनै नारा लाया सै भ्रष्टाचारी रहै नहीं।।
4. पड़कै साज्यां चाले होज्यां कोण्या कुछ भी होवैगा
  माथा पकड़ कै भीतर बड़कै भाई बूक मारकै रोवैगा
  इसा मदारी रचै हुश्यारी हमनै बेच कै सोवैगा
  चोकस रहियो मतना सोइयो काटै उसे जिसे बोवैगा
  रणबीर सिंह बरोने आला कितै दरबारी रहै नहीं।।

106-130

106-130

-106-

नपूता स्टोव
के बूझै सै भाण चमेली सारा तो तनै बेरा हे।
देख देख इसी करतूतां नै बिंध्या कालजा मेरा हे।।
1. नणद मारदी दिन धौली घणा बूरा जमाना आया
  स्टोव नपूते नै बी बेबे म्हारी कान्ही मुंह बाया
  कोसली हो चाहे गोहाना घणा कसूता जुलम कमाया
  किस-किस का जिकरा हे आज दुर्योधन बी शरमाया
  जली नहीं सै गई जलाई न्यों छाया आज अन्धेरा हे।।
2. इस देस मैं छोरी पैदा होण पै सारे छा मुरदाई जा
  छोरे कै उपर बाजै थाली घणीए खुशी मनाई जा
  जिसकै होवैं लागती छोरी वा निरभाग बताई जा
  इसी दोषी कहैं बीर नै न्यों भारी आ करड़ाई जा
  म्हारी समझ मैं आया कोण्या यो बिघनां का घेरा हे।।
3. मनू महाराज नै भाण चमेली कसूता अत्याचार कर्या
  लूला लंगड़ा गंवार और कोढ़ी पति म्हारा स्वीकार कर्या
  नाड़ झुका और गूंगी बणकै हुकम हमं अंगीकार कर्या
  नाड़ उठाकै जो बोली उसतै कुल्टा सा ब्यौहार कर्या
  हमनै नागण कहै माणस क्यों कण्या चाहवै सपेरा हे।।
4. पां की जूती बरोबर म्हारी क्यों तसबीर दिखाई जा
  राज करण की छोर्यां तै पूरी तदबीर बताई जा
  बीर नै गम खाणा चाहिये म्हारी तकदीर सिखाई जा
  म्हारे बासी खीचड़ी थ्यावै उननै हल्वा खीर खिलाई जा
  रणबीर सिंह ना झूंठ लिखै सै गाम बरोने डेरा हे।।







-107-

गुर्दे फेल होगे
मरण के हाल होगे गुर्दे मैं खराबी आगी रै।
गुर्दे फेल बातवैं डॉक्टर मेरै चिन्ता लागी रै।।
1. दस लाख का नया गुर्दा अमृतसर मैं लावैं सै
  लाये पाछै रोज का खर्च सात सौ का बतावैं सैं
  घर आले खड़े लखावैं सैं मेरी चिन्ता खागी रै
  गुर्दे फेल बतावैं डॉक्टर ...
2. बेटे के खून का नम्बर सै ओ नैगेटिव पाया
  मेरे खून के नम्बर तै इसनै मेल नहीं खाया
  मैं दिल्ली गया खंदाया उड़ै खून मार्केट पागी रै
  गुर्दे फेल बतावैं डॉक्टर ...
3. उड़ै बी तीन लाख खर्चे के डॉक्टरों नै बताया यो
  मुफत इलाज आल इण्डिया मैं थोथा नारा पाया यो
  तीजां पै कुछ ना भाया यो मनै मौत दीखै सागी रै
  गुर्दे फेल बतावैं डॉक्टर ...
4. रणबीर बरोने आले की कोण्या पार बसावै रै
  कोए बताद्यो छोटू अपना इलाज कडै़ करावै रै
  सोचै कद सी मौत आवै रै म्हंगाई धुम्मा ठागी रै
  गुर्दे फेल बतावैं डॉक्टर ...










-108-

एक बार सुभाष बोस और लक्ष्मी सहगल के बीच बातचीत
होती है कि आजादी के बाद हिन्दुस्तान का क्या नक्शा होगा ?
कैसा हिंदुस्तान हम बनाना चाहते हैं तो सुभाष बोसे कुछ देर
सोचते हैं और अपने सपनों के भारत के बारे में बताते हैं |
क्या बताया भला --
लालच लूट खसोट बचै नहीं ईसा  हिन्दुस्तान बसावांगे।
धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।
नई तरां का इन्सान उभरै नई तरां के म्हारे समाज मैं
नई बात और बोल नये कहं जां नये सुर और साज मैं
बीमारी हो ही नहीं पावै विज्ञान नै लोक हित मैं लावांगे।।
दोगली शिक्षा का खात्मा हो ज्ञान पिटारा यो इन्सान होज्या
नाड़ काट मुकाबला रहै ना एक दूजे का सम्मान होज्या
भ्रष्टाचार नहीं टोहया पावै इसका नामो निशान मिटावांगे।।
मुनाफा मंजिल नहीं रहै ना चारों तरफ घमासान मचै
लाठी की भैंस नहीं रहै ना हथियारां का फेर सम्मान बचै
प्रदूषण बढ़ता जा धरती शमशान होण तै बचावांगे।।
महिला नै इन्सान समझां रीत खत्म हो दोयम दरजे की
नौजवानां नै मिलै सही रास्ता ना मार बचै इस करजे की
जातपात खत्म हो सारे कै इन्सान बणां बिगुल बजावांगे।।

















-109-

देवर:  बण ठण कै भाभी री तनै आज करी कित जाने की तैयारी।
भाभी:  लक्ष्मी सहगल आजाद हिंद फौज की जंग का बीड़ी ठारी।।
देवर: जलसे और जलूसां मैं यो बीर का जाणा नहीं नहीं
      खानदान कै बट्टा लागै इसा कदम उठाणा नहीं नहीं
      शहर की सड़कां उपर थारा न्यों नारे लाणा नहीं नहीं
      बालक भूखे मरैंगे घर मैं रहवै पीणा खाणा नहीं नहीं
      बात मानिये भाभी मेरी मनै बेरा महिला समिति भकारी।।
भाभी: देवर कान खोल कै सुनिये साची बात बताउं तनै
      मरदां बराबर हुई खड़ी या औरत आज दिखाउं तनै
      रानी झांसी लड़ी जंग मैं उसकी याद दिलाउं तनै
      कैप्टन आजाद हिन्द फौज की, बताई म्हारे शहर मैं आरी।।
देवर: हरियाणा मैं सुण भाभी, इसा रिवाज रहया नहीं सै
      घर तै बाहर तमनै कदे, यो कदम धरया नहीं सै
      मरद की शरण बिना री, तमनै कदे सरया नहीं सै
      बीर मदर बराबर दोनूं, मनू नै मंजूर करया नहीं सै
      थारी बराबरी नास करैगी, मनै याहे चिन्ता खारी।।
भाभी: न्याय युद्ध मैं तूं क्यों टैªक्टर भरकै ले ज्यावै था
      तेरा यो घरबासा बतादे किस तरयां डट पावै था
      आगै होकै क्यों म्हारे पै नारे खूब लुवावै था
      आज मनू याद आया, जिब ना जिकर चलावै था
      भाभी जावैगी जलसे मैं, रणबीर की कलम बुलारी।।







-110-

मकड़ी के जाले नै
लेज्यां म्हारे वोट करैं बुरी चोट आवै क्यों नींद रुखाले नै
घेर लिये मकड़ी के जाले नै
1. जब पाछै सी भैंस खरीदी देखी थी धार काढ़ कै हो
  जब पाछै सी बीज ल्याया देख्या था खूब हांड कै हो
  जब पाछै सी हैरो खरद्या देख्या था खूब चांड कै हो
  जब पाछै सी नारा ल्याया देख्या था खूड काढ़ कै हो
  वोटां पै रोल पाटै कोण्या तोल लावां मुंह लूटण आले नै
  घेर लिये मकड़ी के जाले नै
2. घणे दिनां तै देख रही म्हारी दूनी बदहाली होगी
  हमनै भकाज्यां आई बरियां इबकै खुशहाली होगी
  क्यों माथे की फूट रही या दूनी कंगाली होगी
  गुरू जिसे चुनकै भेजां उसी ए गुरू घंटाली होगी
  छाती कै लावै क्यों नादूर भगावै इस विषहर काले नै
  घेर लिये मकड़ी के जाले नै
3. ये रंग बदलैं और
  जात गोत की शरम दिखा कै वोट मांग ले ज्यावैं सैं
  उनके धोरै जिब जाणा हो कित का कौण बतावैं सैं
  दारूं बांटैं पीस्सा बी खरचै्रं फेर हमनै ए खावैं सैं
  करैं आप्पा धापी सारे पापी धाप्पैं ना किसे साले नै
  घेर लिये मकड़ी के जाले नै
4. क्यों हांडै सै ठान बदलता सही ठिकाना मिल्या नहीं
  बाही मैं लागू और टिकाउ ऐसा नारा हिल्या नहीं
  म्हारे तन
  खेतां मैं धन उपजावां सां फूल म्हारे खिल्या नहीं
  साथी रणबीर बणावै सही तसबीर खींच दे असली पाले नै
  घेर लिये मकड़ी के जाले नै।



-111-

सुनियो तहलका डॉट कॉम
पत्रकार रूखाले देश के, काम यो सजग सिपाही का।
एक और भण्डा फोड़ हुआ सरकार नाश की राही का।।
लूट के खागे मेरे देश नै, यो भौंचक्के से रहगे लागे
जया जेटली बंगारू और फर्नांडीस के देखो शौक
स्वदेशी का नार दें और अमरीका कै मारैं धौक
चोर-चोर मौसेरे भाई, हिसाब देवैं ना पाई का।।
पीस्यां आले कट्ठे होकै गड मड ये बतलावैं सैं
टाटा बिड़ला विश्व बैंक की नीति अड़ै चलावैं सैं
कट्ठे होकै गला पकड़ल्यो इस पूंजीपति कसाई का।।
इतनै तै भी भरता ना ये तै देश का सौदा करण लगे
लाख दो लाख चैन सोने की खूब तिजोरी भरण लगे
नैतिकता की देवैं दुहाई ये तै चीर देश की हरण लगे
भोले माणस नै ना भेद लगण दें इस दलदल की काई का।।
इन देश भगतां के काले चेहरे कर दिये पर्दाफाश तनै
जान की बाती लाकै नै बंद करी लुटेरयां की सांस तनै
तहलका-तहलका होण लागरी वाह तरूण शाबाश तनै
मुकेश कहै यो गर्व देश नै तरूण तेरी तरूणाई का।।











सोने का रांग बना
सोने का रांग बना दिया यो मोटा चाल्या होग्या हे।
खंड बना दी पतासे की गुड़ का राला होग्या हे।।
आज पीतल के उपर सोने का घोल चढ़ावैं सैं
गला घोट सच्चाई, का झूठ का
कहै अमृत जहर नै ये इसका मोल बधावैं सैं
चारों कूट करी बदमाशी मरण का
मेहनत करने आल्यां का, यो सारा खून निचोड़ लिया
देश बेच दिया दिन धौली मैं, कमीशन कई करोड़ लिया
पीस्सा आज भगवान होग्या, घर म्हारा तोड़ दिया
तहलका डॉट कॉम नै यो, सही भांडा फोड़ दिया
झूठे देश भगत होगे,
जो जात धर्म नै सींचे, वे बाग बगीचे सूक लिये
मुनाफाखोरी के चलते, म्हारे बदल सलूक लिये
ईब टोह लेल्यां किसनै, म्हारे खजाने लूट लिये
कारगिल की कुर्बानी के, दिन दिखैं ये चूक लिये
हम पै जाल गेर दिया, बैरी रूखाला होग्या हे।।
यो देखण नै के भगत सिंह, नै फांसी परनाई थी
यो देखण नै के महात्मा गांधी, नै गोली खाई थी
यो देखण नै के सुभाष बोस, नै फौज बनाई थी
यो देखण नै के रानी झांसी नै लड़ी लड़ाई थी
रणबीर चाल बिगाड़ी, चेहरा काल्ला होग्या है।।











-112-

फौजी सपने मैं
दिख्या छलनी पड़या सरहद पै शरीर की नाड़ी छूट गई।
रोती हांडू गालां के म्हा मेरी क्यों किस्मत फूट गई।।
1. तेरी पलटन कलकत्ते तै चल कै आई थी पंजाब मैं
  लैफट राइट करता दीख्या थी ज्यादा अकड़ जनाब मैं
  पाकिस्तानी फौज दो आब मैं मेरा कालजा या चूट गई।
  रोती हांडू गालां के म्हा ...
2. हवाई जहाज बम्ब बरसावै उड़ै दनादन गोली चाली
  पैंटन टैंक दाग रहे गोले चौगरदें धरती हाली
  उड़ै धरती पै छाई लाली मैं पी सबर का घूंट गई।
  रोती हांडू गालां के म्हा ...
3. पहल्यां कदे बी देखी ना इसी घमासान लड़ाई मनै
  माणस का बैरी माणस था देखी मची तबाही मनै
  तों नादिया दिखाई मनै मेरी दुनिया जण लूट गई।
  रोती हांडू गालां के म्हा ...
4. थोड़ी हाण मैं मोर्चे पै लूं आगै खड़या दिखाई दिया
  करै बौछार एल.एम.जी. स्याहमी पिया अड़या दिखाई दिया
  फेर रणबीर पड़या दिखाई दिया या नींद मेरी तो टूट गई।
  रोती हांडू गालां के म्हा ...











-113-

बासमती चावल
तीन किसम चावल म्हारे की, अमरीका ने पेटेंट कराई।
अटल सरकार रही सोवंती, इनै करदी म्हारी तबाही।।
1. अमरीका आगै गोड्डे टेके, सारे हुकम इनके मान रही
  लाल कालीन रही बिछाये उस तांहि, म्हारै बंदूक तान रही
  उनके उंचे महल अटारी, म्हारे घर की टूट छान रही
  अमीरां के इनै छिंके काढ़ बगाये, म्हारे बढ़ा लगान रही
  पेटैंट उनके हक मैं बदल्या, इनै शरम कति ना आई।।
2. सदियां तै चावल पैदा होवै, यो भारत और पाकिस्तान में
  बासमती की महम निराली, उठै भारत के खलिहान में

  दूसरे देसां मैं धूम माचगी नहीं था कोए और मैदान मैं
3. राइट टैक कंपनी बैरण, इनै म्हारी रोटी नहीं सुहाई
  अमरीका नै लूट बढ़ादी, सबनै चौड़ै पड़ी दीख रही
  म्हारी सरकार पड़ पाहयां मैं, लूट्टण के गुण सीख रही
  म्हारे कामां के म्हां सरकार काढ़ आज मेन मीख रही
  कति लमलेट या सरकार होगी, छोड्डी संघर्ष की राही।।
4. म्हारे पेड़ पौधे और खेती, इन सब पै खतरा मंडरावै
  आई एम एफ सुण्या होगा, यो म्हारा भाई भूत बणावै
  विश्व बैंक जोड़ीदार इसका, कर्जा रोजाना बढ़ता जावै
  डब्ल्यू टी ओ डेढ़ी चाल चलै ईंका शिकंजा कसता आवै
  बूझै रणबीर बरोने आला, क्यों हमने डली फीम की खाई।।







-114-

अमरीकन सूंडी
चौखा समझण जोगा स्याणा सै उंच नीच का ख्याल नहीं
सब किमै लुट पिट ग्या म्हारा माड़ा सा भी मलाल नहीं
1. गिहूं धान कपास बाजरा ये मंडी बीच पिटते जावैं
  अमरीकन सुण्डी नाश करैं नहीं किसे कै काबू आवैं
  म्हारे आज जो बणे हिम्माती ना सूंडी का इलाज बतावैं
  डीजल खाद बिजली पानी पै बाधू टैक्स रोजाना लावैं
  या खेती पीटी डांगर पीटे इसतै माड़ी मिसाल नहीं।।
2. जागां जागां पै ठेके दारू के दस रुपये की थैली बिकती
  म्हारी कमाई जा दारू मैं जिसपै उनकी रोटी सिकती
  सुल्फा स्मैक फीम ये बेचैं आंगली ना इनपै टिकती
  लफंगे छागे पूरे समाज पै आज सारै इनकी धिकती
  क्यों माफिया के सरदार नेता ठाया हमनै सवाल नहीं।।
3. बेटी बहू और महिला का बाहर जाणा आसान कड़ै
  छेड़खानी होवै रोजाना द्रोपदी लूटी जावै आज अड़ै
  पुलिस आले शामिल होगे या महाभारत कौण लड़ै
  जै कृष्ण मुरारी आज्या तै उसनै बी सहनी मार पड़ै
  बोल चुपाका रहकै देख लिया बचती दीखै खाल नहीं।।
4. बिन पीस्से कोए काम ना हो भ्रष्टाचार कसूता छाग्या यो
  काला धन संस्कृति काली रणबीर छन्द बणा ग्या यो
  काले धन नै नाश करया बरोने मैं आज सुणाग्या यो
  सफेद धन की धोली संस्कृति राह सही बताग्या यो
  मजबूत विचार पक्ष बिना बणै बचा की







-115-

सब्सिडी अमीरां की
म्हारी कै कट मरया अमीरां की सबसिडी बधाई देखो।
राष्ट्र भक्ति के नारे लगाकै कितनी लूट मचाई देखा।।
1. राशन प्रणाली तोड़ बगाई किसानां की भ्यां बुलवादी
  बाल्को कंपनी बूझै कोए क्यों या माट्टी मोल बिकादी
  धारावी झोंपड़ पट्टी की एक प्रतिशत गरीबी बतादी
  आकड़यां का खेल रचाकै देश तै गरीबी जमा भगादी
  स्वदेशी का सांग करया बदेशी कंपनी ये बुलाई देखो।।
2. नौकरी मिलैं आगले जनम मैं इस जन्म मैं घटावैगा
  डीजल खाद बिजली म्हंगे सस्ते किसान कित पावैगा
  चीनी माचीस चास बिस्कुट पहलम तै म्हंगे खावैगा
  दिल के छेद आला मरीज पां पीट के मर जावैगा
  छियासठ हजार नौकरी आये साल की क्यों घटाई देखो।।
3. कार न्यारी
  एयर कंडीशन्ड सस्ते होंगे मंत्राी नै बताये आज
  कोका पैपसी सस्ते करे बदेशियां तै हाथ मिलाये आज
  नैगम कर घट दिये उत्पाद शुल्क गये बढ़ाये आज
  देश बेचण की तैयारी सरकारी नहीं शरमाई देखो।।
4. किसान फांसी खा खा मरते उनकै मौज उड़ाई जावैं
  निजीकरण उदारीकरण की दी घटिया ये दवाई जावैं
  जात धर्म पै लड़वां के ये असली बात छिपाई जावैं
   अमीर गरीब के बीच की ये खाई आज बढ़ाई जावैं
  रणबीर सिंह दिल भीतर तै करता कविताई देखो।।








-116-

राजबाला जोगी का इंतजार करती है गली में बैठ कर। जोगी मिनट पहले आ जाता है। उदास है। राजबाला कारण पूछती है। क्या बताता है:-
अमरीका और धनी देश ये दुनिया मैं मौज करैं देखो।
भारत बरगे गरीब देश ये क्यों भूखे आज मरैं देखो।।
1. पाउडर लिपस्टिक पै ये छह अरब डालर फूंकैं सैं
  यूरोप में नौ अरब डालर की कुल्फी खान तैना चूंकैं सैं
  बारा अरब डालर का इत्रा खर्चे छिदे ए माणस उकैं सैं
  सतरा अरब डालर कुत्ते खावैं, भूख मै बालक सूकैं सैं
  लूट-लूट कै म्हारी कमाई, ये अपणे घर नै भरैं देखो।।
2. मनोरंजन पै अरब पैंतीस डालर खर्च जापान मैं
  सिग्रेट पै पचास अरब डालर यूरोप खर्चे श्यान मैं
  एक सौ पांच अरब डालर दारू खर्चा यूरोप महान मैं
  दवा नशीली चार सौ अरब की पीवैं पूरे ही जहान मैं
  एक साल के ये खर्चे उनके म्हारे बात नहीं जरैं देखो।।
3. ये डालर बदल कै देखा रुपइयां का कोए औड़ नहीं
  धनी देश ये डांडी मारते उनका पाया कोए जोड़ नहीं
  दादा गिरी करकै दाबैं हमनै बच्चा कोए बी ठोड नहीं
  हथियार बणावैं दवा नशीली फैशन मैं कोए तोड़ नहीं
  विकास की राही सही कोण्या विनाश राही डंग धरैं देखो।।
4. म्हारे देश मैं दलाल इनके बड्डे साहूकार बताए सैं
  अपनी ज्यान बचावण नै म्हारै रोजगार घटाए सैं
  अपणी ऐश बधावण नै सब खेत क्यार पिटवाए सैं
  किसानां पै फांसी लावण नै ईब ये तैयार दिखाए सैं
  लिखता रणबीर साची सारी बैठे महलां मैं डरैं देखो।।








-117-

थोथा अमरीका
सवा सेर अमरीका कै पाइया बाट चोट कसूती करग्या।
बुश नै धरती जमा भीड़ी होगी देख्या घणा कसूता डरग्या।।
1. घणे कहर
  कट्टरवाद के बीज यो बोये कड़वा फल उसे का खाया रै
  धर्म की हमेशा लिया साहरा दुज्यां का घर जलवाया रै
  मानवता की देवै दुहाई खुद घड़ा पाप का भरग्या।।
2. रुक्के मारै ईब कट्ठे होल्या जुल्मी आतंकवाद मिटाणा सै
  खुद आतंकवाद के सापां तै नहीं छोड्या दूध पिलाणा सै
  हिन्दू भी धर्म पै कट्ठे होगे कहैं अपणा धर्म बचाणा सै
   मुस्लिम आतंकवाद का डर दिखा कहैं अपणा धर्म बचाणा सै
  अमरीका भीतर तै जमा खोखला सारी दुनिया कै जरग्या।।
3. अपनी दादागिरी जमावण नै कई की कड़ तोड़ गरी
  जित चाहया अर जिब चाहया देशां की जबाड़ी फोड़ गरी
  नशीली दवा ये हथियार बेच कै काली दौलत जोड़ गरी
  इस काले धन के दम पै बांह कई देशां की मरोड़ गरी
  मानवता के सारे तौर तरीके हमेश ठाकै टांड पै धरग्या।।
4. इस मानवता की किस मुंह तै देवै ई दुहाई बतादे
  इराक देश पै बम बेरे क्यों कसूती करी तबाही बतादे
  आतंकवाद पै काबू पाने की जुलमी कैसे दवाई बतादे
  अपने हित साधण खातर म्हारे तै गलतराही बता दे
  रणबीर पंजाब का आतंकवाद म्हारी खुशियां नै हरग्या।।






-118-

बेरोजगार लड़की
गरीब परिवार मैं पैदा होकै हांगा लाकै करी पढ़ाई।
सत्तर प्रतिशत नम्बर लेकै भी ना कितै नौकरी थ्याई।।
1. एम.एस.सी. कर बी.एड. करी पर आया नहीं सबेरा
  कम्प्यूटर कोर्स करया मनै नहीं होया दूर अन्धेरा
  हजारां लाखां मैं बिकै नौकरी सुण हिया लरजै मेरा
  कदकी मेरी मां बाट देखरी यो मिलज्या दामाद कमेरा
  कम नम्बर आले बाजी मारगे ना मेरी पार बसाई।।
2. गाम कै गोरै खड़ी सोचूं मैं ना इन्टरव्यू मेरा घाट गया
  दिन धौली मैं चलै सिफारिस पीस्सा गले नै काट गया
  मैरिट का यो झूठा रोला न्यूं सारा बेरा पाट गया
  बेकारी का यो बोझ कसूता मेरा कालजा चाट गया
  धरती और असमान बीच मैं ना चांदना देवै दिखाई।।
3. क्याहें काम मैं जी नहीं लाग्या न्यों मन होग्या उदास मेरा
  नीदं आवै ना रहूं सोचती क्यों करते लोग उपहास मेरा
  केसै कसूर बता राम जी न्यों हाथ जोड़ कै अरदास मेरा
  सहज सहज इस
  मां बाप की नींद ना उड़ज्या ज्यां खुद की गोली खाई।।
4. बड़ी मुश्किल तै मेडीकल मैं डॉक्टरों नै बचाई देखो
  आस-पास गाम गुहांड नै बहोतै घणी बिसराई देखो
  बन्धुआं नै म्हारी करी दुरगति उनकी मेर कटाई देखो
  इस दल-दल तै चाहूं मुक्ति ना दीखै कोए राही देखो
  चौराहे पै आण खड़ी रणबीर इसी चढ़ी करड़ाई।।







-119-

बैरी प्यार के
रूकमण धर्मा पिया बता दे बिन आई क्यों मार दिये।
बागां के थे फूल निराले क्यों इनके बणा खार दिये।।
1. सोनी महिवाल रहे भटकते क्यों उनका मटका फोड़ दिया
  शशि पन्नू रहे तड़पते क्यों याराना उनका तोड़ दिया
  रांझे हीर बिचालै बता क्यों अक्खन काना छोड़ दिया
  लीलो चमन सच्चे साथी थे उनका प्रेम मसोड़ दिया
  रूमण धर्मा पै पंचायत नै क्यों इतने बड़े त्यौहार किये।।
2. बीर मरद तै हो उत्पत्ति जाणै दुनिया सारी पिया
  करना प्रेम पाप नहीं धुरतै दुनिया करती आरी पिया
  दिन धौली उमैं या जोड़ी क्यों मौत के घाट उतारी पिया
  हाथ पकड़ जिब तांहि थी उस बख्त ना बात बिचारी पिया
  जीण मरण के जिब साथी होंगे कर पैने हथियार लिये।।
3. जिननै कदे भी प्रेम करया ना वे बैरी बणगे प्यार के
  तन के उजले मन के काले ना माणस आणे प्यार के
  छोरी बेच कसाई पिसाई मालिक बणगे संसार के
  रात अंधेरे जुल्म कमावैं अगुवा नैतिक प्रचार के
  उनके जुल्मां के कारण ये उजड़ घणे घरबार लिये।।
4. चारों तरफ दे दिखाई पिया बणै बैरी जवानां के
  सही गलत का फरज भूल कै खेलैं हाथ शैतानां के
  जिननै इनका कल्त करया वे माणस पिछड़े ख्यालां के
  जो बैरी खिले फूलां के वे जाम नहीं इंसानां के
  रणबीर इनतै लड़णे खातर कलम नै कर त्यार लिये।।








-120-

राजबाला को जागी बताता है कारगिल की लड़ाई के बाद दोनों देशों में जनता के साथ क्या हुआ भला:
जंग हथियारां तै लड़ी जाती है एक जीतेै दूजा हारै सै।
जंग का नतीजा कहैं बुरा फौजी एक दूसरे नै मारै सै।।
1. दोनों देशां मं जंग की चिन्ता गर्भपातां की संख्या बढ़गी
  कई सौ फौजी ज्यान झोकेंगे सिंदूर मांगां की कढ़गी
  हथियारां की कीमत ईब सात असामानां पै चढ़गी
  नवाज शरीफ झूठ तेरी या स्याणी जनता पढ़गी
  देशां का संकट अपणा छोह एक दूजै पै तारैं सै।।
2. जी सेवन टीब्बा बिठा देगा इसका हमनै ध्यान कड़ै सै
  लड़ाई करवा हथियार बेचते जनता पै बोझ पड़ै सै
  देश विकास नहीं कर पावै जंग जारी रहवै जड़ै सै
  कदे पाकिस्तान आर्मी कदे भारत सरहदां उपर लड़ै सैं
  अमन चैन तै रैहणा चाहिये आवाज उठी सारै सै।।
3. बेरा ना कद सी समझांगे हम असली सच्चाई नै
  मत भक्कड़ बालो ईब समझो बात की गहराई नै
  अपणी-अपणी जांणां पै जाकै खत्म करां लड़ाई नै
  दोनों देशां की जनता चाहवै मेटना बीच की खाई नै
  पूरे दिल तै कहैणा चाहूं यो गाम मनै फटकारे सै।।
4. मेरे वीर फौजी जवान सुणले दिल तेरे की जाणू मैं
  तेरी हालत किसी होरी तेरी सूरत नहीं पिछाणू मैं
  अपणी भावनावां का तम्बू पूरा थारे उपर ताणू मैं
  जंग के हक मैं लिखूं गाणे क्यूकर बात या ठाणू मैं
  रणबीर सिंह बरोने आला ज्यान दुनिया उपर वारे सै।।






-121-

जनसंख्या
कई देशां की जनसंख्या क्यों तले नै जाती जारी सै।
म्हारा क्यों बधै रोजाना नहीं बात समझ मैं आरी सै।।
1. विकास गर्भ निरोधक सै म्हारी सरकारी बतारी है
  पंचात लैक्शनां पै फेर दो तै उपर रोक लगारी है
  फैमली प्लानिंग फैमली प्लानिंग या रोज पुकारी है
  मेहनत करण मैं आगै जनसंख्या रही या म्हारी है
  विकास कई गुणा कर दिया फेर बी ना कटी बीमारी सै।।
2. गर्भ निरोधक विकास हुया ना या किसी लाचारी है
  सारी खोल बताओ किसनै कित-कित डान्डी मारी है
  जाहिल बेवकूफ बता किसनै म्हारी खाल उतारी है
  बालकां आली दुखी क्यों दुखी जमा कंवारी है
  एक बै हटकै सोचां म्हारे किसनै देई बुहारी सै।।
3. वरदान सै अक अभिशाप चर्चा छिड़गी भारी हे
  छोटे बड्डे का कित जिकरा जनता दुखी सै सारी हे
  अमीर जनता इसका इल्जाम गरीबां पै लगारी हे
  साहू का खेल पड़ै खेलना पीस्सा बड्डा खिलारी हे
  जिसपै पीस्सा भैंस उसकी कानून पै पड़ज्या भारी सै।।
4. राम जी कड़ै डिगरग्या कड़ै सोवै कृष्ण मुरारी हे
  राम कृष्ण उसकी मानैं जो घणा दुष्ट पुजारी हे
  बीर मरद तै हो उत्पत्ति हमनै या बात बिचारी हे
  हो सही बंटवारा धन का पफेर गर्भ पै ना चलै कटारी हे
  सच्चाई नै जो ल्हकोवै रणबीर वो घणा अत्याचारी सै।।






-122-

दलित महिला
माड़ी फुरसत काढ़ कै बात ध्यान तै सुण्यिो मेरी।
भीड़ी धरती होज्या सै उठती नै मनै आवै अंधेरी।।
1. खेत मजदूर पति सै मेहनत तै वो करै गुजारा
  जितने
  फल फूल उगावण मैं किसानां कै लाता वो सहारा
  दिहाड़ी पै फेर लाठा बाजै संकट हो घणा भार्या
  घुट घुट कै सहन करां ये कड़ी बात भतेरी।।
2. सात बालक जनमे माता नै पांच भाण अर दो भाई
  ताप मारग्या एक जणे नै भाण मरी बिना दवाई
  दूजी नै बैरण टीबी चाटगी घर मैं बची ए तबाही
  दस्तां तै मरती बची वा एक राम के घर तै आई
  सातां मां तै तीन बचे हम इसी घली राम की घेरी।।
3. याणी सी मैं ब्याह दी पति खेत मजदूर मदीणे का
  उनका हाल बुरा देख्या ना ब्यौंत खाणे और पीणे का
  चाआ गेल्यां रोटी घूंटैं यो हाल नहीं सै जीणे का
  ठाडे की सै दुनिया बेबे के सै म्हारे बरगे हीणे का
  क्यूकर जीवां हम सुख तै या चिन्ता खा शाम सबेरी।।
4. बालक कम हों कई बै सोचूं ना ठुकै कालजा मेरा
  कितने बचैं कितने मरैंगे नहीं पटता इसका बेरा
  सारे मिलकै खुभात करां पर मुश्किल होवै बसेरा
  मनै समझ नहीं आवै क्यूकर मैं कैहणा मानूं तेरा
  रणबीर सिंह धोरै बूझांगे चाल करै मत देरी।।








-123-

छोटा दुःखी परिवार
जमा छोटा सा परिवार म्हारा, फेर बी क्यों नहीं ठीक गुजारा।
यो चढ़ता आवै कर्जा भार्या, ज्यान मरण मैं आई म्हारी।।
1.     मेहनत से हर काम किया, नहीं दो घड़ी आराम किया
      किया गुण्डयां नै जीणा हराम, इनकै लगावैं कौण लगाम
      डर लाग्या रहै सुबहं और शाम, इसे फिकर नै खाई सारी।।
2.     हम दो म्हारे दो का सै नारा यो, फेर बी सुखी ना घर म्हारा क्यों
      न्यों मनै कोए समझादयो नै, सारा खोल कै बतादयो नै
      रोग की जड़ दिखाद्यो नै, क्यों होती ना सुणाई म्हारी।।
3.     एक बेटा तो पढ़ता हिसार मैं, ओ पड़ता पांच-छह हजार में
      घर बार मैं मेर नहीं रही हे, मन की म्हारे तै नहीं कही हे
      दीखती करज की नहीं बही हे, करी ब्याज नै तबाही म्हारी।।
4.     दूजा बेटा करै पढ़ाई न्यारी, बदेशी कंपनी उसनै बुलारी
       भारी संकट मिलने का होग्या, ना बेरा म्हारा प्यार कित खोग्या
      म्हारै नश्तर घणे चुभोग्या, न्यों या बेचैनी छाई भारी।।
5.     म्हारा बाबू जी सै पंजाब में, रैहता नहीं किसे की दाब में
      जनाब में कोए बी कमी ना सै, फेर बी चढ़ी म्हारी खता सै
      रणबीर किसनै पता सै, क्यों बढ़ी करड़ाई म्हारी।।












-124-

इस फलोराइड नै म्हारे शरीर का कर दिया सत्यनाश
                          देखियो के होगा।
1. फलोराइड जहर बणकै खत्म करै म्हारे शरीर नै
  दांतां नै खोदे माणस रोवै बैठ अपणी तकदीर नै
  इसनै बोड़े करदिये भारतवासी होगे बहोत उदास
                          देखियो के होगा।।
2. हाड्डी जुड़ज्यां चाल्या जा ना जीणा मुश्किल होज्या
  मानसिक तनाव बढ़ै सोचै क्यूं ना जिन्दगी खोज्या
  फलोराइड जहर का हमनै ना होता कति अहसास
                          देखियो के होगा।।
3. दुनिया के बाइस देशां मैं फलोराइड नै कहर मचाया
  हरियाणा के तेरां जिल्यां मैं इसनै जुल्म घणा
  पतासे की खांड बणा दी खेती का बणा दिया घास
                          देखियो के होगा।।
4. फलोराइड किततै आवै सै इसका बेरा लाणा होगा रै
  जन-जन नै पटज्या बेरा इसा अभियान चलाणा होगा रै
  रणबीर सिंह नै छन्द बणाकै कर दिया पर्दाफाश
                          देखियो के होगा।।











-125-

उंची कुर्सी
जो उंची कुर्सी पर बैठे वे करते अत्याचार सखी।
घरपर बुला महिला से ये करते दुराचार सखी।।
1. दूबलधन की लड़की ने अपणी आवाज उठाई आज
  अफसर कितने पानी में इनकी औकात दिखाई आज
  राह हमें दिखाई आज खत्म करें भ्रष्टाचार सखी।।
2. हक पर लड़ने की खातर सही कदम उठाये देखो
  ये भ्रष्ट अफसर नेता सब फिरते बौखलाये देखो
  अब बच ना पाये देखो सच की उठी तलवार सखी।।
3. कहीं गिल और राठौर कहीं आज एसपी फंसे पड़े
  महिलाओं का अपमान करें बुरी तरह धंसे पड़े
  किसने शिकंजे कसे बड़े चुप क्यों सरकार सखी।।
4. मान सम्मान की खातर जुल्म के खिलाफ अंगड़ाई ली
  सोच समझ कर आगे आओ महिलाओं ने अगवाही की
  लड़की बहादुर दिखाई दी नहीं वह लाचार सखी।















-126-
बुश का पाला
सन तीन बीस मार्च का दुनिया याद करै दिन काला।
सारी दुनिया एक तरफ सै दूजी कान्ही बुश का पाला।।
1. जमींदार ज्यूकर बन्धुआ राखै न्यों बुश राख्या चाहवै
  कर हांगा डरा धमकाकै सारी धरती दाब्या चाहवै
  नकल सबकै घाल्या चाहवै चाहे होज्या गुड़ का राला।।
2. लूट-लूट धन म्हारा अमरीका सूना सांड छूट गया
  मेहनत तै हो धन पैदा अमरीका छल तै लूट गया
  यो पाप का मटका फूट गया उतरग्या आंखां का जाला।।
3. पढ़ाई मुफत देकै सद्दाम नै साक्षर इराक बनाया
  इलाज दवाई मिलैं मुफत मैं सुन्दर इराक बताया
  सबमैं अन्न बंटवाया जनता भजती उसकी माला।।
4. फूटी आंख अमरीका नै इराक के गुण ये सुहावैं ना
  इराकी नत मस्तक हो कै बुश आगै शीश झुकावैं ना
  रणबीर सुख पावैं ना जंग का बढ़ता आवै छाहला।।
















-127-

तीन साल पूरे होगे
हरियाणे मैं तीन साल मैं विकास का डूंडा पाट गया।
जितनी मेहनत करी लोगां नै सारी नै नेता चाट गया।।
1. प्राइवेट कॉलेज खोले खूब शिक्षा बहोत फैलाई सै
  शिक्षाबजट नहीं बढ़ाया पर फीस खूब बढ़ाई सै
  गरीब कै लागी अंघाई सै जमा पढ़ण तै नाट गया।।
2. सड़कां उपर ट्रोमा सैंटर तीन साल मैं बनाए देखो
  प्राइवेट अस्पतालां तांहि बढ़िया स्कीम ल्याए देखो
  सरकारी कै ताले लाये देखो सब हो बारा बाट गया।।
3. कर्मचारी काम चोर होगे उनकी पींग बधाई आज
  बदेशी पूंजी न्योंतण खातर देशी पढ़ण बिठाई आज
  विपक्ष करै बुराई आज चौटाला खड़ी कर खाट गया।।
4. म्हंगाई भ्रष्टाचार फले फूले करी विपक्ष की पिटाई
  बांह मरोड़ करे मंत्री सीधे एमएल्यां तै आंख दिखाई
  सब उपलब्धि गिणवाई वोट म्हारा वो क्यों काट गया।।














-128-

तीन मुंही नागण काली म्हारे भारत देस नै डसगी।
शरीर हुया काला ईंका जनता आज कसूती फंसगी।।
1. मुद्रा कोष का फण जहरी ईका काट्टया मांगे पाणी ना
  दूसरा फण विश्व बैंक का तासीर इसकी पिछाणी ना
  डब्ल्यूटीओ तीजा फण सै बचै इसका डस्या प्राणी ना
  नागण के सपलोटिये कहैं नागण माणस खाणी ना
  ईं के जहर की छाया समाज की नस-नस मैं बसगी।।
2.
  शिक्षा पै खरचा कम करो फरमान इसनै सुणा दिये
  सेहत नै ना कोए लेणा देणा मन्तर गजब पढ़ा दिये
  पब्लिक सेक्टर ओणे पोणे मैं इसनै आज बिका दिये
  संकट मोचक बणकै आई संकट की कौली कसगी।।
3. तीन मुंही नागण के दम पै हर देश लूट कै खाया रै
  गरीब देशां की हितैषी सूं इसनै यो भ्रम फैलाया रै
  जी सेवन सपेरा जिसनै नागण को दूध पिलाया रै
  चकाचौंध इसी मचादी अपणा दीखे आज पराया रै
  ये गरीब डसे दिन धौली मौत मैं इनकी काया धंसगी।।
4. अमीर-गरीब के बीच की खाई आज और भी चौड़ी होगी
  बालकां की दुर्गति करदी जवानी आज की बोड़ी होगी
  म्हारे डांगर मरण लागरे ठाडी रेस की घोड़ी होगी
  बदेशी तीन मंुही नागण की देशी नागण तै जोड़ी होगी
  रणबीर की कविताई तै आज ज्योत अन्धेरे मैं चसगी।।








-129-

सरोज सरतो ब्याह शादी की आपस में बतलाई हे।
सरतो किसा वर चाहवै तूं सरोज नै बात चलाई हे।।
1. सरोज बाली शान्त शुभा हो माणस सबर आला हो
  लिहाज राखणा आता हो विश्वास गजब निरालाहो
  तन का चाहे काला हो फेर मन का कति ना काला हो
  निस्वार्थ भाव का धोरी हो समझै बखत कुढ़ाला हो
  दौलत का कति ना भूख हो ना जाणै घणी अंघाई हे।।
2. वो पाछली गलती तै सीखै आगे का फेर ख्याल करै
  बहाने नहीं जमा बनावै कही बात तै नहीं फिरै
  असलियत का हिम्माती हो दिखावै पै ना कान धरै
  दहेज का लोभी नहीं हो पराई चीज पै नहीं मरै
  सरतो के दिल की सारी सरोज नै बात बताई हे।।
3. उफंचा रूतबा हो उसका घमण्ड जमा ना करता हो
  औरां नै बराद करकै नै ना अपने घर नै भरता हो
  झूठी बात ना मानै ना साच कहणै तै डरता हो
  अत्याचार कै साहमी बेबे समझ कै डिंग धरता हो
  दोस्त आला बरतेवा हो नहीं समझ निरी लुगाई हे।।
4. कई गामां मैं गोत बधगे ब्याह का संकट छाया
  गोत आपस मैं रोकैं जावै कैसे बालक ब्याहया
  खेड़े आले गोत तै न्यारा ना चाहिये गोत उकाया
  गोतां के रोजै रोले रणबीर इस चिन्ता नै खाया
  झूठा रोला गोतां का सरतो सरोज नै समझाई हे।।








-130-

कई गोतां के लोग बसैं भाली इसा गाम बताया।
के भाली का जिकरा ना कइयां का हाल सुणाया।।
1. महज पलड़वाल कुण्डु नान्दल कुहार बसैं
  रूहिल हुड्डा लठवाल दांगी बुधवार बसैं
  धनखड़ अहलावत के उड़ै परिवार बसैं
  सहारण के घर बारा उनके घरबार बसैं
  तेरा गोत बसैं उड़ै तीन का भाई चारा दिखाया।।
2. रोहज पलड़वाल का आपस मैं भाई चारा सै
  सहारण भी गेल्यां इनके नहीं इनतै न्यारा सै
  बाकियां की ब्याह शादी का खूबै उड़ै डंगवारा सै
  कोए तकरार नहीं सै ना मन किसे का खारा सै
  जै सारे गोत अड़ लालें तै गाम जा पूरा सताया।।
3. लकड़िया मैं दहिया के चौबीस घर बताये सैं
  दहिया अपणी छोरियां नै उड़ै ब्याहन्ते आये सैं
  ये रिवाज नये बास मैं क्यों ना गए परणाये सैं
  पुरानी बेड़ी ईब तोड़ां नौजवान तंग पाये सैं
  सरोज मामले में खामखा दहिया नै पां फंसाया।।
4. कई गामां मैं गोत बधे ब्याह का संकट छाया
  गोत आपस मैं रोकैं जावै कैसे बालक ब्याहया
  खेड़े आले गोत तै न्यारा ना चाहिये गोत उकाया
  गोतां के रोजै रोले रणबीर सिंह चिन्ता नै खाया
  मिल कै राह का

106-130

106-130

-106-

नपूता स्टोव
के बूझै सै भाण चमेली सारा तो तनै बेरा हे।
देख देख इसी करतूतां नै बिंध्या कालजा मेरा हे।।
1. नणद मारदी दिन धौली घणा बूरा जमाना आया
  स्टोव नपूते नै बी बेबे म्हारी कान्ही मुंह बाया
  कोसली हो चाहे गोहाना घणा कसूता जुलम कमाया
  किस-किस का जिकरा हे आज दुर्योधन बी शरमाया
  जली नहीं सै गई जलाई न्यों छाया आज अन्धेरा हे।।
2. इस देस मैं छोरी पैदा होण पै सारे छा मुरदाई जा
  छोरे कै उपर बाजै थाली घणीए खुशी मनाई जा
  जिसकै होवैं लागती छोरी वा निरभाग बताई जा
  इसी दोषी कहैं बीर नै न्यों भारी आ करड़ाई जा
  म्हारी समझ मैं आया कोण्या यो बिघनां का घेरा हे।।
3. मनू महाराज नै भाण चमेली कसूता अत्याचार कर्या
  लूला लंगड़ा गंवार और कोढ़ी पति म्हारा स्वीकार कर्या
  नाड़ झुका और गूंगी बणकै हुकम हमं अंगीकार कर्या
  नाड़ उठाकै जो बोली उसतै कुल्टा सा ब्यौहार कर्या
  हमनै नागण कहै माणस क्यों कण्या चाहवै सपेरा हे।।
4. पां की जूती बरोबर म्हारी क्यों तसबीर दिखाई जा
  राज करण की छोर्यां तै पूरी तदबीर बताई जा
  बीर नै गम खाणा चाहिये म्हारी तकदीर सिखाई जा
  म्हारे बासी खीचड़ी थ्यावै उननै हल्वा खीर खिलाई जा
  रणबीर सिंह ना झूंठ लिखै सै गाम बरोने डेरा हे।।







-107-

गुर्दे फेल होगे
मरण के हाल होगे गुर्दे मैं खराबी आगी रै।
गुर्दे फेल बातवैं डॉक्टर मेरै चिन्ता लागी रै।।
1. दस लाख का नया गुर्दा अमृतसर मैं लावैं सै
  लाये पाछै रोज का खर्च सात सौ का बतावैं सैं
  घर आले खड़े लखावैं सैं मेरी चिन्ता खागी रै
  गुर्दे फेल बतावैं डॉक्टर ...
2. बेटे के खून का नम्बर सै ओ नैगेटिव पाया
  मेरे खून के नम्बर तै इसनै मेल नहीं खाया
  मैं दिल्ली गया खंदाया उड़ै खून मार्केट पागी रै
  गुर्दे फेल बतावैं डॉक्टर ...
3. उड़ै बी तीन लाख खर्चे के डॉक्टरों नै बताया यो
  मुफत इलाज आल इण्डिया मैं थोथा नारा पाया यो
  तीजां पै कुछ ना भाया यो मनै मौत दीखै सागी रै
  गुर्दे फेल बतावैं डॉक्टर ...
4. रणबीर बरोने आले की कोण्या पार बसावै रै
  कोए बताद्यो छोटू अपना इलाज कडै़ करावै रै
  सोचै कद सी मौत आवै रै म्हंगाई धुम्मा ठागी रै
  गुर्दे फेल बतावैं डॉक्टर ...










-108-

नया हिन्दुस्तान
लालच लूट खसोट बचै नहीं नया हिन्दुस्तान बसावांगे।
धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।
नई तरां का इन्सान उभरै नई तरां के म्हारे समाज मैं
नई बात और बोल नये कहं जां नये सुर और साज मैं
बीमारी हो ही नहीं पावै विज्ञान नै लोक हित मैं लावांगे।।
दोगली शिक्षा का खात्मा हो ज्ञान पिटारा फेर इन्सान होज्या
नाड़ काट मुकाबला रहै ना एक दूजे का सम्मान होज्या
नशा खोरी नहीं टोही पावै इसका नामो निशान मिटावांगे।।
मुनाफा मंजिल नहीं रहै ना चारों तरफ घमासान मचै
लाठी की भैंस नहीं रहै ना हथियारां का फेर सम्मान बचै
प्रदूषण बढ़ता जा धरती शमशान होण तै बचावांगे।।
महिला नै इन्सान समझै रीत खत्म हो दोयम दरजे की
नौजवानां नै मिलै सही रास्ता ना मार बचै इस करजे की
जात पात खत्म हो इन्सान बनां सारे के बिगुल बजावांगे।।

















-109-

देवर:  बण ठण कै भाभी री तनै आज करी कित जाने की तैयारी।
भाभी:  लक्ष्मी सहगल आजाद हिंद फौज की जंग का बीड़ी ठारी।।
देवर: जलसे और जलूसां मैं यो बीर का जाणा नहीं नहीं
      खानदान कै बट्टा लागै इसा कदम उठाणा नहीं नहीं
      शहर की सड़कां उपर थारा न्यों नारे लाणा नहीं नहीं
      बालक भूखे मरैंगे घर मैं रहवै पीणा खाणा नहीं नहीं
      बात मानिये भाभी मेरी मनै बेरा महिला समिति भकारी।।
भाभी: देवर कान खोल कै सुनिये साची बात बताउं तनै
      मरदां बराबर हुई खड़ी या औरत आज दिखाउं तनै
      रानी झांसी लड़ी जंग मैं उसकी याद दिलाउं तनै
      कैप्टन आजाद हिन्द फौज की, बताई म्हारे शहर मैं आरी।।
देवर: हरियाणा मैं सुण भाभी, इसा रिवाज रहया नहीं सै
      घर तै बाहर तमनै कदे, यो कदम धरया नहीं सै
      मरद की शरण बिना री, तमनै कदे सरया नहीं सै
      बीर मदर बराबर दोनूं, मनू नै मंजूर करया नहीं सै
      थारी बराबरी नास करैगी, मनै याहे चिन्ता खारी।।
भाभी: न्याय युद्ध मैं तूं क्यों टैªक्टर भरकै ले ज्यावै था
      तेरा यो घरबासा बतादे किस तरयां डट पावै था
      आगै होकै क्यों म्हारे पै नारे खूब लुवावै था
      आज मनू याद आया, जिब ना जिकर चलावै था
      भाभी जावैगी जलसे मैं, रणबीर की कलम बुलारी।।







-110-

मकड़ी के जाले नै
लेज्यां म्हारे वोट करैं बुरी चोट आवै क्यों नींद रुखाले नै
घेर लिये मकड़ी के जाले नै
1. जब पाछै सी भैंस खरीदी देखी थी धार काढ़ कै हो
  जब पाछै सी बीज ल्याया देख्या था खूब हांड कै हो
  जब पाछै सी हैरो खरद्या देख्या था खूब चांड कै हो
  जब पाछै सी नारा ल्याया देख्या था खूड काढ़ कै हो
  वोटां पै रोल पाटै कोण्या तोल लावां मुंह लूटण आले नै
  घेर लिये मकड़ी के जाले नै
2. घणे दिनां तै देख रही म्हारी दूनी बदहाली होगी
  हमनै भकाज्यां आई बरियां इबकै खुशहाली होगी
  क्यों माथे की फूट रही या दूनी कंगाली होगी
  गुरू जिसे चुनकै भेजां उसी ए गुरू घंटाली होगी
  छाती कै लावै क्यों नादूर भगावै इस विषहर काले नै
  घेर लिये मकड़ी के जाले नै
3. ये रंग बदलैं और
  जात गोत की शरम दिखा कै वोट मांग ले ज्यावैं सैं
  उनके धोरै जिब जाणा हो कित का कौण बतावैं सैं
  दारूं बांटैं पीस्सा बी खरचै्रं फेर हमनै ए खावैं सैं
  करैं आप्पा धापी सारे पापी धाप्पैं ना किसे साले नै
  घेर लिये मकड़ी के जाले नै
4. क्यों हांडै सै ठान बदलता सही ठिकाना मिल्या नहीं
  बाही मैं लागू और टिकाउ ऐसा नारा हिल्या नहीं
  म्हारे तन
  खेतां मैं धन उपजावां सां फूल म्हारे खिल्या नहीं
  साथी रणबीर बणावै सही तसबीर खींच दे असली पाले नै
  घेर लिये मकड़ी के जाले नै।



-111-

सुनियो तहलका डॉट कॉम
पत्रकार रूखाले देश के, काम यो सजग सिपाही का।
एक और भण्डा फोड़ हुआ सरकार नाश की राही का।।
लूट के खागे मेरे देश नै, यो भौंचक्के से रहगे लागे
जया जेटली बंगारू और फर्नांडीस के देखो शौक
स्वदेशी का नार दें और अमरीका कै मारैं धौक
चोर-चोर मौसेरे भाई, हिसाब देवैं ना पाई का।।
पीस्यां आले कट्ठे होकै गड मड ये बतलावैं सैं
टाटा बिड़ला विश्व बैंक की नीति अड़ै चलावैं सैं
कट्ठे होकै गला पकड़ल्यो इस पूंजीपति कसाई का।।
इतनै तै भी भरता ना ये तै देश का सौदा करण लगे
लाख दो लाख चैन सोने की खूब तिजोरी भरण लगे
नैतिकता की देवैं दुहाई ये तै चीर देश की हरण लगे
भोले माणस नै ना भेद लगण दें इस दलदल की काई का।।
इन देश भगतां के काले चेहरे कर दिये पर्दाफाश तनै
जान की बाती लाकै नै बंद करी लुटेरयां की सांस तनै
तहलका-तहलका होण लागरी वाह तरूण शाबाश तनै
मुकेश कहै यो गर्व देश नै तरूण तेरी तरूणाई का।।











सोने का रांग बना
सोने का रांग बना दिया यो मोटा चाल्या होग्या हे।
खंड बना दी पतासे की गुड़ का राला होग्या हे।।
आज पीतल के उपर सोने का घोल चढ़ावैं सैं
गला घोट सच्चाई, का झूठ का
कहै अमृत जहर नै ये इसका मोल बधावैं सैं
चारों कूट करी बदमाशी मरण का
मेहनत करने आल्यां का, यो सारा खून निचोड़ लिया
देश बेच दिया दिन धौली मैं, कमीशन कई करोड़ लिया
पीस्सा आज भगवान होग्या, घर म्हारा तोड़ दिया
तहलका डॉट कॉम नै यो, सही भांडा फोड़ दिया
झूठे देश भगत होगे,
जो जात धर्म नै सींचे, वे बाग बगीचे सूक लिये
मुनाफाखोरी के चलते, म्हारे बदल सलूक लिये
ईब टोह लेल्यां किसनै, म्हारे खजाने लूट लिये
कारगिल की कुर्बानी के, दिन दिखैं ये चूक लिये
हम पै जाल गेर दिया, बैरी रूखाला होग्या हे।।
यो देखण नै के भगत सिंह, नै फांसी परनाई थी
यो देखण नै के महात्मा गांधी, नै गोली खाई थी
यो देखण नै के सुभाष बोस, नै फौज बनाई थी
यो देखण नै के रानी झांसी नै लड़ी लड़ाई थी
रणबीर चाल बिगाड़ी, चेहरा काल्ला होग्या है।।











-112-

फौजी सपने मैं
दिख्या छलनी पड़या सरहद पै शरीर की नाड़ी छूट गई।
रोती हांडू गालां के म्हा मेरी क्यों किस्मत फूट गई।।
1. तेरी पलटन कलकत्ते तै चल कै आई थी पंजाब मैं
  लैफट राइट करता दीख्या थी ज्यादा अकड़ जनाब मैं
  पाकिस्तानी फौज दो आब मैं मेरा कालजा या चूट गई।
  रोती हांडू गालां के म्हा ...
2. हवाई जहाज बम्ब बरसावै उड़ै दनादन गोली चाली
  पैंटन टैंक दाग रहे गोले चौगरदें धरती हाली
  उड़ै धरती पै छाई लाली मैं पी सबर का घूंट गई।
  रोती हांडू गालां के म्हा ...
3. पहल्यां कदे बी देखी ना इसी घमासान लड़ाई मनै
  माणस का बैरी माणस था देखी मची तबाही मनै
  तों नादिया दिखाई मनै मेरी दुनिया जण लूट गई।
  रोती हांडू गालां के म्हा ...
4. थोड़ी हाण मैं मोर्चे पै लूं आगै खड़या दिखाई दिया
  करै बौछार एल.एम.जी. स्याहमी पिया अड़या दिखाई दिया
  फेर रणबीर पड़या दिखाई दिया या नींद मेरी तो टूट गई।
  रोती हांडू गालां के म्हा ...











-113-

बासमती चावल
तीन किसम चावल म्हारे की, अमरीका ने पेटेंट कराई।
अटल सरकार रही सोवंती, इनै करदी म्हारी तबाही।।
1. अमरीका आगै गोड्डे टेके, सारे हुकम इनके मान रही
  लाल कालीन रही बिछाये उस तांहि, म्हारै बंदूक तान रही
  उनके उंचे महल अटारी, म्हारे घर की टूट छान रही
  अमीरां के इनै छिंके काढ़ बगाये, म्हारे बढ़ा लगान रही
  पेटैंट उनके हक मैं बदल्या, इनै शरम कति ना आई।।
2. सदियां तै चावल पैदा होवै, यो भारत और पाकिस्तान में
  बासमती की महम निराली, उठै भारत के खलिहान में

  दूसरे देसां मैं धूम माचगी नहीं था कोए और मैदान मैं
3. राइट टैक कंपनी बैरण, इनै म्हारी रोटी नहीं सुहाई
  अमरीका नै लूट बढ़ादी, सबनै चौड़ै पड़ी दीख रही
  म्हारी सरकार पड़ पाहयां मैं, लूट्टण के गुण सीख रही
  म्हारे कामां के म्हां सरकार काढ़ आज मेन मीख रही
  कति लमलेट या सरकार होगी, छोड्डी संघर्ष की राही।।
4. म्हारे पेड़ पौधे और खेती, इन सब पै खतरा मंडरावै
  आई एम एफ सुण्या होगा, यो म्हारा भाई भूत बणावै
  विश्व बैंक जोड़ीदार इसका, कर्जा रोजाना बढ़ता जावै
  डब्ल्यू टी ओ डेढ़ी चाल चलै ईंका शिकंजा कसता आवै
  बूझै रणबीर बरोने आला, क्यों हमने डली फीम की खाई।।







-114-

अमरीकन सूंडी
चौखा समझण जोगा स्याणा सै उंच नीच का ख्याल नहीं
सब किमै लुट पिट ग्या म्हारा माड़ा सा भी मलाल नहीं
1. गिहूं धान कपास बाजरा ये मंडी बीच पिटते जावैं
  अमरीकन सुण्डी नाश करैं नहीं किसे कै काबू आवैं
  म्हारे आज जो बणे हिम्माती ना सूंडी का इलाज बतावैं
  डीजल खाद बिजली पानी पै बाधू टैक्स रोजाना लावैं
  या खेती पीटी डांगर पीटे इसतै माड़ी मिसाल नहीं।।
2. जागां जागां पै ठेके दारू के दस रुपये की थैली बिकती
  म्हारी कमाई जा दारू मैं जिसपै उनकी रोटी सिकती
  सुल्फा स्मैक फीम ये बेचैं आंगली ना इनपै टिकती
  लफंगे छागे पूरे समाज पै आज सारै इनकी धिकती
  क्यों माफिया के सरदार नेता ठाया हमनै सवाल नहीं।।
3. बेटी बहू और महिला का बाहर जाणा आसान कड़ै
  छेड़खानी होवै रोजाना द्रोपदी लूटी जावै आज अड़ै
  पुलिस आले शामिल होगे या महाभारत कौण लड़ै
  जै कृष्ण मुरारी आज्या तै उसनै बी सहनी मार पड़ै
  बोल चुपाका रहकै देख लिया बचती दीखै खाल नहीं।।
4. बिन पीस्से कोए काम ना हो भ्रष्टाचार कसूता छाग्या यो
  काला धन संस्कृति काली रणबीर छन्द बणा ग्या यो
  काले धन नै नाश करया बरोने मैं आज सुणाग्या यो
  सफेद धन की धोली संस्कृति राह सही बताग्या यो
  मजबूत विचार पक्ष बिना बणै बचा की







-115-

सब्सिडी अमीरां की
म्हारी कै कट मरया अमीरां की सबसिडी बधाई देखो।
राष्ट्र भक्ति के नारे लगाकै कितनी लूट मचाई देखा।।
1. राशन प्रणाली तोड़ बगाई किसानां की भ्यां बुलवादी
  बाल्को कंपनी बूझै कोए क्यों या माट्टी मोल बिकादी
  धारावी झोंपड़ पट्टी की एक प्रतिशत गरीबी बतादी
  आकड़यां का खेल रचाकै देश तै गरीबी जमा भगादी
  स्वदेशी का सांग करया बदेशी कंपनी ये बुलाई देखो।।
2. नौकरी मिलैं आगले जनम मैं इस जन्म मैं घटावैगा
  डीजल खाद बिजली म्हंगे सस्ते किसान कित पावैगा
  चीनी माचीस चास बिस्कुट पहलम तै म्हंगे खावैगा
  दिल के छेद आला मरीज पां पीट के मर जावैगा
  छियासठ हजार नौकरी आये साल की क्यों घटाई देखो।।
3. कार न्यारी
  एयर कंडीशन्ड सस्ते होंगे मंत्राी नै बताये आज
  कोका पैपसी सस्ते करे बदेशियां तै हाथ मिलाये आज
  नैगम कर घट दिये उत्पाद शुल्क गये बढ़ाये आज
  देश बेचण की तैयारी सरकारी नहीं शरमाई देखो।।
4. किसान फांसी खा खा मरते उनकै मौज उड़ाई जावैं
  निजीकरण उदारीकरण की दी घटिया ये दवाई जावैं
  जात धर्म पै लड़वां के ये असली बात छिपाई जावैं
   अमीर गरीब के बीच की ये खाई आज बढ़ाई जावैं
  रणबीर सिंह दिल भीतर तै करता कविताई देखो।।








-116-

राजबाला जोगी का इंतजार करती है गली में बैठ कर। जोगी मिनट पहले आ जाता है। उदास है। राजबाला कारण पूछती है। क्या बताता है:-
अमरीका और धनी देश ये दुनिया मैं मौज करैं देखो।
भारत बरगे गरीब देश ये क्यों भूखे आज मरैं देखो।।
1. पाउडर लिपस्टिक पै ये छह अरब डालर फूंकैं सैं
  यूरोप में नौ अरब डालर की कुल्फी खान तैना चूंकैं सैं
  बारा अरब डालर का इत्रा खर्चे छिदे ए माणस उकैं सैं
  सतरा अरब डालर कुत्ते खावैं, भूख मै बालक सूकैं सैं
  लूट-लूट कै म्हारी कमाई, ये अपणे घर नै भरैं देखो।।
2. मनोरंजन पै अरब पैंतीस डालर खर्च जापान मैं
  सिग्रेट पै पचास अरब डालर यूरोप खर्चे श्यान मैं
  एक सौ पांच अरब डालर दारू खर्चा यूरोप महान मैं
  दवा नशीली चार सौ अरब की पीवैं पूरे ही जहान मैं
  एक साल के ये खर्चे उनके म्हारे बात नहीं जरैं देखो।।
3. ये डालर बदल कै देखा रुपइयां का कोए औड़ नहीं
  धनी देश ये डांडी मारते उनका पाया कोए जोड़ नहीं
  दादा गिरी करकै दाबैं हमनै बच्चा कोए बी ठोड नहीं
  हथियार बणावैं दवा नशीली फैशन मैं कोए तोड़ नहीं
  विकास की राही सही कोण्या विनाश राही डंग धरैं देखो।।
4. म्हारे देश मैं दलाल इनके बड्डे साहूकार बताए सैं
  अपनी ज्यान बचावण नै म्हारै रोजगार घटाए सैं
  अपणी ऐश बधावण नै सब खेत क्यार पिटवाए सैं
  किसानां पै फांसी लावण नै ईब ये तैयार दिखाए सैं
  लिखता रणबीर साची सारी बैठे महलां मैं डरैं देखो।।








-117-

थोथा अमरीका
सवा सेर अमरीका कै पाइया बाट चोट कसूती करग्या।
बुश नै धरती जमा भीड़ी होगी देख्या घणा कसूता डरग्या।।
1. घणे कहर
  कट्टरवाद के बीज यो बोये कड़वा फल उसे का खाया रै
  धर्म की हमेशा लिया साहरा दुज्यां का घर जलवाया रै
  मानवता की देवै दुहाई खुद घड़ा पाप का भरग्या।।
2. रुक्के मारै ईब कट्ठे होल्या जुल्मी आतंकवाद मिटाणा सै
  खुद आतंकवाद के सापां तै नहीं छोड्या दूध पिलाणा सै
  हिन्दू भी धर्म पै कट्ठे होगे कहैं अपणा धर्म बचाणा सै
   मुस्लिम आतंकवाद का डर दिखा कहैं अपणा धर्म बचाणा सै
  अमरीका भीतर तै जमा खोखला सारी दुनिया कै जरग्या।।
3. अपनी दादागिरी जमावण नै कई की कड़ तोड़ गरी
  जित चाहया अर जिब चाहया देशां की जबाड़ी फोड़ गरी
  नशीली दवा ये हथियार बेच कै काली दौलत जोड़ गरी
  इस काले धन के दम पै बांह कई देशां की मरोड़ गरी
  मानवता के सारे तौर तरीके हमेश ठाकै टांड पै धरग्या।।
4. इस मानवता की किस मुंह तै देवै ई दुहाई बतादे
  इराक देश पै बम बेरे क्यों कसूती करी तबाही बतादे
  आतंकवाद पै काबू पाने की जुलमी कैसे दवाई बतादे
  अपने हित साधण खातर म्हारे तै गलतराही बता दे
  रणबीर पंजाब का आतंकवाद म्हारी खुशियां नै हरग्या।।






-118-

बेरोजगार लड़की
गरीब परिवार मैं पैदा होकै हांगा लाकै करी पढ़ाई।
सत्तर प्रतिशत नम्बर लेकै भी ना कितै नौकरी थ्याई।।
1. एम.एस.सी. कर बी.एड. करी पर आया नहीं सबेरा
  कम्प्यूटर कोर्स करया मनै नहीं होया दूर अन्धेरा
  हजारां लाखां मैं बिकै नौकरी सुण हिया लरजै मेरा
  कदकी मेरी मां बाट देखरी यो मिलज्या दामाद कमेरा
  कम नम्बर आले बाजी मारगे ना मेरी पार बसाई।।
2. गाम कै गोरै खड़ी सोचूं मैं ना इन्टरव्यू मेरा घाट गया
  दिन धौली मैं चलै सिफारिस पीस्सा गले नै काट गया
  मैरिट का यो झूठा रोला न्यूं सारा बेरा पाट गया
  बेकारी का यो बोझ कसूता मेरा कालजा चाट गया
  धरती और असमान बीच मैं ना चांदना देवै दिखाई।।
3. क्याहें काम मैं जी नहीं लाग्या न्यों मन होग्या उदास मेरा
  नीदं आवै ना रहूं सोचती क्यों करते लोग उपहास मेरा
  केसै कसूर बता राम जी न्यों हाथ जोड़ कै अरदास मेरा
  सहज सहज इस
  मां बाप की नींद ना उड़ज्या ज्यां खुद की गोली खाई।।
4. बड़ी मुश्किल तै मेडीकल मैं डॉक्टरों नै बचाई देखो
  आस-पास गाम गुहांड नै बहोतै घणी बिसराई देखो
  बन्धुआं नै म्हारी करी दुरगति उनकी मेर कटाई देखो
  इस दल-दल तै चाहूं मुक्ति ना दीखै कोए राही देखो
  चौराहे पै आण खड़ी रणबीर इसी चढ़ी करड़ाई।।







-119-

बैरी प्यार के
रूकमण धर्मा पिया बता दे बिन आई क्यों मार दिये।
बागां के थे फूल निराले क्यों इनके बणा खार दिये।।
1. सोनी महिवाल रहे भटकते क्यों उनका मटका फोड़ दिया
  शशि पन्नू रहे तड़पते क्यों याराना उनका तोड़ दिया
  रांझे हीर बिचालै बता क्यों अक्खन काना छोड़ दिया
  लीलो चमन सच्चे साथी थे उनका प्रेम मसोड़ दिया
  रूमण धर्मा पै पंचायत नै क्यों इतने बड़े त्यौहार किये।।
2. बीर मरद तै हो उत्पत्ति जाणै दुनिया सारी पिया
  करना प्रेम पाप नहीं धुरतै दुनिया करती आरी पिया
  दिन धौली उमैं या जोड़ी क्यों मौत के घाट उतारी पिया
  हाथ पकड़ जिब तांहि थी उस बख्त ना बात बिचारी पिया
  जीण मरण के जिब साथी होंगे कर पैने हथियार लिये।।
3. जिननै कदे भी प्रेम करया ना वे बैरी बणगे प्यार के
  तन के उजले मन के काले ना माणस आणे प्यार के
  छोरी बेच कसाई पिसाई मालिक बणगे संसार के
  रात अंधेरे जुल्म कमावैं अगुवा नैतिक प्रचार के
  उनके जुल्मां के कारण ये उजड़ घणे घरबार लिये।।
4. चारों तरफ दे दिखाई पिया बणै बैरी जवानां के
  सही गलत का फरज भूल कै खेलैं हाथ शैतानां के
  जिननै इनका कल्त करया वे माणस पिछड़े ख्यालां के
  जो बैरी खिले फूलां के वे जाम नहीं इंसानां के
  रणबीर इनतै लड़णे खातर कलम नै कर त्यार लिये।।








-120-

राजबाला को जागी बताता है कारगिल की लड़ाई के बाद दोनों देशों में जनता के साथ क्या हुआ भला:
जंग हथियारां तै लड़ी जाती है एक जीतेै दूजा हारै सै।
जंग का नतीजा कहैं बुरा फौजी एक दूसरे नै मारै सै।।
1. दोनों देशां मं जंग की चिन्ता गर्भपातां की संख्या बढ़गी
  कई सौ फौजी ज्यान झोकेंगे सिंदूर मांगां की कढ़गी
  हथियारां की कीमत ईब सात असामानां पै चढ़गी
  नवाज शरीफ झूठ तेरी या स्याणी जनता पढ़गी
  देशां का संकट अपणा छोह एक दूजै पै तारैं सै।।
2. जी सेवन टीब्बा बिठा देगा इसका हमनै ध्यान कड़ै सै
  लड़ाई करवा हथियार बेचते जनता पै बोझ पड़ै सै
  देश विकास नहीं कर पावै जंग जारी रहवै जड़ै सै
  कदे पाकिस्तान आर्मी कदे भारत सरहदां उपर लड़ै सैं
  अमन चैन तै रैहणा चाहिये आवाज उठी सारै सै।।
3. बेरा ना कद सी समझांगे हम असली सच्चाई नै
  मत भक्कड़ बालो ईब समझो बात की गहराई नै
  अपणी-अपणी जांणां पै जाकै खत्म करां लड़ाई नै
  दोनों देशां की जनता चाहवै मेटना बीच की खाई नै
  पूरे दिल तै कहैणा चाहूं यो गाम मनै फटकारे सै।।
4. मेरे वीर फौजी जवान सुणले दिल तेरे की जाणू मैं
  तेरी हालत किसी होरी तेरी सूरत नहीं पिछाणू मैं
  अपणी भावनावां का तम्बू पूरा थारे उपर ताणू मैं
  जंग के हक मैं लिखूं गाणे क्यूकर बात या ठाणू मैं
  रणबीर सिंह बरोने आला ज्यान दुनिया उपर वारे सै।।






-121-

जनसंख्या
कई देशां की जनसंख्या क्यों तले नै जाती जारी सै।
म्हारा क्यों बधै रोजाना नहीं बात समझ मैं आरी सै।।
1. विकास गर्भ निरोधक सै म्हारी सरकारी बतारी है
  पंचात लैक्शनां पै फेर दो तै उपर रोक लगारी है
  फैमली प्लानिंग फैमली प्लानिंग या रोज पुकारी है
  मेहनत करण मैं आगै जनसंख्या रही या म्हारी है
  विकास कई गुणा कर दिया फेर बी ना कटी बीमारी सै।।
2. गर्भ निरोधक विकास हुया ना या किसी लाचारी है
  सारी खोल बताओ किसनै कित-कित डान्डी मारी है
  जाहिल बेवकूफ बता किसनै म्हारी खाल उतारी है
  बालकां आली दुखी क्यों दुखी जमा कंवारी है
  एक बै हटकै सोचां म्हारे किसनै देई बुहारी सै।।
3. वरदान सै अक अभिशाप चर्चा छिड़गी भारी हे
  छोटे बड्डे का कित जिकरा जनता दुखी सै सारी हे
  अमीर जनता इसका इल्जाम गरीबां पै लगारी हे
  साहू का खेल पड़ै खेलना पीस्सा बड्डा खिलारी हे
  जिसपै पीस्सा भैंस उसकी कानून पै पड़ज्या भारी सै।।
4. राम जी कड़ै डिगरग्या कड़ै सोवै कृष्ण मुरारी हे
  राम कृष्ण उसकी मानैं जो घणा दुष्ट पुजारी हे
  बीर मरद तै हो उत्पत्ति हमनै या बात बिचारी हे
  हो सही बंटवारा धन का पफेर गर्भ पै ना चलै कटारी हे
  सच्चाई नै जो ल्हकोवै रणबीर वो घणा अत्याचारी सै।।






-122-

दलित महिला
माड़ी फुरसत काढ़ कै बात ध्यान तै सुण्यिो मेरी।
भीड़ी धरती होज्या सै उठती नै मनै आवै अंधेरी।।
1. खेत मजदूर पति सै मेहनत तै वो करै गुजारा
  जितने
  फल फूल उगावण मैं किसानां कै लाता वो सहारा
  दिहाड़ी पै फेर लाठा बाजै संकट हो घणा भार्या
  घुट घुट कै सहन करां ये कड़ी बात भतेरी।।
2. सात बालक जनमे माता नै पांच भाण अर दो भाई
  ताप मारग्या एक जणे नै भाण मरी बिना दवाई
  दूजी नै बैरण टीबी चाटगी घर मैं बची ए तबाही
  दस्तां तै मरती बची वा एक राम के घर तै आई
  सातां मां तै तीन बचे हम इसी घली राम की घेरी।।
3. याणी सी मैं ब्याह दी पति खेत मजदूर मदीणे का
  उनका हाल बुरा देख्या ना ब्यौंत खाणे और पीणे का
  चाआ गेल्यां रोटी घूंटैं यो हाल नहीं सै जीणे का
  ठाडे की सै दुनिया बेबे के सै म्हारे बरगे हीणे का
  क्यूकर जीवां हम सुख तै या चिन्ता खा शाम सबेरी।।
4. बालक कम हों कई बै सोचूं ना ठुकै कालजा मेरा
  कितने बचैं कितने मरैंगे नहीं पटता इसका बेरा
  सारे मिलकै खुभात करां पर मुश्किल होवै बसेरा
  मनै समझ नहीं आवै क्यूकर मैं कैहणा मानूं तेरा
  रणबीर सिंह धोरै बूझांगे चाल करै मत देरी।।








-123-

छोटा दुःखी परिवार
जमा छोटा सा परिवार म्हारा, फेर बी क्यों नहीं ठीक गुजारा।
यो चढ़ता आवै कर्जा भार्या, ज्यान मरण मैं आई म्हारी।।
1.     मेहनत से हर काम किया, नहीं दो घड़ी आराम किया
      किया गुण्डयां नै जीणा हराम, इनकै लगावैं कौण लगाम
      डर लाग्या रहै सुबहं और शाम, इसे फिकर नै खाई सारी।।
2.     हम दो म्हारे दो का सै नारा यो, फेर बी सुखी ना घर म्हारा क्यों
      न्यों मनै कोए समझादयो नै, सारा खोल कै बतादयो नै
      रोग की जड़ दिखाद्यो नै, क्यों होती ना सुणाई म्हारी।।
3.     एक बेटा तो पढ़ता हिसार मैं, ओ पड़ता पांच-छह हजार में
      घर बार मैं मेर नहीं रही हे, मन की म्हारे तै नहीं कही हे
      दीखती करज की नहीं बही हे, करी ब्याज नै तबाही म्हारी।।
4.     दूजा बेटा करै पढ़ाई न्यारी, बदेशी कंपनी उसनै बुलारी
       भारी संकट मिलने का होग्या, ना बेरा म्हारा प्यार कित खोग्या
      म्हारै नश्तर घणे चुभोग्या, न्यों या बेचैनी छाई भारी।।
5.     म्हारा बाबू जी सै पंजाब में, रैहता नहीं किसे की दाब में
      जनाब में कोए बी कमी ना सै, फेर बी चढ़ी म्हारी खता सै
      रणबीर किसनै पता सै, क्यों बढ़ी करड़ाई म्हारी।।












-124-

इस फलोराइड नै म्हारे शरीर का कर दिया सत्यनाश
                          देखियो के होगा।
1. फलोराइड जहर बणकै खत्म करै म्हारे शरीर नै
  दांतां नै खोदे माणस रोवै बैठ अपणी तकदीर नै
  इसनै बोड़े करदिये भारतवासी होगे बहोत उदास
                          देखियो के होगा।।
2. हाड्डी जुड़ज्यां चाल्या जा ना जीणा मुश्किल होज्या
  मानसिक तनाव बढ़ै सोचै क्यूं ना जिन्दगी खोज्या
  फलोराइड जहर का हमनै ना होता कति अहसास
                          देखियो के होगा।।
3. दुनिया के बाइस देशां मैं फलोराइड नै कहर मचाया
  हरियाणा के तेरां जिल्यां मैं इसनै जुल्म घणा
  पतासे की खांड बणा दी खेती का बणा दिया घास
                          देखियो के होगा।।
4. फलोराइड किततै आवै सै इसका बेरा लाणा होगा रै
  जन-जन नै पटज्या बेरा इसा अभियान चलाणा होगा रै
  रणबीर सिंह नै छन्द बणाकै कर दिया पर्दाफाश
                          देखियो के होगा।।











-125-

उंची कुर्सी
जो उंची कुर्सी पर बैठे वे करते अत्याचार सखी।
घरपर बुला महिला से ये करते दुराचार सखी।।
1. दूबलधन की लड़की ने अपणी आवाज उठाई आज
  अफसर कितने पानी में इनकी औकात दिखाई आज
  राह हमें दिखाई आज खत्म करें भ्रष्टाचार सखी।।
2. हक पर लड़ने की खातर सही कदम उठाये देखो
  ये भ्रष्ट अफसर नेता सब फिरते बौखलाये देखो
  अब बच ना पाये देखो सच की उठी तलवार सखी।।
3. कहीं गिल और राठौर कहीं आज एसपी फंसे पड़े
  महिलाओं का अपमान करें बुरी तरह धंसे पड़े
  किसने शिकंजे कसे बड़े चुप क्यों सरकार सखी।।
4. मान सम्मान की खातर जुल्म के खिलाफ अंगड़ाई ली
  सोच समझ कर आगे आओ महिलाओं ने अगवाही की
  लड़की बहादुर दिखाई दी नहीं वह लाचार सखी।















-126-
बुश का पाला
सन तीन बीस मार्च का दुनिया याद करै दिन काला।
सारी दुनिया एक तरफ सै दूजी कान्ही बुश का पाला।।
1. जमींदार ज्यूकर बन्धुआ राखै न्यों बुश राख्या चाहवै
  कर हांगा डरा धमकाकै सारी धरती दाब्या चाहवै
  नकल सबकै घाल्या चाहवै चाहे होज्या गुड़ का राला।।
2. लूट-लूट धन म्हारा अमरीका सूना सांड छूट गया
  मेहनत तै हो धन पैदा अमरीका छल तै लूट गया
  यो पाप का मटका फूट गया उतरग्या आंखां का जाला।।
3. पढ़ाई मुफत देकै सद्दाम नै साक्षर इराक बनाया
  इलाज दवाई मिलैं मुफत मैं सुन्दर इराक बताया
  सबमैं अन्न बंटवाया जनता भजती उसकी माला।।
4. फूटी आंख अमरीका नै इराक के गुण ये सुहावैं ना
  इराकी नत मस्तक हो कै बुश आगै शीश झुकावैं ना
  रणबीर सुख पावैं ना जंग का बढ़ता आवै छाहला।।
















-127-

तीन साल पूरे होगे
हरियाणे मैं तीन साल मैं विकास का डूंडा पाट गया।
जितनी मेहनत करी लोगां नै सारी नै नेता चाट गया।।
1. प्राइवेट कॉलेज खोले खूब शिक्षा बहोत फैलाई सै
  शिक्षाबजट नहीं बढ़ाया पर फीस खूब बढ़ाई सै
  गरीब कै लागी अंघाई सै जमा पढ़ण तै नाट गया।।
2. सड़कां उपर ट्रोमा सैंटर तीन साल मैं बनाए देखो
  प्राइवेट अस्पतालां तांहि बढ़िया स्कीम ल्याए देखो
  सरकारी कै ताले लाये देखो सब हो बारा बाट गया।।
3. कर्मचारी काम चोर होगे उनकी पींग बधाई आज
  बदेशी पूंजी न्योंतण खातर देशी पढ़ण बिठाई आज
  विपक्ष करै बुराई आज चौटाला खड़ी कर खाट गया।।
4. म्हंगाई भ्रष्टाचार फले फूले करी विपक्ष की पिटाई
  बांह मरोड़ करे मंत्री सीधे एमएल्यां तै आंख दिखाई
  सब उपलब्धि गिणवाई वोट म्हारा वो क्यों काट गया।।














-128-

तीन मुंही नागण काली म्हारे भारत देस नै डसगी।
शरीर हुया काला ईंका जनता आज कसूती फंसगी।।
1. मुद्रा कोष का फण जहरी ईका काट्टया मांगे पाणी ना
  दूसरा फण विश्व बैंक का तासीर इसकी पिछाणी ना
  डब्ल्यूटीओ तीजा फण सै बचै इसका डस्या प्राणी ना
  नागण के सपलोटिये कहैं नागण माणस खाणी ना
  ईं के जहर की छाया समाज की नस-नस मैं बसगी।।
2.
  शिक्षा पै खरचा कम करो फरमान इसनै सुणा दिये
  सेहत नै ना कोए लेणा देणा मन्तर गजब पढ़ा दिये
  पब्लिक सेक्टर ओणे पोणे मैं इसनै आज बिका दिये
  संकट मोचक बणकै आई संकट की कौली कसगी।।
3. तीन मुंही नागण के दम पै हर देश लूट कै खाया रै
  गरीब देशां की हितैषी सूं इसनै यो भ्रम फैलाया रै
  जी सेवन सपेरा जिसनै नागण को दूध पिलाया रै
  चकाचौंध इसी मचादी अपणा दीखे आज पराया रै
  ये गरीब डसे दिन धौली मौत मैं इनकी काया धंसगी।।
4. अमीर-गरीब के बीच की खाई आज और भी चौड़ी होगी
  बालकां की दुर्गति करदी जवानी आज की बोड़ी होगी
  म्हारे डांगर मरण लागरे ठाडी रेस की घोड़ी होगी
  बदेशी तीन मंुही नागण की देशी नागण तै जोड़ी होगी
  रणबीर की कविताई तै आज ज्योत अन्धेरे मैं चसगी।।








-129-

सरोज सरतो ब्याह शादी की आपस में बतलाई हे।
सरतो किसा वर चाहवै तूं सरोज नै बात चलाई हे।।
1. सरोज बाली शान्त शुभा हो माणस सबर आला हो
  लिहाज राखणा आता हो विश्वास गजब निरालाहो
  तन का चाहे काला हो फेर मन का कति ना काला हो
  निस्वार्थ भाव का धोरी हो समझै बखत कुढ़ाला हो
  दौलत का कति ना भूख हो ना जाणै घणी अंघाई हे।।
2. वो पाछली गलती तै सीखै आगे का फेर ख्याल करै
  बहाने नहीं जमा बनावै कही बात तै नहीं फिरै
  असलियत का हिम्माती हो दिखावै पै ना कान धरै
  दहेज का लोभी नहीं हो पराई चीज पै नहीं मरै
  सरतो के दिल की सारी सरोज नै बात बताई हे।।
3. उफंचा रूतबा हो उसका घमण्ड जमा ना करता हो
  औरां नै बराद करकै नै ना अपने घर नै भरता हो
  झूठी बात ना मानै ना साच कहणै तै डरता हो
  अत्याचार कै साहमी बेबे समझ कै डिंग धरता हो
  दोस्त आला बरतेवा हो नहीं समझ निरी लुगाई हे।।
4. कई गामां मैं गोत बधगे ब्याह का संकट छाया
  गोत आपस मैं रोकैं जावै कैसे बालक ब्याहया
  खेड़े आले गोत तै न्यारा ना चाहिये गोत उकाया
  गोतां के रोजै रोले रणबीर इस चिन्ता नै खाया
  झूठा रोला गोतां का सरतो सरोज नै समझाई हे।।








-130-

कई गोतां के लोग बसैं भाली इसा गाम बताया।
के भाली का जिकरा ना कइयां का हाल सुणाया।।
1. महज पलड़वाल कुण्डु नान्दल कुहार बसैं
  रूहिल हुड्डा लठवाल दांगी बुधवार बसैं
  धनखड़ अहलावत के उड़ै परिवार बसैं
  सहारण के घर बारा उनके घरबार बसैं
  तेरा गोत बसैं उड़ै तीन का भाई चारा दिखाया।।
2. रोहज पलड़वाल का आपस मैं भाई चारा सै
  सहारण भी गेल्यां इनके नहीं इनतै न्यारा सै
  बाकियां की ब्याह शादी का खूबै उड़ै डंगवारा सै
  कोए तकरार नहीं सै ना मन किसे का खारा सै
  जै सारे गोत अड़ लालें तै गाम जा पूरा सताया।।
3. लकड़िया मैं दहिया के चौबीस घर बताये सैं
  दहिया अपणी छोरियां नै उड़ै ब्याहन्ते आये सैं
  ये रिवाज नये बास मैं क्यों ना गए परणाये सैं
  पुरानी बेड़ी ईब तोड़ां नौजवान तंग पाये सैं
  सरोज मामले में खामखा दहिया नै पां फंसाया।।
4. कई गामां मैं गोत बधे ब्याह का संकट छाया
  गोत आपस मैं रोकैं जावै कैसे बालक ब्याहया
  खेड़े आले गोत तै न्यारा ना चाहिये गोत उकाया
  गोतां के रोजै रोले रणबीर सिंह चिन्ता नै खाया
  मिल कै राह का

131.160



-131-

बिना मकसद
कुछ बी आच्छा नहीं लागै बिन मकसद हांडू मैं।
ना दिन रात चैन मनै पड़या पड़या बांडू मैं।।
1. मजदूरी मिलती कोण्या म्हिने मैं दिन बीस मनै
  खेत मैं ले काम रगड़ कै जमा देवैं घीस मनै
  ध्याड़ी सौ कम तीस मनै मुश्किल दिन का
2. सड़कां पै काम रहया ना ईंट भट्ठे बन्द होगे
  चिनाई भी कम होरी से ले लाखां मजदूरी खोगे
  म्हारे नेता एसी मैं सोगे यो नक्शा असली मांडू मैं।।
3. गाम बरोना जिला सोनीपत हरियाणा में बास मेरा
  होली क्यूकर खेलूं यो मन रहवै उदास मेरा
  ना याड़ी कोए खास मेरा चेहरा किसका भांडू मैं।।
4. गरीबां की बूझ नहीं नेता ख्याल करैं अमीरां का
  माणस नै खेल रचाया कहते खेल लकीरां का
  बाणा हुया फकीरां का रणबीर नया छन्द चांडू मैं।।















-132-
एक तरफा ऐलान
तारीख ठारा मार्च म्हिना या दुनिया याद करैगी।
बुश नै जंग थोप दिया या जनता घणी मरैगी।।
1. चाले करे अमरीका नै एक तरफा ऐलान करया
  टोनी ब्लेयर के मंत्रियां नै यो इस्तीफा ल्यान धरया
  फ्रांस रूस चीन जंग विरोधी बिन बोलें नहीं सरया
  आखरी धमकी दी बुश नै इराक जमा नहीं डरया
  दो दिन मैं देश छोड़ दे ना तै सेना तेरे धरैगी।।
2. कहै सद्दाम अर घर उसका सही रास्ते तै भटक्या
  तेल इराक का प्यारा लागै ईराक का माणस खटक्या
  यू एन ओ अमरीका नै सिर पर तै ठाकै पटक्या
  अमरीका की दादागिरी तै यो जगत सूली पै लटक्या
  घणा स्वार्थी सै अमरीका बात ना म्हारै जरैगी।।
3. भारत नै तीसरी दुनिया की चाहिये लेनी अगवाई
  ना थोड़े दिनां मैं दादागिरी पावै तीजी दुनिया पै छाई
  खुलकै चाहिये बोलणा ना तै हो दुनिया मैं रूवाई
  जनता की दाब बिना जंग पै नहीं जावै रोक लगाई
  आपस के एक्के बिना अमरीका सेना नहीं डरैगी।।
4. जंग के घोड़े दौड़ा अमरीका दुनिया पै छाणा चाहवै
  तेल खातर इराक नै यो गुढ़लिया चलाणा चाहवै
  इसकै साहमी बोलै उसतै सबक पढ़ाणा चाहवै
  पैंटागन के दम पै रणबीर झूठ छिपाणा चाहवै
  अमरीका की सेना कै दिन दुनिया मैं सूनी चरैगी।।








-133-

बारा बाट
इब होगे बारा बाट कसूते होती कितै सुनाई ना।
चूट-चूट कै खागे हमनै मिलती कितै दवाई ना।।
1. जिन सरमाये दारां नै गोरे झूठी चा पिलाया करते
  जी हजूरी फितरत उनकी जमकै टहल बजाया करते
  बड्डे चौधरी सांझ-सबेरे ललकै पैर दबाया करते
  राए साहब कोए सर की न्यों पदवी पाया करते
  आज मालिक बने देश के समझी हमनै चतुराई ना।।
2. कुल सौ बालक म्हारे देश के दो कॉलेज पढ़ण जावैं सैं
  पेट भराई मिलै तीस नै सत्तर भूखे क्यों सो जावैं सैं
  बिना नौकरी ये छोरे गाभय आपस मैं नाड़ कटावैं सैं
  काले जबर कानून बना कै म्हारे होंठ सिमणा चाहवैं सैं
  नब्बे की रेह-रेह माटी देखी इसी तबाही ना।।
3. बेकारी महंगाई गरीबी तो कई गुणी बढ़ती जावै रै
  जब हक मांगै कट्ठे होकै वे तान बन्दूक दिखावैं रैं
  साहूकार हमनै बांटण नै नई-नई अटकल ल्यावैं रैं
  म्हारी जूती सिर भी म्हारा न्यों म्हारा बेकूफ बणावैं रैं
  थोथा-थोथा पिछौड़ दे सारा छाज इसी अपनाई ना।।
4. इतनी मैं नहीं पार पड़ी दस नै जुल्मी खेल रचाया यो
  नब्बे की कड़ तोड़ण खातर तिन मुहा नाग बिठाया यो
  निरा देशी साहूकारा लूटै एक फण इसा बणाया यो
  दूजा फण सै थोड़ा छोटा उस पै बड्डा जमींदार टिकाया यो
  तीजे फण फिरंगी बैठ्या सै उसकी कोए लम्बाई ना।।
5. इस तरियां इन लुटेरयां नै नब्बे हाथ न्यों बांट दिए
  लालच दे कै सब जात्यां मैं अपणे हिमाती छांट लिए
  उडारी क्योंकर भरै मैंना धरम की कैंची तै पर काट दिए
  हीर अर रांझयां बिचालै देखो अक्खन काणे डाट दिए
  नब्बे आगै दस के करले इसकी नापीं गहराई ना।।



-134-
यू पी ए सरकार
यू पी ए सरकार नै आज पूरा एक साल हो लिया।
जो वचन करे थे इसनै उनका के हाल हो लिया।।
1. कोए सोनिया कोए मन मोहन के मोह मैं फंसरया
  गुण गाण करैं बढ़ा चढ़ा कोए इनकै उपर हंसरया
  कोए कहै जमा धंसरया गरीब कंगाल हो लिया।।
2. टी वी चैनलां पै कई दिन तै इस पै गैहटा तारया हे
  कोए करै काट घणी कसूती कोए गीत सुरीले गारया हे
  साच्ची बात कोण बतारया हे दिल बेहाल हो लिया।।
3. किसे जागां तो ठीक करया यूपीए नै काम बतावैं सैं
  किसे जागां पै चाल
  लोग जागां जागां चिल्लावैं सैं म्हारा सूना ताल हो लिया।।
4. लैफट लगाम कसता दीखै एनडीए राहू भूल रहया
  कांग्रेस का एक हिस्सा यो होकै नशे मैं टूहल रहया
  सत्ता का झूला झूल रहया रणबीर काल हो लिया।।
















-135-

यूनिवर्सिटी में मार्या छोहरा, पंचायत कती ना बोली।
कुछ दलितां तै माणस मरग्या, बस्ती फंूकी दिन धोली।।
1. जात की जात मैं गुण्डे इतने, महिलाओं नै रोज सतावैं सैं
  रेप के केस दर्ज सैें जिनपै, उननै हाम रोज छिपावैं सैं
  दस-दस मर्डर कर राखे, उननै पंचायत बचावैं सैं
  अपनी जात में दहेज के लोभी, बहुआं ने रोज जलावैं सैं
  इन पंचायतों नै ये बात कदे भी, आज तलक ना तोली।।
2. सूद खोर पै गरीबां की आड़ै जा सै खाल तराई
  जात के ठेकेदार ना सोचैं, जिब छोरी रहै बिन ब्याही
  के यो काम गलत कोन्या, क्यूं ना पंचायत बुलाई
  इन पहलवानां के खिलाफ ना हो, पंचायत में सुणवाई
  ये 16वीं सदी के तौर तरीके, आज पोल कसूती खोली।।
3. न्यू कानून हाथ में लेकै तै, सारा हरियाणा जलज्यागा
  ना कोए गाम बचैगा न्यू तो, सबका दीवा सा बलज्यागा
  बांट समाज नै जात पात पै, लुटेरा गरीब नै छलज्यागा
  काम उसे होन्ते रहंगे तो अमीरां के घी सा घलज्यागा
  इस जात पात नै बंटवारे की, जहर समाज में घोली।।
4. बेरोजगार तो बेरोजगार सै, ना कोए जात बताई
  बेरोजगारी जात सै उसकी, हो किसै कोम का भाई
  किसान की जात किसानी हो , क्यूंना म्हारी समझ में आई

  जात पात पै लड़ाकै इननै, रणबीर की छाती घोली।।








-136-

किस्सा म्हारा थारा
भरत सिंह और उसके भाई कंवल सिंह के बीच बिजली के बिलों की माफी को लेकर चर्चा होती है। भरत सिंह कहता है-जो बिजली की सबसे ज्यादा चोरी करते थे उनको सबसे ज्यादा फायदा होगा। उनकी बिजली का खर्चा आम जनता क्यों भरे। कंवल सिंह कहता है नहीं, इससे सभी किसानों को एक बार तो राहत मिलेगी। दोनों में बातचीत होती है और क्या बताया भला कवि ने:-
कंवल   :    सौला सौ करोड़ माफ करे, हुड्डा सरकार नै
भरत सिंह:  छोटू राम की कुड़की बचाग्या, खाए करज्यां की मार नै
कंवल   : या राहत के थामनै थोड़ी बिजली बिलां ने तोड़ दिए
         कई-कई हजार बाकी रहरे टूटे कनेक्शन जोड़ दिए
         धरती थोड़ी खर्चा ज्यादा मारे दारू की मिकदार नै।।
भरत सिंह:  पहलम कर्जे में गरक करे इस सिस्टम ठीक कड़ै
         अर्ज करो यो माफ करैगा हुया लागू सिस्टम इसा आड़ै
         ऐसा सिस्टम बणै कर्ज का ना किसान फंसै बारम्बार नै।।
कंवल   : किसान मसीहा छोटूराम नै, क्यूं तों आज बिसरावै
         भाखड़ा डैम बणाया देखो, फसल खेता मैं लहरावै
         यो किसान तो अैहदी होग्या, संभालै नै घरबार नै।।
भरत सिंह:  दिन और रात काले कर दिए, खूबै ए खेत कमाया
         सारी कमाई मंडी खागी, नहीं मूल कदे बी थ्याया
         रणबीर सिंह बरोणे आला दिया छोड़ बीच मझदार मैं।।









-137-

गोहाना में जो कुछ हुआ वह बहुत ही शर्म नाक और दिल दहला देने वाली बात है। कूसर किसी का सजा किसी को। क्या बताया भला:-
मारै कोए भुगतै कोए घणा बुरा जमाना आया रै।
गोहाना मैं दलितां उपर जुलम कसूता
1. स्वर्ण जातां का जुलम उड़ै हटकै दिया दिखाई सै
  उंची जात आले चौधरी दलितां की बस्ती जलाई सै
  पुलिस भी हाजिर थी उड़ै जिब आग लगाई सै
  एम पी के छोरे नै उड़ै अफवाह खूब फैलाई सै
  स्वयंभू पंचायत नै फेर हटकै रंग दिखाया रै।।
2. दो दिन पहलम हुया पंचायत का फतवा जारी
  डीसी एसपी सोवैं तान कै जनता बस्ती छोड़गी सारी
  पंचायती नहीं गेरे जेल मैं या गलती कर दी भारी
  ना बस्ती मैं पुलिस बिठाई क्यों अकल मारी थारी
  मिल सबनै दलितां तै सबक सिखाना चाहया रै।।
3. सब कुछ साहमी हुया पुलिस देखती रही खड़ी
  स्वर्ण जात की हिम्मत दलित बस्ती मैं आण बड़ी
  धूं-धूं करकै घर जलगे चौगरदे थी आग पड़ी
  सोच समझ प्लान बणा कै गया सै काण्ड रचाया रै।।
4. सतावण साल की आजादी मैं किसी आजादी पाई या
  दलितां पै जुलम बढ़े सरकार नहीं शरमाई या
  एक बाल्मीकि के कारण बस्ती सारी क्यों जलाई या
  मानवता के बणे रूखाले हवा जहरी चलाई या
  कलम कांपण लागी रणबीर घणा दुख पाया रै।।







-138-

चमेली और बबली की बातचीत होती है। बबली बहुत दुःखी है चमेली के उत्पीड़न से। वह कहती है-अब जात का सहारा लेकर सूरते को बचाना चाहते हैं। हमारी ही जात के लड़के जब हमारे साथ छेड़खानी करते हैं तब भी कुछ नहीं बोलते। समाज कहां जा रहा है? एक गीत के माध्यम से कैसे अपनी बात कहती है:-
1. गरीब अमीर का मेल नहीं, शेर बकरी का खेल नहीं
  सही कातिल ने जेल नहीं, बीर मर्द की रखैल नहीं
  जी छोड्डै अमर बेल नहीं, या दुनियां कहती आई
  बिन शिक्षा के ज्ञान नहीं, बिन ज्ञान होवै सम्मान नहीं।
2. टोहली बबली असल सच्चाई इब सबकी श्यामत सै आई
  गरीब की हो खाल तराई, जाणैं सारे लोग लुगाई
  बात ये सबके साहमी ल्याई, कोन्या मनै झूठ भकाई
  बिन फागण के फाग नहीं, बिन माली के बाग नहीं।।
3. इज्जत सुरते नै ली सै लूट, इब गेर्या चाहवै म्हारे में फूट
  सबर का हमनै प्याकै घूंट, सदियां तै रहे हामनै चूंट
  उपर तैं फेर दिखावैं बूंट, खोलकै सारी बात बताई
4. बिन सुर के कोए राग नहीं, बिन घरषण के आग नहीं
  दफन सभी फरियाद हुई, घणी चमेली बरबाद हुई
  खामैखां की कवायद हुई, या मेहनत सबकी खाद हुई
  कमजोर म्हारी या याद हुई, न्यू सब मैं नोबत आई।।
5. ना बिना पदार्थ कुछ साकार, ना बिना तत्व गुणों का सार
  इब नीति इसी चाल रहे, बिछा टेलीविजन का जाल रहे
  बिकवा घर का माल रहे, सब
  गलूरे बणा ये लाल रहे, रणबीर की श्यामत आई।।






-139-किस्सा म्हारा थारा
बबीता-चमेली को मेडिल जाकर अपना मेडिकल करवाने के लिए तैयार करती है। वहां सविता उनकी पूरी मदद करती है। मेडिकल मुआएना हो जाता है और सूरत सिंह के खिलाफ पुलिस को केस दर्ज करना पड़ता है। गांव में चमेली का चरित्र हनन करने की पूरी कोशिशें की जाती हैं। चमेली की मां और बबीता उसका पूरा साथ देती हैं। एक दिन चमेली क्या सोचती है, क्या बताया कवि ने:-
या चोट मनै, गई घोट मनै, गई फिरते जी पै लाग
              मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
1. चाला होग्या गाला होग्या, क्यूकर बात बताउं बेबे,
  इज्जत गवाई, चिन्ता लाई, क्यूकर ज्यान बचाउं बेबे
  सुरते बरगे फिरैं घनेरे, क्यूकर गात छिपाउं बेबे
  देख अकेली करी बदफेली, क्यूकर हाल छुपाउं बेबे
  ना पार बसाई, ना रोटी खाई, ना आच्छा लागै कोए राग
              मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
2. जिस देश मैं नहीं होता हो सही सम्मान लुगाई का
  उस देश का नाश लाजमी, जड़ै अपमान लुगाई का
  सारी जिन्दगी राम भज्या सै, नहीं भुगतान दुहाई का
  घणा अष्टा बणा दिया सै, यो इम्तहान लुगाई का
  मैं तो मरली, दिल में जरली, लाउं नाश जले कै आग
              मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
3. राम गाम सुणता हो तै, हाम कति ज्यान तै मरली
  औरत घणी सताई जागी, या मेरे दिल में जरली
  सबला लूटी अबला लूटी, दास बणाकै धरली
  इबै तो और सहणा होगा, के इतणे मैं सरली
  ना होठ सिउं ना जहर पिउं, तेरा करूं सामना निर्भाग
              मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
4. डूबूं तिरूं मन होज्या सै, सोचूं कदे फांसी खावण की
  फेर सोचूं हिम्मत करकै, सजा कराद्यूं सुरते रावण की
  मां नै भी दिया बहुत सहारा, ऐसी मां ना पावण की
  कसर ना छोड़ी बबीता नै मेरा साथ निभावण की
  ना कदम हटावै ना केस ठावै न्यां रणबीर सिंह करै जाग
              मेरै तो सिलगै बदन में आग।

-140-

एक दिन भरत सिंह व उसकी पत्नी सरोज आपस में बात कर रहे हैं कि बहुत बुरा जमाना आ गया है। उपभोक्तावाद की अधी गली में हम घुसते जा रहे हैं। मारो खाओ हाथ ना आओ का चारों तरफ बोलबाला है। मानवीय रिश्तों में गिरावट आ रही है। भरत सिंह सरोज को बताता है कि इस चुनाव में कैसे दारू सुलफे का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ है। सरोज कहती है कि भ्रष्टाचार का कोए अन्त नहीं रहा। भरत सिंह एक गीत के माध्यम से सरोज को अपने दिल की बात सुनाता है:-
एक बै नजर घुमाकै देखां समाज म्हारा कित जा लिया।
क्यों आन्धी गली मैं बड़ते जावां, इस चिन्ता नै खा लिया।।
1. घर-घर देखां घणा बेढ़ंगा, माहौल हुया यो सारे कै
  कोए तो आड़ै काच्चे काटे क्यों बोझा पड़या करतारे कै
  आंच ना महल चौबारे कै, गरीब काल क्यों पा लिया।।
2. माणस रोज भीतर तैं टूटै, इसा जमाना आता जा
  घर के भीतर बाहण बेटी की, इज्जत पै संकट छाता जा
  शरीफ तले नै आता जा, बदमाश नै पैर जमा लिया।।
3. दारू सुल्फा सारे छागे, शरम लिहाज ना कोए ईब
  भ्रष्टाचारी का साथ देवो, कहते इलाज ना कोए ईब
  खापां का अन्दाज ना कोए, हरियाणा सिर पै ठा लिया।।
4. रिश्वत की कमाई भूंडी, फेर बी इसको स्वीकार लिया
  दहेज बीमारी भूंडी कहते, फेर बी इसको चुचकार लिया
  रणबीर नहीं इन्कार किया तो, समझो ओड़ आ लिया।।











-141-

वार्ता: बबली और चमेली एक दिन आपस में बातें कर रही हैं कि कैसे कॉलेज जाते समय वे युवाओं के गैंगों की शिकार होती हैं। रोहतक और उसके आसपास के जिलों का युवा दर्शन और भूप के गैंगों से सीधे या वाया भटिण्डा किसी न किसी रूप में जुड़ गया है। लड़कियां भी इन गैंगों की सम्पतियों के रूप में देखी जाने लगी हैं। हिंसा के साथ सैक्स की पतनशील संस्कृति ने भी हाथ मिला लिया है। इन दोनों का साथ दारू, सुल्फा व स्मैक पूरी तरह से निभा रही है। चमेली ने कहीं पढ़ा कि इन तीनों चीजों के सहारे अमरीका पूरी दुनियाभर पर राज करना चाहता है और चमेली बबीता को क्या बताती है भला:
साम्राज्यवाद के निशाने पै, युवा लड़के और लड़की।
बेरोजगारी हिंसा और नशा, घण्टी खतरे की खड़की।।
1. इन बातां तै ध्यान हटाकै, नशे का मन्तर पकड़ाया
  लड़की फिरती मारी-मारी समाज यो पूरा भरमाया
  ब्यूटी कम्पीटीशन कराकै, देई लवा देश की दुड़की।।
2. निराशा और दिशाहीनता देवैं चारों तरफ दिखाई
  बात-बात पै हर घर के माह, माचरी खूब लड़ाई
  सल्फाश की गोली खाकैं, करैं जीवन की बन्द खिड़की।।
3. युवा लड़की की ज्यान पै शांका, घणा कसूता छाया
  रोज हिंसा का शिकार बणैं, ना सांस मोह सुख का आया
  वेश्यावृत्ति इसी फैलाई, जणू जड़ ये फैली बड़की।।
4. एक तरफ सै चक्का चौंध, यो दूजी तरफ अंधेरा
  दिन पै दिन बढ़ता है संकट, ना दिखै कोए सबेरा
  रणबीर सिंह विरोध, करो तुम बाजी लाकै धड़की।।







-142-

सुरत सिंह की बड़ी बेटी कविता का यूनिवर्सिटी में यूथ फैस्टीवल होता है। वहां पर खासतर की दो अर्थी बातों वाले गीत गाये जाते हैं। कविता भी आज की सुन्दरता को लेकर अपने
सुन्दरता किसनै कहते, इस पै चर्चा करनी चाहूं में।
गोरी चमड़ी आच्छी हो सै, छिपरया नस्लवाद दिखाउं मैं।।
1. गोरी चमड़ी बता सुन्दर गोरे, सारी दुनिया पै छागे
  काली चमड़ी सुन्दर कोन्या, इन नै निरभाग बतागे
  गोरी चमड़ी की सुन्दरता नै, खड़ी करदी खाट बताउं मैं।।
2. मेहनत करकै जो बणता सुन्दर उसनै कौण पिछाणै
  कष्ट कमाई नै चोर कै लेज्यां, उसकी चोरी नै ना कोण जाणै
  सुन्दर बाहर काला भीतर तैं, कति कोन्या झूठ भकाउं मैं।।
3. उनकी सुन्दरता भूल गए जिननै ताज महल बणाया
  किस्सा शाहजहां मुमताज का रोजाना जावै सुणाया
  कारीगरां कै पटी रै बिवाई, वा सुन्दरता कड़ै छुपाउं मैं।।
4. बाहर पेट तै ल्यावण में यो, साथ दिया जिस दाई नै
  जिनै न्हवां धवा कै मैल तार्या, गेरी नीच जात की खाई मैं
  रणबीर असली सुन्दरता पै सुन्दर छन्द बणाउं मैं।।











-143-

मर ज्यांगे पर झुकां नहीं
मर ज्यांगे पर झुकां नहीं, न्यूं मिलकै कसम खाई।
अमित अंजू की शादी स्वयंभू, पंचायत नै रोकना चाही।।
1. जगदीश अमित कृष्ण मंजू नै, जिब अपणा ब्याह रचाया
  श्योराण और गिल गोतां का ब्याह, पंचायत नै रोक्या चाहया
  पंचायत स्वयंभू गैर कानूनी, आज हरियाणा मैं छाई।।
2. कानूनी औकात ना इनकी, न्यूं जाणै दुनिया सारी
  स्वयंभू ये पंचायत, आज करदें फतवे जारी
  मिलकै करो सामना, अमित अंजू नै राह दिखाई।।
3. इसी घटिया बातां का चाहिये, बहिष्कार समाज मैं
  नागरिक अधिकारां का मामला, उठावां सही अन्दाज मैं
  इन फतवां नै मुश्किल कर दिये म्हारे ब्याज और सगाई।।
4. मुबारक सोनिया रामपाल नै यो, आसण्डे मैं युद्ध लड़या
  जौन्धी और नया बास में भी नागरिक समाज हुया खड़या
  कहै रणबीर सिंह बरोने आला, लाडावास की बारी आई।।















-144-

इज्जत नहीं जहां औरत की प्यार वहां नहीं रह पायेगा।
बेशक दौलत से लथपथ हों, एक दिन भूखा मर जायेगा।।
1. पैदा करके बड़ा करे वो, बेटा बेटी करती रहती
  उस पर ही जो करे जुलम वो उपर उनके ही मरती रहती
  जो भी आंसूं देगा उसको जिन्दगी मैं धक्के खायेगा।।
2. राखी लेकर खड़ी रहें ये बहन हमारी जो कहलाती
  भाई को दें घी की रोटी, सूखी देखो खुद खा जाती
  मौत मिले राखी के बदले बहन का दिल भी थर्रायेगा।।
3. कुकरम करते आदमी सारे तोहमद औरत की लग जाती
  पिस जाती ये चिंटी हरदम, मंडराते रहते ये हाथी
   विवश बेचारी अबला देखो, क्या कभी इन का भी नि आएगा।।
4. रजवाड़ों में इसे नचाया डांस बार भी भरे हुए हैं
  नोंच कर खाने वाले गली गली में भरे हुए हैं
  अगर कृष्ण ले अवतारी, हर घर में एक द्रोपदी पायेगा।।
















-145-

महिला पलटन
आई एन ए में भरती होकर बनाई महिला पलटन न्यारी।
लक्ष्मी सहगल बनी कमाण्डर दी अंग्रेजों को किलकारी।।
1. भारत आजाद कराउं जरूरी सहगल ने मन में धार लिया
  फिरंगी भारत छोड़ो हमारा सारी दुनियां में प्रचार किया
  आजाद हिंद फौज बोस की अलग से पलटन तैयार किया
  तोप गोले बन्दूक चलाई रणचण्डी सा फिर सिंगार किया
  वही लक्ष्मी सहगल देखी मोर्चे पर आगे बढ़ती जारी।।
2. गोले गए आजादी आई सपने खूब सजाए हमने भाई
  मेहनत करी बहोत देखो अपने डेम बनाए हमने भाई
  रामधन सिंह जैसे विज्ञानी अपने बीज उगाए हमने भाई
  खान फैक्टरी और खेतों में अपने शरीर खपाए हमने भाई
  लक्ष्मी सहगल पूछ रही है दे दी किसने आज बुहारी।।
3. खेत खलिहान और सड़कों पर औरत बहुत सताई जाती
  दहेज अच्छा नहीं मिला है यों हर रोज जलाई जाती
  जुल्म की हद नहीं कोई जबरी फांसी चढ़ाई जाती
  नंगी तसवीरें फूहड़ गाने ऐसी ये फिल्में बनाई जाती
  जीना है तो लड़ना सीखो क्यों बनी बैठी हो बेचारी।।
4. औरत के हकों की खातिर लड़ने का बीड़ा उठाया है
  सबको इकट्ठा करने के लिए संगठन सही बनाया है
  इकट्ठी होकर लड़ें लड़ाई घर घर अलख जगाया है
  गांव-गांव कर लो तैयारी संदेश तो यही पहुंचाया है
  औरत दबकर नहीं रहेगी रणबीर की कलम पुकारी।।







-146-

घड़ा पाप का
घड़ा भर लिया पाप का एक दिन फूटैगा जरूर भाई।
मेहनतकश पड़ कै सोग्या कदे तो उठैगा जरूर भाई।।
1. राही और राजभवन की आज खुलकै ने तकरार ठनी
  गरीब की गर्दन के उपर आज नंगी या तलवार तनी
  अमीरी आन्धी बहरी आज बनी एक दिन टूटैगा गरूर भाई।।
2. महलां मैं दिन चढ़ज्या म्हारे घर मैं काली रात रहै
  जनता भोली चौराहे पै गुण्डयां की आज लात सहै
  ताज ना साच्ची बात कहै धूल कदे चाटैगा जरूर भाई।।
3. कलम बेच कै अपणी देखो गलत नै सही बतावैं सैं
  दस नब्बे का खेल यो सारा साची बात छिपावैं सैं
  जोंक की
4. अनपढ़ता बेकारी और गरीबी तीनों ही मां जाई ये
  अनपढ़ता कै देले घेरा आसान फेर बाकी लड़ाई ये
  रोड़ा अटकावैंगे कसाई ये रणबीर चाला पाटैगा जरूर भाई।।















-147-

मामला गउ का
दुलिना काण्ड नै आज यो पूरा एक साल हो लिया रै।
सारे कालित छुट कै आगे यो बुरा हाल हो लिया रै।।
1. माणस मारे पुलिस चौकी में, सबकै साहमी आई रै
  गुपचुप ठिकानै लगवाये ना करी कानूनी कारवाई रै
  माणस तै बढ़कै गउ धर्म ठेकेदारों ने बात बताई रै
  गउशाला मैं नहीं ले जाते सुन्नी गउ देवैं दिखाई रै
  गउ चमड़े पै कई जागां खड़या बबाल हो लिया रै।।
2. सभी गोशाला ठेके चमड़े के सारे कै ठवावैं देखो
  गउ के नाम पै चारा चन्दा ये सबतै ले ज्चावैं देखो
  गउआं की हाडी चिलकैं ना पूरा चारा खवावैं देखो
  गउ की हालत गोशाला मैं कई-कई मरी पावैं देखो
  गउ हिमाती करते हत्या किसा कमला हो लिया रै।।
3. जिन्दा की कोए सम्भाल नहीं मरी पै माणस मार रहे
  गउ के रक्षक चमड़े का करोड़ां का कर ब्यौपार रहे
  बणा गउ नै मोहरा दलितां पै कर ये अत्याचार रहे
  अल्प संख्यक पै हमले गउ नै बणा हथियार रहे
  गउ पै करैं राजनीति खड़या यू सवाल हो लिया रै।।
4. ट्रैक्टर खेती मैं आया तो बुलध कितै कितै रैहग्या
  गउ का सम्मान समाज मैं इसे करकै फेर
  ट्रैक्टर कम्पनी ऐश करैं किसान गउ पै फैहैग्या
  सोचो क्यूं मार काट गउ पै रणबीर सिंह न्यो कैहग्या
  गउ का चमड़ा आड़ै धर्म की नंगी







-148-

सबक सिखाएंगे
तूं घणा आण्डी पाकै सै हम तनै सबक सिखावांगे।
उधार और तेरे करज पै पूरी रोक लगावांगे।।
1. म्हारा कहया माण्या ना तेरी इतनी हिम्मत होगी
  लेणे के देणे पड़ज्यां तनै क्यों तेरी अक्कल खोगी
  ईब तै आगै समझ लिये या तेरी किस्मत खोगी
  तेरी गलत हरकत या जमा झूठे झगड़े झोगी
  म्हारी बात नहीं माणण का जमकै मजा चखावांगे।।
2. म्हारे बमां का करै मुकाबला तेरी या औकात कड़ै
  नाक रगड़ै दरवाजे पै तेरी कड़ पै लात पड़ै
  माक्खी भिनकैं तेरे उपर तूं दिन और रात सड़ै
  हेकड़ी भूलज्या तूं सारी फेर नहीं बिना बात अड़ै
  क्यों आंख्यां पै पाटी बान्धी हम इसनै खोल बगावांगे।।
3. तेरी बोलती बन्द करद्यां धक्के दर-दर खावैगा
  दुनियां मैं तनै हिम्माती नहीं टोहया कोए पावैगा
  पड़या भंवर मैं पफेर तूं बचाओ मनै चिलावैगा
  तेरा भ्यां बुलाद्यांगे पड़या-पड़या फेर रंभावैगा
  धक्के खान्ता नाक रगड़ता तनै तो हम बतावांगे।।
4. न्यूकलीयर ताकत बणज्यां तनै क्यूकर सोच लई
  पांच पटाखे छुटा कै सोचै या दुनिया दबोच दई
  इनतै म्हारे ना माड़ी सी बी जमा कोए खरोच गई
  तेरी नाड़ मेरी समझ मैं करतूत या मोच गई
  रणबीर सिंह न्यों कहवै ना धोंस थारी मैं आवांगे।।







-149-

जात का चश्मा
जिस दिन भाण भाइयो यो जात का चश्मा टूटैगा।
उस दिन पैंडा म्हारा जुल्मी शोषण तै छूटैगा।।
1. हमनै बांटण नै बैरी नै हथियार बनाई या
  गेहूं के खेत मैं पैदा खड़ पतवार बताई या
  दीवार जै मिलकै ना
2. म्हारे देश के सब माणस ये जात्यां मैं बांट दिये
  न्यों म्हारी एकता के लुटेरयां नै पर काट दिये
  समझण तै नाट लिये लुटेरा हमनै चूटैगा।।
3. लुटेरयां की जात मुनापफा आंख खोल कै देख्या ना
  लुटेरे एकै बोली बोलैं सैं कै देख्या ना हमनै बोल
  नाप तोल कै देख्या ना मुनाफा खोर न्यों लुटैगा।।
4. रणबीर बरोने आला चाहे बिजली गिरै आज
  नये जमाने मैं क्यों इसकी कोली भरै आज
  इसतै काम ना सरै आज यो दूना गल घूंटैगा।।















-150-

कारतूस
समाज की सेवा करने वाले कदे किसे तै डरे नहीं।
समाज के ठेकेदारो थारे कारतूस थोथे सैं भरे नहीं।।
1. दिन रात कमावां मिलकै खेत कारखाने अर खान मैं
  अमीर गरीब की छिड़ी लड़ाई देखो सारे ही जहान मैं
  सतरंगा जाल बिछा लूटे करां गुजारा खाली छान मैं
  म्हारी मत मार दी ज्यां करकै ना बैरी आया पहचान मैं
  पाप के बेड़े भवसागर मैं पार कदे बी ये तिरे नहीं।।
2. जात पात के चश्मे म्हारे न्यारे-न्यारे सब बांट दिये
  इलाका कितै धरम बांटता सब लूटण के
  फौज बन्दूक तान दें जिब हुकम इनका नाट दिये
  महिला नौजवान दलित दुखी फिरैं इनके चक्कर काट लिये
  जनता के हमले बिना कदे जुल्मी पापी ये मरे नहीं।।
3. अनपढ़ राखे जान बूझ कै मारैं हमनै बिना दवाई ये
  मेहनत लूट कै महल बनाये बतावैं किस्मत की कमाई ये
  सारी नैतिकता भूल गये बनगे म्हारे खसम जमाई ये
  बेइमान ईमानदार बाजैं ईमानदारां की करैं पिटाई ये
  देख लिया जांच परख कै ये सिक्के खोट्टे सैं खरे नहीं।।
4. सुभाष बोस नै राह दिखाई उसपै आगै बढ़णा होगा
  भगत सिंह नै फांसी खाई उसका विचार पढ़णा होगा
  लाल हरदयाल अलख जगाई नई मंजिल चढ़णा होगा
  अदल-बदल ये देख लिये समाज नया गढ़णा होगा
  कहै रणबीर हथियार पैने करल्यां खुंडे सै यं जरे नहीं।।







-151-

बरसात
सीली सीली बाल चालती चौगरदे नै बोलैं मारै।
नान्हीं-नान्हीं बूंद पड़ैं ये बादल छाये घण घोर।।
1. धरती की प्यास बुझी उठती दीखै दिल मैं झोल
  पेड़ हवा मैं झूमैं जण आपस मैं करैं मखौल
  कितै चिड़िया चिचावै कितै बटेर करे किलोल
  माणस क्यों भाज रहया इसके जी नै माची तोल
  आसमान दुधिया होग्या एक छोर तै दूजी छोर।।
2. बाग का माली बाग की यो रूखाली करता जमकै
  बंजर के मैं फूल खिलादे हर माणस देखै थमकै
  हरियाली मन नै भाव गुलाब फूल न्यारा चमकै
  सुहान्ती सी धूप आवै बादलां के म्हां कै छन कै
  बेरा ना क्यों आज मनै या निराली लागै भोर।।
3. सोनीपत जिले मैं बरोणा सै भाई यो गाम मेरा
  याद आवैं बात वे सारी जड़ै बीत्या बचपन तमाम मेरा
  क्यूकर भूलं उन लोगां नै जिननै उधेड़या चाम मेरा
  झूठी तोमद लाकै करया नाम गया बदनाम मेरा
  गाम छटवा दिया उननै मेरा चाल्या कोण्या जोर।।
4. किते गुलगुले किते पूड़े किते सुहाली तारी जा
  मेरी खुरपी चलै बाग मैं सूरत ईंकी संवारी जा
  सोचूं कूण खुवावै पूड़े हो न्यों तबीयत खारी जा
  किसने सुणाउं मन की जिब दिल हो भारी जा
  रणबीर तै बढ़िया मिलती ना मेरे दिल नै ठोर।।







-152-

सेठ कै बेइमाना होग्या रूप पाणी में धिका दिया।
पराई नार पै नीत डिगाई चेहरा काला दिखा दिया।।
1. भौंचक्का रैहग्या रूप एक बै बात समझ मैं आई ना
  थोड़ा ए तिरणा जाणै था उड़ै कुछ दिया दिखाई ना
  गोते खावै पफेर डूबण लाग्या दया राम नै खाई ना
  चन्द्रा चन्द्रा न्यों रूक्के मारै चन्द्रा नै दिया सुनाई ना
  नहीं हौसला हारया रूप नै जोर पूरा लगा दिया।।
2. जोर की बाल चाल पड़ी समुद्र मैं फेर लहर चली
  तिरता-तिरता तख्त आया नजर रूप की ठहर चली
  रूप नै तख्ते का साहरा न्यों सांस कई ए पहर चली
  रूप नै लेकै वा किस्ती पास बसे होये शहर चली
  होश आवन्तें हे उठ लिया चन्द्रा का नाम गुंुजा दिया।।
3. कड़ै थी चन्द्रा क्यूकर बोलै कैद जहाज मैं पड़ी हुई
  एक-एक करकै याद आई रूप नै चिन्ता बड़ी हुई
  चन्द्रा दीखै रोवन्ती उसनै जहाज के उपर खड़ी हुई
  मुक्का मार लिया छाती मैं रूप कै मजबूरी अड़ी हुई
  रोया रूप दहाड़ मारकै उड़ै पत्ता-पत्ता रूला दिया।।
4. बैठ पेड़ की छाया मैं हटकै अपणे को तैयार किया
  सोर्चे सेठ ने धोखे मैं क्यों इसा घटिया वार किया
  दीन ईमान सब भूल गया पर नारी पै मन मार लिया
  सेठ तै बदला लेना का प्रण मन में था धार लिया
  रणबीर बरोने आले नै फेर कलम अपना चला दिया।








-153-

तर्ज: किस तरियां तू बड़या बाग मैं
लीलो चमन बरबाद हुए जिब धनपत ठाडा रोया था।
धरम के काले नाग नै घणा जहरी डंग चभोया था।।
1. बड्डे बूढ़े बालक कत्ल हुए इसा हाल्या दौर अमन का
  लाहौर मैं लीलो बिछड़ गई इसा डाल्या दौर दमन का
  हिन्दुस्तान मैं आणा पड्ग्या ना चाल्या जोर चमन का
  इस घाल्या डोर भरम का चमन लीला ने खोया था।।
2. इज्जत नहीं महफूज रही दफन सारी ए मरयाद हुई
  एक लीलो का जिकरा ना घणी ए लीलो बरबाद हुई
  मौत के सौदागर पापी कबूल उननै ना फरयाद हुई
  लीलो सबकै याद हुई थी धनपत नै साज संजोया था।।
3. लिकड़ सकी ना लीलो इसे फन्दे के म्हां फंसगी वा
  क्यूकर होवै बचाव धरम के रन्दे के म्हां घिसगी वा
  चमन घणा लाचार हुया गाड़ी खांचे मैं धंसगी वा
  पिफरका परस्ती चाले करगी माणस नै आपा खोया था।।
4. कहै रणबीर सिंह फूट लिया यो भांडा इस कुकरम का
  लीलो चमन मार दिये दोनूं जाइयो नाश धरम का
  गरीब अमीर की लड़ाई पै गेर दिया जाल भरम का
  नहीं शरम का काम सोच रणबीर नै छन्द पिरोया था।।











-154-

कै दिन समाज बचैगा
बिन वंचित की रूखाल करें, बिन महिला का ख्याल करें।
बिन समता का सवाल करें, कै दिन समाज बचैगा रै।।
1. गरीब परिवार मैं पैदा होकै हांगा लाकै करी पढ़ाई
  सत्तर प्रतिशत नम्बर ले कै भी ना कितै नौकरी थ्याई
  ज्यान कति मरण मैं आई हे, के संकट समझ नहीं पाई हे
  दिन दूनी क्यों बढ़ी म्हंगाई हे, कै दिन समाज बचैगा रै।।
2. पढ़ाई लिखाई व्यापार बणाली क्यों सारे ही संसार नै
  पीस्से की हवस बढ़गी खोस कै लेगी म्हारी बहार नै
  टी वी नंगी फिल्म दिखावै सै, अत्याचार यो बढ़ता जावै सै
  माणस नै माणस खावै सै, कै दिन समाज बचैगा रै।
3. हुये आजाद तो सोचैं थे सबनै ईब रूजगार मिलैंगे
  ठीक ठ्याक जिन्दगी गुजरै ना धक्के बारम्बार मिलैंगे
  सपने सारे धूल मैं मिलगे, म्हारे आदर्श सारे हिलैंगे
  बदमाशां के चेहरे खिलैंगे, कै दिन समाज बचैगा रै।।
4. आर्थिक सुधार का रंदा म्हारी नाड़ पै चलाया क्यों
  आत्मनिर्भरता का नारा आज पढ़ण बिठाया क्यों
  विश्व बैंक हमनै भावै क्यों निजीकरण बढ़ाया क्यों
  गरीब का गला दबाया क्यों कै दिन समाज बचैगा रै।।











-155-

बात पते की
ये दो आंख ले कै बी आन्धे हमनै सड़ांध देवै दिखाई ना।।
बिल्ली देख कबूतर आंख मूंद कै कहवै आड़ बिलाई ना।।
1. ईमानदारी का पाठ पढ़ावैं नेता अफसर संसार मैं
  इन्कम टैक्स की चोरी करना बालक सीखैं परिवार मैं
  इस काले धन की बहार मैं दीखै फेर सच्चाई ना।।
2. उपर बैठे अफसर नेता लेरे बदेशी बैंकां मैं खात्ते ये
  जड़ मैं भ्रष्टाचार पनपै तो क्यूकर हरे रहवैं पात्ते ये
  इननै चाहिये चिमटे तात्ते ये इनकी कोए और दवाई ना।।
3. साठ हजार करोड़ का करजा म्हारे देश के अमीरां पै
  सरकार म्हारी चालती देखो इनकी काढ़ी लकीरां पै
  हम हांडां संत और फकीरां पै साच समझ मैं आई ना।।
4. पीस्से की हवस इनकी सब किमै बाजार मैं बिठाया सै
  मानवता सिसकण लागरी यो माणस हैवान बणाया सै
  रणबीर सिंह नै छन्द बनाया सै साच जमा छिपाई ना।।















-156-

बोल बख्त के
आतंकवाद का पिल्ला थारा सुण्या तमनै पाड़ण आया।
सांप उग्रवाद का पाल्या उसतै रजकै दूध पिलाया।।
1. एक चोट आतंकवाद की आज थारे पै नहीं उटी सै
  बीस बरस तै झेल रहे सां थारी छाती नहीं फटी सै
  तीन बेटे दो बेटी खपगी जीवण इच्छा नहीं घटी सै
  इबै थारी बमबारी जारी या रात काली नहीं छटी सै
  काम धंधे चौपट होगी फीम की खेती नै गुल खिलाया।।
2. काबुल पै कब्जे तांहि तमनै दूर की स्कीम बनाई ये
  कट्टरवाद तै हाथ मिलाया तालिबान छोटे भाई ये
  कम्यूनिस्ट खत्म करण नै लाखां मारे लोग लुगाई ये
  उस बख्त के काम भूण्डे तमनै दिये नहीं दिखाई ये
  जेहाद हरफ जाण बूझ क्यों म्हारी जुबान पै चढ़वाया।।
3. क्यां क्यां का जिकर करूं इरान पै हमले करवाये क्यों
  बारूदी सुरंग बिछा काबुल मैं मासूम लोग उड़वाये क्यों
  आच्छा भूण्डा सब भूल गये औरतां पै कहर
  क्यूबा के पूरे चौहतर खिलाड़ी गिणकै नै मरवाये क्यों
  कै मण बीघै उतरी जिब यो थारे बारणे आगै गड़राया।।
4. रूस कै जिब घर घाले तो यो तालिबान लग्या प्यारा हे
  इसमैं शक कड़ै किसे कै आतंकवाद खूंखार हत्यारा हे
  इंका खात्मा होणा चाहिये दुनिया का इन्सान पुकारया हे
  जनक आतंकवाद का इनै खत्म करण का बीड़ा ठारया हे
  अमरीका यो खेल तेरा रणबीर सिंह कै साहमी आया।।









-157-

बोल बख्त के -आन्धा राम
राम अरदास मेरी सै गरीबां की तरफ लखावै न।।
भूखा क्यों सै काम करणिया खोल कै भेद बतावै नै।।
1. तरेपन साल आजादी के हमनै खूब कमाया देख
  माट्टी गेल्यां हो माट्टी तीन गुणा नाज उगाया देख
  गरीब झोंपड़ी भूल तनै महलां ज्योत जलाया देख
  मजदूरां की मेहनत नै ताजमहल सजाया देख
  ईमानदार आज भूखा मरता रोल कड़ै सुझावै नै।।
2. म्हारी मेहनत लूट-लूट किसनै पेट फुलाये आज
  दारू सुल्फा प्यावण तांहि मन्दिर खूब बनाये आज
  हजारां द्रोपदी लूटी जां कृष्ण मुरारी ना आये आज
  कड़ै पड़कै सोग्या राम जी माणस गये जलाये आज
  तेरे कहे बिना पता हिलै ना बदमासां नै हिलावै नै।।
3. अपने पायां खड़े होवां हमनै खूब जतन करे थे
  सड़क स्कूल अस्पताल बनाये उगाये पेड़ हरे थे
  मरने तै नहीं घबराए देश कै उपर खूब मरे थे
  भगत सिंह राजगुरू सुखदेव फांसी तै ना डरे थे
  आखिरी बन्दा टोहवै आजादी कदे हिसाब लगावैं नै।।
4. भारत बाजार भेंट चढ़ाया अमीरां का पेट भरया
  ऐशो आराम किसनै चाहे देश मलिया मेट करया
  महंगाई बढ़ा सारी चीजां का कई गुणा रेट करया
  म्हारी इज्जत आत्म सम्मान बदेशी कैं भेंट करया
  क्यों मंदिर पै लड़वा दिये रणबीर नै समझावै नै।।





-158-

पढ़ाई लिखाई व्यापार बणादी डब्ल्यूटीओ की सरकार नै।
या फीस गई गुणा बधा दी मारे म्हंगाई की रफ्रतार नै।।
1. स्कूल बक्से ना बक्से कालेज इस बढ़ती फीस के जाल तैं
  कश्मीर तै केरल तक बींधे यो मांस तार लिया सै खाल तै
  चारों कान्ही हाहाकार माचग्या इस आण्डी बाण्डी चाल तैं
  जमा धरती कै मार दिये के तम वाकफ ना म्हारे हाल तै
  एक चौथाई साधण जुटाओ कहवैं लूटो जनता लाचार नै।।
2. यूजीसी कटपुतली बणादी उल्टे नियम बणवाये जावैं
  दो सी बीस फीस थी पहलम तेरां हजार भरवाये जावैं
  दिल्ली यूनिवर्सिटी मैं सात हजार शुरू मैं धरवाये जावैं
  बन्धुओ थारी बढ़ी फीस या लेगी खोस कै म्हारी बहार नै।।
3. दो हजार आटोनोमस कालेज पूरे भारत में चलाये सैं
  नये कोर्स कम्प्यूटर बरगे इनके अन्दर ये खुलवाये सैं
  इन कोर्सों के रूपये लाखां इन कालजां नै भरवाये सैं
  गरीब बालक माखी की
  युद्ध कान्हीं ध्यान बंटा कै चाहो बढ़ाना इस भ्रष्टाचार नै।।
4. विश्व बैंक के कहने पै बन्धुओ क्यों गोड्डे टेके तमनै
  उनके फायदे खातर क्यों म्हारे फायदे नहीं देखे तमनै
  सब्सिडी खत्म गरीबां की बर्बादी पै परोंठे सेके तमनै
  जनता साथ जान बूझ कै ईब फंसा लिये पेचे तमनै
  रणबीर सिंह की कलम बचावै देश की पतवार नै।।









-159-

देखां खड़े-खड़े
किसनै या कपास पीट दी हम देखां खड़े-खड़े।
उसे नै या जीरी पीट दी हम सोवां पड़े-पड़े।।
1. म्हारी कष्ट कमाई आंख्या के साहमी लुटगी
  कपास और धान की खेती आज चौड़ै पिटगी
  सब्सिडी म्हारी घटगी लागैं नेता सड़े-सड़े।।
2. बालक हांडै बिना नौकरी बिघन घणा होग्या
  एक बेटे नै खाई गोली सहम ज्यान नै खोग्या
  सुन्न भीतरला होग्या हाथ होगे जड़े-जड़े।।
3. बेटी रैहगी बिना ब्याही ये गोड्डे टूट लिये
  बिना दहेज ब्याह कड़ै ये पसीने छूट लिये
  सांड खुल्ले छूट लिये बुलध मारे बड़े-बड़े।।
4. मां बेटी औरत आज ये महफूज रही नहीं
  समाज गया पाताल मैं आगै जावै कहीं नहीं
  बदमाशी जा सही ना देखं रणबीर खड़े-खड़े।।















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सुणले बहना
मेरा चालै कोण्या जोर हे, हमनै लूटैं मोट्टे चोर हे।
नहीं पाया कोए छोर हे, कटी पतंग की डोर हे
वे समझैं डांगर
1. म्हारा बोलना जुलम बतावैं, उनका बोलना हुकम बतावैं
  ये सारे मुनाफाखोर हे, थमा कै धर्म की डोर हे
  ये बनाते म्हारा मोर हे, न्यों सुहानी इनकी भोर हे
  ऐश करैं डाकू चोर हे, मन सै इनका काला।।
2. ये भारत के पालन हार, बनगे चोरां के दावेदार
  म्हारे पै टैक्स लगाते हे, बोलां तो खावण आते हे
  काले नै सफेद बताते हे, चोरां की मौज कराते हे
  ये लोगां नै जलवाते हे, भज कै राम की माला।।
3. म्हंगाई की मार कसूती हे, सिर म्हारा म्हारी जूती हे
  फिलहाल घणा मन्दा हे, यो सिस्टम सै गन्दा हे
  चलै म्हारे पै रन्दा हे, यो घलै कसूता फन्दा हे
  क्यूकर जीवै बन्दा हे, हुया सै
4. रोटी रोजी सब भुलवाये, जात धर्म पै हम लड़वाये
  ये नाग डसगे बेबे हे, ये गरीब फंसगे बेबे हे
  ये शिकंजा कसबे बेबे हे, दो संसार बसगे बेबे हे
  रणबीर पै हंसगे बेबे हे, करया सै मोटा चाला।।