Wednesday, 25 January 2017

किसा हरियाणा

हरियाणा के जन्म दिन के बहाने
आज हरियाणा 49 साल का हो गया है और 50वें साल में आ गया है। बहुत कुछ पाया मगर उससे ज्यादा खोया भी है। पर्यावरण का मामला ज्यादा गम्भीर हुआ इन सालों में। स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यवसायीकरण ने इलाज आम आदमी से दूर कर दिया और डॉक्टर और मरीज के बीच अविश्वास बढ़ा दिया । पढ़ाई भी बहुत महंगी हो गई। खेती का संकट बहुत आगे बढ़ गया। बेरोजगारी बढ़ी है। लिंग अनुपात भी पूरे देश में सबसे नीचे है। महिलाओं पर हो रहे क्राइम्स की संख्या बढ़ रही है। दलितों पर भी अत्याचार बढे हैं। हम जैसे लोगों को नेगेटिव सोच के कार्यकर्ता के तगमें दिए जा रहे हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि एक हिस्से में सम्पनता आई है हरित क्रांति के बाद मगर ऊपर लिखी कीमत भी चुकाई है। इसी तबके के एक हिस्से ने रत्नावली भी मनाई कुरुक्षेत्र में। शायद गुणगान ही किया होगा । आत्म मन्थन नहीं।
मेरे आदर्शों का हरियाणा कुछ इस प्रकार का होगा।
किसा हरियाणा हो म्हारा इतना तो जाण लयाँ।
शराब टोही कोण्या पावै इतना तो ठाण लयाँ ।
समानता होगी हरियाणे मैं उंच नीच रहै नहीं
न्या मिलैगा सबनै भाई अन्या कोये सहै नहीं
ओछी कोये कहै नहीं बढ़ा इतना ज्ञाण लयाँ।
अच्छाई का साथ देवां चाहे देणी होज्या ज्यान
बुराई का विरोध करां चाहे तो लेले कोये प्राण
बचावां हम अपना सम्मान खोल या जुबाण लयाँ।
सादगी शांति का आड़ै हरियाणे मैं प्रचार होगा
माणस नहीं लूट मचावैं सुखी फेर घरबार होगा
सही माणस हकदार होगा यो कहना माण लयाँ ।
जनता नै हक मिलज्याँ चारोँ कान्ही भाईचारा हो
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ना कितै अँधियारा हो
हरियाणा सबतैं न्यारा हो रणबीर नै पिछाण लयाँ।

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