जहरीला धुंआ उठ रहा भाईयो मारे जाते इंसान यहां
रूढ़िवादी विचार ये देखो चढ़ते जा रहे परवान यहाँ
दोस्त मेरे सम्भल कर चलना कमजोर सी पतवार है
दोषी को दण्ड दे जो ऐसा मिला नहीं भगवान यहां।
कट्टर पन्थ की हलचल कई जगह दिखाई दे रही है
काली ताकतें भारत में बनाना चाहती हैं शमशान यहाँ।
दूजे पक्ष का कट्टर पंथ भी इसी पर फल फूल रहा है
मानवता गर बची नहीं तो नहीं रहेगा हिन्दुस्तान यहां।
मजलूम उठेंगे प्यार करेंगे हक फिर से मिलकर मांगेंगे
लड़ाने वाले चालाक हैं कट्टरता के किये गुणगान यहां।
बीमारी को उसकी हद से आगे लेजाने की तैयारी है
लाशों के अम्बार लगाने वालो लोग नहीं अनजान यहाँ ।
हमारी मोहब्बत और एकता लगता है डर इनसे तुम्हें
देख सको जो हमारे अंदर ऐसा तुम्हारा गिरहबान कहाँ ।
हमारी मानवता से डरते अपने हथियार वे पिना रहे हैं
गंगा जमुनी संस्कृति की मिटने नहीं देंगे पहचान यहां।
मजलूमों के बच्चे समझ रहे नफरत का खेल तुम्हारा
हुक्म बजाये हमेशा ही तुम्हारे बनेगे नहीं दरबान यहां।
मोहब्बत और मानवता के लुटेरो इतना तो याद रहे ही
रणबीर थोड़े दिनों में चलेगा तुम्हारा नहीं फरमान यहां ।
No comments:
Post a Comment